हिमाचल प्रदेश में स्वतंत्रता दिवस पर महंगाई भत्ते (DA) व एरियर की घोषणा न होने पर कर्मचारियों में रोष पनप रहा है। इसकी शुरुआत बुधवार को प्रदेश सचिवालय शिमला से शुरू हो गई है। सचिवालय कर्मचारियों ने लंच के समय सचिवालय परिसर में विशाल प्रदर्शन किया। इसमें बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए। इस दौरान कर्मचारियों ने सुक्खू सरकार और अफसरशाही पर तीखे हमले किए। कर्मचारियों ने सुक्खू सरकार पर करोड़ों रुपए फिजूलखर्ची करने और कर्मचारियों को उनके अधिकारों से वंचित रखने का आरोप लगाया है। कर्मचारी नेताओं ने यहां तक कह डाला कि अफसरों को महंगी लग्जरी गाड़ियों पर करोड़ों की फिजूलखर्ची की जा रही है। अफसरों को कई कई गाड़ियां दी गई, एक गाड़ी बेटे को लेने एडवर्ड स्कूल जाती है तो दूसरी गाड़ी बेटी को लेने चैल्सी स्कूल, तीसरी गाड़ी बीवी को लेने तथा चौथी गाड़ी सब्जी लेने मंडी जाती है। कर्मचारियों के अनुसार, घाटे की सबसे बड़ी यही वजह है। इस वजह से कर्मचारियों के वित्तीय लाभ रोकना सही नहीं है। सामूहिक अवकाश पर जाएंगे सचिवालय कर्मचारी: संजीव हिमाचल सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने कहा कि कर्मचारियों को स्वतंत्रता दिवस पर उम्मीद थी, कि सरकार DA व एरियर का भुगतान करेगी। मगर ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, सरकार के पास कल तक का वक्त है। अगर सरकार बातचीत को बुलाती है तो सरकार के सामने मंच पर आकर मांग रखी जाएगी। अगर नहीं बुलाया गया तो शुक्रवार को फिर जनरल हाउस बुलाया जाएगा। इसमें 10 सितंबर तक आंदोलन को स्थगित किया जाएगा, क्योंकि 27 अगस्त से विधानसभा का मानसून सत्र है। मानसून सत्र खत्म होते ही बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, कि यदि सरकार DA व एरियर का भुगतान नहीं करती तो प्रदेश सचिवालय के कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे। CM दफ्तर पर 19 करोड़ किए जा रहे खर्च: संजीव संजीव शर्मा ने कहा, कुछ दिन पहले बनी बिल्डिंग में 2 मंत्री बैठ रहे हैं। इन्होंने लगभग 1 करोड़ रुपए नई बनी बिल्डिंग की रैनोवेशन में लगा दिए। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री के लिए भी कार्यालय बनाया जा रहा है। इस पर 19.72 करोड़ रुपए खर्च को एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रूवल दे दी गई है। इसी तरह स्पीकर दफ्तर पर लगभग 2 करोड़ खर्च कर दिए गए है। इसके लिए सरकार के पास पैसा है। कर्मचारियों को डीए-एरियर नहीं दिया जा रहा है। पूर्व जयराम सरकार भी नहीं दिया एरियर बता दें कि पूर्व जय राम सरकार ने 2021-22 में अपने सभी कर्मचारी और पेंशनर को एक जनवरी 2016 से नए वेतनमान के लाभ तो दे दिए, लेकिन एरियर का भुगतान नहीं किया। इस वक्त कर्मचारियों के लगभग 10 हजार करोड़ रुपए सरकार के पास बकाया है। कर्मचारी स्वतंत्रता दिवस पर एरियर व DA मिलने की आस लगाए बैठे थे। मगर सीएम सुक्खू ने केवल 75 साल से अधिक आयु वर्ग के पेंशनर का ही एकमुश्त एरियर देने का ऐलान किया है। इससे दूसरे कर्मचारी भड़क उठे हैं। मगर कांग्रेस सरकार आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला देते हुए एरियर व डीए के भुगतान को टाल रही है। हिमाचल प्रदेश में स्वतंत्रता दिवस पर महंगाई भत्ते (DA) व एरियर की घोषणा न होने पर कर्मचारियों में रोष पनप रहा है। इसकी शुरुआत बुधवार को प्रदेश सचिवालय