हिमाचल हाईकोर्ट ने कुल्लू जिले के तोश में वैभव यादव की मौत की जांच CBI को सौंपने के आदेश दिए है। एक्टिंग चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने सीनियर पुलिस ऑफिसर की जांच पर संदेह जताते हुए यह आदेश सुनाए। वैभव की मौत 9 दिसंबर 2023 को हुई थी। कोर्ट ने तीन दिनों के भीतर CBI को मामले से संबंधित मूल रिकॉर्ड उपलब्ध कराने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला न केवल पुलिस अधिकारियों द्वारा कर्तव्यों की उपेक्षा को दर्शाता है, बल्कि कानून के जनादेश का भी उल्लंघन करता है। यदि FIR समय पर दर्ज की गई होती तो पुलिस को जांच करने की और शक्ति मिलती और जांच के बाद ही पुलिस अपने निष्कर्ष पर पहुंच सकती थी। कोर्ट ने कहा कि, यदि पुलिस की राय में तथ्य, FIR पंजीकरण लायक न होते तो प्रारंभिक जांच पूरी की जानी चाहिए थी। कोर्ट के अनुसार, 14 फरवरी 2024 को मृतक वैभव यादव के पिता ने आशंका जताई थी कि उनके बेटे की हत्या की गई है, पुलिस के पास संज्ञेय अपराध होने की सूचना थी। FIR दर्ज करने के लिए और कुछ भी आवश्यक नहीं था। कोर्ट ने कहा, यह केस पुलिस विभाग के एक और निर्लज्ज आचरण को प्रदर्शित करता हैं। बीते साल हरियाणा के चार दोस्त कुल्लू घूमने आए थे 9 दिसंबर 2023 को हरियाणा के चार युवा छात्र वैभव यादव, कुशाग्र, शशांक शर्मा और रितिका मित्तल हिमाचल के कुल्लू जिले में ‘तोश’ नामक स्थान पर गए थे। वैभव यादव की शाम को मौत हो गई। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन कोई गड़बड़ी नहीं पाई। 11 दिसंबर 2023 को वैभव यादव का शव पोस्टमार्टम के बाद उसके परिजनों को सौंप दिया गया। पिता ने DGP को लिखा था पत्र 14 फरवरी 2024 को मृतक वैभव यादव के पिता बलदेव यादव ने हिमाचल पुलिस महानिदेशक को एक लिखित अनुरोध प्रस्तुत किया, जिसकी एक प्रति SHO कुल्लू को भी भेजी गई, जिसमें उनके बेटे की मौत में गड़बड़ी की आशंका जताई गई। पत्र में बताया गया कि 10 दिसंबर 2023 को मृतक के परिजनों के साथ पुलिस अधिकारियों का असहयोगात्मक रवैया था। कथित तौर पर मृतक के चाचा के अनुरोध के बावजूद मृतक के तीन साथियों और होटल स्टाफ से उनकी मौजूदगी में पूछताछ नहीं की गई। IPS अधिकारी के आचरण पर उठाए थे सवाल इस पत्र के माध्यम से मृतक के पिता ने विनय यादव नामक एक प्रशिक्षु IPS अधिकारी के आचरण पर सवाल उठाए। आरोप था कि उसने कथित तौर पर स्थानीय पुलिस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था। मृतक के पिता ने कुशाग्र, शशांक और रितिका का घटना के बाद का आचरण को संदेहास्पद बताया। 10 जुलाई को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखा पत्र मृतक के पिता बलदेव यादव की शिकायत के जवाब में 6 मार्च 2024 को पुलिस अधीक्षक, कुल्लू ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कुल्लू संजीव चौहान को खोजी जांच सौंपी। पुलिस के आचरण से असंतुष्ट होने के कारण पिता बलदेव यादव ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को 10 जुलाई 2024 को एक पत्र लिखा। इस पृष्ठभूमि में तत्काल हाईकोर्ट ने आपराधिक रिट याचिका पंजीकृत की थी। हिमाचल हाईकोर्ट ने कुल्लू जिले के तोश में वैभव यादव की मौत की जांच CBI को सौंपने के आदेश दिए है। एक्टिंग चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने सीनियर पुलिस ऑफिसर की जांच पर संदेह जताते हुए यह आदेश सुनाए। वैभव की मौत 9 दिसंबर 2023 को हुई थी। कोर्ट ने तीन दिनों के भीतर CBI को मामले से संबंधित मूल रिकॉर्ड उपलब्ध कराने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला न केवल पुलिस अधिकारियों द्वारा कर्तव्यों की