हिमाचल प्रदेश में मौसम बदलने वाला है। मौसम विज्ञान केंद्र ने पूर्वानुमान जताया है कि आज पूरे प्रदेश में मौसम साफ रहेगा। लेकिन देर रात से इसमें बदलाव आएगा और कल पूरे प्रदेश में बारिश और बर्फबारी के आसार हैं। आईएमडी का अनुमान है कि आज शाम से हिमाचल प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा। इसका असर पूरे प्रदेश में देखने को मिलेगा। जिसके चलते मैदानी इलाकों में गरज-चमक के साथ बारिश और प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी की संभावना है। इसके लिए आईएमडी ने 8 जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। आज रात से सक्रिय होगा पश्चिमी विक्षोभ मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और तेज पूर्वी हवाओं के प्रभाव से 7 दिसंबर की देर रात से बारिश शुरू होकर 9 दिसंबर तक जारी रहने की संभावना है। 8 दिसंबर को इसकी तीव्रता सबसे अधिक होगी। इस दौरान राज्य के अधिकांश हिस्सों में हल्की से मध्यम तीव्रता की बारिश होने की संभावना है। आंधी-तूफान और बिजली गिरने की भी संभावना है। इस दौरान मैदानी और निचले पहाड़ी इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश, राज्य के मध्य और ऊंचे पहाड़ी इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश-बर्फबारी की संभावना है। 10 दिसंबर 2024 से बारिश में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है। इन जिलों में होगी बारिश और बर्फबारी IMD के अनुसार 8 और 9 दिसंबर को लाहौल-स्पीति, चंबा, किन्नौर, कांगड़ा, शिमला और कुल्लू जिलों में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी का पूर्वानुमान है। जबकि सोलन, सिरमौर, ऊना, बिलासपुर, मंडी और हमीरपुर जिलों में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश की संभावना है। राज्य में अगले तीन दिनों तक राज्य में बारिश और बर्फबारी के पूर्वानुमान के बाद तापमान में गिरावट देखी जा सकती है। वहीं, 10 दिसंबर से एक बार फिर पूरे राज्य में मौसम साफ होने की उम्मीद है। अक्टूबर से अब तक सामान्य से 98 फीसदी कम बारिश हुई 2 अक्टूबर को मानसून की विदाई के बाद से अब तक राज्य में सामान्य से 98 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। पिछले कुछ दिनों में राज्य की चोटियों पर हल्की बर्फबारी ही दर्ज की गई। लेकिन राज्य के मैदानी इलाकों में सूखे जैसे हालात बनने लगे हैं। इससे पेयजल और बिजली परियोजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। 1 अक्टूबर से 5 दिसंबर तक राज्य में सामान्य से 98 फीसदी कम बारिश हुई है। बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कुल्लू, सिरमौर और सोलन में एक बूंद भी बारिश नहीं हुई। अन्य जिलों में भी नाममात्र की बारिश हुई। अब मौसम विभाग के पूर्वानुमान ने उम्मीद जगा दी है। छह स्थानों पर न्यूनतम तापमान माइनस में हिमाचल प्रदेश में भुंतर समेत छह स्थानों पर न्यूनतम तापमान माइनस में दर्ज किया गया है। शिमला में न्यूनतम तापमान 8.0, सुंदरनगर 3.0, भुंतर -0.5, कल्पा -0.8, धर्मशाला 6.9, ऊना 3.6, नाहन 10.3, पालमपुर 3.0, सोलन 2.0, कांगड़ा 5.5, मंडी 3.9, बिलासपुर 5.1, जुब्बड़हट्टी 7.2, कुकुमसेरी -6.5, भरमौर 4.4, सेउबाग 1.3, धौला कुआं 6.2, बरठीं 2.7, समदो -4.4, सराहन 6.4, देहरा गोपीपुर 8.0 और ताबो में -10.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। हिमाचल प्रदेश में मौसम बदलने वाला है। मौसम विज्ञान केंद्र ने पूर्वानुमान जताया है कि आज पूरे प्रदेश में मौसम साफ रहेगा। लेकिन देर रात से इसमें बदलाव आएगा और कल पूरे प्रदेश में बारिश और बर्फबारी के आसार हैं। आईएमडी का अनुमान है कि आज शाम से हिमाचल प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा। इसका असर पूरे प्रदेश में देखने को मिलेगा। जिसके चलते मैदानी इलाकों में गरज-चमक के साथ बारिश और प्रदेश के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी की संभावना है। इसके लिए आईएमडी ने 8 जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। आज रात से सक्रिय होगा पश्चिमी विक्षोभ मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और तेज पूर्वी हवाओं के प्रभाव से 7 दिसंबर की देर रात से बारिश शुरू होकर 9 दिसंबर तक जारी रहने की संभावना है। 