हिमाचल प्रदेश में सर्दी के बजाय गर्मी बढ़ रही है। ऊना का तापमान 34 डिग्री सेल्सियस हो गया है। इससे पहले कभी भी अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में इतना तापमान रिकॉर्ड नहीं किया गया। आने वाले पांच-छह दिनों में भी ठंड के आसार नहीं है। दिन के साथ साथ रातें भी गर्म हो रही है। बारिश-बर्फबारी नहीं होने की वजह से न्यूनतम तापमान भी सामान्य से ज्यादा चल रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, 3 नवंबर तक बारिश के कोई आसार नहीं है। इससे अगले सप्ताह भी तापमान सामान्य से ज्यादा बना रहेगा। ऊना के साथ साथ प्रदेश के 10 शहरों का पारा 30 डिग्री या इससे अधिक हो गया है। कई शहरों का तापमान सामान्य से 8 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा हो गया है। 1 केलांग का तापमान में 8.5 डिग्री का उछाल प्रदेश के सबसे ठंडे शहरों में शुमार केलांग और कल्पा के अधिकतम तापमान में ज्यादा उछाल आया है। केलांग का अधिकतम तापमान नॉर्मल की तुलना में 8.5 डिग्री के उछाल के बाद 18.5 डिग्री पहुंच गया है। कल्पा का तापमान भी सामान्य से 3.8 डिग्री के उछाल के बाद 21 डिग्री हो गया है। शिमला का पारा भी नॉर्मल से 5 डिग्री ज्यादा हुआ शिमला का अधिकतम तापमान सामान्य की तुलना में 4.9 डिग्री के उछाल के बाद 24.4 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। कुल्लू के भुंतर का अधिकतम तापमान नॉर्मल से 4.8 डिग्री के उछाल के बाद 31.1 डिग्री, हमीरपुर का 4.2 डिग्री ज्यादा के साथ 31.5 डिग्री, कांगड़ा का 3.3 डिग्री उछाल के बाद 30.1 डिग्री, ऊना का तापमान 4.1 डिग्री उछाल के बाद 34 डिग्री तथा धर्मशाला का अधिकतम तापमान नॉर्मल की तुलना में 4.2 डिग्री के उछाल के बाद 28.3 डिग्री सेल्सियस हो गया है। ड्राइ स्पेल की वजह से आया उछाल मौसम विभाग के अनुसार, लंबे ड्राइ स्पेल की वजह से तापमान में उछाल आया है, क्योंकि पोस्ट मानसून सीजन में सामान्य से 97 प्रतिशत कम बारिश हुई है। 10 शहर जहां 30 डिग्री या इससे ज्यादा हुआ पारा हिमाचल प्रदेश में सर्दी के बजाय गर्मी बढ़ रही है। ऊना का तापमान 34 डिग्री सेल्सियस हो गया है। इससे पहले कभी भी अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में इतना तापमान रिकॉर्ड नहीं किया गया। आने वाले पांच-छह दिनों में भी ठंड के आसार नहीं है। दिन के साथ साथ रातें भी गर्म हो रही है। बारिश-बर्फबारी नहीं होने की वजह से न्यूनतम तापमान भी सामान्य से ज्यादा चल रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, 3 नवंबर तक बारिश के कोई आसार नहीं है। इससे अगले सप्ताह भी तापमान सामान्य से ज्यादा बना रहेगा। ऊना के साथ साथ प्रदेश के 10 शहरों का पारा 30 डिग्री या इससे अधिक हो गया है। कई शहरों का तापमान सामान्य से 8 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा हो गया है। 