हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में आज दोपहर करीब एक बजे प्राइवेट बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में 10 यात्रियों को चोट आई है। घायलों का ज्वाली अस्पताल में उपचार चल रहा है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सूचना के अनुसार, निजी बस संसारपुर टैरेस से ज्वाली जा रही थी। इस दौरान यह बस राजा का तालाब-ज्वाली मार्ग पर समलना में बियर बार फैक्ट्री के पास बेकाबू हो गई और फैक्ट्री की दीवार से टकरा गई। इसके बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। गंभीर घायलों को किया रेफर हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग घटना स्थल को भागे और सभी घायलों को पहले सड़क पर पहुंचाया। इसके बाद एम्बुलेंस से उपचार के लिए ज्वाली अस्पताल ले जाया गया। गंभीर रूप से घायल राकेश कुमार को टांडा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल रेफर किया गया है। प्रारंभिक सूचना के अनुसार बस का स्टीयरिंग लॉक होने की वजह से यह हादसा हुआ है। फिलहाल पुलिस मामला दर्ज कर जांच में जुट गई है और पता लगाया जा रहा है कि किस वजह से हादसा हुआ। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में आज दोपहर करीब एक बजे प्राइवेट बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में 10 यात्रियों को चोट आई है। घायलों का ज्वाली अस्पताल में उपचार चल रहा है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सूचना के अनुसार, निजी बस संसारपुर टैरेस से ज्वाली जा रही थी। इस दौरान यह बस राजा का तालाब-ज्वाली मार्ग पर समलना में बियर बार फैक्ट्री के पास बेकाबू हो गई और फैक्ट्री की दीवार से टकरा गई। इसके बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई। गंभीर घायलों को किया रेफर हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय लोग घटना स्थल को भागे और सभी घायलों को पहले सड़क पर पहुंचाया। इसके बाद एम्बुलेंस से उपचार के लिए ज्वाली अस्पताल ले जाया गया। गंभीर रूप से घायल राकेश कुमार को टांडा मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल रेफर किया गया है। प्रारंभिक सूचना के अनुसार बस का स्टीयरिंग लॉक होने की वजह से यह हादसा हुआ है। फिलहाल पुलिस मामला दर्ज कर जांच में जुट गई है और पता लगाया जा रहा है कि किस वजह से हादसा हुआ। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल के 5 जिलों में फ्लैश-फ्लड का अलर्ट:कल से कमजोर पड़ेगा मानसून; अब तक 21% कम बारिश, शिमला में 12% ज्यादा बादल बरसे
हिमाचल के 5 जिलों में फ्लैश-फ्लड का अलर्ट:कल से कमजोर पड़ेगा मानसून; अब तक 21% कम बारिश, शिमला में 12% ज्यादा बादल बरसे हिमाचल प्रदेश में 5 जिलों में आज सुबह 11 बजे तक फ्लैश-फ्लड का अलर्ट दिया गया है। यह चेतावनी शिमला, सोलन, सिरमौर, मंडी और बिलासपुर जिला को दी गई है। इन जिलों के कई इलाकों में बीती रात में भी हल्की बारिश हुई है। मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में आज मौसम खराब रहेगा। कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन और सिरमौर जिला को येलो अलर्ट जारी किया गया है, जबकि अन्य जिलों में मौसम साफ रहेगा। कल से मानसून कमजोर पड़ जाएगा। कल से प्रदेश में खिलेगी धूप मौसम विभाग की माने तो कल से 12 सितंबर तक मौसम साफ रहने का पूर्वानुमान है। इस दौरान ज्यादातर हिस्सों में धूप खिलेगी। इससे तापमान में हल्का उछाल आएगा। मानसून सीजन में 21% कम बारिश प्रदेश में इस मानसून सीजन में सामान्य से 21 प्रतिशत कम बारिश हुई है। 1 जून से 6 सितंबर के बीच 648.1 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है। मगर इस बार 509.3 मिलीमीटर बारिश हुई है। शिमला जिला में सामान्य से ज्यादा बारिश शिमला को छोड़कर अन्य भी जिलों में सामान्य से कम बादल बरसे हैं। शिमला जिला में सामान्य से 12 प्रतिशत ज्यादा मेघ बरसे है। प्रदेश में 547 मिलीमीटर सामान्य बारिश होती है, लेकिन इस बार 611.2 मिलीमीटर बादल बरसे है। यहां देखे किस जिला में कितनी कम व ज्यादा बारिश हुई..
हिमाचल आपदा की कहानी पीड़ितों की जुबानी:महिला बोली- पूरा गांव बह गया, अब मैं अकेले कैसे जीऊंगी; कहा- न घर बचा न घरवाले
हिमाचल आपदा की कहानी पीड़ितों की जुबानी:महिला बोली- पूरा गांव बह गया, अब मैं अकेले कैसे जीऊंगी; कहा- न घर बचा न घरवाले मैं अब कैसे जीऊंगी…? पूरा गांव श्मशान बन गया…। गांव में अब अकेला मेरा घर बचा है…। यह शब्द शिमला जिले के रामपुर के समेज गांव की अनीता के हैं। अनीता ने बुधवार आधी रात की आपबीती सुनाते हुए बताया कि उनके परिवार ने भागकर जान जरूर बचाई है, लेकिन अब परिवार अकेले बचा है। वे कैसे रहेंगे? अनीता कह रही हैं कि भगवान यह आपने क्या कर दिया? गांव को श्मशान बना दिया। मुझे भी गांव वालों के साथ ले चलते। मैं गांव वालों के बगैर कैसे जीऊं? अनीता ने बताया कि रात में अचानक से उनका घर हिला। वह जिस बिस्तर पर सोई थीं, वह भी हिल गया। फिर जोर-जोर से आवाजें आईं। जब बाहर निकलकर देखा तो तबाही मची हुई थी। इसी दौरान गांव के कुछ लोग उनके घर की ओर आए। उन्होंने हांफते हुए बताया कि बाढ़ आई है। इसके बाद उनके परिवार के सदस्य रात में घर छोड़कर थोड़ी ऊंचाई पर स्थित भगवती माता के मंदिर में भागे। वहां पर उन्होंने पूरी रात काटी। उनके साथ गांव के ही 10-12 लोग भी मंदिर में थे। अनीता का कहना है कि उनका घर ऊंचाई पर था, इसलिए वे लोग बच गए। अनीता ने बताया कि उनके घर में 5 सदस्य हैं। बाढ़ के समय घर में 4 लोग मौजूद थे। उनके मवेशी भी सुरक्षित हैं, लेकिन उनके पड़ोसी इस बाढ़ में बह गए। अनीता की तरह गांव में दूसरे लोग भी नम आंखों से अपनों को तलाश रहे हैं। सबकी नजरें समेज खड्ड पर टिकी हुई है। उम्मीद है कि उनके अपने सुरक्षित मिल जाएंगे। 2 मिनट भी लेट होते तो नहीं बचते: कुलविंदरा
गांव की कुलविंदरा बताती हैं कि रात 12 बजे बादल फटने की सूचना मिली। इसके बाद दोनों पति-पत्नी बाहर भागे। यदि 2 मिनट लेट हो जाते तो बचना मुश्किल हो जाता। उन्होंने बताया कि समेज गांव में 8 से 10 मकान बहे हैं। रात में तबाही देखते हुए वह गांव से काफी ऊंचाई पर स्थित मंदिर पहुंचे। सुबह 5 बजे वापस नीचे गांव गए तो पूरे गांव का नामोनिशान तक मिट गया था। उन्होंने बताया कि लोगों के साथ-साथ गाय भी बाढ़ में बही हैं। न घर बचा न घर वाले
बाढ़ से पीड़ित एक व्यक्ति ने बताया कि उनके परिवार के करीब 15 सदस्य लापता हैं। उनकी बेटी और बेटी के 2 बच्चों का भी कुछ अता-पता नहीं है। बच्चों में एक बेटा (4) और बेटी (7) थे। ये दोनों DPS में पढ़ते थे। इनसे उनकी लास्ट टाइम करीब 4 दिन पहले बात हुई थी। उन्होंने बताया कि वह सरकारी नौकरी से रिटायर हैं, और घटना के समय रामपुर में थे। उन्हें रात करीब 2 बजे सूचना मिली। इसके बाद वह करीब 4 बजे यहां पहुंचे तो देखा कि न घर है और न ही घर वाले। यहां का मंजर देखकर वह दंग रह गए। आधी रात में भागकर बचाई जान
प्रत्यक्षदर्शी आशीष ने बताया कि रात करीब 12 बजे जोर-जोर से आवाजें आने लगीं। उन्होंने बाहर निकलकर देखा तो 5 मिनट में ही गांव के पुल तक पानी भर आया। देखते ही देखते उनकी आंखों के सामने कुछ परिवार बह गए। उन्होंने बताया कि सामने ग्रीनको कंपनी के कर्मचारियों के लिए गेस्ट हाउस था। उन्हें पहले पता लग गया था। कंपनी के कुछ कर्मचारी दूसरे लोगों को बचाने के चक्कर में खुद बाढ़ में बह गए। गांव के लोग भगवान बनकर आए
समेज स्कूल के चौकीदार दयानंद (41) ने बताया कि वह स्कूल में काफी देर तक फंसे रहे। स्कूल के एक टीचर ने DPI को आधी रात में फोन किया। इसके बाद DPI के कहने पर गांव के लोगों ने खिड़की व शीशे तोड़कर दयानंद को स्कूल से बाहर निकाला, क्योंकि निचली मंजिल का दरवाजा मलबे में दब गया था। सुरक्षित निकाले गए दयानंद कहते हैं कि गांव के लोग उनके के लिए भगवान बनकर आए। ग्रीन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट की अकाउंटेंट बच्चों समेत मलबे में दफन
रामपुर के कांदरी निवासी जय सिंह का हंसता-खेलता परिवार भी समेज के सैलाब में उजड़ गया है। जय सिंह की पत्नी कल्पना (34), बेटी अक्षिता (7) और बेटा अद्विक (4) मलबे में दफन हो गए। अब जय सिंह बार-बार बेसुध हो रहे हैं। जय सिंह के भाई कुशाल सुनैल ने बताया कि भाभी कल्पना ग्रीन हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में अकाउंटेंट थीं। खड्ड के डर से उन्होंने झाखड़ी के रत्नपुर के लिए अपना ट्रांसफर करवा लिया था। बाढ़ वाले दिन ही उन्हें अपना सामान शिफ्ट करना था। लेकिन, कुदरत ने उन्हें समेज छोड़ने ही नहीं दिया। एक हफ्ते तक घर में बच्चों ने की मौज मस्ती
कुशाल ने बताया कि अक्षिता और अद्विक को स्कूल से एक सप्ताह की मानसून ब्रेक थी। इसलिए, दोनों बच्चे एक हफ्ते तक कांदरी में मस्ती करते रहे। बीते मंगलवार को दोनों बच्चे भाभी के साथ समेज गए। बुधवार रात को हादसा हुआ। हादसे वाले दिन जय सिंह समेज में नहीं थे। इस वजह से उनकी जान बच गई। गोपाल का घर बहने से 12 दबे
जय सिंह और उनकी पत्नी कल्पना दोनों बच्चों के साथ समेज में गोपाल के 3 मंजिला मकान में किराए पर रहते थे। इसी बिल्डिंग के टॉप-फ्लोर पर उनका क्वार्टर था और इसी में निचले फ्लोर पर कंपनी का दफ्तर भी चल रहा था। गोपाल की ही बिल्डिंग ढहने से कुल 12 लोगों की मौत हो गई है। इसमें जय सिंह की पत्नी, 2 बच्चों के अलावा गोपाल की पत्नी शिक्षा (37), बेटी जिया (15) और ग्रीनको हाइड्रो प्रोजेक्ट के 7 कर्मचारियों की भी मौत हुई है। कंपनी के कर्मचारी भी इसी बिल्डिंग में रहते थे। 36 लोगों का 48 घंटे बाद भी सुराग नहीं
समेज हादसे में कुल मिलाकर 36 लोग लापता है। 48 घंटे से अधिक समय बीतने के बाद भी किसी का सुराग नहीं लग पाया है। माना जा रहा है कि खड्ड में अत्यधिक पानी की वजह से लोग दूर तक बह गए हों। यही वजह है कि जिला प्रशासन ने समेज से लेकर शिमला के सुन्नी तत्तापानी तक सर्च ऑपरेशन चलाने का निर्णय लिया है।
