हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के निगुलसरी में आज सुबह बड़ा हादसा होने से टल गया। शिमला-किन्नौर नेशनल हाइवे पर निगुलसरी में एक बस, होंडा सिटी कार और ट्रक में जोरदार भिड़ंत हो गई। गनीमत यह रही कि किसी को गंभीर चोट नहीं आई। पुलिस के अनुसार, बुधवार सुबह आठ बजे के करीब निगुलसरी में लैंडस्लाइड की वजह से वन-वे ट्रैफिक चल रहा था। इस कारण शिमला साइड से किन्नौर की ओर जा रही बस सड़क किनारे खड़ी थी। वहीं सामने यानी किन्नौर साइड से शिमला की और होंडा सिटी गाड़ी आ रही थी। होंडा सिटी गाड़ी के पीछे ट्रक था। इस दौरान ट्रक की जोरदार टक्कर से पहले होंडा सिटी गाड़ी का अगला और पिछला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ और बाद में इसकी टक्कर से बस के अगले हिस्से को भी नुकसान पहुंचा है। इससे बस की सवारियों में कुछ देर के लिए चीख-पुकार मच गई। हाइवे पर लगा लंबा ट्रैफिक जाम ट्रक के अगले हिस्से को भी काफी नुकसान हुआ है। इसके बाद सड़क पर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। हादसे के वक्त बस भी सवारियों से भरी हुई थी, जबकि होंडा सिटी गाड़ी में एक व्यक्ति सवार था। सभी सुरक्षित है। इस हादसे में किसी को भी चोट नहीं आई। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के निगुलसरी में आज सुबह बड़ा हादसा होने से टल गया। शिमला-किन्नौर नेशनल हाइवे पर निगुलसरी में एक बस, होंडा सिटी कार और ट्रक में जोरदार भिड़ंत हो गई। गनीमत यह रही कि किसी को गंभीर चोट नहीं आई। पुलिस के अनुसार, बुधवार सुबह आठ बजे के करीब निगुलसरी में लैंडस्लाइड की वजह से वन-वे ट्रैफिक चल रहा था। इस कारण शिमला साइड से किन्नौर की ओर जा रही बस सड़क किनारे खड़ी थी। वहीं सामने यानी किन्नौर साइड से शिमला की और होंडा सिटी गाड़ी आ रही थी। होंडा सिटी गाड़ी के पीछे ट्रक था। इस दौरान ट्रक की जोरदार टक्कर से पहले होंडा सिटी गाड़ी का अगला और पिछला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ और बाद में इसकी टक्कर से बस के अगले हिस्से को भी नुकसान पहुंचा है। इससे बस की सवारियों में कुछ देर के लिए चीख-पुकार मच गई। हाइवे पर लगा लंबा ट्रैफिक जाम ट्रक के अगले हिस्से को भी काफी नुकसान हुआ है। इसके बाद सड़क पर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। हादसे के वक्त बस भी सवारियों से भरी हुई थी, जबकि होंडा सिटी गाड़ी में एक व्यक्ति सवार था। सभी सुरक्षित है। इस हादसे में किसी को भी चोट नहीं आई। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में आर्थिक संकट के बीच सैलरी-पेंशन पर संकट:कल दिनभर इंतजार करते रहे कर्मचारी-पेंशनर; पहली बार 1 तारीख को नहीं मिली
हिमाचल में आर्थिक संकट के बीच सैलरी-पेंशन पर संकट:कल दिनभर इंतजार करते रहे कर्मचारी-पेंशनर; पहली बार 1 तारीख को नहीं मिली हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच कर्मचारी-पेंशनर की सैलरी व पेंशन पर संकट आ गया है। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है जब कर्मचारियों व पेंशनरों को 1 तारीख को सैलरी-पेंशन नहीं मिली। इससे राज्य के 2 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और लगभग 1.50 लाख पेंशनरों की चिंताएं बढ़ गई है। कर्मचारी-पेंशनर बीते कल को दिनभर सैलरी-पेंशन के मैसेज का इंतजार करते रहे। मगर देर रात तक मैसेज नहीं आया। हालांकि बीते कल रविवार था। मगर पहले भी रविवार को कर्मचारी-पेंशनर को सैलरी-पेंशन मिलती रही है। एक तारीख को यदि रविवार आ रहा हो तो उस सूरत