हिमाचल की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने लगी:अब खर्चों और मुफ्त सेवाओं में कटौती की तैयारी; 5 कोर्ट केसों से दबाव में सरकार

हिमाचल की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने लगी:अब खर्चों और मुफ्त सेवाओं में कटौती की तैयारी; 5 कोर्ट केसों से दबाव में सरकार

कर्ज की जिंदगी जी रही हिमाचल सरकार आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलें बढ़ाती जा रही है। एक तरफ केंद्र ने हिमाचल की कर्ज सीमा 5500 करोड़ रुपये घटा दी है, वहीं दूसरी तरफ हिमाचल हाईकोर्ट में चल रहे 5 मामले सरकार के गले की फांस बन गए हैं। ये मामले नए वेतन आयोग के एरियर, दैनिक वेतन भोगियों के भुगतान, अनुबंध अवधि की पेंशन और अनुबंध के बाद मिलने वाली वरिष्ठता से जुड़े हैं। कोर्ट ने इन पांचों मामलों में कर्मचारियों और पेंशनरों को करोड़ों रुपये का भुगतान सुनिश्चित करने को कहा है। कई मामलों में कोर्ट ने सरकार को सख्त टिप्पणियां और चेतावनी भी दी है। इससे सरकार और खासकर वित्त प्रबंधन देख रहे अधिकारी दबाव में हैं। कोर्ट की फटकार के बाद अब सरकार की रिसोर्स मोबिलाइजेशन कमेटी भी आय के संसाधन बढ़ाने और खर्चों में कटौती करने के लिए सक्रिय हो गई है। 80 हजार करोड़ सत्ता संभालने पर मिला: धर्माणी टीसीसी मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में आई थी, तब राज्य पर 80 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था। सरकार पर कर्मचारियों की 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारी है। इसलिए सरकार को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कुछ कड़े फैसले लेने होंगे। साफ है कि आने वाले समय में सरकार पेट्रोल-डीजल पर राज्य कर बढ़ाने के साथ ही मुफ्त सेवाओं में कटौती करने के फैसले ले सकती है। राज्य में अमीर लोगों के लिए मुफ्त बिजली पहले ही बंद की जा चुकी है। आमदनी 50 पैसे और खर्च एक रुपये होने के चलते सरकार अब मुफ्त सेवाओं और सब्सिडी में भी कटौती करने पर विचार कर रही है। हिमाचल पर 94 हजार करोड़ का कर्ज हिमाचल सरकार पर लगभग 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ चुका है। 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इससे प्रति व्यक्ति 1.17 लाख रुपए कर्ज चढ़ चुका है, जो कि देश में अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरा सबसे ज्यादा है। प्रदेश की पूर्व ‌BJP सरकार ने सभी कर्मचारियों-पेंशनर को जनवरी 2016 से नए वेतनमान के लाभ तो दे दिए। मगर इसका एरियर अभी भी बकाया पड़ा है। दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले 30 से 40 हजार रुपए की एरियर की एक किश्त जरूर दी गई है। मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा समान है। कई कर्मचारियों व पेंशनर का तीन-चार लाख रुपए से भी ज्यादा का एरियर बकाया है। जिसका कर्मचारी-पेंशनर बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इससे डगमगा रही अर्थव्यवस्था रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट (RDG) लगातार कम हो रही है। 14वें वित्त आयोग में हिमाचल को RDG में 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में यह बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गया। साल 2021-22 में RDG 10249 करोड़ मिली थी, जो कि 2025-26 में 3257 करोड़ की रह जाएगी। इसी तरह GST प्रतिपूर्ति राशि भी भारत सरकार ने जून 2022 में बंद कर दी है, जोकि देश में जीएसटी लागू होने के बाद से हर साल लगभग 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल रही थी। NPA के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। राज्य सरकार हर साल मार्च में 1780 करोड़ रुपए NPA के तौर पर PFRDA के पास जमा कराता था, लेकिन बीते साल अप्रैल से हिमाचल में OPS बहाल कर दी गई है। इसलिए अप्रैल 2023 से NPA में स्टेट और कर्मचारियों का शेयर PFRDA के पास जमा नहीं होगा। इसे देखते हुए केंद्र ने इसकी मैचिंग ग्रांट भी रोक दी है। इन सब वजह से हिमाचल की अर्थव्यवस्था डगमगा लगी है। लोन लेने की सीमा 5% से 3.5% की पूर्व BJP सरकार के कार्यकाल में हिमाचल को जीडीपी का 5% तक लोन लेने की छूट थी, जो अब घटाकर 3.5% कर दी गई है। यानी 2022 तक हिमाचल को 14,500 करोड़ रुपए सालाना का लोन लेने की छूट थी। मगर अब 9000 करोड़ रुपए सालाना लोन लेने की छूट है। इससे ज्यादा पैसा हर साल पुराना कर्ज लौटाने और ब्याज देने में खर्च हो रहा है। इससे कर्मचारियों-पेंशनर की सैलरी-पेंशन और विकासात्मक गतिविधियों के बजट जुटा पाना सरकार के लिए मुश्किल हो गया है। 