हिमाचल प्रदेश में आज भारी बारिश और अचानक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग की ओर से जारी चेतावनी के बीच बीती रात कांगड़ा जिले में भारी बारिश हुई। मंडी और ऊना के कुछ इलाकों में भी बारिश हुई है। कांगड़ा में 151.8 मिमी और धर्मशाला में 136.6 मिमी बारिश हुई है। पालमपुर में 112.4 मिमी, नगरोटा सूरियां में 99.6 मिमी, धौलाकुंआ में 82.5 मिमी, जोगिंद्रनगर में 52.0 मिमी, गुलेड़ में 46.4 मिमी और सुंदरनगर में 44.7 मिमी बारिश हुई है। वहीं चेतावनी के बावजूद कुछ अन्य इलाकों में बारिश नहीं हुई है। इस बार मानसून की गति प्रदेश में प्रवेश के बाद से धीमी पड़ गई है। बार-बार अचानक बाढ़ और भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद अच्छी बारिश नहीं हो रही है। प्रदेश में पूरे मानसून सीजन के दौरान सामान्य से 42 फीसदी कम बारिश हुई है। इसका असर सेब के साथ-साथ किसानों की नगदी फसलों पर भी पड़ रहा है। आज इन जिलों में चेतावनी मौसम विभाग ने आज मंडी, कांगड़ा और चंबा में भी अचानक बाढ़ की चेतावनी जारी की है। इस तरह मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया था। लेकिन पिछले 24 घंटों के दौरान कुछ जगहों पर ही हल्की बारिश हुई है। मौसम विभाग के अनुसार 28 मई तक राज्य में बारिश की संभावना है। 26 से 28 जुलाई तक भारी बारिश का पूर्वानुमान है। सभी जिलों में नॉर्मल से कम बरसात हिमाचल में एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां नॉर्मल से ज्यादा बादल बरसे हों। चंबा, किन्नौर, लाहौल स्पीति, सिरमौर और ऊना जिला में तो 50 प्रतिशत से भी कम बारिश इस मानसून सीजन में हुई है। प्रदेश में एक जून से 23 जुलाई के बीच 275.4 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है। मगर इस बार 159.5 मिलीमीटर ही बादल बरसे है। लाहौल स्पीति जिला में तो नॉर्मल से 75 प्रतिशत, सिरमौर जिला में 58 प्रतिशत और चंबा में भी सामान्य से 54 प्रतिशत कम बादल बरसे हैं। 5500 करोड़ के सेब उद्योग पर संकट राज्य में बारिश की कमी के कारण 5500 करोड़ रुपये का सेब उद्योग खतरे में है। सेब के बगीचे विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ गए हैं। सूखे के कारण सेब का आकार ठीक नहीं हो पा रहा है। इससे उत्पादन में गिरावट आएगी। मिट्टी में पर्याप्त नमी न होने के कारण सेब के दाने फटने लगे हैं। इसी तरह किसानों की टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, शिमला मिर्च जैसी नगदी फसलें सूखे से प्रभावित हो रही हैं। हिमाचल प्रदेश में आज भारी बारिश और अचानक बाढ़ (फ्लैश फ्लड) का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग की ओर से जारी चेतावनी के बीच बीती रात कांगड़ा जिले में भारी बारिश हुई। मंडी और ऊना के कुछ इलाकों में भी बारिश हुई है। कांगड़ा में 151.8 मिमी और धर्मशाला में 136.6 मिमी बारिश हुई है। पालमपुर में 112.4 मिमी, नगरोटा सूरियां में 99.6 मिमी, धौलाकुंआ में 82.5 मिमी, जोगिंद्रनगर में 52.0 मिमी, गुलेड़ में 46.4 मिमी और सुंदरनगर में 44.7 मिमी बारिश हुई है। वहीं चेतावनी के बावजूद कुछ अन्य इलाकों में बारिश नहीं हुई है। इस बार मानसून की गति प्रदेश में प्रवेश के बाद से धीमी पड़ गई है। बार-बार अचानक बाढ़ और भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद अच्छी बारिश नहीं हो रही है। प्रदेश में पूरे मानसून सीजन के दौरान सामान्य से 42 फीसदी कम बारिश हुई है। इसका असर सेब के साथ-साथ किसानों की नगदी फसलों पर भी पड़ रहा है। आज इन जिलों में चेतावनी मौसम विभाग ने आज मंडी, कांगड़ा और चंबा में भी अचानक बाढ़ की चेतावनी जारी की है। इस तरह मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया था। लेकिन पिछले 24 घंटों के दौरान कुछ जगहों पर ही हल्की बारिश हुई है। मौसम विभाग के अनुसार 28 मई तक राज्य में बारिश की संभावना है। 