1 केलांग का तापमान में 8.5 डिग्री का उछाल प्रदेश के सबसे ठंडे शहरों में शुमार केलांग और कल्पा के अधिकतम तापमान में ज्यादा उछाल आया है। केलांग का अधिकतम तापमान नॉर्मल की तुलना में 8.5 डिग्री के उछाल के बाद 18.5 डिग्री पहुंच गया है। कल्पा का तापमान भी सामान्य से 3.8 डिग्री के उछाल के बाद 21 डिग्री हो गया है। शिमला का पारा भी नॉर्मल से 5 डिग्री ज्यादा हुआ शिमला का अधिकतम तापमान सामान्य की तुलना में 4.9 डिग्री के उछाल के बाद 24.4 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। कुल्लू के भुंतर का अधिकतम तापमान नॉर्मल से 4.8 डिग्री के उछाल के बाद 31.1 डिग्री, हमीरपुर का 4.2 डिग्री ज्यादा के साथ 31.5 डिग्री, कांगड़ा का 3.3 डिग्री उछाल के बाद 30.1 डिग्री, ऊना का तापमान 4.1 डिग्री उछाल के बाद 34 डिग्री तथा धर्मशाला का अधिकतम तापमान नॉर्मल की तुलना में 4.2 डिग्री के उछाल के बाद 28.3 डिग्री सेल्सियस हो गया है। ड्राइ स्पेल की वजह से आया उछाल मौसम विभाग के अनुसार, लंबे ड्राइ स्पेल की वजह से तापमान में उछाल आया है, क्योंकि पोस्ट मानसून सीजन में सामान्य से 97 प्रतिशत कम बारिश हुई है। 10 शहर जहां 30 डिग्री या इससे ज्यादा हुआ पारा हिमाचल | दैनिक भास्कर
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पांवटा साहिब के गांवों में लोक गीतों पर झूमे लोग:धूमधाम से मनाया गया दीपावली पर्व, एक सप्ताह तक होता है आयोजन हिमाचल प्रदेश के पांवटा साहिब में गिरिपार के कुछ गांव में दीपावली पर्व को धूमधाम से मनाया गया। लगभग एक सप्ताह तक चलने वाले इस पर्व पर लोग खाने-पीने और नाच गाने में व्यस्त रहेंगे। गांव गांव में पारंपरिक लोक नृत्य होंगे। आज इसकी शुरुआत मशाले जलाकर हुई। ये बनाए गए मुख्य व्यंजन इस पर्व पर परोसे जाने वाले मुख्य व्यंजन मुड़ा व शाकुली बनाई जाती है। पांरपरिक मुड़ा जो कि गेहूं को उबालकर सूखाने के बाद कढ़ाई में भूनकर तैयार किया जाता है। इस मूड़े के साथ अखरोट की गिरी, खील, बताशे और मुरमुरे आदि मिलाए जाते हैं। इसके अलावा शाम को पारंपरिक व्यंजन भी बनाए गए। जबकि बेडोली आदि व्यंजन बनाए जाते हैं। क्या होता है पहले दिन दीवाली के अगले दिन सुबह उठकर अंधेरे में लोग घास व लकड़ी की मशाल जलाकर एक जगह में एकत्रित हो जाते हैं। अंधेरे में ही माला नृत्य, गीत व संगीत का कार्यक्रम शुरू हो जाता है। कुछ घंटों तक टीले व धार पर लोकनृत्य व वीरगाथाएं गाकर लोग वापस अपने गांव के सांझा आंगन में आ जाते हैं। इसके बाद दिनभर लोकनृत्य का कार्यक्रम होता है। एक महीने बाद मनाई जाएगी बूढ़ी दीवाली इस दीपावली के ठीक एक महीने बाद बूढ़ी दीवाली का त्योहार सिरमौर जिले के गिरिपार के घणद्वार, मस्त भौज, जेल-भौज, आंज-भौज, कमरउ, शिलाई, रोनहाट व संगड़ाह क्षेत्र के अलावा उतराखंड के जौनसार बाबर क्ष्रेत्र में भी मनाया जाएगा।
हिमाचल कैबिनेट मीटिंग आज:मिड सेशन में टीचरों की ट्रांसफर पर लग सकता है बैन; विधानसभा के मानसून सत्र की तिथि हो सकती है तय