उपेक्षा को दर्शाता है, बल्कि कानून के जनादेश का भी उल्लंघन करता है। यदि FIR समय पर दर्ज की गई होती तो पुलिस को जांच करने की और शक्ति मिलती और जांच के बाद ही पुलिस अपने निष्कर्ष पर पहुंच सकती थी। कोर्ट ने कहा कि, यदि पुलिस की राय में तथ्य, FIR पंजीकरण लायक न होते तो प्रारंभिक जांच पूरी की जानी चाहिए थी। कोर्ट के अनुसार, 14 फरवरी 2024 को मृतक वैभव यादव के पिता ने आशंका जताई थी कि उनके बेटे की हत्या की गई है, पुलिस के पास संज्ञेय अपराध होने की सूचना थी। FIR दर्ज करने के लिए और कुछ भी आवश्यक नहीं था। कोर्ट ने कहा, यह केस पुलिस विभाग के एक और निर्लज्ज आचरण को प्रदर्शित करता हैं। बीते साल हरियाणा के चार दोस्त कुल्लू घूमने आए थे 9 दिसंबर 2023 को हरियाणा के चार युवा छात्र वैभव यादव, कुशाग्र, शशांक शर्मा और रितिका मित्तल हिमाचल के कुल्लू जिले में ‘तोश’ नामक स्थान पर गए थे। वैभव यादव की शाम को मौत हो गई। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन कोई गड़बड़ी नहीं पाई। 11 दिसंबर 2023 को वैभव यादव का शव पोस्टमार्टम के बाद उसके परिजनों को सौंप दिया गया। पिता ने DGP को लिखा था पत्र 14 फरवरी 2024 को मृतक वैभव यादव के पिता बलदेव यादव ने हिमाचल पुलिस महानिदेशक को एक लिखित अनुरोध प्रस्तुत किया, जिसकी एक प्रति SHO कुल्लू को भी भेजी गई, जिसमें उनके बेटे की मौत में गड़बड़ी की आशंका जताई गई। पत्र में बताया गया कि 10 दिसंबर 2023 को मृतक के परिजनों के साथ पुलिस अधिकारियों का असहयोगात्मक रवैया था। कथित तौर पर मृतक के चाचा के अनुरोध के बावजूद मृतक के तीन साथियों और होटल स्टाफ से उनकी मौजूदगी में पूछताछ नहीं की गई। IPS अधिकारी के आचरण पर उठाए थे सवाल इस पत्र के माध्यम से मृतक के पिता ने विनय यादव नामक एक प्रशिक्षु IPS अधिकारी के आचरण पर सवाल उठाए। आरोप था कि उसने कथित तौर पर स्थानीय पुलिस पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया था। मृतक के पिता ने कुशाग्र, शशांक और रितिका का घटना के बाद का आचरण को संदेहास्पद बताया। 10 जुलाई को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखा पत्र मृतक के पिता बलदेव यादव की शिकायत के जवाब में 6 मार्च 2024 को पुलिस अधीक्षक, कुल्लू ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कुल्लू संजीव चौहान को खोजी जांच सौंपी। पुलिस के आचरण से असंतुष्ट होने के कारण पिता बलदेव यादव ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को 10 जुलाई 2024 को एक पत्र लिखा। इस पृष्ठभूमि में तत्काल हाईकोर्ट ने आपराधिक रिट याचिका पंजीकृत की थी। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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सुजानपुर में राणा, गगरेट में चैतन्य हार रहे:EVM काउंटिंग में कांग्रेस के रणजीत 2174 मतों से आगे, लाहौल-स्पीति में अनुराधा जीत के करीब हिमाचल की सुजानपुर विधानसभा सीट पर दिग्गज नेता एवं BJP उम्मीदवार राजेंद्र राणा उप चुनाव हारने जा रहे हैं। उधर, लाहौल-स्पीति में कांग्रेस के बागी एवं BJP कैंडिडेट रवि ठाकुर और निर्दलीय रामलाल मारकंडा, गगरेट सीट पर बीजेपी के चैतन्य शर्मा भी हार के कगार पर हैं। वहीं बड़सर सीट पर कांग्रेस के बागी व बीजेपी प्रत्याशी इंद्रदत्त लखनपाल चुनाव जीतने जा रहे है। लाहौल-स्पीति में कांग्रेस की अनुराधा राणा 1786 वोटों से आगे हैं। गगरेट में कांग्रेस के राकेश कालिया 7970 वोटों के अंतर से चैतन्य से आगे चल रहे हैं। इन तीनों सीटों पर अब पोस्टल बैलेट की गणना बाकी और फाइनल घोषणा का इंतजार है। सुजानपुर में राजेंद्र राणा को 2174 मतों के अंतर से पीछे चल रहे हैं। कैप्टन रणजीत को ईवीएम में 28577 वोट और राजेंद्र राणा को 26403 मत मिले। राजेंद्र राणा ने हिमाचल की सत्तारूढ़ कांग्रेस के राज्यसभा में प्रत्याशी के खिलाफ वोट करके पार्टी से बगावत की थी और बीते 23 मार्च को उन्होंने दिल्ली में बीजेपी का दामन थामा। 