हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने विधानसभा में कहा कि कर्मचारियों को 5 सितंबर को सेलरी और पेंशनर को 10 सितंबर को पेंशन दी जाएगी। प्रदेश की आर्थिक स्थिति जब तक ठीक नहीं हो जाती, तब तक कर्मचारियों व पेंशनर को क्रमशः 5 व 10 तारीख को सेलरी-पेंशन मिलती रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा, यह निर्णय अनावश्यक ऋण पर खर्च होने वाले ब्याज से बचने के लिए लिया गया है। इससे सालाना 36 करोड़ रुपए की बचत होगी। उन्होंने कहा, राज्य में पहली तारीख को सेलरी-पेंशन दी जाती है, जबकि भारत सरकार से हमे 6 तारीख को रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट में 520 करोड़ रुपए और 10 तारीख को केंद्र से सेंट्रल शेयर टैक्स में 740 करोड़ रुपए मिलते है। इस वजह से हमें 5 दिन के लिए ऋण लेना पड़ता है। हर महीने इसका 7.50 प्रतिशत ब्याज चुकाने पर 3 करोड़ ब्याज देना पड़ता है। इससे ब्याज का अनावश्यक बोझ कम होगा। उन्होंने कहा, कर्मचारियों की सेलरी पर हर महीने 1200 करोड़ रुपए और पेंशन पर 800 करोड़ खर्च होता है। कुल मिलाकर 2000 करोड़ कर्मचारी-पेंशनर को देते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, प्रदेश में यह व्यवस्था बोर्ड-निगमों पर लागू नहीं होगी। बोर्ड-निगम अपने हिसाब से कर्मचारियों को सैलरी-पेंशन देते रहेंगे। फाइनेंशियल डिसिप्लेन की तरफ बढ़ रहे: सुक्खू मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि, साल 2027 में हिमाचल आत्मनिर्भर होगा। साल 2032 में देश का सबसे समृद्धशाली राज्य होगा। प्रदेश में 11 दिसंबर 2022 को जब कांग्रेस सरकार बनी तो उस समय प्रदेश में आर्थिक संकट था। अब कोई आर्थिक संकट नहीं है। इसे ठीक करने में अड़चनें-तकलीफ आ रही है, लेकिन हमें फैसला करना होगा। समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना होगा। अब हम फाइनेंशियल डिसिप्लेन की तरफ बढ़ रहे हैं। रेवेन्यू जब सरप्लस था- तब डीए क्यों नहीं दिया: CM मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा, साल 2018-19 और 2019-20 में रेवेन्यू सरप्लस था। बावजूद कर्मचारियों-पेंशनर को पूर्व सरकार ने डीए क्यों नहीं दिया। फिर चुनाव आए। चुनाव से छह महीने पहले आपने फ्री पानी, फ्री बिजली दिया। 10-10 करोड़ का टैक्स देने वाले होटल को फ्री बिजली-पानी दे दिया। 600 संस्थान खोल दिए। मुफ्त रेवड़ियां इन्होंने बांटी। हमारी सरकार आर्थिक सुधार कर रही है। जयराम ने उठाया सैलरी-पेंशन नहीं मिलने का मामला अंत में स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा, आर्थिक स्थिति पर शुक्रवार को सदन में फिर चर्चा होगी। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सदन में पॉइंट ऑफ ऑर्डर के तहत कर्मचारियों व पेंशनर को सेलरी-पेंशन नहीं मिलने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि, कर्मचारी संकट के दौर से गुजर रहे हैं और डरे हुए हैं। क्या आर्थिक संकट इतना ज्यादा हो गया? लोगों के आंसू निकाल दिए। इस पर चर्चा होनी चाहिए। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने विधानसभा में कहा कि कर्मचारियों को 5 सितंबर को सेलरी और पेंशनर को 10 सितंबर को पेंशन दी जाएगी। प्रदेश की आर्थिक स्थिति जब तक ठीक नहीं हो जाती, तब तक कर्मचारियों व पेंशनर को क्रमशः 5 व 10 तारीख को सेलरी-पेंशन मिलती रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा, यह निर्णय अनावश्यक ऋण पर खर्च होने वाले ब्याज से बचने के लिए लिया गया है। इससे सालाना 36 करोड़ रुपए की बचत होगी। उन्होंने कहा, राज्य में पहली तारीख को सेलरी-पेंशन दी जाती है, जबकि भारत सरकार से हमे 6 तारीख को रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट में 520 करोड़ रुपए और 10 तारीख को केंद्र से सेंट्रल शेयर टैक्स में 740 करोड़ रुपए मिलते है। इस वजह से हमें 5 दिन के लिए ऋण लेना पड़ता है। हर महीने इसका 7.50 प्रतिशत ब्याज चुकाने पर 3 करोड़ ब्याज देना पड़ता है। इससे ब्याज का अनावश्यक बोझ कम होगा। उन्होंने कहा, कर्मचारियों की सेलरी पर हर महीने 1200 करोड़ रुपए और पेंशन पर 800 करोड़ खर्च होता है। कुल मिलाकर 2000 करोड़ कर्मचारी-पेंशनर को देते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, प्रदेश में यह व्यवस्था बोर्ड-निगमों पर लागू नहीं होगी। बोर्ड-निगम अपने हिसाब से कर्मचारियों को सैलरी-पेंशन देते रहेंगे। फाइनेंशियल डिसिप्लेन की तरफ बढ़ रहे: सुक्खू मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि, साल 2027 में हिमाचल आत्मनिर्भर होगा। साल 2032 में देश का सबसे समृद्धशाली राज्य होगा। प्रदेश में 11 दिसंबर 2022 को जब कांग्रेस सरकार बनी तो उस समय प्रदेश में आर्थिक संकट था। अब कोई आर्थिक संकट नहीं है। इसे ठीक करने में अड़चनें-तकलीफ आ रही है, लेकिन हमें फैसला करना होगा। समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना होगा। अब हम फाइनेंशियल डिसिप्लेन की तरफ बढ़ रहे हैं। रेवेन्यू जब सरप्लस था- तब डीए क्यों नहीं दिया: CM मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा, साल 2018-19 और 2019-20 में रेवेन्यू सरप्लस था। बावजूद कर्मचारियों-पेंशनर को पूर्व सरकार ने डीए क्यों नहीं दिया। फिर चुनाव आए। चुनाव से छह महीने पहले आपने फ्री पानी, फ्री बिजली दिया। 10-10 करोड़ का टैक्स देने वाले होटल को फ्री बिजली-पानी दे दिया। 600 संस्थान खोल दिए। मुफ्त रेवड़ियां इन्होंने बांटी। हमारी सरकार आर्थिक सुधार कर रही है। जयराम ने उठाया सैलरी-पेंशन नहीं मिलने का मामला अंत में स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा, आर्थिक स्थिति पर शुक्रवार को सदन में फिर चर्चा होगी। इससे पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सदन में पॉइंट ऑफ ऑर्डर के तहत कर्मचारियों व पेंशनर को सेलरी-पेंशन नहीं मिलने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि, कर्मचारी संकट के दौर से गुजर रहे हैं और डरे हुए हैं। क्या आर्थिक संकट इतना ज्यादा हो गया? लोगों के आंसू निकाल दिए। इस पर चर्चा होनी चाहिए। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में पानीपत के 13 पर्यटक घायल:ट्रैवलर-ट्रक में जोरदार टक्कर, मनाली घूमने जा रहे थे; सिविल अस्पताल मंडी में चल रहा उपचार