हिमाचल कैबिनेट मीटिंग आज:मिड सेशन में टीचरों की ट्रांसफर पर लग सकता है बैन; विधानसभा के मानसून सत्र की तिथि हो सकती है तय हिमाचल कैबिनेट की मीटिंग आज सचिवालय में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में होगी। इसमें शिक्षा विभाग में टीचरों की ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव और मिड सेशन में इनकी ट्रांसफर पर बैन लग सकता है। कैबिनेट में चर्चा के बाद सरकार इस पर निर्णय ले सकती है। मंत्रिमंडल में यह निर्णय लिया गया तो टीचरों की ट्रांसफर साल में एक बार ही शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले हो सकेगी। हिमाचल में टीचरों की ट्रांसफर हमेशा हर सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण रही है, क्योंकि प्रदेश में शिक्षा विभाग में सबसे ज्यादा कर्मचारी है। इनमें लगभग 60 हजार अकेले टीचर है। मिड सेशन में ट्रांसफर पर बैन लगने से बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर नहीं पड़ेगा। स्कूल बंद करने को मिल सकती है मंजूरी कैबिनेट में 700 से ज्यादा मिडल व प्राइमरी स्कूलों को बंद करने और साथ लगती दूसरी पाठशाला में मर्ज करने के फैसला पर मुहर लग सकती है, क्योंकि प्रदेश में 100 स्कूल ऐसे है, जिनमें एक भी बच्चा नहीं है। लगभग 600 स्कूलों में पांच या इससे कम छात्र-छात्राएं पंजीकृत है। इसे देखते हुए कम बच्चों वाले स्कूल भी साथ लगती पाठशाला में मर्ज किए जाने है। जिन क्षेत्रों में दो स्कूल दो से तीन किलोमीटर के दायरे में चल रहे हैं, वहां पर ऐसी पाठशालाओं को मर्ज किया जा सकता है। विधानसभा के मानसून सत्र की तिथि तय हो सकती है मंत्रिमंडल मीटिंग में विधानसभा के मानसून सत्र की तिथि भी तय हो सकती है। विधानसभा का मानसून सत्र 28 अगस्त से पहले बुलाना जरूरी है। कायदे से पिछला सत्र संपन्न होने के छह महीने के भीतर सत्र बुलाना होता है। इसके लिए विधानसभा सचिवालय प्रशासन ने सरकार को प्रस्ताव भेज रखा है। अब कैबिनेट में सत्र की तारीख तय की जा सकती है। पटवारी कानूनगो के स्टेट कॉडर के फैसले को रिव्यू कर सकती है कैबिनेट इसी तरह कैबिनेट में पटवारी और कानूनगो की हड़ताल को देखते हुए इन्हें स्टेट कॉडर बनाने के फैसले पर रिव्यू किया जा सकता है। पिछली कैबिनेट में सरकार ने पटवारी और कानूनगो को स्टेट कॉडर बनाने का निर्णय लिया था। मगर पटवारी-कानूनगो इससे भड़क गए हैं और 11 दिन से इन्होंने ऑनलाइन सेवाएं बंद कर दी है। आज इन्होंने एडिशनल चार्ज वाले पटवार और कानूनगो सर्कल दफ्तरों का काम भी बंद करने का निर्णय लिया है। ऐसे में कैबिनेट में इस निर्णय को रिव्यू किया जा सकता है। HRTC के घाटे वाले बस रूट बंद करने पर हो सकता है फैसला कैबिनेट मीटिंग में आज हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) की रिपोर्ट भी पेश की जा सकती है। इसमें ज्यादा घाटे वाले बस रूट बंद करने को लेकर चर्चा की जा सकती है। देहरा जिला पुलिस में नए पद सृजित करने पर भी फैसला हो सकता है। सेब, आम आदि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के मामले में भी निर्णय लिया जा सकता है। नगर नियोजन नियमों को मंजूरी देने का मामला भी बैठक में भेजा जा रहा है।