शिमला से शुरू हो गई है। सचिवालय कर्मचारियों ने लंच के समय सचिवालय परिसर में विशाल प्रदर्शन किया। इसमें बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए। इस दौरान कर्मचारियों ने सुक्खू सरकार और अफसरशाही पर तीखे हमले किए। कर्मचारियों ने सुक्खू सरकार पर करोड़ों रुपए फिजूलखर्ची करने और कर्मचारियों को उनके अधिकारों से वंचित रखने का आरोप लगाया है। कर्मचारी नेताओं ने यहां तक कह डाला कि अफसरों को महंगी लग्जरी गाड़ियों पर करोड़ों की फिजूलखर्ची की जा रही है। अफसरों को कई कई गाड़ियां दी गई, एक गाड़ी बेटे को लेने एडवर्ड स्कूल जाती है तो दूसरी गाड़ी बेटी को लेने चैल्सी स्कूल, तीसरी गाड़ी बीवी को लेने तथा चौथी गाड़ी सब्जी लेने मंडी जाती है। कर्मचारियों के अनुसार, घाटे की सबसे बड़ी यही वजह है। इस वजह से कर्मचारियों के वित्तीय लाभ रोकना सही नहीं है। सामूहिक अवकाश पर जाएंगे सचिवालय कर्मचारी: संजीव हिमाचल सचिवालय सेवाएं कर्मचारी संघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने कहा कि कर्मचारियों को स्वतंत्रता दिवस पर उम्मीद थी, कि सरकार DA व एरियर का भुगतान करेगी। मगर ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, सरकार के पास कल तक का वक्त है। अगर सरकार बातचीत को बुलाती है तो सरकार के सामने मंच पर आकर मांग रखी जाएगी। अगर नहीं बुलाया गया तो शुक्रवार को फिर जनरल हाउस बुलाया जाएगा। इसमें 10 सितंबर तक आंदोलन को स्थगित किया जाएगा, क्योंकि 27 अगस्त से विधानसभा का मानसून सत्र है। मानसून सत्र खत्म होते ही बड़े स्तर पर आंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा, कि यदि सरकार DA व एरियर का भुगतान नहीं करती तो प्रदेश सचिवालय के कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे। CM दफ्तर पर 19 करोड़ किए जा रहे खर्च: संजीव संजीव शर्मा ने कहा, कुछ दिन पहले बनी बिल्डिंग में 2 मंत्री बैठ रहे हैं। इन्होंने लगभग 1 करोड़ रुपए नई बनी बिल्डिंग की रैनोवेशन में लगा दिए। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री के लिए भी कार्यालय बनाया जा रहा है। इस पर 19.72 करोड़ रुपए खर्च को एडमिनिस्ट्रेटिव अप्रूवल दे दी गई है। इसी तरह स्पीकर दफ्तर पर लगभग 2 करोड़ खर्च कर दिए गए है। इसके लिए सरकार के पास पैसा है। कर्मचारियों को डीए-एरियर नहीं दिया जा रहा है। पूर्व जयराम सरकार भी नहीं दिया एरियर बता दें कि पूर्व जय राम सरकार ने 2021-22 में अपने सभी कर्मचारी और पेंशनर को एक जनवरी 2016 से नए वेतनमान के लाभ तो दे दिए, लेकिन एरियर का भुगतान नहीं किया। इस वक्त कर्मचारियों के लगभग 10 हजार करोड़ रुपए सरकार के पास बकाया है। कर्मचारी स्वतंत्रता दिवस पर एरियर व DA मिलने की आस लगाए बैठे थे। मगर सीएम सुक्खू ने केवल 75 साल से अधिक आयु वर्ग के पेंशनर का ही एकमुश्त एरियर देने का ऐलान किया है। इससे दूसरे कर्मचारी भड़क उठे हैं। मगर कांग्रेस सरकार आर्थिक स्थिति खराब होने का हवाला देते हुए एरियर व डीए के भुगतान को टाल रही है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल के संजौली मस्जिद विवाद मामले में नया मोड़:मुस्लिम पक्ष ने निगम आयुक्त के फैसले को जिला अदालत में दी चुनौती, 6 को सुनवाई
