हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों में आज बाढ़ की चेतावनी दी गई है। यह अलर्ट चंबा, मंडी, शिमला, सिरमौर और कांगड़ा जिला को दिया गया। इन जिलों में कुछेक स्थानों पर फ्लैश फ्लड से तबाही और लैंडस्लाइड की घटनाएं पेश आ सकती है। मौसम विभाग ने लाहौल स्पीति को छोड़कर अन्य सभी 11 जिलों में आज बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। कल से कुछ जिलों में मानसून 2 दिन तक कम पड़ेगा। ऊना, बिलासपुर हमीरपुर, चंबा कुल्लू और मंडी में 17 और 18 अगस्त को मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। अगस्त माह में सामान्य से ज्यादा बरसे बादल हिमाचल प्रदेश में पूरे मानसून सीजन में सामान्य से 23 प्रतिशत कम बारिश हुई है। मगर अगस्त महीने में मानसून ने अच्छी रफ्तार पकड़ी हुई है। मौसम विभाग के अनुसार, 1 से 15 अगस्त तक सामान्य से 10 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। इस अवधि में सामान्य बारिश 147.9 मिलीमीटर होती है, लेकिन इस बार 162.1 मिलीमीटर बादल बरस गए है। सिरमौर जिला में सामान्य से 85 प्रतिशत अधिक और शिमला जिला में 57 प्रतिशत ज्यादा बादल बरसे है। मंडी में सामान्य से 32 प्रतिशत ज्यादा यानी 306.4 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि इस अवधि में 231.7 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है। कांगड़ा जिला में सामान्य से 28 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। पूरे मानसून सीजन में 23 प्रतिशत कम बारिश वहीं पूरे मानसून सीजन के दौरान यानी एक जून से 15 अगस्त के बीच सामान्य से 23 प्रतिशत कम बादल बरसे है। इस अवधि में 504.9 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार 389.1 मिलीमीटर बरसात हुई है। पूरे मानसून सीजन में शिमला इकलौता ऐसा जिला है जहां सामान्य से 4 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। अन्य सभी जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। 115 सड़कें बंद, 1085 करोड़ की संपत्ति तबाह प्रदेश में बीते चार-पांच दिनों के दौरान हुई बारिश से 115 सड़कें बंद पड़ी है। भारी बारिश के कारम 1085 करोड़ रुपए की सरकारी व निजी संपत्ति तबाह हो चुकी है। हिमाचल प्रदेश के पांच जिलों में आज बाढ़ की चेतावनी दी गई है। यह अलर्ट चंबा, मंडी, शिमला, सिरमौर और कांगड़ा जिला को दिया गया। इन जिलों में कुछेक स्थानों पर फ्लैश फ्लड से तबाही और लैंडस्लाइड की घटनाएं पेश आ सकती है। मौसम विभाग ने लाहौल स्पीति को छोड़कर अन्य सभी 11 जिलों में आज बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। कल से कुछ जिलों में मानसून 2 दिन तक कम पड़ेगा। ऊना, बिलासपुर हमीरपुर, चंबा कुल्लू और मंडी में 17 और 18 अगस्त को मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। अगस्त माह में सामान्य से ज्यादा बरसे बादल हिमाचल प्रदेश में पूरे मानसून सीजन में सामान्य से 23 प्रतिशत कम बारिश हुई है। मगर अगस्त महीने में मानसून ने अच्छी रफ्तार पकड़ी हुई है। मौसम विभाग के अनुसार, 1 से 15 अगस्त तक सामान्य से 10 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। इस अवधि में सामान्य बारिश 147.9 मिलीमीटर होती है, लेकिन इस बार 162.1 मिलीमीटर बादल बरस गए है। सिरमौर जिला में सामान्य से 85 प्रतिशत अधिक और शिमला जिला में 57 प्रतिशत ज्यादा बादल बरसे है। मंडी में सामान्य से 32 प्रतिशत ज्यादा यानी 306.4 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि इस अवधि में 231.7 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है। कांगड़ा जिला में सामान्य से 28 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। पूरे मानसून सीजन में 23 प्रतिशत कम बारिश वहीं पूरे मानसून सीजन के दौरान यानी एक जून से 15 अगस्त के बीच सामान्य से 23 प्रतिशत कम बादल बरसे है। इस अवधि में 504.9 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार 389.1 मिलीमीटर बरसात हुई है। पूरे मानसून सीजन में शिमला इकलौता ऐसा जिला है जहां सामान्य से 4 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई है। अन्य सभी जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। 