हिमाचल विधानसभा में पहली बार पति-पत्नी साथ में:CM के बाद पत्नी भी MLA बनीं; कांग्रेस ने 40 सीटें पूरी कीं, BJP को गुटबाजी ले डूबी
हिमाचल विधानसभा में पहली बार पति-पत्नी साथ में:CM के बाद पत्नी भी MLA बनीं; कांग्रेस ने 40 सीटें पूरी कीं, BJP को गुटबाजी ले डूबी हिमाचल विधानसभा के इतिहास में पहली बार CM और उनकी पत्नी सदन में बैठेंगी। यह स्थिति उपचुनाव के बाद आई है। जिसमें देहरा सीट से CM सुखविंदर सुक्खू की पत्नी कमलेश ठाकुर उपचुनाव जीती हैं। इससे पहले कभी पति-पत्नी एक साथ चुनाव नहीं जीते। यहां तक कि मुख्यमंत्री की पत्नी के भी उनके कार्यकाल में चुनाव जीतने का यह पहला मामला है। हिमाचल में सुखविंदर सुक्खू से पहले डॉ. यशवंत सिंह परमार, रामलाल ठाकुर, वीरभद्र सिंह, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल और जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मगर इनमे से किसी की भी पत्नी विधायक नहीं चुनी गई। हालांकि वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह तीन बार सांसद चुनी जा चुकी है, लेकिन वे विधायक कभी नहीं रही। हालांकि पिता-पुत्र के तौर वीरभद्र सिंह और विक्रमादित्य साल 2017 में जरूर विधानसभा में पहुंचे थे। प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर भी पांच बार सांसद जरूर चुने जा चुके है, लेकिन वह भी विधायक नहीं बने। 3 उपचुनाव में कांग्रेस-भाजपा की हार-जीत क्यों? देहरा: CM की पत्नी का असर रहा, BJP को गुटबाजी ले डूबी
यहां पर कांग्रेस ने सीएम की पत्नी कमलेश ठाकुर को मैदान में उतारा, जबकि बीजेपी ने निर्दलीय विधायक पद से इस्तीफा देने वाले होशियार सिंह को प्रत्याशी बनाया। सीएम की पत्नी के चुनाव लड़ने और बीजेपी में गुटबाजी की वजह से इस सीट पर कांग्रेस की जीत हुई। BJP यहां पर पूर्व मंत्री रमेश धवाला को नहीं मना पाई। वह यहां से टिकट के दावेदार थे। धवाला ने वोटिंग वाले दिन भी भेड़ की खाल में भेड़िए को सबक सिखाएंगे बयान देकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे। वहीं कांग्रेस ने बागी रुख दिखाने वाले डॉ. राजेश शर्मा को पार्टी ने मना लिया। नालागढ़: बागी को मना लेते तो BJP जीत जाती
इस सीट पर कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह के करीबी बावा हरदीप ने 8990 से चुनाव जीता। उन्हें कुल 34,608 वोट मिले। उनसे हारे भाजपा के केएल ठाकुर को 25,618 वोट मिले। केएल ठाकुर पहले निर्दलीय विधायक थे लेकिन भाजपा ने उन्हें पार्टी में शामिल कर टिकट दी। वहीं BJP से बागी होकर लड़े सह मीडिया प्रभारी हरप्रीत सिंह को 13,025 वोट मिले। अगर BJP हरप्रीत सैनी को मना लेती तो 38,643 वोट मिल जाते। ऐसे में BJP यह सीट जीत सकती थी। हमीरपुर: आशीष की व्यक्तिगत छवि के आगे CM का दबदबा फेल
