हिमाचल में भांग की खेती पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला का बड़ा बयान, ‘मलाणा नहीं बनने देंगे’

हिमाचल में भांग की खेती पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला का बड़ा बयान, ‘मलाणा नहीं बनने देंगे’

<p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Governor On Cannabis Cultivation:</strong> हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा है कि पूरे प्रदेश को मलाणा बनाने की इजाजत राजभवन नहीं देगा. हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की धरती है और देवभूमि की सभ्यता व संस्कृति को सर्वोच्च रखा जाएगा. वर्तमान सरकार भांग की खेती को लीगल करने का प्रयास कर रही है, जिसको लेकर एक बिल विधानसभा में पारित किया गया है, उस बिल को एक ही शर्त पर इजाजत दी जाएगी कि ये सुनिश्चित हो कि भांग का औषधीय के रूप में ही उपयोग हो.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शिमला में एक कार्यक्रम में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि सरकार यहां पर भांग की खेती का उत्पादन करने को वैध बनाना चाहती है और जो बिल सरकार ने पारित किया है उसमें भी इसके औषधीय उपयोग की बात कही है. भांग की खेती का औषधीय उपयोग ही हो जिसको लेकर राजभवन ने सरकार से कुछ जानकारी मांगी है. एक तरफ़ भांग के पौधों को उखाड़ा जा रहा है दूसरी तरफ नशे को दूर करने के लिए व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, ऐसे में भांग की खेती को वैज्ञानिक ढंग से लीगल करने को लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दवाओं के निर्माण में भी होता है भांग का उपयोग&nbsp;</strong><br />भांग की खेती लीगल करने के पीछे हिमाचल सरकार का तर्क है कि विश्व के लगभग 30 देशों में भांग की खेती होती है. भांग के रेशे (फाइबर) का उपयोग टेक्सटाइल, कागज, पल्प, फर्नीचर समेत अन्य उद्योगों में होता है. यही नहीं, कैंसर, ग्लूकोमा, मधुमेह जैसी बीमारियों के उपचार में प्रयोग की जाने वाली दवाओं के निर्माण में भी भांग का उपयोग होता है. इस सबको देखते हुए हिमाचल में भांग की खेती की संभावनाएं, बाजार की उपलब्धता तलाशी जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पॉली हाउस और ग्रीन हाउस में संरक्षित तरीके से उगाया जाएगा</strong><br />योजना के मुताबिक भांग की खेती के लिए किसानों या कंपनियों को लाइसेंस लेने होंगे. औद्योगिक उद्देश्य के लिए भांग खुले में बोई जा सकेगी, जबकि दवाओं वाली भांग को पॉली हाउस और ग्रीन हाउस में संरक्षित तरीके से उगाया जाएगा. औद्योगिक इस्तेमाल के लिए हाइब्रिड बीजों को उगाने की व्यवस्था की जाएगी. लेकिन भांग की खेती को लेकर राज्यपाल का तंज कई सवाल खड़ा कर रहें हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”शिमला में भारी संख्या में पहुंच रहे पर्यटक, जाम से निपटना ट्रैफिक पुलिस के लिए बनी चुनौती” href=”https://www.abplive.com/states/himachal-pradesh/shimla-traffic-jam-tourists-arriving-in-large-numbers-because-severe-hot-weather-ann-2962489″ target=”_self”>शिमला में भारी संख्या में पहुंच रहे पर्यटक, जाम से निपटना ट्रैफिक पुलिस के लिए बनी चुनौती</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Himachal Governor On Cannabis Cultivation:</strong> हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा है कि पूरे प्रदेश को मलाणा बनाने की इजाजत राजभवन नहीं देगा. हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की धरती है और देवभूमि की सभ्यता व संस्कृति को सर्वोच्च रखा जाएगा. वर्तमान सरकार भांग की खेती को लीगल करने का प्रयास कर रही है, जिसको लेकर एक बिल विधानसभा में पारित किया गया है, उस बिल को एक ही शर्त पर इजाजत दी जाएगी कि ये सुनिश्चित हो कि भांग का औषधीय के रूप में ही उपयोग हो.</p>
<p style=”text-align: justify;”>शिमला में एक कार्यक्रम में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि सरकार यहां पर भांग की खेती का उत्पादन करने को वैध बनाना चाहती है और जो बिल सरकार ने पारित किया है उसमें भी इसके औषधीय उपयोग की बात कही है. भांग की खेती का औषधीय उपयोग ही हो जिसको लेकर राजभवन ने सरकार से कुछ जानकारी मांगी है. एक तरफ़ भांग के पौधों को उखाड़ा जा रहा है दूसरी तरफ नशे को दूर करने के लिए व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, ऐसे में भांग की खेती को वैज्ञानिक ढंग से लीगल करने को लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दवाओं के निर्माण में भी होता है भांग का उपयोग&nbsp;</strong><br />भांग की खेती लीगल करने के पीछे हिमाचल सरकार का तर्क है कि विश्व के लगभग 30 देशों में भांग की खेती होती है. भांग के रेशे (फाइबर) का उपयोग टेक्सटाइल, कागज, पल्प, फर्नीचर समेत अन्य उद्योगों में होता है. यही नहीं, कैंसर, ग्लूकोमा, मधुमेह जैसी बीमारियों के उपचार में प्रयोग की जाने वाली दवाओं के निर्माण में भी भांग का उपयोग होता है. इस सबको देखते हुए हिमाचल में भांग की खेती की संभावनाएं, बाजार की उपलब्धता तलाशी जा रही है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पॉली हाउस और ग्रीन हाउस में संरक्षित तरीके से उगाया जाएगा</strong><br />योजना के मुताबिक भांग की खेती के लिए किसानों या कंपनियों को लाइसेंस लेने होंगे. औद्योगिक उद्देश्य के लिए भांग खुले में बोई जा सकेगी, जबकि दवाओं वाली भांग को पॉली हाउस और ग्रीन हाउस में संरक्षित तरीके से उगाया जाएगा. औद्योगिक इस्तेमाल के लिए हाइब्रिड बीजों को उगाने की व्यवस्था की जाएगी. लेकिन भांग की खेती को लेकर राज्यपाल का तंज कई सवाल खड़ा कर रहें हैं.</p>
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