115 सड़कें बंद, 1085 करोड़ की संपत्ति तबाह प्रदेश में बीते चार-पांच दिनों के दौरान हुई बारिश से 115 सड़कें बंद पड़ी है। भारी बारिश के कारम 1085 करोड़ रुपए की सरकारी व निजी संपत्ति तबाह हो चुकी है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में 24 घंटे के भीतर दूसरी बार भूकंप:3.2 मापी गई तीव्रता; आपदा के बीच बार-बार धरती कांपने से लोग घबराए हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले लाहौल स्पीति में 24 घंटे के भीतर दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिएक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.2 मापी गई। जमीन के अंदर इसकी गहराई 5 किलोमीटर रही। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (एनसीएस) के मुताबिक, वीरवार सुबह 9 बजकर 49 बजे तीन से चार बार धरती कांपी। बुधवार रात में भी यहां लाहौल स्पीति में 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था। हिमाचल में आपदा के बीच बार-बार भूकंप के झटकों से लोग डरे व सहमे हुए है। हालांकि तीव्रता कम होने के कारण किसी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है। लाहौल स्पीति जिला जोन 5 में आता है, जो भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। इसलिए यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। अब जानिए भूकंप क्यों आते हैं? पृथ्वी की सतह मुख्य रूप से 7 बड़ी और कई छोटी टेक्टोनिक प्लेटों से बनी है। ये प्लेटें लगातार तैरती रहती हैं और कभी-कभी आपस में टकराती हैं। टकराव के कारण कभी-कभी प्लेटों के कोने मुड़ जाते हैं और अत्यधिक दबाव के कारण ये प्लेटें टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकलने वाली ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोज लेती है और इस गड़बड़ी के बाद भूकंप आता है।
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हिमाचल में 10 की रात एक्टिव होगा वेस्टर्न डिस्टरबेंस:11-12 को बारिश-बर्फबारी; पोस्ट मानसून सीजन में नॉर्मल से 98% कम बादल बरसे हिमाचल प्रदेश में अगले 72 घंटे तक मौसम साफ बना रहेगा। मौसम विभाग के अनुसार, 10 नवंबर की रात को वेस्टर्न डिस्टरबेंस (WD) एक्टिव हो रहा है। इससे मौसम करवट बदलेगा और अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में 11 व 12 नवंबर को हल्की बर्फबारी हो सकती है। वहीं मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश की संभावना है। मगर मैदानी इलाकों में मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। प्रदेश में 37 दिन बारिश नहीं हुई। 