हिमाचल प्रदेश में बर्फ नहीं गिरने से टूरिस्ट मायूस है। मनाली पहुंच रहे टूरिस्ट को आसपास के पहाड़ों पर बर्फ देखने को नहीं मिल रही। इससे उन्हें बर्फ देखने के लिए 15 से 45 किलोमीटर तक दूर जाना पड़ रहा है। लाहोल और मनाली की ऊंची चोटियों पर शनिवार देर शाम को हुई हल्की बर्फबारी ने पर्यटकों को थोड़ी राहत जरूर दी। मगर मनाली में बर्फ नहीं गिर पाई। रविवार को मौसम साफ होने पर बड़ी संख्या में टूरिस्ट बर्फ देखने मनाली पहुंचे थे। मगर मनाली में बर्फ नहीं गिरी। इसके बाद उन्हें मजबूरन हामटा पास, अंजनी महादेव, अटल टनल रोहतांग, सिस्सू और लाहोल स्पीति के यांगला मैदान जाना पड़ा। इन स्थानों पर पर्यटकों ने बर्फ का आनंद लिया। वहीं कुल्लू के अंजनी महादेव में कुछ पर्यटकों ने स्कीइंग भी की। अटल टनल पहुंच रहा टूरिस्ट मनाली में बर्फ नहीं मिलने के बाद ज्यादा टूरिस्ट अटल टनल रोहतांग पहुंच रहा है। अच्छी बात यह है कि अटल टनल अब सभी प्रकार के वाहनों के लिए खुला है। टूरिस्ट को बर्फ देखने के लिए अतिरिक्त परिवहन खर्च उठाना पड़ रहा है। मनाली से अटल टनल 26 किलोमीटर दूर मनाली से अंजनी महादेव 22 किमी, अटल टनल रोहतांग 26 किमी और सिस्सू लगभग 30 किमी दूर है। सबसे दूर यांगला मैदान है, जो मनाली से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सोलंगनाला में स्कीइंग का आनंद उठा रहे टूरिस्ट सोलंगनाला में स्कीइंग और अन्य साहसिक खेलों से जुड़े पर्यटन व्यवसायियों का कहना है कि यहां पर बर्फ पूरी तरह पिघल चुकी है, जबकि यहां से 3 किमी दूर अंजनी महादेव के पास पर्यटक स्की का आनंद ले रहे हैं। शिमला-कुफरी-नारकंडा में भी बर्फ नहीं बर्फ नहीं गिरने से टूरिस्ट के साथ-साथ स्थानीय पर्यटन कारोबारी भी मायूस है। शिमला के कुफरी, नारकंडा, कांगड़ा के नड्डी, चंबा के डलहौजी इत्यादि पर्यटन स्थलों में भी मनाली जैसा हाल है। इन जगह पर भी बर्फ देखने को नहीं मिल रही है। इससे बहुत कम टूरिस्ट ही पहाड़ों पर पहुंच रहा है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी ने जगाई आस वहीं मौसम विभाग की कल और परसो स्नोफॉल की भविष्यवाणी ने टूरिस्ट में बर्फ गिरने की आस जरूर जगाई है। मगर जनवरी महीने में कई बार वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव हुए। हर बार बिन बरसे बादल चले गए। हिमाचल प्रदेश में बर्फ नहीं गिरने से टूरिस्ट मायूस है। मनाली पहुंच रहे टूरिस्ट को आसपास के पहाड़ों पर बर्फ देखने को नहीं मिल रही। इससे उन्हें बर्फ देखने के लिए 15 से 45 किलोमीटर तक दूर जाना पड़ रहा है। लाहोल और मनाली की ऊंची चोटियों पर शनिवार देर शाम को हुई हल्की बर्फबारी ने पर्यटकों को थोड़ी राहत जरूर दी। मगर मनाली में बर्फ नहीं गिर पाई। रविवार को मौसम साफ होने पर बड़ी संख्या में टूरिस्ट बर्फ देखने मनाली पहुंचे थे। मगर मनाली में बर्फ नहीं गिरी। इसके बाद उन्हें मजबूरन हामटा पास, अंजनी महादेव, अटल टनल रोहतांग, सिस्सू और लाहोल स्पीति के यांगला मैदान जाना पड़ा। इन स्थानों पर पर्यटकों ने बर्फ का आनंद लिया। वहीं कुल्लू के अंजनी महादेव में कुछ पर्यटकों ने स्कीइंग भी की। अटल टनल पहुंच रहा टूरिस्ट मनाली में बर्फ नहीं मिलने के बाद ज्यादा टूरिस्ट अटल टनल रोहतांग पहुंच रहा है। अच्छी बात यह है कि अटल टनल अब सभी प्रकार के वाहनों के लिए खुला है। टूरिस्ट को बर्फ देखने के लिए अतिरिक्त परिवहन खर्च उठाना पड़ रहा है। मनाली से अटल टनल 26 किलोमीटर दूर मनाली से अंजनी महादेव 22 किमी, अटल टनल रोहतांग 26 किमी और सिस्सू लगभग 30 किमी दूर है। सबसे दूर यांगला मैदान है, जो मनाली