26 से 28 जुलाई तक भारी बारिश का पूर्वानुमान है। सभी जिलों में नॉर्मल से कम बरसात हिमाचल में एक भी जिला ऐसा नहीं है जहां नॉर्मल से ज्यादा बादल बरसे हों। चंबा, किन्नौर, लाहौल स्पीति, सिरमौर और ऊना जिला में तो 50 प्रतिशत से भी कम बारिश इस मानसून सीजन में हुई है। प्रदेश में एक जून से 23 जुलाई के बीच 275.4 मिलीमीटर नॉर्मल बारिश होती है। मगर इस बार 159.5 मिलीमीटर ही बादल बरसे है। लाहौल स्पीति जिला में तो नॉर्मल से 75 प्रतिशत, सिरमौर जिला में 58 प्रतिशत और चंबा में भी सामान्य से 54 प्रतिशत कम बादल बरसे हैं। 5500 करोड़ के सेब उद्योग पर संकट राज्य में बारिश की कमी के कारण 5500 करोड़ रुपये का सेब उद्योग खतरे में है। सेब के बगीचे विभिन्न बीमारियों की चपेट में आ गए हैं। सूखे के कारण सेब का आकार ठीक नहीं हो पा रहा है। इससे उत्पादन में गिरावट आएगी। मिट्टी में पर्याप्त नमी न होने के कारण सेब के दाने फटने लगे हैं। इसी तरह किसानों की टमाटर, फूलगोभी, पत्तागोभी, शिमला मिर्च जैसी नगदी फसलें सूखे से प्रभावित हो रही हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में कांग्रेस की हार पर मंथन:आज कांगड़ा-शिमला संसदीय क्षेत्र के नेता गिना रहे हार के कारण, मल्लिकार्जुन खड़गे के रिपोर्ट देंगी फैक्ट-फाइडिंग कमेटी कांग्रेस हाईकमान द्वारा गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी हिमाचल में लोकसभा चुनाव में करारी हार पर मंथन कर रही है। आज कांगड़ा और शिमला संसदीय क्षेत्र के पार्टी प्रत्याशी, विधायक, साल 2022 के विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी, जिला व ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष वन टू वन फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्य पीएल पुनिया और रजनी पाटिल के समक्ष हार के कारण गिना रहे हैं। पहले हॉफ यानी लंच से पहले कांगड़ा संसदीय क्षेत्र के नेता और दूसरे हॉफ में शिमला लोकसभा क्षेत्र के लीडर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सामने अपनी-अपनी बात रखेंगे। पिछले कल हमीरपुर और मंडी संसदीय क्षेत्र के नेता हार की वजह गिना चुके हैं। अगले कल फैक्ट फाइंडिंग कमेटी वापस दिल्ली लौटने के बाद अपनी रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपेगी। मंडी और हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के नेताओं ने सरकार व संगठन में समन्वय नहीं होने, टिकट आवंटन में देरी, पार्टी नेताओं की अनदेखी, सरकार में एक गुट विशेष के लोगों की ताजपोशी, बेलगाम अफसरशाही, मोदी फैक्टर और राम मंदिर जैसे मुद्दे को हार की वजह बताया है। हाईकमान ने बनाई फैक्ट फाइंडिंग कमेटी हाईकमान ने हिमाचल की चारों लोकसभा सीटों पर करारी हार के कारण जानने के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित बनाई है। यह कमेटी दो दिन के हिमाचल दौरे पर है। पीएल पुनिया और रजनी पाटिल हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री, पूर्व अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर, कुलदीप सिंह राठौर और रामलाल ठाकुर के साथ वन टू वन बात कर चुकी हैं। सत्तारूढ़ कांग्रेस से थी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद दरअसल, प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस चारों सीटों पर लोकसभा चुनाव हारी है, जबकि कांग्रेस हाईकमान और इंडी गठबंधन को हिमाचल में सत्तारूढ़ कांग्रेस से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी। मगर कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई। नतीजा यह हुआ की छह बार के सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे एवं लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी मंडी से लोकसभा चुनाव हार गए। शिमला सीट से सीटिंग MLA विनोद सुल्तानपुरी, हमीरपुर से सतपाल रायजादा और कांगड़ा से पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा चुनाव हार गए।
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