6 जिले हमीरपुर, चंबा, बिलासपुर, सोलन, सिरमौर और कुल्लू में तो पानी की एक बूंद भी नहीं बरसी है। इससे सूखे जैसे हालात पनपने लगे है। कांगड़ा जिला में 36 दिनों में मात्र 1.5 मिलीमीटर बारिश हुई है। किन्नौर में 0.4 मिलीमीटर, लाहौल स्पीति जिला में 0.1 मिलीमीटर, मंडी 2.8 मिलीमीटर, शिमला 0.2 मिलीमीटर और ऊना में सबसे ज्यादा 8.6 मिलीमीटर बारिश हुई है। बेशक ऊना में 8.6 मिलीमीटर बादल बरसे है। मगर यहां भी सामान्य से 56 प्रतिशत कम बारिश है। पोस्ट मानसून सीजन में 98% कम बारिश प्रदेश में 1 अक्टूबर से 7 नवंबर के बीच 29 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार औसत 0.7 मिलीमीटर बादल बरसे है, जो कि सामान्य से 98 प्रतिशत कम है। मानसून सीजन में भी 19 प्रतिशत कम बारिश हुई है। ऐसे में अब वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव होने के बाद राज्य में ड्राट खत्म हो सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, बेशक WD एक्टिव हो रहा है। मगर इस दौरान बहुत ज्यादा बारिश-बर्फबारी की संभावना नहीं है। कुछेक क्षेत्रों में ही हल्की बारिश-बर्फबारी हो सकती है। इससे तापमान में गिरावट आएगी। अभी प्रदेश के ज्यादातर शहरों में दिन व रात का तापमान नॉर्मल से ज्यादा चल रहा है। मैदानी इलाकों में दो दिन से धुंध प्रदेश के मैदानी इलाकों में दो दिन से धुंध ने लोगों को परेशान कर रखा है। खासकर ब्यास नदी किनारे स्थित शहरों में धुंध ने लोगों की परेशानी बढ़ानी शुरू कर दी है। बिलासपुर में सुबह के वक्त घनी धुंध के कारण विजिबिलिटी 50 मीटर तक गिर गई है। मौसम विभाग के अनुुसार, जब तक अच्छी बारिश-बर्फबारी नहीं होती तब तक धुंध लोगों को परेशान करती रहेगी। वहीं पहाड़ों पर हल्की धुंध नजर आने लगी है। खासकर शिमला में भी सुबह के वक्त धुंध का असर देखा सकता है।
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हिमाचल में एडवेंचर एक्टिविटी तरह रोक:15 जुलाई से 15 सितंबर तक नहीं होगी इजाजत; मानसून के खतरे को देखते हुए निर्णय हिमाचल प्रदेश में मानसून के खतरों को देखते हुए साहसिक गतिविधियों (एडवेंचर एक्टिविटी) पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। सरकार के आदेशानुसार, 15 जुलाई से पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग, वाटर स्पोर्ट्स और विविध साहसिक गतिविधियों की इजाजत नहीं होगी। इन साहसिक गतिविधियों के न केवल देश बल्कि विदेशों से भी लोग पहाड़ों पर पहुंचते हैं। मगर पहाड़ों पर बरसात में जोखिम कई गुणा बढ़ जाता है। लैंड स्लाइड और धुंध में हर की वजह से हर वक्त रास्ता भटकने का भय रहता है। इसी तरह नदियों में बरसात के दौरान जल स्तर कई गुणा बढ़ जाता है। ऐसे में रिवर राफ्टिंग की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसे देखते हुए सरकार ने अगले दो महीने के लिए यानी 15 सितंबर तक रोक लगा दी है। यह रोक हर साल साहसिक गतिविधियों पर रोक लगाती है। साहसिक गतिविधियों पर रोक के साथ ही पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग ने चोरी-छिपे पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग, वाटर स्पोर्ट्स व ट्रेकिंग करने वालों पर नजर रखने के निर्देश दिए है। साहसिक गतिविधियों पर रोक: मनोज डिप्टी डायरेक्टर पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन विभाग मंडी मनोज कुमार ने बताया कि पर्यटन विकास और रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत साहसिक गतिविधियों पर रोक लगाई गई है। इस अवधि में किसी को भी इन गतिविधियों की इजाजत नहीं दी जाएगी, क्योंकि ऐसा करना जोखिमभरा हो सकता है। उन्होंने बताया कि यदि कोई भी व्यक्ति अवैध और अनधिकृत साहसिक गतिविधियों के आयोजन में शामिल पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कानून के प्रावधान के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। कहां क्या गतिविधि होती है? हिमाचल की विभिन्न नदियों में रिवर राफ्टिंग, कांगड़ा, शिमला, मंडी, बिलासपुर और कुल्लू जिला में पैराग्लाइडिंग, किन्नौर, लाहौल स्पीति, कुल्लू, कांगड़ा, चंबा और मंडी जिला में ट्रेकिंग होती है। मगर अब इसके लिए दो महीने का इंतजार करना होगा।