हिमाचल कैडर के IAS के. संजय मूर्ति देश के अगले भारत नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (CAG) होंगे। केंद्रीय वित्त विभाग ने देर शाम इस बाबत ई-गजट में अधिसूचना जारी कर दी है। वह काफी समय से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में है। संजय मूर्ति अभी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव के पद पर सेवारत्त हैं। इस बीच सरकार ने CAG की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। संजय मूर्ति अब गिरीश चंद्र मुर्मू की जगह लेंगे। मुर्मू का कार्यकाल 20 नवंबर को पूरा हो रहा है। संजय मूर्ति हिमाचल कैडर के 1989 बैच के IAS हैं। इस साल उनका नाम हिमाचल में मुख्य सचिव की रेस में गिना जा रहा था। मगर तब उन्होंने हिमाचल लौटने में दिलचस्पी नहीं दिखाई और राज्य सरकार ने प्रबोध सक्सेना को मुख्य सचिव बनाया। हिमाचल कैडर के IAS के. संजय मूर्ति देश के अगले भारत नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक (CAG) होंगे। केंद्रीय वित्त विभाग ने देर शाम इस बाबत ई-गजट में अधिसूचना जारी कर दी है। वह काफी समय से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में है। संजय मूर्ति अभी केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव के पद पर सेवारत्त हैं। इस बीच सरकार ने CAG की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। संजय मूर्ति अब गिरीश चंद्र मुर्मू की जगह लेंगे। मुर्मू का कार्यकाल 20 नवंबर को पूरा हो रहा है। संजय मूर्ति हिमाचल कैडर के 1989 बैच के IAS हैं। इस साल उनका नाम हिमाचल में मुख्य सचिव की रेस में गिना जा रहा था। मगर तब उन्होंने हिमाचल लौटने में दिलचस्पी नहीं दिखाई और राज्य सरकार ने प्रबोध सक्सेना को मुख्य सचिव बनाया। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में मुफ्त इलाज पर संकट:IGMC में रोकी ओपन-हार्ट सर्जरी, ड्रग सप्लायरों ने दवाई-उपकरणों की आपूर्ति बंद की, 310 करोड़ की पेमेंट पेंडिंग
हिमाचल में मुफ्त इलाज पर संकट:IGMC में रोकी ओपन-हार्ट सर्जरी, ड्रग सप्लायरों ने दवाई-उपकरणों की आपूर्ति बंद की, 310 करोड़ की पेमेंट पेंडिंग हिमाचल प्रदेश में लोगों की लाइफ सेविंग एवं मुफ्त इलाज की योजना हिम-केयर और आयुष्मान पर संकट मंडरा रहा है। आर्थिक संकट से जूझ रही कांग्रेस सरकार मुफ्त इलाज और निशुल्क दवाइयों की पेमेंट नहीं दे पा रही है। इससे आयुष्मान और हिम-केयर कार्ड के तहत मुफ्त में होने वाली सर्जरी रोक दी है। प्रदेश के ज्यादातर अस्पतालों में इक्का-दुक्का मरीजों की ही मुफ्त सर्जरी हो रही है। इसी तरह जन औषधि केंद्रों में मरीजों को ज्यादातर मुफ्त दवाइयां नहीं मिल रही। अस्पतालों को दवाइयां और पेस-मेकर जैसे उपकरण सप्लाई करने वाली कंपनियों ने इनकी सप्लाई बंद कर दी है। इससे मरीज दर दर की ठोकने खाने को मजबूर हो गए है और ओपन मार्केट से खरीद रहे हैं। सूचना के अनुसार, सरकार के पास लगभग 310 करोड़ रुपए से ज्यादा की पेमेंट पेंडिंग हो गई है। बताया जा रहा है कि जिन कंपनियों ने सामान व दवाई की सप्लाई बंद कर दी है, उनकी पेमेंट चुकाने के बजाय दूसरी कंपनी को ऑर्डर देकर सामान व दवाई मंगाई जा रही है। इससे