देवभूमि हिमाचल प्रदेश के शिमला के रोहड़ू की स्पैल घाटी के दलगांव में ऐतिहासिक भुंडा महायज्ञ शुरू हो गया है। 5 दिन चलने वाला यह महायज्ञ महायज्ञ 40 साल बाद हो रहा है। इससे पहले 1985 में इसका आयोजन हुआ था। दावा किया जा रहा है कि इस महायज्ञ में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग शामिल होंगे। इसमें महायज्ञ में करीब 100 करोड़ के खर्च होने की उम्मीद है। इसके लिए स्पैल घाटी में के तीन प्रमुख देवता बौद्रा महाराज, महेश्वर, और मोहरी बीती रात को दलगांव मंदिर पहुंच गए है। इन देवताओं के साथ हजारों की संख्या में देवलु (देवता के कारदार) और श्रद्धालु भी पहुंच गए है। अब सिलसिलेवार पढ़िए, क्या होता हैं भुंडा और क्यों इसका होता है आयोजन… शिमला के रोहड़ू में भुंडा में पहुंचे लोग भुंडा महायज्ञ के पीछे की मान्यता मान्यता है कि भुंडा महायज्ञ की शुरुआत भगवान परशुराम ने की थी। इस यज्ञ में भगवान परशुराम ने नरमुंडों की बलि दी थी। इसलिए इसे नरमेघ यज्ञ भी कहा जाता है। ये अनुष्ठान, पूर्ववर्ती बुशैहर रियासत के राजाओं की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। हिमाचल में कुल्लू के निरमंड, रामपुर बुशहर, रोहड़ू में भी इसे सदियों से मनाया जा रहा है। भुंडा में रस्सी से दो पहाड़ी पार करेंगे सूरत राम इस भुंडा महायज्ञ में सभी की नजरें विशेष किस्म की घास की रस्सी पर रहेगी। इस रस्सी को दो पहाड़ियों के बीच बांधा जाता। इस रस्सी को देवता के गुर सूरत राम पार करेंगे। वह इस रस्सी से ‘मौत की घाटी’ पार करेंगे। वह दो पहाड़ियों के बीच लगाई जाने वाली रस्सी पर एक कोने से दूसरे कोने में जाएंगे। इसे देखने के लिए सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ेगी। सूरत राम बोले- मैं भाग्यशाली इसे लेकर सूरत राम कहते हैं कि वह भाग्यशाली हैं, जो उन्हें यह मौका मिला है। वह बताते हैं कि इस रस्सी को नाग का प्रतीक माना जाता है। यह प्रदर्शन भुंडा महायज्ञ का अहम हिस्सा है। यह यज्ञ रामायण महाभारत काल मे नरमेघ से का स्वरूप माना जाता है। महायज्ञ के लिए बिकी 2 हजार तलवारें इस महायज्ञ के लिए रोहड़ू के आसपास के इलाकों में 2 हजार से अधिक तलवारों की बिक्री हुई है। इस मेले में लोग हथियार के साथ आते हैं। इन गांव पर सारी जिम्मेदारी रोहड़ू की स्पैल वैली के भमनाला, करालश, खोड़सू, दयारमोली, बश्टाड़ी, गावणा, बठारा, कुटाड़ा, खशकंडी, दलगांव और भ्रेटली गांवों में 1500 के करीब परिवार मेजबान के रूप में नजर आएंगे। क्षेत्र के लोग तीन सालों से इसकी तैयारियों में जुटे हैं, यहां के लोग ही इस सभी के रहने सहने व खाने पीने की व्यवस्था देख रहे है। स्थानीय प्रशासन ने भी भुंडा के लिए लोगों के आग्रह पर स्पेशल बसें चलाई गईहैं। इन बसों में लोग रोहड़ू से दलगांव तक आ जा सकेंगे। सीएम सुक्खू नहीं गए भुंडा महायज्ञ में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को भी आज रोहड़ू जाना था। मगर खराब मौसम की वजह से उनका हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाया। इस वजह से सीएम सुक्खू भुंडा में नहीं गए। देवभूमि हिमाचल प्रदेश के शिमला के रोहड़ू की स्पैल घाटी के दलगांव में ऐतिहासिक भुंडा महायज्ञ शुरू हो गया है। 