हिमाचली सेब बाजार में आ गए हैं। शिमला की भट्टाकुफर मंडी में मंगलवार को इस सीजन में पहली बार रेड जून किस्म के सेब की चार आधी पेटियां लाई गईं, जिन्हें 350 रुपए प्रति पेटी की दर से बेचा गया। यह सेब जीएसएस की दुकान नंबर 27 पर बेचा गया। बताया जा रहा है कि मत्याना का एक बागवान सेब को मंडी में लेकर आया था। हरा होने के कारण उन्हें अच्छे दाम नहीं मिले। शिमला की पराला फल मंडी में भी आज रेड जून सेब की 30 पेटियां लाई गईं। आने वाले 10 से 15 दिनों में सेब सीजन रफ्तार पकड़ लेगा। 2 सप्ताह बाद प्रदेश के 5000 फीट से कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों से भी सेब मंडियों में आना शुरू हो जाएगा। सबसे पहले करसोग, कोटखाई, कुल्लू, रामपुर बेल्ट का सेब मंडियों में आएगा। इस बार सेब के अच्छे दाम मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं क्योंकि प्रदेश में इस बार भी सेब की फसल कम है। पहली बार यूनिवर्सल में भरा जा रहा सेब हिमाचल में पहली बार सेब यूनिवर्सल कार्टन में मंडियों में पहुंच रहा है। प्रदेश सरकार ने टेलिस्कोपिक की जगह यूनिवर्सल अनिवार्य किया है। 10 किलो की पैकिंग के लिए बागवान अभी टेलिस्कोपिक कार्टन कुछ दिन तक इस्तेमाल कर सकते है। मगर 20 किलो की पेटी के लिए अब टेलिस्कोपिक कार्टन की इजाजत नहीं है। टेलिस्कोपिक कार्टन में सेब भरने वालों के खिलाफ APMC (कृषि उपज विपणन समिति) कार्रवाई करने के दावे कर रही है। हिमाचली सेब बाजार में आ गए हैं। शिमला की भट्टाकुफर मंडी में मंगलवार को इस सीजन में पहली बार रेड जून किस्म के सेब की चार आधी पेटियां लाई गईं, जिन्हें 350 रुपए प्रति पेटी की दर से बेचा गया। यह सेब जीएसएस की दुकान नंबर 27 पर बेचा गया। बताया जा रहा है कि मत्याना का एक बागवान सेब को मंडी में लेकर आया था। हरा होने के कारण उन्हें अच्छे दाम नहीं मिले। शिमला की पराला फल मंडी में भी आज रेड जून सेब की 30 पेटियां लाई गईं। आने वाले 10 से 15 दिनों में सेब सीजन रफ्तार पकड़ लेगा। 2 सप्ताह बाद प्रदेश के 5000 फीट से कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों से भी सेब मंडियों में आना शुरू हो जाएगा। सबसे पहले करसोग, कोटखाई, कुल्लू, रामपुर बेल्ट का सेब मंडियों में आएगा। इस बार सेब के अच्छे दाम मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं क्योंकि प्रदेश में इस बार भी सेब की फसल कम है। पहली बार यूनिवर्सल में भरा जा रहा सेब हिमाचल में पहली बार सेब यूनिवर्सल कार्टन में मंडियों में पहुंच रहा है। प्रदेश सरकार ने टेलिस्कोपिक की जगह यूनिवर्सल अनिवार्य किया है। 10 किलो की पैकिंग के लिए बागवान अभी टेलिस्कोपिक कार्टन कुछ दिन तक इस्तेमाल कर सकते है। मगर 20 किलो की पेटी के लिए अब टेलिस्कोपिक कार्टन की इजाजत नहीं है। टेलिस्कोपिक कार्टन में सेब भरने वालों के खिलाफ APMC (कृषि उपज विपणन समिति) कार्रवाई करने के दावे कर रही है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में शीतकालीन सत्र से पहले गरमाई राजनीति:पूर्व मंत्री बिक्रम ठाकुर ने आरएस बाली को घेरा, बोले- स्पष्ट करें चेयरमैन हैं या बिजनेसमैन जिला कांगड़ा के धर्मशाला के तपोवन में विधानसभा के शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले ही प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। हिमाचल पर्यटन विकास निगम के होटलों को लीज पर देने के फैसले पर विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मंत्री बिक्रम ठाकुर ने एचपीटीडीसी के चेयरमैन आरएस बाली पर निशाना साधते हुए पूछा है कि आरएस बाली प्रदेश की जनता को स्पष्ट करें कि वह निगम के चेयरमैन हैं या एक बिजनेसमैन। कहा कि, एक चेयरमैन जो कि स्वयं एक होटल के मालिक हैं उनके हितों का टकराव हो रहा है। निगम के अधिकारियों ने किसके इशारे पर प्रदेश हाई कोर्ट में दो-दो बार एफिडेविट देकर गलत आंकड़े पेश किए। इन एफिडेविट में पांच होटलों को लीज पर देने की बात की। इन पांच होटलों में चार जिला कांगड़ा के हैं। यह सारे नगरोटा बगवां के आस-पास के हैं। ऐसे में इनका एजेंडा अलग है। विरोधाभासी बयान दे रहे हैं – विक्रम उन्होंने कहा कि, एचपीटीडीसी के चेयरमैन आरएस बाली ने हाल ही में धर्मशाला में आयोजित प्रेसवार्ता में मुझसे एफिडेविट देने की बात कही थी। इस संदर्भ में मेरा स्पष्ट कहना है कि आरएस बाली स्वयं एक होटल व्यवसायी हैं, और उनके इस पद पर रहने से कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट की स्थिति उत्पन्न होती है। यह सवाल उठता है कि कोई भी होटल व्यवसायी क्यों चाहेगा कि उसके अपने होटलों में लोग न जाएं और दूसरे होटलों का व्यवसाय बेहतर हो? पूर्व मंत्री विक्रम ठाकुर ने कहा कि, पहले बाली जी ने अदालत में कहा था कि एचपीटीडीसी के होटल घाटे में चल रहे हैं, लेकिन जब अदालत के निर्देशों के बाद जनता की प्रतिक्रिया देखी, तो उन्होंने बयान दिया कि होटलों का व्यवसाय ठीक चल रहा है। ऐसे विरोधाभासी बयानों से उनकी मंशा पर सवाल खड़े होते हैं। उनके खुद के भी होटल हैं और वे इस व्यवसाय में निजी तौर पर जुड़े हुए हैं। यह स्थिति पारदर्शिता और निष्पक्षता के मानकों पर खरी नहीं उतरती। बेरोज़गार यात्रा पर एफिडेविट दें बाली बाली ने मुझसे एफिडेविट देने को कहा है तो मैं उनसे भी मांग करता हूं कि वे खुद एफिडेविट देकर यह बताएं कि उनकी ‘बेरोज़गार यात्रा’ के बाद सत्ता में आने पर उन्होंने बेरोज़गार युवाओं के लिए क्या ठोस कदम उठाए। जनता को यह जानने का अधिकार है कि उनके बड़े-बड़े वादे कितने पूरे हुए और बेरोजगारों के लिए किए गए दावों का क्या हुआ।आरएस बाली के बड़े-बड़े व्यवसाय और उनके बयानों के बीच जो असंगतता है, वह साफ तौर पर जनता के हितों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए मैं मांग करता हूं कि वे स्पष्टता और पारदर्शिता के लिए एफिडेविट देकर यह बताएं कि उन्होंने सत्ता में आकर बेरोजगारों के लिए क्या किया। मैं एक भाजपा विधायक और विपक्ष में बैठा पूर्व मंत्री होने के नाते, यह मानता हूं कि जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाना मेरा कर्तव्य है। जनता के व्यापक हितों की रक्षा करना और सरकार से जवाबदेही की मांग करना मेरी जिम्मेदारी है। विपक्ष का यह कर्तव्य होता है कि वह सत्ता में बैठे लोगों से जनता के हितों के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करे।
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