8 दिसंबर को इसकी तीव्रता सबसे अधिक होगी। इस दौरान राज्य के अधिकांश हिस्सों में हल्की से मध्यम तीव्रता की बारिश होने की संभावना है। आंधी-तूफान और बिजली गिरने की भी संभावना है। इस दौरान मैदानी और निचले पहाड़ी इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश, राज्य के मध्य और ऊंचे पहाड़ी इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश-बर्फबारी की संभावना है। 10 दिसंबर 2024 से बारिश में उल्लेखनीय कमी आने की संभावना है। इन जिलों में होगी बारिश और बर्फबारी IMD के अनुसार 8 और 9 दिसंबर को लाहौल-स्पीति, चंबा, किन्नौर, कांगड़ा, शिमला और कुल्लू जिलों में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी का पूर्वानुमान है। जबकि सोलन, सिरमौर, ऊना, बिलासपुर, मंडी और हमीरपुर जिलों में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश की संभावना है। राज्य में अगले तीन दिनों तक राज्य में बारिश और बर्फबारी के पूर्वानुमान के बाद तापमान में गिरावट देखी जा सकती है। वहीं, 10 दिसंबर से एक बार फिर पूरे राज्य में मौसम साफ होने की उम्मीद है। अक्टूबर से अब तक सामान्य से 98 फीसदी कम बारिश हुई 2 अक्टूबर को मानसून की विदाई के बाद से अब तक राज्य में सामान्य से 98 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। पिछले कुछ दिनों में राज्य की चोटियों पर हल्की बर्फबारी ही दर्ज की गई। लेकिन राज्य के मैदानी इलाकों में सूखे जैसे हालात बनने लगे हैं। इससे पेयजल और बिजली परियोजनाएं भी प्रभावित हो रही हैं। 1 अक्टूबर से 5 दिसंबर तक राज्य में सामान्य से 98 फीसदी कम बारिश हुई है। बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कुल्लू, सिरमौर और सोलन में एक बूंद भी बारिश नहीं हुई। अन्य जिलों में भी नाममात्र की बारिश हुई। अब मौसम विभाग के पूर्वानुमान ने उम्मीद जगा दी है। छह स्थानों पर न्यूनतम तापमान माइनस में हिमाचल प्रदेश में भुंतर समेत छह स्थानों पर न्यूनतम तापमान माइनस में दर्ज किया गया है। शिमला में न्यूनतम तापमान 8.0, सुंदरनगर 3.0, भुंतर -0.5, कल्पा -0.8, धर्मशाला 6.9, ऊना 3.6, नाहन 10.3, पालमपुर 3.0, सोलन 2.0, कांगड़ा 5.5, मंडी 3.9, बिलासपुर 5.1, जुब्बड़हट्टी 7.2, कुकुमसेरी -6.5, भरमौर 4.4, सेउबाग 1.3, धौला कुआं 6.2, बरठीं 2.7, समदो -4.4, सराहन 6.4, देहरा गोपीपुर 8.0 और ताबो में -10.6 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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सेंट्रल यूनिवर्सिटी के ब्लॉक भूकंप रोधी तकनीक से बन रहे:देहरा में नवंबर तक काम पूरा होगा; 2025 में नया सेशन देहरा में बन रही सेंट्रल यूनिवर्सिटी में पीईबी स्ट्रक्चर का नई तकनीक से निर्माण हो रहा है। यह भवन भूकंप रोधी होगें। साथ ही ईको फ्रेंडली भी होगें। इसमें कंक्रीट का इस्तेमाल न के बराबर होगा। देहरा में लगभग सेंट्रल यूनिवर्सिटी के सभी ब्लॉक बनकर तैयार हो गए हैं। फाइनल टच ही बाकी रह गया है। वीसी प्रो सत्य प्रकाश बंसल ने भी कहा था कि नवंबर तक सारा काम हो जाएगा। उसके बाद 2025 में नया सेशन नए बने भवनों में शुरू किया जाएगा। सिविल इंजीनियर ने कहा कि पीईबी स्ट्रक्चर जैसी नई तकनीक का इस्तेमाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के भवनों में भी इस्तेमाल किया गया है। जिससे भूकंप के दौरान भवन को कोई नुकसान नहीं होगा। पीईबी स्ट्रक्चर एक स्टील स्ट्रक्चर होता है। जिसे नेट बोल्ट के माध्यम से आपस में जोड़कर एक बिल्डिंग बनाई जाती है। देहरा में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के नए भवनों में भूकंप रोधी तकनीक (PEB structure) का इस्तेमाल किया जा रहा है। पीईबी का मतलब प्री- इंजीनियरिंग बिल्डिंग है। यह एक तरह का स्टील का ढांचा होता है, जिसे फैक्ट्री में पहले से तैयार किया जाता है और फिर निर्माण स्थल पर जोड़ दिया जाता है। इस तकनीक से भवन बनाने में कम समय लगता है और यह बहुत मजबूत भी होता है। इसका हल्का वजन होता है। पीईबी स्ट्रक्चर का वजन कंक्रीट के भवनों के मुकाबले बहुत कम होता है। इसलिए, भूकंप आने पर यह भवन कम झटके महसूस करता है। पीईबी स्ट्रक्चर लचीलापन होता है, जिसकी वजह से यह भूकंप के झटकों को सहन कर सकता है और ढहने का खतरा कम होता है। पीईबी स्ट्रक्चर में जोड़ों को बहुत मजबूती से जोड़ा जाता है, जिससे भवन की संरचना मजबूत होती है। देहरा में पीईबी स्ट्रक्चर का इस्तेमाल इसलिए जरूरी है कि कांगड़ा जिले में 1905 में आए भूकंप ने सब कुछ तहस नहस कर दिया था। उसी को देखते हुए सेंट्रल यूनिवर्सिटी जैसे बड़े प्रोजेक्ट के भवनों को भूकंप रोधी बनाना बहुत जरूरी है।
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