हिमाचल के बागवानों को झटका:अब छोटा व दागी सेब MIS योजना में नहीं खरीदेगी सरकार; बागवान भड़के, आंदोलन की दी चेतावनी
हिमाचल के बागवानों को झटका:अब छोटा व दागी सेब MIS योजना में नहीं खरीदेगी सरकार; बागवान भड़के, आंदोलन की दी चेतावनी हिमाचल में कुदरत की मार झेल रहे सेब बागवानों को कांग्रेस सरकार ने बड़ा झटका दिया है। आर्थिक सुधारों में जुटी सरकार ने मंडी मध्यस्थता योजना (MIS) के तहत सेब की खरीद के लिए कई शर्तें लगाई है। MIS के तहत सेब खरीद को उद्यान कार्ड अनिवार्य किया गया है। इसी तरह पक्षी का खाया हुआ, दागी सेब, स्कैब ग्रस्त, इथरल स्प्रे किया हुआ सेब और 51 मिलीमीटर से कम डाया वाला सेब भी सरकार ने नहीं खरीदने का निर्णय लिया है। बता दें कि राज्य सरकार हर साल MIS योजना के तहत सरकारी उपक्रम हॉर्टिकल्चर प्रोसेसिंग मार्केटिंग कमेटी (HPMC) और हिमफेड के माध्यम से निम्न क्वालिटी का सेब खरीदती है। सरकार द्वारा लगाई शर्तें बागवानों से धोखा, करेंगे आंदोलन: सोहन सरकार ने इस बार MIS के लिए 12 रुपए प्रति किलो रेट निर्धारित किया है। मगर सरकार ने बीच सीजन में ऐसी शर्तें लगाई है, जिससे बागवान भड़क उठे हैं। हिमाचल सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष सोहन ठाकुर ने बताया कि MIS योजना निम्न क्वालिटी के सेब की खरीद के लिए शुरू की गई थी। अब सरकार ने जिस तरह की शर्तें थोपी वो बागवानों से धोखा है। इसके विरोध में आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिस तरह का सेब सरकार खरीदना चाह रही है, उसका रेट कम से कम 25 रुपए होना चाहिए। एक तरफ सरकार ने MIS का रेट पिछले साल वाला ही रखा है, दूसरी तरफ MIS योजना पर नई नई शर्तें लगाई जा रही है। बागवान अब उद्यान कार्ड बनाए, या सेब तोड़ेंगे: बिष्ट प्रोग्रेसिव ग्रोअर एसोसिएशन (PGA) के अध्यक्ष लोकेंद्र बिष्ट ने बताया कि सरकार ने बीच सीजन में उद्यान कार्ड बनाने की शर्त लगाई है। इसे बनाने में कई दिन लग जाते है। अब बागवान उद्यान कार्ड बनाएगा या फिर सेब तोड़ेगा। उन्होंने कहा, यदि ये शर्त लगानी है तो अगले सीजन के लिए अनिवार्य किया जाए। उन्होंने बताया कि MIS के तहत ओलों से दागी सेब और छोटे साइज का फ्रूट नहीं लेने का फैसला बागवानों से धोखा है। सरकार ने पहले MIS के तहत रेट कम रखा है। अब नई नई शर्तें थोपी जा रही है। प्रदेश में इस बार किसानों की 50 प्रतिशत से ज्यादा फसल खराब हो चुकी है। इससे बागवानों को करोड़ों रुपए का नुकसान हो चुका है। 2022 मे 72 हजार मीट्रिक टन सेब खरीदा हिमाचल सरकार ने 2023 में MIS के तहत लगभग 52 हजार मीट्रिक टन और 2022 में रिकॉर्ड 72 हजार मीट्रिक टन सेब खरीदा था। इस योजना के तहत खरीदे गए सेब से सरकारी उपक्रम HPMC जूस तैयार करता है। यह योजना निम्न क्वालिटी सेब खरीदने के लिए ही शुरू की गई थी।