हिमाचल के संजौली मस्जिद विवाद मामले में नया मोड़:मुस्लिम पक्ष ने निगम आयुक्त के फैसले को जिला अदालत में दी चुनौती, 6 को सुनवाई हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण विवाद मामले में नया मोड़ आ गया है। संजौली मस्जिद मामले में नगर निगम कमिश्नर के कोर्ट से आए फैसले को मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत में चुनौती दी। यह मामला जिला अदालत में 6 नवंबर को लिस्ट हुआ है। ऐसे में मामले में उस दिन सुनवाई प्रस्तावित है। मुस्लिम पक्ष से जुड़ी तीन वेलफेयर सोसाइटी ने नगर निगम आयुक्त के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी है। सोसाइटी ने जिला अदालत में दायर याचिका में कहा है कि नगर निगम आयुक्त के कोर्ट का फैसला डिफेक्टिड है। उन्होंने यह फैसला संजौली मस्जिद कमेटी के नगर निगम को दिए हलफनामे के आधार पर दिया है। सोसाइटी ने जिला अदालत में दायर याचिका में कहा है कि मस्जिद कमेटी कोई रजिस्टर नहीं है, ऐसे में उनके अध्यक्ष मोहमद लतीफ द्वारा दिया गया हलफनामा गैर कानूनी है। जिला अदालत में याचिका दायर करने वाली मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी पोंटा साहिब के सदस्य नाजाक्त अली हाशमी ने बताया कि तीन अलग अलग कमेटी व सोसाइटी ने जिला अदालत में नगर निगम आयुक्त के फैसले को चुनौती दी है। आयुक्त कोर्ट के फैसले को बताया डिफेक्टिड उन्होंने दावा किया कि जिला अदालत में उनकी याचिका स्वीकार हो गई है और 6 नवंबर को मामला जिला अदालत में लिस्ट हुआ है। हाशमी ने बताया कि उन्होंने जिला अदालत में दायर याचिका में मांग की है कि नगर निगम आयुक्त ने मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहमद लतीफ के हलफनामे के आधार पर अपना फैसला सुनाया है। जो डिफेक्टिड है। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया है कि मस्जिद कमेटी कोई रजिस्टर संस्था नहीं है। ऐसे में उनका हलफनामा गैर कानूनी है। इसलिए मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत में दायर याचिका में अपील की है कि मामले में मुस्लिम समुदाय की भावनाएं जुड़ी हुई है। ऐसे में उनका पक्ष भी सुना जाना चाइए। उन्होंने बताया कि जिला अदालत में याचिका दायर करने में मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी पोंटा साहिब , जामा मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी बिलासपुर और अल हुदा एजुकेशनल सोसायटी दीनक मंडी शामिल है। जिन्होंने नगर निगम आयुक्त के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी है। 5 अक्टूबर को आया था नगर निगम आयुक्त कोर्ट का फैसला बता दें कि हिमाचल प्रदेश के शिमला के संजौली में स्थित मस्जिद निर्माण विवाद मामले में नगर निगम आयुक्त के कोर्ट ने 5 अक्टूबर को मस्जिद कमेटी व वक्फ बोर्ड के नगर निगम आयुक्त को दिए हलफनामे पर फैसला सुनाया। मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिल गिराने के आदेश दिए थे। जिसके बाद मस्जिद कमेटी ने विवादित हिस्से को हटाने का कार्य शुरू कर दिया। मस्जिद का एटिक लगभग हटा भी दिया है। लेकिन अब मुस्लिम पक्ष ने मामले को जिला अदालत में चुनौती दी है। जिसके कारण मामले में नया पेंच फंस गया है। हाई कोर्ट ने 8 सप्ताह में मामले को निपटाने के लिए आदेश बता दें कि इस मामले में स्थानीय लोगों की याचिका पर एक आदेश पारित किया है। जिसमें हाईकोर्ट ने मामले को 8 सप्ताह के भीतर निपटाने के आदेश पारित किए हैं। वहीं इस मामले में बची हुई 2 मंजिलों को लेकर नगर निगम आयुक्त कोर्ट में अगली सुनवाई 21 दिसंबर को होनी है।