26 मार्च को बीजेपी ने राणा समेत कांग्रेस के छह बागी विधायकों को टिकट दिया। अब राजेंद्र राणा सुजानपुर सीट से विधानसभा उप चुनाव हार गए हैं। राणा को प्रेम कुमार धूमल के हनुमान माने जाने वाले कैप्टन रणजीत सिंह ने हराया है। बता दें कि राजेंद्र राणा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से मुख्यमंत्री चेहरा एवं दो बार के पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल को चुनाव हराया था। इस बार राणा खुद चुनाव हारने जा रहे है। मुख्यमंत्री सुक्खू निरंतर राणा पर हमलावर थे और सुधीर शर्मा व राणा को बिके हुए विधायकों का निरंतर सरगना बोल रहे थे। प्रदेश की चार अन्य विधानसभा सीटों पर भी काउंटिंग जारी है। बड़सर में बीजेपी के इंद्रदत्त लखनपाल, धर्मशाला में भी बीजेपी के सुधीर शर्मा और कुटलैहड़ में भी कांग्रेस के विवेक शर्मा बढ़त बनाए हुए है। इन छह सीटों पर उप चुनाव में कुल 4,54,926 मतदाताओं में से 3,29,240 (76.89%) ने वोट दिया है। इनमें 32,089 पुरुष, 35,337 पुरुष और एक थर्ड जेंडर का मतदाता शामिल है।कुटलैहड़ में सबसे ज्यादा 67427 (76.20%) फीसदी और धर्मशाला में सबसे कम 60981 (71.2%) मतदाताओं ने वोट डाला है। बड़सर विधानसभा में 62695 (71.69%), लाहौल स्पीति में 18977 (75.09%), गगरेट में 63359 (75.14%) और सुजानपुर में 55800 (73.76%) प्रतिशत लोगों ने अपना वोट डाला। लाहौल स्पीति में त्रिकोणीय मुकाबला लाहौल-स्पीति विधानसभा में कांग्रेस की अनुराधा राणा, बीजेपी रवि ठाकुर और भाजपा के बागी निर्दलीय राम लाल मारकंडा में टक्कर है। धर्मशाला में बीजेपी के बागी चौधरी धर्मशाला सीट पर बीजेपी सुधीर शर्मा, कांग्रेस के देवेंद्र जग्गी और निर्दलीय राकेश चौधरी के बीच मुकाबला है। इन तीनों के अलावा यहां सतीश कुमार भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। कुटलैहड़ में 4 दावेदार कुटलैहड़ में कांग्रेस के विवेक शर्मा, भाजपा के देवेंद्र कुमार भुट्टो, निर्दलीय चंचल सिंह और निर्दलीय राजीव शर्मा चुनावी मैदान में है। यहां देवेंद्र भुट्टो और विवेक शर्मा में मुख्य मुकाबला है। गगरेट में पांच दावेदार गगरेट में कांग्रेस के राकेश कालिया, बीजेपी के चैतन्य शर्मा, निर्दलीय मनोहर लाल शर्मा, निर्दलीय अमित वशिष्ट और निर्दलीय अशोक सोंखला चुनाव लड़ रहे हैं। यहां पर राकेश कालिया और चैतन्य शर्मा में सीधी टक्कर है। बड़सर में तीन दावेदार कांग्रेस के सुभाष चंद ढटवालिया, बीजेपी के इंद्र दत्त लखनपाल और निर्दलीय विशाल शर्मा तीन दावेदार है। यहां पर भी सुभाष और लखनपाल के बीच मुख्य मुकाबला है। इनका भाग्य आज ईवीएम में कैद हो गया। 15 महीने में इसलिए आई उप चुनाव की नौबत इन छह सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के ही विधायक चुने गए थे। मगर इन्होंने राज्यसभा चुनाव में पहले बीजेपी प्रत्याशी के लिए वोट दिया। इसके बाद विधानसभा में पार्टी के व्हिप का उलंघन किया। इसके दोषी पाए जाने पर स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने इन्हें अयोग्य घोषित किया। इसके बाद बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट भी गए। मगर कोर्ट का रुख देखते हुए इन्होंने खुद ही याचिका वापस लेने का निर्णय लिया। इसके बाद बीते 16 मार्च को केंद्रीय चुनाव आयोग ने छह सीटों पर उप चुनाव का ऐलान किया।