में सरकार शनिवार को ही ट्रैज़री में सैलरी-पेंशन डाल देती थी और रविवार को सैलरी-पेंशन क्रेडिट हो जाती थी। मगर आर्थिक संकट के बीच इस बार ऐसा नहीं हुआ। अगस्त महीने की सैलरी-पेंशन के लिए कर्मचारी-पेंशनर इंतजार में है। यह गंभीर आर्थिक संकट का इशारा है। पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन शिमला शहरी इकाई के महासचिव सुभाष वर्मा ने बताया कि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ, जब उन्हें एक तारीख को सैलरी और पेंशन न मिली हो। उन्होंने बताया कि पेंशनर कल दिनभर पेंशन का इंतजार करते रहे। उन्होंने सरकार से आज पेंशन का जल्द भुगतान करने की मांग की है। आर्थिक संकट के बीच सैलरी डैफर कर चुके CM-मंत्री-CPS आर्थिक संकट के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू, कैबिनेट मंत्री व मुख्य संसदीय सचिवों (CPS) ने 2 महीने का वेतन डैफर कर चुके हैं। यानी अगस्त और सितंबर की सैलरी अक्टूबर महीने में लेंगे। CM सुक्खू का दावा है कि इससे अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा। सीएम आर्थिक संकट जैसी स्थिति से साफ इनकार कर चुके हैं। इससे डगमगा रही अर्थव्यवस्था हिमाचल की अर्थव्यवस्था बढ़ते कर्ज और रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट (RDG) के निरंतर कम होने से डगमगा रही है। 14वें वित्त आयोग में हिमाचल को RDG में 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में यह बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गया। साल 2021-22 में RDG में हिमाचल को केंद्र से 10249 करोड़ मिले। जो कि अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 3257 करोड़ की रह जाएगी। GTS प्रतिपूर्ति राशि और NPS मैचिंग ग्रांट भी बंद GST प्रतिपूर्ति राशि भी भारत सरकार ने जून 2022 में बंद कर दी है, जोकि देश में GST लागू होने के बाद से हर साल 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल रही थी। न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। राज्य सरकार हर साल मार्च में 1780 करोड़ रुपए NPA के तौर पर PFRDA के पास जमा कराता था, लेकिन बीते साल अप्रैल से हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बहाल कर दी गई है। इसलिए अप्रैल 2023 से NPA में स्टेट और कर्मचारियों का शेयर PFRDA के पास जमा नहीं होगा। इसे देखते हुए केंद्र ने इसकी मैचिंग ग्रांट भी रोक दी है। लोन लेने की सीमा 5% से 3.5% की पूर्व BJP सरकार के कार्यकाल में हिमाचल को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5% तक लोन लेने की छूट थी, जो अब घटाकर 3.5% कर दी गई है। केंद्र ने हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद ही कर्ज लेने की सीमा को घटा दिया था। यानी 2022 तक हिमाचल को लगभग 14,500 करोड़ रुपए सालाना का लोन लेने की छूट थी। मगर अब 9000 करोड़ रुपए सालाना लोन लेने की छूट है। 94 हजार करोड़ पहुंचा कर्च छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल पर लगभग 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इससे प्रति व्यक्ति 1.17 लाख रुपए कर्ज चढ़ चुका है, जो कि देश में अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरा सबसे ज्यादा है। इसलिए आय का ज्यादातर हिस्सा पुराना कर्ज चुकाने, ब्याज देने, कर्मचारियों-पेंशनर की सैलरी पर पर खर्च हो रहा है। विकास कार्य के लिए बहुत कम पैसा बच पा रहा है। इससे आमदन्नी अठन्नी और खर्चा रुपया वाली स्थिति हो गई। इन सब वजह से हिमाचल की अर्थव्यवस्था डगमगा लगी है। चिंता इस बात की है कि कर्मचारियों-पेंशनर का लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का एरियर सरकार के पास बकाया है। प्रदेश की पूर्व सरकार ने सभी कर्मचारियों-पेंशनर को जनवरी 2016 से नए वेतनमान के लाभ तो दे दिए। मगर इसका एरियर अभी भी बकाया पड़ा है। दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले 30 से 40 हजार रुपए की एरियर की एक किश्त जरूर दी गई है। मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा समान है। कई कर्मचारियों व पेंशनर का तीन-चार लाख रुपए से भी ज्यादा का एरियर बकाया है। जिसका कर्मचारी-पेंशनर बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सुक्खू सरकार ने 75 साल या इससे अधिक आयु के पेंशनर को जरूर एरियर देने की नोटिफिकेशन की है। ऐसे बढ़ रहा कर्ज राज्य सरकार द्वारा बजट सत्र के दौरान लाए गए व्हाइट पेपर के अनुसार, पूर्व वीरभद्र सरकार के कार्यकाल तक प्रदेश पर लगभग 47 हजार करोड़ का कर्ज था। जब प्रदेश की सत्ता से पूर्व बीजेपी सरकार बाहर हुई तो राज्य पर लगभग 76 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ चुका था। 10 हजार करोड़ की कर्मचारियों की देनदानी बकाया था। अब यह कर्ज लगभग 94 हजार करोड़ हो गया है।
हिमाचल विधानसभा में आज लैंड-सीलिंग एक्ट बदलेगा:राधा स्वामी को मिलेगी 30 एकड़ जमीन ट्रांसफर की इजाजत; सरकारी कर्मचारियों के बैक-डेट से वरिष्ठता नहीं
हिमाचल विधानसभा में आज लैंड-सीलिंग एक्ट बदलेगा:राधा स्वामी को मिलेगी 30 एकड़ जमीन ट्रांसफर की इजाजत; सरकारी कर्मचारियों के बैक-डेट से वरिष्ठता नहीं हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीत सत्र का आज तीसरा दिन है। सदन में आज कई विधेयक चर्चा के बाद पारित किए जाएंगे। इससे पहले सदन की कार्यवाही प्रश्नकाल से शुरू होगी और प्रदेश के इतिहास में पहली बार लोकसभा की तर्ज पर शून्य काल शुरू होगा। सदन में आज 14 विधेयक चर्चा एवं पारण को लाए जाएंगे। इनमें हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक-2024, हिमाचल प्रदेश पुलिस संशोधन विधेयक-2024 और हिमाचल प्रदेश भू जोत अधिकतम सीमा संशोधन विधेयक-2024 (लैंड सीलिंग एक्ट) प्रमुख है। राधा स्वामी सत्संग ब्यास के दबाव में एक्ट बदल रही सरकार कांग्रेस सरकार राधा स्वामी सत्संग ब्यास के दबाव में लैंड सीलिंग एक्ट 1972 में संशोधन को कर रही है। यह विधेयक पारित होने के बाद राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। राष्ट्रपति से इसे मंजूरी मिली तो इसके तहत धार्मिक और चैरिटी के लिए 30 एकड़ जमीन या भूमि पर बने ढांचे को हस्तांतरित किया जा सकेगा। राजस्व मंत्री द्वारा पेश संशोधन विधेयक के उद्देश्यों में सरकार ने स्पष्ट किया कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास पूरे देश में अपना क्रियाकलाप चलाने वाला एक धार्मिक और आध्यात्मिक संगठन है। इसने राज्य में नैतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षा के कई केंद्र स्थापित किए हैं। इस संस्था ने हमीरपुर के भोटा में एक अस्पताल बनाया है। यह लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं देता है। इस संगठन के पास लैंड सीलिंग एक्ट के तहत अनुमानित सीमा से अधिक जमीन है, जिसे अधिनियम की धारा पांच के खंड-झ के उपबंध के तहत छूट दी गई है। जगत सिंह मेडिकल सोसाइटी के नाम ट्रांसफर चाह रहा सत्संग ब्यास राधा स्वामी सत्संग ने कई बार सरकार से अनुरोध किया है कि उसे भोटा चैरिटेबल अस्पताल की भूमि और भवन को चिकित्सा सेवाओं के लिए बेहतर प्रबंधन को जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसाइटी को हस्तांतरित करने की अनुमति दी जाए। इसे इसका एक सहयोगी संगठन कहा गया है। मगर धारा पांच का खंड झ इसमें रोक लगाता है। ऐसे में हस्तांतरण की अनुमति सरकार कुछ शर्तों के साथ देगी। इसके लिए धारा पांच का खंड झ में संशोधन प्रस्तावित किया गया है। सरकारी कर्मचारियों के बैक-डेट से नहीं मिलेगी वरिष्ठता हिमाचल प्रदेश कर्मचारियों की भर्ती और सेवा शर्तें विधेयक-2024 पर भी सदन में आज चर्चा होगी। इस विधेयक के पारित होने के बाद कर्मचारियों को अनुबंध सेवाकाल की वरिष्ठता और वित्तीय लाभ नहीं मिलेगा। साल 2003 से यह व्यवस्था लागू होने जा रही है। आज इसे सदन में पारित किया जाएगा। इस विधेयक को लाने के पीछे एक प्रमुख चिंता राज्य पर पड़ने वाला संभावित वित्तीय बोझ है, क्योंकि कोर्ट के आदेशों पर कर्मचारियों को नियुक्ति तिथि से सीनियोरिटी और वित्तीय लाभ देने पड़ रहे हैं। अनुबंध सेवाकाल का लाभ देने से कर्मचारियों को न केवल अतिरिक्त संसाधनों का भारी आवंटन करना पड़ेगा, बल्कि पिछले 21 वर्षों से अधिक समय से वरिष्ठता सूची में भी संशोधन करना होगा। दूसरे जिला में ट्रांसफर होंगे पुलिस जवान हिमाचल प्रदेश पुलिस संशोधन विधेयक-2024 को भी आज सरकार पारित करवा सकती है। इसके पास से पुलिस कांस्टेबल का जिला से स्टेट कैडर हो जाएगा। अभी इनकी ट्रांसफर जिला के भीतर की जा सकती है। मगर स्टेट कैडर के बाद सरकार इन्हें दूसरा जिला में भी ट्रांसफर कर पाएगी। इनकी भर्ती भी अब पुलिस बोर्ड द्वारा की जाएगी। आपदा प्रभावितों को वन भूमि देने के संकल्प पर चर्चा सदन में आज महत्वपूर्ण सरकारी संकल्प पर वन संरक्षण अधिनियम (FCA)1980 में संशोधन को लेकर पेश किया जाएगा। राजस्व मंत्री जगत सिंह ने प्रस्ताव करेंगे कि आपदा के दौरान लोगों की खेती योग्य जमीन बह जाने की सूरत में उस प्रभावित व्यक्ति को 10 बीगा वन भूमि खेती के लिए प्रदान करने का केंद्र से आग्रह किया जाएगा।
रामपुर में भालू के हमले से सहमे ग्रामीण:वन विभाग ने लगाए दो पिंजरे व 3 कैमरे; 10 दिन में 7 पशुओं को बनाया शिकार
रामपुर में भालू के हमले से सहमे ग्रामीण:वन विभाग ने लगाए दो पिंजरे व 3 कैमरे; 10 दिन में 7 पशुओं को बनाया शिकार राजधानी शिमला के रामपुर की शाहधार पंचायत में भी बीते दस दिन में भालू ने सात पशुओं पर जानलेवा हमला कर मौत के घाट उतार दिया है। भालू के आतंक से लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है। वन विभाग ने भालू को पकड़ने के लिए रेस्क्यू टीम को तैनात कर दिया है। जानकारी के मुताबिक बीते 10 दिनों से भालू गांव में पालतू पशुओं को अपना शिकार बना रहा है। पंचायत के विभिन्न क्षेत्रों में भालू ने अब तक सात गाय और बछड़ों को मौत के घाट उतार दिया है। पंचायत के रंगोरी और शाहधार गांव में भालू का सबसे अधिक आतंक बना हुआ है। वन विभाग ने लगाए दो पिंजरे व कैमरे ग्रामीणों की शिकायत के बाद वन विभाग ने शाहधार में रैपिड रेस्क्यू टीम तैनात कर दी है। भालू को पकड़ने के लिए दो पिंजरे और तीन कैमरे लगाए हैं। रैपिड रेस्क्यू टीम में वन रक्षक ललित भारती, भोला सिंह, संजीव और सरजीत को मौके पर भेजा गया है, जो भालू की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं। रामपुर के डीएफओ गुरहर्ष सिंह ने कहा की शाहधार पंचायत में भालू को पकड़ने के लिए वन विभाग की रैपिड रेस्क्यू टीम रवाना की गई है। भालू को पकड़ने के लिए दो पिंजरे लगाए गए हैं, जबकि विभिन्न स्थानों पर कैमरे स्थापित किए गए हैं।