देशभर में आज दिवाली उत्साह के साथ मनाई जा रही है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक गांव ऐसा है जहां पर लोग दिवाली मनाने से डरते हैं। दरअसल, 500 से ज्यादा की आबादी वाले सम्मू गांव के लोगों का मानना है कि उनका गांव श्रापित है, जिस वजह से यहां पर दिवाली मनाने से परहेज की जाती है। लोगों के अंदर श्राप का डर इस तरह घर कर चुका है कि दिवाली वाले दिन लोग घरों में पकवान बनाने से भी डरते हैं। हालांकि, नई पीढ़ी के बच्चे अब थोड़े बहुत पटाखे फोड़ लेते हैं और कुछ लोग अपने घरों में दीप भी जला लेते हैं, लेकिन ज्यादातर ग्रामीण गांव के अंदर इस त्योहार को ना मनाने की सलाह देते हैं। गांव के बुजुर्गों का मानना है की श्राप की वजह से यहां दिवाली का जश्न नहीं मनाया जाता। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो गांव में आपदा आती है या फिर उसके घर में आग लग जाती है। श्राप के कारण दशकों ने नहीं मनाई गई दिवाली सम्मू गांव हमीरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां दिवाली पर कोई रौनक नहीं दिखती। भोरंज पंचायत की प्रधान पूजा कुमारी बताती हैं कि बुजुर्ग लोगों के अनुसार काफी साल पहले गांव की ही एक महिला के पति की मौत हो गई थी। जिससे महिला सती हो गई और तब उस महिला ने श्राप दिया कि आज के बाद गांव में कोई दिवाली नहीं मना पाएगा। इस दौरान प्रधान ने बताया कि गांव में कुछ लोग अब पटाखे भी फोड़ते हैं और दीप भी जलाते है, लेकिन घरों में पकवान तो बिल्कुल नहीं बनाए जाते। बातचीत के दौरान खुद प्रधान ने माना कि व्यक्तिगत तौर पर वह भी दिवाली नहीं मनाती हैं वहीं, गांव के ही 70 वर्षीय विधि चंद के अनुसार, कई पीढ़ियों से गांव में दिवाली नहीं मनाई गई है। गांव को इस श्राप से मुक्त करवाने के लिए कई बार हवन-यज्ञ तक का सहारा लिया गया, लेकिन सब विफल रहा। दिवाली मनाने निकली थी, पति की हुई मौत
प्रधान पूजा कुमारी ने बताया कई दशकों पहले दिवाली के दिन गांव की ही एक महिला अपने पति के साथ सती हो गई थी। महिला इस पर्व को मनाने के लिए मायके जाने को निकली थी। उसका पति राजा के दरबार में सैनिक था। मगर जैसे ही महिला गांव से कुछ दूर पहुंची तो उसे पता चला कि उसके पति की मौत हो गई है। पति के शव को ग्रामीण ला रहे थे। तब गर्भवती पत्नी, पति की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और वह अपने पति के साथ ही सती हो गई। जाते-जाते महिला ने गांव को श्राप दिया कि इस गांव के लोग कभी दिवाली नहीं मना पाएंगे। तब से सम्मू गांव में दिवाली नहीं मनाई जाती। यहां पर कुछ लोग सती की मूर्ति की पूजा भी करते हैं। दिवाली मनाई तो घर में लगी आग
गांव के बुजुर्गों का मानना है कि कुछ साल पहले एक व्यक्ति ने दिवाली मनाने की कोशिश की तो उसके घर में आग लग गई। तब से उस परिवार ने गांव ही छोड़ दिया और अब वो लोग कांगड़ा जिले के नगरोटा में रहते हैं। देशभर में आज दिवाली उत्साह के साथ मनाई जा रही है। लेकिन हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक गांव ऐसा है जहां पर लोग दिवाली मनाने से डरते हैं। दरअसल, 500 से ज्यादा की आबादी वाले सम्मू गांव के लोगों का मानना है कि उनका गांव श्रापित है, जिस वजह से यहां पर दिवाली मनाने से परहेज की जाती है। लोगों के अंदर श्राप का डर इस तरह घर कर चुका है कि दिवाली वाले दिन लोग घरों में पकवान बनाने से भी डरते हैं। हालांकि, नई पीढ़ी के बच्चे अब थोड़े बहुत पटाखे फोड़ लेते हैं और कुछ लोग अपने घरों में दीप भी जला लेते हैं, लेकिन ज्यादातर ग्रामीण गांव के अंदर इस त्योहार को ना मनाने की सलाह देते हैं। गांव के बुजुर्गों का मानना है की श्राप की वजह से यहां दिवाली का जश्न नहीं मनाया जाता। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो गांव में आपदा आती है या फिर उसके घर में आग लग जाती है। श्राप के कारण दशकों ने नहीं मनाई गई दिवाली सम्मू गांव हमीरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां दिवाली पर कोई रौनक नहीं दिखती। भोरंज पंचायत की प्रधान पूजा कुमारी बताती हैं कि बुजुर्ग लोगों के अनुसार काफी साल पहले गांव की ही एक महिला के पति की मौत हो गई थी। जिससे महिला सती हो गई और तब उस महिला ने श्राप दिया कि आज के बाद गांव में कोई दिवाली नहीं मना पाएगा। इस दौरान प्रधान ने बताया कि गांव में कुछ लोग अब पटाखे भी फोड़ते हैं और दीप भी जलाते है, लेकिन घरों में पकवान तो बिल्कुल नहीं बनाए जाते। बातचीत के दौरान खुद प्रधान ने माना कि व्यक्तिगत तौर पर वह भी दिवाली नहीं मनाती हैं वहीं, गांव के ही 70 वर्षीय विधि चंद के अनुसार, कई पीढ़ियों से गांव में दिवाली नहीं मनाई गई है। गांव को इस श्राप से मुक्त करवाने के लिए कई बार हवन-यज्ञ तक का सहारा लिया गया, लेकिन सब विफल रहा। दिवाली मनाने निकली थी, पति की हुई मौत
प्रधान पूजा कुमारी ने बताया कई दशकों पहले दिवाली के दिन गांव की ही एक महिला अपने पति के साथ सती हो गई थी। महिला इस पर्व को मनाने के लिए मायके जाने को निकली थी। उसका पति राजा के दरबार में सैनिक था। मगर जैसे ही महिला गांव से कुछ दूर पहुंची तो उसे पता चला कि उसके पति की मौत हो गई है। पति के शव को ग्रामीण ला रहे थे। तब गर्भवती पत्नी, पति की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाई और वह अपने पति के साथ ही सती हो गई। जाते-जाते महिला ने गांव को श्राप दिया कि इस गांव के लोग कभी दिवाली नहीं मना पाएंगे। तब से सम्मू गांव में दिवाली नहीं मनाई जाती। यहां पर कुछ लोग सती की मूर्ति की पूजा भी करते हैं। दिवाली मनाई तो घर में लगी आग
गांव के बुजुर्गों का मानना है कि कुछ साल पहले एक व्यक्ति ने दिवाली मनाने की कोशिश की तो उसके घर में आग लग गई। तब से उस परिवार ने गांव ही छोड़ दिया और अब वो लोग कांगड़ा जिले के नगरोटा में रहते हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर