हिमाचल में 16वें वित्त आयोग की टीम:सीएम-मंत्री और अधिकारियों से चल रही मीटिंग; फाइनांस कमीशन की रिपोर्ट पर निर्भर करेगी प्रदेश की आर्थिक सेहत

हिमाचल में 16वें वित्त आयोग की टीम:सीएम-मंत्री और अधिकारियों से चल रही मीटिंग; फाइनांस कमीशन की रिपोर्ट पर निर्भर करेगी प्रदेश की आर्थिक सेहत

16वां वित्त आयोग की टीम तीन दिन के हिमाचल दौरे पर है। चेयरमैन डा. अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में प्रदेश पहुंची वित्त आयोग की टीम आज हिमाचल के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों, विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ शिमला के पीटरहॉफ में मीटिंग कर रही है। इस कमीशन की रिपोर्ट पर हिमाचल सरकार की आर्थिक सेहत निर्भर करेगी। मुख्यमंत्री सहित उनके कैबिनेट मंत्री वित्तीय स्थिति को लेकर प्रेजेंटेशन दे रहे हैं। इसके जरिए सरकार 2026 से पांच साल के लिए ज्यादा से ज्यादा राजस्व अनुदान घाटा ग्रांट लेने का प्रयास कर रही है। फाइनेंस कमीशन विपक्षी दल के साथ साथ शहरी निकाय और पंचायत जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेगा। इसके बाद यह टीम आगामी पांच सालों के लिए आर्थिक मदद को लेकर एक रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपेगी। पहली अप्रैल 2026 से वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होगी। इन्हीं सिफारिशों के तहत राज्य को राजस्व का वितरण होता है। राज्य सरकार के लिए इस समय रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट को बचाना चुनौती है। यदि हिमाचल सरकार अपनी वित्तीय जरूरतें फाइनांस कमीशन के सामने सही तरीके से दिखा गई, तो 2026 के बाद अगले पांच साल आराम से निकल सकते हैं। सरकार की राजस्व प्राप्तियां और राजस्व खर्चों के अंतर को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया, तो अगले पांच साल मुश्किल हो जाएंगे। इसमें सबसे बड़ी वजह अभी ओल्ड पेंशन देने का फैसला दिख रहा है। 26 से बढ़कर 30% हुआ कर्मचारियों की सैलरी पर खर्च इससे पहले 15वें वित्त आयोग ने हिमाचल सरकार को अपनी प्रतिबद्ध देनदारी कम करने को कहा था, लेकिन वेतन की अदायगी और कुछ चुनावी फैसलों के कारण कर्मचारियों की सैलरी पर खर्च होने वाला पैसा 26 फीसदी से बढ़कर 30 फीसदी तक पहुंच गया है। राज्य सरकार ने ओल्ड पेंशन (OPS) देने का भी निर्णय कर लिया। इससे 16वें वित्त आयोग की अवधि में पेंशन देनदारी ओर बढ़ेगी। इसलिए फाइनांस कमीशन के सामने सरकार को इस फैसले की जरूरत को प्रदर्शित करना होगा। 15वें वित्त आयोग ने दिए थे 81977 करोड़ 15वें वित्त आयोग ने हिमाचल को कुल 81977 करोड़ रुपए पांच साल के लिए दिए थे। इसमें से 37200 करोड़ रिवेन्यू डिफिसिट ग्रांट के तौर पर थे। फाइनांस कमीशन ने इस पांच साल की अवधि के लिए राजस्व घाटा अनुदान (RDG) को साल दर साल कम कर दिया था। यदि औसत राशि देखें तो हर महीने 620 करोड़ ही RDG के तौर पर मिल रहे हैं। राज्य सरकार कर्मचारियों को जो सैलरी देती है, उसमें एक बड़ा हिस्सा इसी ग्रांट का है। प्रदेश को 7000 करोड़ सालाना RGD की जरूरत यदि इस साल के राज्य सरकार के बजट की बात करें, तो राजस्व घाटा अनुदान 4514 करोड़ रुपए है, जबकि वित्तीय घाटा 10784 करोड़ हो गया है। अगले वित्त वर्ष में राजस्व घाटा 7127 करोड़ का होगा, लेकिन इससे अगले साल यानी 2026-27 के वर्ष में राज्य सरकार को राजस्व घाटा अनुदान के तौर पर ही 7000 करोड़ से ज्यादा वार्षिक तौर पर चाहिए। इस जरूरत को सिर्फ फाइनांस कमीशन ही पूरा कर सकता है। राज्य सरकार की ओर से अब तक राजस्व बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों का ज्यादा अच्छा रिजल्ट नहीं मिला है। फाइनेंस कमीशन की टीम में ये सदस्य डॉ. अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में वित्त आयोग की 13 सदसीय टीम हिमाचल आई है। इनमें से सदस्य डा. मनोज पांडा, अजय नारायण झा, एन जॉर्ज मैथ्यू, डा. सौम्या क्रांति घोष, सचिव रित्विक पांडे, संयुक्त सचिव राहुल जैन, संयुक्त निदेशक अमरूथा, मानस बाजपेयी, सहायक निदेशक कुलदीप सिंह मीणा, सहायक निदेशक आनंद कुमार और निजी सचिव कुमार विवेक शामिल है। 16वां वित्त आयोग की टीम तीन दिन के हिमाचल दौरे पर है। चेयरमैन डा. अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व में प्रदेश पहुंची वित्त आयोग की टीम आज हिमाचल के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्रियों, विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ शिमला के पीटरहॉफ में मीटिंग कर रही है। इस कमीशन की रिपोर्ट पर हिमाचल सरकार की आर्थिक सेहत निर्भर करेगी। मुख्यमंत्री सहित उनके कैबिनेट मंत्री वित्तीय स्थिति को लेकर प्रेजेंटेशन दे रहे हैं। इसके जरिए सरकार 2026 से पांच साल के लिए ज्यादा से ज्यादा राजस्व अनुदान घाटा ग्रांट लेने का प्रयास कर रही है। फाइनेंस कमीशन विपक्षी दल के साथ साथ शहरी निकाय और पंचायत जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात करेगा। इसके बाद यह टीम आगामी पांच सालों के लिए आर्थिक मदद को लेकर एक रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपेगी। पहली अप्रैल 2026 से वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होगी। इन्हीं सिफारिशों के तहत राज्य को राजस्व का वितरण होता है। राज्य सरकार के लिए इस समय रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट को बचाना चुनौती है। यदि हिमाचल सरकार अपनी वित्तीय जरूरतें फाइनांस कमीशन के सामने सही तरीके से दिखा गई, तो 2026 के बाद अगले पांच साल आराम से निकल सकते हैं। सरकार की राजस्व प्राप्तियां और राजस्व खर्चों के अंतर को सही तरीके से प्रस्तुत नहीं किया गया, तो अगले पांच साल मुश्किल हो जाएंगे। इसमें सबसे बड़ी वजह अभी ओल्ड पेंशन देने का फैसला दिख रहा है। 26 से बढ़कर 30% हुआ कर्मचारियों की सैलरी पर खर्च इससे पहले 15वें वित्त आयोग ने हिमाचल सरकार को अपनी प्रतिबद्ध देनदारी कम करने को कहा था, लेकिन वेतन की अदायगी और कुछ चुनावी फैसलों के कारण कर्मचारियों की सैलरी पर खर्च होने वाला पैसा 26 फीसदी से बढ़कर 30 फीसदी तक पहुंच गया है। राज्य सरकार ने ओल्ड पेंशन (OPS) देने का भी निर्णय कर लिया। इससे 16वें वित्त आयोग की अवधि में पेंशन देनदारी ओर बढ़ेगी। इसलिए फाइनांस कमीशन के सामने सरकार को इस फैसले की जरूरत को प्रदर्शित करना होगा। 15वें वित्त आयोग ने दिए थे 81977 करोड़ 15वें वित्त आयोग ने हिमाचल को कुल 81977 करोड़ रुपए पांच साल के लिए दिए थे। इसमें से 37200 करोड़ रिवेन्यू डिफिसिट ग्रांट के तौर पर थे। फाइनांस कमीशन ने इस पांच साल की अवधि के लिए राजस्व घाटा अनुदान (RDG) को साल दर साल कम कर दिया था। यदि औसत राशि देखें तो हर महीने 620 करोड़ ही RDG के तौर पर मिल रहे हैं। राज्य सरकार कर्मचारियों को जो सैलरी देती है, उसमें एक बड़ा हिस्सा इसी ग्रांट का है। प्रदेश को 7000 करोड़ सालाना RGD की जरूरत यदि इस साल के राज्य सरकार के बजट की बात करें, तो राजस्व घाटा अनुदान 4514 करोड़ रुपए है, जबकि वित्तीय घाटा 10784 करोड़ हो गया है। अगले वित्त वर्ष में राजस्व घाटा 7127 करोड़ का होगा, लेकिन इससे अगले साल यानी 2026-27 के वर्ष में राज्य सरकार को राजस्व घाटा अनुदान के तौर पर ही 7000 करोड़ से ज्यादा वार्षिक तौर पर चाहिए। इस जरूरत को सिर्फ फाइनांस कमीशन ही पूरा कर सकता है। राज्य सरकार की ओर से अब तक राजस्व बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों का ज्यादा अच्छा रिजल्ट नहीं मिला है। फाइनेंस कमीशन की टीम में ये सदस्य डॉ. अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में वित्त आयोग की 13 सदसीय टीम हिमाचल आई है। इनमें से सदस्य डा. मनोज पांडा, अजय नारायण झा, एन जॉर्ज मैथ्यू, डा. सौम्या क्रांति घोष, सचिव रित्विक पांडे, संयुक्त सचिव राहुल जैन, संयुक्त निदेशक अमरूथा, मानस बाजपेयी, सहायक निदेशक कुलदीप सिंह मीणा, सहायक निदेशक आनंद कुमार और निजी सचिव कुमार विवेक शामिल है।   हिमाचल | दैनिक भास्कर