5 दिन चलने वाला यह महायज्ञ महायज्ञ 40 साल बाद हो रहा है। इससे पहले 1985 में इसका आयोजन हुआ था। दावा किया जा रहा है कि इस महायज्ञ में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग शामिल होंगे। इसमें महायज्ञ में करीब 100 करोड़ के खर्च होने की उम्मीद है। इसके लिए स्पैल घाटी में के तीन प्रमुख देवता बौद्रा महाराज, महेश्वर, और मोहरी बीती रात को दलगांव मंदिर पहुंच गए है। इन देवताओं के साथ हजारों की संख्या में देवलु (देवता के कारदार) और श्रद्धालु भी पहुंच गए है। अब सिलसिलेवार पढ़िए, क्या होता हैं भुंडा और क्यों इसका होता है आयोजन… शिमला के रोहड़ू में भुंडा में पहुंचे लोग भुंडा महायज्ञ के पीछे की मान्यता मान्यता है कि भुंडा महायज्ञ की शुरुआत भगवान परशुराम ने की थी। इस यज्ञ में भगवान परशुराम ने नरमुंडों की बलि दी थी। इसलिए इसे नरमेघ यज्ञ भी कहा जाता है। ये अनुष्ठान, पूर्ववर्ती बुशैहर रियासत के राजाओं की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। हिमाचल में कुल्लू के निरमंड, रामपुर बुशहर, रोहड़ू में भी इसे सदियों से मनाया जा रहा है। भुंडा में रस्सी से दो पहाड़ी पार करेंगे सूरत राम इस भुंडा महायज्ञ में सभी की नजरें विशेष किस्म की घास की रस्सी पर रहेगी। इस रस्सी को दो पहाड़ियों के बीच बांधा जाता। इस रस्सी को देवता के गुर सूरत राम पार करेंगे। वह इस रस्सी से ‘मौत की घाटी’ पार करेंगे। वह दो पहाड़ियों के बीच लगाई जाने वाली रस्सी पर एक कोने से दूसरे कोने में जाएंगे। इसे देखने के लिए सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ेगी। सूरत राम बोले- मैं भाग्यशाली इसे लेकर सूरत राम कहते हैं कि वह भाग्यशाली हैं, जो उन्हें यह मौका मिला है। वह बताते हैं कि इस रस्सी को नाग का प्रतीक माना जाता है। यह प्रदर्शन भुंडा महायज्ञ का अहम हिस्सा है। यह यज्ञ रामायण महाभारत काल मे नरमेघ से का स्वरूप माना जाता है। महायज्ञ के लिए बिकी 2 हजार तलवारें इस महायज्ञ के लिए रोहड़ू के आसपास के इलाकों में 2 हजार से अधिक तलवारों की बिक्री हुई है। इस मेले में लोग हथियार के साथ आते हैं। इन गांव पर सारी जिम्मेदारी रोहड़ू की स्पैल वैली के भमनाला, करालश, खोड़सू, दयारमोली, बश्टाड़ी, गावणा, बठारा, कुटाड़ा, खशकंडी, दलगांव और भ्रेटली गांवों में 1500 के करीब परिवार मेजबान के रूप में नजर आएंगे। क्षेत्र के लोग तीन सालों से इसकी तैयारियों में जुटे हैं, यहां के लोग ही इस सभी के रहने सहने व खाने पीने की व्यवस्था देख रहे है। स्थानीय प्रशासन ने भी भुंडा के लिए लोगों के आग्रह पर स्पेशल बसें चलाई गईहैं। इन बसों में लोग रोहड़ू से दलगांव तक आ जा सकेंगे। सीएम सुक्खू नहीं गए भुंडा महायज्ञ में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को भी आज रोहड़ू जाना था। मगर खराब मौसम की वजह से उनका हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर पाया। इस वजह से सीएम सुक्खू भुंडा में नहीं गए। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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