IGMC सहित प्रदेश के दूसरे हॉस्पीटल में हिम-केयर व आयुष्मान काउंटर बंद करने की नौबत आ गई है। ओपन मार्केट से स्टंट व पेस-मेकर खरीद रहे मरीज मरीजों व उनके तीमारदारों को स्टंट और पेस-मेकर जैसे उपकरण ओपन मार्केट से महंगे दाम पर खरीदने पड़ रहे हैं। प्रदेश के प्रीमियम इंस्टीट्यूट IGMC शिमला में भी हिम केयर व आयुष्मान योजना के तहत मुफ्त उपचार की सुविधा ज्यादातर मरीजों को नहीं मिल पा रही है। ड्रग सप्लायर ने दवाइयों की सप्लाई बंद की जन औषधि केंद्रों को मुफ्त दवाइयां सप्लाई करने वाले ज्यादातर ड्रग सप्लायर ने आपूर्ति बंद कर दी है। प्रदेश में पिछले 10 महीने से अधिक समय से मुफ्त इलाज और निशुल्क दवाइयों के लिए पर्याप्त बजट नहीं दिया जा रहा। चार महीने पहले ड्रग सप्लायर द्वारा आपूर्ति बंद करने के बाद कुछ पेमेंट का भुगतान जरूर किया गया, लेकिन यह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। मरीज व ड्रग सप्लायर बार बार कर रहे आग्रह मरीजों के साथ साथ ड्रग सप्लायर भी कई बार पेमेंट रिलीज करने का आग्रह कर चुके हैं। अस्पताल प्रबंधन भी बार-बार सरकार से पत्राचार कर रहे हैं। मगर आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार फिर भी पेमेंट नहीं दे रही। हिमाचल में 6 लाख आयुष्मान व हिमकेयर कार्ड प्रदेश में आयुष्मान और हिमकेयर योजना के तहत 6 लाख से ज्यादा कार्ड बने है। इसके तहत प्रत्येक मरीज का सरकारी अस्पताल में 5 लाख रुपए तक का उपचार मुफ्त होता है। हिम केयर राज्य की अपनी स्कीम है, जबकि आयुष्मान केंद्र सरकार की योजना है। मगर आयुष्मान में 50-50 फीसदी के अनुपात में केंद्र व राज्य सरकार खर्च उठाती है। राज्य सरकार आयुष्मान का भी बजट नहीं दे पा रही है। जल्द पेमेंट मिलने की उम्मीद IGMC शिमला के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राहुल राव ने बताया कि हिमकेयर और आयुष्मान में पेमेंट जरूर पेडिंग है। लेकिन मरीजों की सर्जरी रूटीन में हो रही है। सरकार से पेमेंट के लिए पत्राचार किया जा रहा है। क्या कहते हैं डिस्ट्रीब्यूटर होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर अरविंद ने बताया कि कई महीनों से उनकी पेमेंट नहीं मिल रही है। अकेले उनकी कंपनी की 7 करोड़ रुपए से ज्यादा की पेमेंट पेडिंग हो गई है। इसे देखते हुए उन्होंने दवाई और विभिन्न उपकरणों की सप्लाई बंद कर दी है।
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शिमला में बस में युवती से छेड़छाड़:घबरा कर नीचे उतरी, अधेड़ भी उतर कर पीछा करने लगा; पुलिस ने पकड़ा राजधानी शिमला में चलती बस में हमीरपुर की रहने वाली एक युवती से छेड़छाड़ का मामला सामने आया है। आरोप है कि एक व्यक्ति ने युवती को बस में यात्रा के दौरान गलत तरीके से छुआ। फिर बस से उतरने के बाद लड़की का पीछा किया। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक पीड़िता ने पुलिस स्टेशन बालूगंज में छेड़छाड़ की शिकायत दी है। जिसमें उसने पुलिस को बताया है कि वह मूल रूप से हमीरपुर की रहने वाली है और शिमला में ही रहती है। शनिवार को करीब 4 बजे वह निजी बस में सफर कर रही थी, इस दौरान बस जब रेलवे स्टेशन के समीप पहुंची तो एक अज्ञात व्यक्ति ने बस में ही उसे अनुचित तरीके से छुआ, जिससे वह डर गई। बस में खुद को असुरक्षित महसूस करते हुए वह बस से उतर गई। लेकिन मनचला व्यक्ति फिर भी बाज नहीं आया। युवती ने बताया कि वहां जाम लगा हुआ था जिसके कारण वह अज्ञात व्यक्ति भी लड़की के पीछे ही बस से उतर गया और उसने बैंड बॉक्स तक लड़की का पीछा किया। इस दौरान युवती को पास खड़ा एक ट्रैफिक पुलिस का जवान दिखा उसने हिम्मत जुटाते हुए पुलिस कॉन्स्टेबल से मदद मांगी। पुलिस ने पीछा कर रहे व्यक्ति को वहीं रोक लिया और पुलिस को सूचित किया। सूचना मिलते ही बालूगंज पुलिस थाना की टीम मौके पर पहुंची और व्यक्ति को हिरासत में लिया। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार व्यक्ति की उम्र 65 के करीब है और सेवानिवृत्त कर्मचारी है। पुलिस ने युवती की शिकायत के आधार पर आरोपित व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
हिमाचल हाईकोर्ट का फोन टैपिंग मामले में बड़ा फैसला:टेलीफोन रिकॉर्डिंग करना अवैध, निजता के अधिकार का उलंघन, एविडेंस मानने से इनकार
हिमाचल हाईकोर्ट का फोन टैपिंग मामले में बड़ा फैसला:टेलीफोन रिकॉर्डिंग करना अवैध, निजता के अधिकार का उलंघन, एविडेंस मानने से इनकार हिमाचल हाईकोर्ट ने टेलीफोन रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के तौर पर पेश करने को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायाधीश बिपिन चंद्र नेगी की कोर्ट ने टेलीफोन रिकॉर्डिंग को अवैध करार देते हुए निजता के अधिकार का उलंघन बताया और कहा कि इसे साक्ष्य के तौर पर रिकॉर्ड पर नहीं लिया जा सकता। कोर्ट ने कहा, टेलिफोन रिकॉर्डिंग करके जुटाए गए साक्ष्य मान्य नहीं होते। कानून द्वारा स्थापित प्रकिया के विपरीत टेलीफोन टैपिंग कर एविडेंस जुटाना सही नहीं है। इस प्रकार अवैध रूप से जुटाए गए साक्ष्य कानूनन अमान्य है। कोर्ट ने व्यवस्था देते हुए कहा कि निजता के अधिकार को भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का अभिन्न हिस्सा माना गया है। पारिवारिक मामले का निपटारा करते हुए दिए आदेश दरअसल, एक पारिवारिक मामले में प्रार्थी ने पत्नी और उसकी मां की आपसी बातचीत की टेलीफोन रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के रूप में रिकॉर्ड पर लेने का अदालत से आग्रह किया था। पहले ट्रायल कोर्ट ने प्रार्थी के इस आग्रह को खारिज किया। ट्रायल कोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने भी खारिज की प्रार्थी की दलील प्रार्थी ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी और कोर्ट से पत्नी और उसकी मां (पति की सास) की रिकॉर्डिंग को रिकॉर्ड पर लेने का फिर से आग्रह किया। मगर हाईकोर्ट ने प्रार्थी की इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि टेलीफोन पर बातचीत किसी व्यक्ति के निजी जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। गोपनीयता के अधिकार के दायरे में आता है अदालत ने कहा, किसी के घर अथवा कार्यालय की गोपनीयता को देखते हुए टेलीफोन पर बातचीत करने का अधिकार निश्चित रूप से ‘गोपनीयता के अधिकार’ के दायरे में आता है। इसलिए स्थापित प्रक्रिया का पालन कर ही वैध रूप से साक्ष्य जुटाए जा सकते हैं।