4000 करोड़ की इनकम को कोर्ट का झटका हिमाचल सरकार ने आय के संसाधन बढ़ाने के लिए वाटर सेस लगाया था। इससे सरकार को लगभग 4000 करोड़ रुपए सालाना आय की उम्मीद थी। मगर इसे कोर्ट असंवैधानिक करार चुका है। ऐसे में हिमाचल सरकार अब केंद्र पर बहुत ज्यादा निर्भर हो गई है। केंद्र से मदद नहीं मिली तो आने वाले समय में सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय है। इससे कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनरों को पेंशन देना भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। कर्ज की जिंदगी जी रही हिमाचल सरकार आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलें बढ़ाती जा रही है। एक तरफ केंद्र ने हिमाचल की कर्ज सीमा 5500 करोड़ रुपये घटा दी है, वहीं दूसरी तरफ हिमाचल हाईकोर्ट में चल रहे 5 मामले सरकार के गले की फांस बन गए हैं। ये मामले नए वेतन आयोग के एरियर, दैनिक वेतन भोगियों के भुगतान, अनुबंध अवधि की पेंशन और अनुबंध के बाद मिलने वाली वरिष्ठता से जुड़े हैं। कोर्ट ने इन पांचों मामलों में कर्मचारियों और पेंशनरों को करोड़ों रुपये का भुगतान सुनिश्चित करने को कहा है। कई मामलों में कोर्ट ने सरकार को सख्त टिप्पणियां और चेतावनी भी दी है। इससे सरकार और खासकर वित्त प्रबंधन देख रहे अधिकारी दबाव में हैं। कोर्ट की फटकार के बाद अब सरकार की रिसोर्स मोबिलाइजेशन कमेटी भी आय के संसाधन बढ़ाने और खर्चों में कटौती करने के लिए सक्रिय हो गई है। 80 हजार करोड़ सत्ता संभालने पर मिला: धर्माणी टीसीसी मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में आई थी, तब राज्य पर 80 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था। सरकार पर कर्मचारियों की 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारी है। इसलिए सरकार को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कुछ कड़े फैसले लेने होंगे। साफ है कि आने वाले समय में सरकार पेट्रोल-डीजल पर राज्य कर बढ़ाने के साथ ही मुफ्त सेवाओं में कटौती करने के फैसले ले सकती है। राज्य में अमीर लोगों के लिए मुफ्त बिजली पहले ही बंद की जा चुकी है। आमदनी 50 पैसे और खर्च एक रुपये होने के चलते सरकार अब मुफ्त सेवाओं और सब्सिडी में भी कटौती करने पर विचार कर रही है। हिमाचल पर 94 हजार करोड़ का कर्ज हिमाचल सरकार पर लगभग 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ चुका है। 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इससे प्रति व्यक्ति 1.17 लाख रुपए कर्ज चढ़ चुका है, जो कि देश में अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरा सबसे ज्यादा है। प्रदेश की पूर्व ‌BJP सरकार ने सभी कर्मचारियों-पेंशनर को जनवरी 2016 से नए वेतनमान के लाभ तो दे दिए। मगर इसका एरियर अभी भी बकाया पड़ा है। दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले 30 से 40 हजार रुपए की एरियर की एक किश्त जरूर दी गई है। मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा समान है। कई कर्मचारियों व पेंशनर का तीन-चार लाख रुपए से भी ज्यादा का एरियर बकाया है। जिसका कर्मचारी-पेंशनर बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इससे डगमगा रही अर्थव्यवस्था रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट (RDG) लगातार कम हो रही है। 14वें वित्त आयोग में हिमाचल को RDG में 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में यह बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गया। साल 2021-22 में RDG 10249 करोड़ मिली थी, जो कि 2025-26 में 3257 करोड़ की रह जाएगी। इसी तरह GST प्रतिपूर्ति राशि भी भारत सरकार ने जून 2022 में बंद कर दी है, जोकि देश में जीएसटी लागू होने के बाद से हर साल लगभग 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल रही थी। NPA के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। राज्य सरकार हर साल मार्च में 1780 करोड़ रुपए NPA के तौर पर PFRDA के पास जमा कराता था, लेकिन बीते साल अप्रैल से हिमाचल में OPS बहाल कर दी गई है। इसलिए अप्रैल 2023 से NPA में स्टेट और कर्मचारियों का शेयर PFRDA के पास जमा नहीं होगा। इसे देखते हुए केंद्र ने इसकी मैचिंग ग्रांट भी रोक दी है। इन सब वजह से हिमाचल की अर्थव्यवस्था डगमगा लगी है। लोन लेने की सीमा 5% से 3.5% की पूर्व BJP सरकार के कार्यकाल में हिमाचल को जीडीपी का 5% तक लोन लेने की छूट थी, जो अब घटाकर 3.5% कर दी गई है। यानी 2022 तक हिमाचल को 14,500 करोड़ रुपए सालाना का लोन लेने की छूट थी। मगर अब 9000 करोड़ रुपए सालाना लोन लेने की छूट है। इससे ज्यादा पैसा हर साल पुराना कर्ज लौटाने और ब्याज देने में खर्च हो रहा है। इससे कर्मचारियों-पेंशनर की सैलरी-पेंशन और विकासात्मक गतिविधियों के बजट जुटा पाना सरकार के लिए मुश्किल हो गया है। 4000 करोड़ की इनकम को कोर्ट का झटका हिमाचल सरकार ने आय के संसाधन बढ़ाने के लिए वाटर सेस लगाया था। इससे सरकार को लगभग 4000 करोड़ रुपए सालाना आय की उम्मीद थी। मगर इसे कोर्ट असंवैधानिक करार चुका है। ऐसे में हिमाचल सरकार अब केंद्र पर बहुत ज्यादा निर्भर हो गई है। केंद्र से मदद नहीं मिली तो आने वाले समय में सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय है। इससे कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनरों को पेंशन देना भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।   हिमाचल | दैनिक भास्कर