हमीरपुर CM सुक्खू के गृह जिले की सीट है। यहां से कांग्रेस को चौंकाते हुए भाजपा उम्मीदवार आशीष शर्मा चुनाव जीत गए। कांग्रेस के पुष्पेंद्र वर्मा उनसे चुनाव हार गए। माना जाता है कि आशीष शर्मा की यहां व्यक्तिगत छवि काफी असरदार है। लोगों से हर सुख-दुख के कार्यक्रम में उनका शामिल होना ही CM के दबदबे को फेल कर गया। आशीष भी पहले निर्दलीय चुनाव जीते थे लेकिन बाद में भाजपा ने उन्हें टिकट दे दी। हिमाचल में 3 उपचुनाव के बड़े मायने… 1. CM सुक्खू की कुर्सी बची, गृह जिले में हार से कमजोर हुए
कांग्रेस की उप चुनाव में जीत से सुखविंदर सुक्खू की कुर्सी भी बच गई है। हालांकि गृह जिला हमीरपुर की सीट हारने से वह कमजोर हुए हैं। खास तौर पर इसलिए भी कि पहले कांग्रेस ने हमीरपुर सीट से लोकसभा चुनाव हारा। इसके बाद उपचुनाव में बड़सर सीट भी गंवा दी। हालांकि देहरा से पत्नी कमलेश ठाकुर की जीत और 9 उपचुनाव में 6 सीटें जीतने के बाद सुक्खू का नेतृत्व मजबूत हुआ है। सरकार के तौर पर उनके ऊपर आया खतरा टल गया है। 2. जयराम ठाकुर के लिए झटका
उपचुनाव के नतीजे BJP से ज्यादा नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के लिए झटका हैं। उन्हें उम्मीद थी कि पहले 6 और अब 3 उपचुनाव में भाजपा जीत हासिल करेगी। ऐसा हो जाता तो 2022 में विधानसभा चुनाव में जीती 25 सीटें और 9 नई सीटों से उनके विधायक 34 हो जाएंगे। कांग्रेस में भी 6 विधायकों के बागी होकर इस्तीफे के बाद 34 ही विधायक बचे थे। हालांकि पहले 6 उपचुनाव में भाजपा सिर्फ 2 सीटें जीत पाई। अब इन 3 उपचुनाव में सिर्फ 1 ही सीट जीत पाई। अब 68 विधानसभा सीटों और 35 के बहुमत वाली हिमाचल विधानसभा में भाजपा के 28 ही विधायक रह गए और कांग्रेस ने विधानसभा में 40 विधायकों वाली स्थिति दोबारा पा ली। 3. नालागढ़ सीट से होलीलॉज मजबूत
कांग्रेस ने नालागढ़ सीट पर भी शानदार जीत दर्ज की है। यहां पर कांग्रेस के बावा हरदीप सिंह ने बीजेपी के केएल ठाकुर को हराया है। हरदीप सिंह वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी थे। उनकी जीत से होलीलॉज खेमा मजबूत हुआ है। नालागढ़ सीट पर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह, डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री और पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने प्रचार में जान फूंकी थी। होली लॉज की मजबूती सीएम सुक्खू और उनके ग्रुप के लिए चुनौती बनती रहेगी। लोगों ने इस्तीफा देने वाले 6 विधायक घर बिठाए
हिमाचल में लोगों ने जीत के 15 महीने बाद ही इस्तीफा देने वाले 6 विधायक घर बैठाए। शनिवार को आए उपचुनाव परिणाम में 2 पूर्व निर्दलीय विधायकों केएल ठाकुर और होशियार सिंह चुनाव हार गए। दोनों ने BJP के टिकट पर चुनाव लड़ा था। इससे पहले 1 जून को 6 सीटों पर हुए उपचुनाव में भी जनता ने बगावत करने वाले कांग्रेस के 4 पूर्व विधायक सुजानपुर से राजेंद्र राणा, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर, गगरेट से चैतन्य शर्मा और कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो को भी चुनाव हरा दिया।