हिमाचल में भूकंप के झटके:सुबह 6:50 बजे महसूस किए गए; 3.4 रही तीव्रता, कोई जानी नुकसान नहीं

हिमाचल में भूकंप के झटके:सुबह 6:50 बजे महसूस किए गए; 3.4 रही तीव्रता, कोई जानी नुकसान नहीं

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में आज सुबह-सुबह भूकंप आया। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार, सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर पर हल्के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.4 मापी गई। जमीन के भीतर इसकी गहराई 5 किलोमीटर रही। अब तक इससे किसी भी प्रकार के जान व माल के नुकसान की सूचना नहीं है। बताया जा रहा है कि तीन बार यह झटके महसूस किए गए। जिन लोगों ने झटके महसूस किए, वह घरों से बाहर निकल आए। हालांकि झटकों की तीव्रता कम होने की वजह से ज्यादातर लोग इन्हें महसूस नहीं कर पाए। कुल्लू जिला के अधिकांश क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील यानी जोन 4 में आते है। इसलिए यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। अब जानिए भूकंप क्यों आता है? धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में आज सुबह-सुबह भूकंप आया। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार, सुबह 6 बजकर 50 मिनट पर पर हल्के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.4 मापी गई। जमीन के भीतर इसकी गहराई 5 किलोमीटर रही। अब तक इससे किसी भी प्रकार के जान व माल के नुकसान की सूचना नहीं है। बताया जा रहा है कि तीन बार यह झटके महसूस किए गए। जिन लोगों ने झटके महसूस किए, वह घरों से बाहर निकल आए। हालांकि झटकों की तीव्रता कम होने की वजह से ज्यादातर लोग इन्हें महसूस नहीं कर पाए। कुल्लू जिला के अधिकांश क्षेत्र भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील यानी जोन 4 में आते है। इसलिए यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। अब जानिए भूकंप क्यों आता है? धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।   हिमाचल | दैनिक भास्कर