से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सोलंगनाला में स्कीइंग का आनंद उठा रहे टूरिस्ट सोलंगनाला में स्कीइंग और अन्य साहसिक खेलों से जुड़े पर्यटन व्यवसायियों का कहना है कि यहां पर बर्फ पूरी तरह पिघल चुकी है, जबकि यहां से 3 किमी दूर अंजनी महादेव के पास पर्यटक स्की का आनंद ले रहे हैं। शिमला-कुफरी-नारकंडा में भी बर्फ नहीं बर्फ नहीं गिरने से टूरिस्ट के साथ-साथ स्थानीय पर्यटन कारोबारी भी मायूस है। शिमला के कुफरी, नारकंडा, कांगड़ा के नड्डी, चंबा के डलहौजी इत्यादि पर्यटन स्थलों में भी मनाली जैसा हाल है। इन जगह पर भी बर्फ देखने को नहीं मिल रही है। इससे बहुत कम टूरिस्ट ही पहाड़ों पर पहुंच रहा है। मौसम विभाग की भविष्यवाणी ने जगाई आस वहीं मौसम विभाग की कल और परसो स्नोफॉल की भविष्यवाणी ने टूरिस्ट में बर्फ गिरने की आस जरूर जगाई है। मगर जनवरी महीने में कई बार वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव हुए। हर बार बिन बरसे बादल चले गए। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल के IGMC में शुरू हुई लेप्रोस्कोपिक सर्जरी:डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक किया जटिल ऑपरेशन, निजी अस्पतालों में कई मरीजों की पहुंच से बाहर
हिमाचल के IGMC में शुरू हुई लेप्रोस्कोपिक सर्जरी:डॉक्टरों ने सफलतापूर्वक किया जटिल ऑपरेशन, निजी अस्पतालों में कई मरीजों की पहुंच से बाहर शिमला में हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान इंदिरा गाँधी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल (IGMC) में मिनिमल इनवेसिव सर्जरी शुरू की गयी है। IGMC के डॉक्टरों की टीम ने इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। अब IGMC में लेप्रोस्कोपिक के माध्यम से रोगियों की जटिल से जटिल सर्जरी आसानी से हो सकेंगी। इसके मरीजों को कई तरह की सुविधाएं व लाभ मिलेंगे। इसके माध्यम से हुई सर्जरियों से रोगियों का कम रक्तस्राव, कम दर्द व तेजी से रिकवरी होगी। वर्तमान में ऐसी प्रक्रियाएं केवल चुनिंदा केंद्रीय सरकारी संस्थानों और निजी कॉर्पोरेट अस्पतालों में उपलब्ध हैं। जहां वे महंगी हैं और कई रोगियों की पहुंच से बाहर हैं। ऐसे में आईजीएमसी में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी शुरू होने से मरीजों को लाभ मिलेगा। पहले होती थी साधारण सर्जरी सर्जरी विभाग के HOD डॉ. यू.के. चंदेल ने बताया कि लेपोस्क्रोपी के माध्यम से पहले केवल साधारण सर्जरी की जाती थी। लेकिन अब इसमें एडवांस यानी जटिल सर्जरियाँ भी शुरू की है। उन्होंने कहा कि पहले केवल ओपन सर्जरी के माध्यम से मरीजों का उपचार करते थे जबकि अब भोजन नली के कैंसर के लिए, छाती के हिस्से की सर्जरी लैप्रोस्कोपी के माध्यम से की गई है। इसके अलावा पेट और मलाशय के कैंसर के लिए पूरी सर्जरी लैप्रोस्कोपी के माध्यम से की गई है। पहली बार हुई ऐसी सर्जरी ऐसी उन्नत सर्जरी आईजीएमसी में नियमित रूप से नहीं की जाती है, और यह पहली बार है कि भोजन नली के कैंसर की सर्जरी लैप्रोस्कोपी का उपयोग करके की गई है। IGMC शिमला की प्रिंसिपल डॉ. सीता का कहना है कि एडवांस सर्जरी की ओर IGMC बढ़ रहा है। नर्सिंग स्टाफ, ऑपरेशन थिएटर सहायकों और अन्य सहायक कर्मचारियों के महत्वपूर्ण समर्थन के कारण इसे अंजाम दे पाए है IGMC में अधिकांश खर्च हिमकेयर कार्ड के अंतर्गत कवर किए जाते हैं, जिससे गरीब मरीजों को लाभ हो रहा है।
कुल्लू से देहरादून के लिए हवाई सेवा शुरू:सप्ताह में 3 दिन उड़ान भरेगा एलायंस का एयरक्राफ्ट, अमृतसर के लिए कटौती
कुल्लू से देहरादून के लिए हवाई सेवा शुरू:सप्ताह में 3 दिन उड़ान भरेगा एलायंस का एयरक्राफ्ट, अमृतसर के लिए कटौती हिमाचल और उत्तराखंड राज्य को आपस में जोड़ने के लिए दोनों राज्यों के बीच पहली हवाई उड़ान शुरू हाे गई है। यह उड़ान कल्लू के भुंतर एयरपोर्ट से देहरादून के लिए शुरू की गई है। एलाइंस एयर के एटीआर 72 एयरक्राफ्ट ने सुबह 8:30 बजे भुंतर एयरपोर्ट से देहरादून के लिए 13 यात्रियों के साथ उड़ान भरी, जबकि देहरादून से 46 यात्रियों के साथ यह एयरक्राफ्ट भुंतर एयरपोर्ट पर उतरा। यह एयरक्राफ्ट सप्ताह में मंगलवार, वीरवार और शनिवार को भुंतर और देहरादून के बीच अपनी सेवाएं देगा, जबकि सप्ताह के अन्य चार दिनों में यह एयरक्राफ्ट भुंतर-अमृतसर के बीच उड़ान भरेगा। इस हवाई सेवा का शुभारंभ भुंतर एयरपोर्ट के डायरेक्टर सिद्धार्थ कदम ने विधिवत रूप से किया। पर्यटन की दृष्टि से उड़ान महत्वपूर्ण इस मौके पर उन्होंने कहा कि भुंतर एयरपोर्ट से इस फ्लाइट के उड़ान भरने का समय सुबह 8:30 बजे रहेगा, जबकि देहरादून में यह करीब 9:35 पर लैंडिंग करेगा। उसके बाद 10:00 बजे वापस देहरादून से उड़ान भरेगा और 11:20 पर भुंतर एयरपोर्ट पर लैंडिंग करेगा। उनके अनुसार अभी भुंतर और देहरादून के बीच भुंतर से प्रति यात्री 3100 रुपए और देहरादून से भुंतर के लिए करीब 4000 रुपए किराया निर्धारित किया गया है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को पर्यटन की दृष्टि से आपस में जोड़ने के लिए यह उड़ान एक कड़ी का काम करेगी जिसके माध्यम से पर्यटक हिमाचल प्रदेश के कुल्लू मनाली से सीधा देहरादून कम समय में पहुंच सकेंगे। अमृतसर की उड़ान में कटौती हालांकि, इससे पहले यह एयरक्राफ्ट भुंतर से अमृतसर के लिए सप्ताह में 6 दिन सेवाएं देता था, लेकिन देहरादून के लिए सप्ताह में तीन दिन सेवाएं शुरू करने के चलते अमृतसर की उड़ान में कटौती की गई है जिसके चलते अब भुंतर से अमृतसर के बीच सप्ताह में चार दिन उड़ान भरेगा। चंडीगढ़ की उड़ान नवंबर से बंद गौरतलब है कि इससे पहले एलाइंस एयर ने पहले भुंतर चंडीगढ़ के बीच भी उड़ान शुरू की थी, लेकिन यह उड़ान नवंबर 2023 से लेकर बंद चल रही है।
हिमाचल की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने लगी:अब खर्चों और मुफ्त सेवाओं में कटौती की तैयारी; 5 कोर्ट केसों से दबाव में सरकार
हिमाचल की अर्थव्यवस्था लड़खड़ाने लगी:अब खर्चों और मुफ्त सेवाओं में कटौती की तैयारी; 5 कोर्ट केसों से दबाव में सरकार कर्ज की जिंदगी जी रही हिमाचल सरकार आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलें बढ़ाती जा रही है। एक तरफ केंद्र ने हिमाचल की कर्ज सीमा 5500 करोड़ रुपये घटा दी है, वहीं दूसरी तरफ हिमाचल हाईकोर्ट में चल रहे 5 मामले सरकार के गले की फांस बन गए हैं। ये मामले नए वेतन आयोग के एरियर, दैनिक वेतन भोगियों के भुगतान, अनुबंध अवधि की पेंशन और अनुबंध के बाद मिलने वाली वरिष्ठता से जुड़े हैं। कोर्ट ने इन पांचों मामलों में कर्मचारियों और पेंशनरों को करोड़ों रुपये का भुगतान सुनिश्चित करने को कहा है। कई मामलों में कोर्ट ने सरकार को सख्त टिप्पणियां और चेतावनी भी दी है। इससे सरकार और खासकर वित्त प्रबंधन देख रहे अधिकारी दबाव में हैं। कोर्ट की फटकार के बाद अब सरकार की रिसोर्स मोबिलाइजेशन कमेटी भी आय के संसाधन बढ़ाने और खर्चों में कटौती करने के लिए सक्रिय हो गई है। 80 हजार करोड़ सत्ता संभालने पर मिला: धर्माणी टीसीसी मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि जब कांग्रेस सत्ता में आई थी, तब राज्य पर 80 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था। सरकार पर कर्मचारियों की 10 हजार करोड़ रुपये की देनदारी है। इसलिए सरकार को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कुछ कड़े फैसले लेने होंगे। साफ है कि आने वाले समय में सरकार पेट्रोल-डीजल पर राज्य कर बढ़ाने के साथ ही मुफ्त सेवाओं में कटौती करने के फैसले ले सकती है। राज्य में अमीर लोगों के लिए मुफ्त बिजली पहले ही बंद की जा चुकी है। आमदनी 50 पैसे और खर्च एक रुपये होने के चलते सरकार अब मुफ्त सेवाओं और सब्सिडी में भी कटौती करने पर विचार कर रही है। हिमाचल पर 94 हजार करोड़ का कर्ज हिमाचल सरकार पर लगभग 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चढ़ चुका है। 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इससे प्रति व्यक्ति 1.17 लाख रुपए कर्ज चढ़ चुका है, जो कि देश में अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरा सबसे ज्यादा है। प्रदेश की पूर्व BJP सरकार ने सभी कर्मचारियों-पेंशनर को जनवरी 2016 से नए वेतनमान के लाभ तो दे दिए। मगर इसका एरियर अभी भी बकाया पड़ा है। दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले 30 से 40 हजार रुपए की एरियर की एक किश्त जरूर दी गई है। मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा समान है। कई कर्मचारियों व पेंशनर का तीन-चार लाख रुपए से भी ज्यादा का एरियर बकाया है। जिसका कर्मचारी-पेंशनर बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इससे डगमगा रही अर्थव्यवस्था रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट (RDG) लगातार कम हो रही है। 14वें वित्त आयोग में हिमाचल को RDG में 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में यह बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गया। साल 2021-22 में RDG 10249 करोड़ मिली थी, जो कि 2025-26 में 3257 करोड़ की रह जाएगी। इसी तरह GST प्रतिपूर्ति राशि भी भारत सरकार ने जून 2022 में बंद कर दी है, जोकि देश में जीएसटी लागू होने के बाद से हर साल लगभग 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल रही थी। NPA के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। राज्य सरकार हर साल मार्च में 1780 करोड़ रुपए NPA के तौर पर PFRDA के पास जमा कराता था, लेकिन बीते साल अप्रैल से हिमाचल में OPS बहाल कर दी गई है। इसलिए अप्रैल 2023 से NPA में स्टेट और कर्मचारियों का शेयर PFRDA के पास जमा नहीं होगा। इसे देखते हुए केंद्र ने इसकी मैचिंग ग्रांट भी रोक दी है। इन सब वजह से हिमाचल की अर्थव्यवस्था डगमगा लगी है। लोन लेने की सीमा 5% से 3.5% की पूर्व BJP सरकार के कार्यकाल में हिमाचल को जीडीपी का 5% तक लोन लेने की छूट थी, जो अब घटाकर 3.5% कर दी गई है। यानी 2022 तक हिमाचल को 14,500 करोड़ रुपए सालाना का लोन लेने की छूट थी। मगर अब 9000 करोड़ रुपए सालाना लोन लेने की छूट है। इससे ज्यादा पैसा हर साल पुराना कर्ज लौटाने और ब्याज देने में खर्च हो रहा है। इससे कर्मचारियों-पेंशनर की सैलरी-पेंशन और विकासात्मक गतिविधियों के बजट जुटा पाना सरकार के लिए मुश्किल हो गया है। 4000 करोड़ की इनकम को कोर्ट का झटका हिमाचल सरकार ने आय के संसाधन बढ़ाने के लिए वाटर सेस लगाया था। इससे सरकार को लगभग 4000 करोड़ रुपए सालाना आय की उम्मीद थी। मगर इसे कोर्ट असंवैधानिक करार चुका है। ऐसे में हिमाचल सरकार अब केंद्र पर बहुत ज्यादा निर्भर हो गई है। केंद्र से मदद नहीं मिली तो आने वाले समय में सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय है। इससे कर्मचारियों की सैलरी और पेंशनरों को पेंशन देना भी चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।