हिमाचल में पानीपत के 13 पर्यटक घायल:ट्रैवलर-ट्रक में जोरदार टक्कर, मनाली घूमने जा रहे थे; सिविल अस्पताल मंडी में चल रहा उपचार हिमाचल प्रदेश की छोटी काशी मंडी में आज सुबह एक ट्रैवलर और ट्रक में जोरदार भिड़ंत हो गई। चंडीगढ़-मनाली हाइवे पर हुए इस हादसे में ड्राइवर समेत 13 पर्यटक घायल हो गए। घायलों को एंबुलेंस से जोनल अस्पताल मंडी में पहुंचाया गया, जहां पर सभी घायलों का उपचार चल रहा है। पुलिस ने मामला दर्ज कर आगामी कार्रवाई शुरू कर दी। पुलिस के अनुसार, पानीपत से बीती रात में 15 पर्यटक ट्रैवलर में मनाली के लिए घूमने निकले थे। आज सुबह करीब आठ बजे इनका ट्रैवलर हादसे का शिकार हो गया। इससे खासकर ट्रैवलर में अगली सीटों पर बैठे पर्यटकों को ज्यादा चोटें आई है। ASI देवदत्त ने बताया कि सभी पर्यटक पानीपत में एक निजी कंपनी में काम करते है। इनमें 10 पर्यटक मूल रूप से तमिलनाडू, एक आंध्रप्रदेश और एक गुजरात का रहने वाला है। ट्रैवलर में ड्राइवर सहित कुल 16 लोग सवार थे। इस हादसे के बाद हाइवे पर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। पानीपत में कंपनी के कर्मचारी है घायल पर्यटक पुलिस के अनुसार, ट्रैवलर में सवार ज्यादातर सैलानी पानीपत में किसी कंपनी में काम करते हैं और गर्मी से राहत पाने के लिए पहाड़ों पर सैर पर निकले थे। हादसे में ये पर्यटक हुए घायल आंध्रप्रदेश के सिंघम मंटी पवन कुमार, तमिलनाड़ू के बालाजी, राम कुमार, विवेक, राजेश खन्ना, खेमू मितू राजा, बालगुरु, मितराज, परमेश्वर, सुगम, कृत्येश, गुजरात के रोहित और हरियाणा में करनाल का ड्राइवर नरेंद्र कुमार घायल हुआ है। सभी लोग पानीपत की एलएमटी कंपनी में काम करते हैं।
जानिए-नड्डा के हैल्थ-मिनिस्टर बनने से हिमाचल को क्या फायदा:5 साल से लटका मिनी सैटेलाइट PGI सेंटर जल्द पूरा होगा; हैल्थ को मिलेगा बूस्ट
जानिए-नड्डा के हैल्थ-मिनिस्टर बनने से हिमाचल को क्या फायदा:5 साल से लटका मिनी सैटेलाइट PGI सेंटर जल्द पूरा होगा; हैल्थ को मिलेगा बूस्ट हिमाचल से संबंध रखने वाले कैबिनेट मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वास्थ्य मंत्रालय दिया है। जेपी नड्डा साल 2014 से 2019 तक भी NDA-1 सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। केंद्रीय सरकार में नड्डा दूसरी बार हेल्थ मिनिस्टर बने हैं। इससे पहले 1998 में हिमाचल की प्रेम कुमार धूमल सरकार में भी नड्डा हैल्थ मिनिस्टर रह चुके हैं। नड्डा को स्वास्थ्य मंत्रालय मिलने के बाद हिमाचल के ऊना के मलाहत में प्रस्तावित मिनी सेटेलाइट पीजीआई सेंटर के पांच साल से लटके प्रोजेक्ट के जल्द पूरा होने और चार ट्रॉमा सेंटर का शीघ्र निर्माण की आस बंध गई है। बता दें कि पांच साल नड्डा ने बतौर केंद्रीय मंत्री मलाहत में 480 करोड़ की लागत से बनने प्रस्तावित मिनी सेटेलाइट PGI सेंटर की आधारशीला रखी थी। मगर आज तक यह नहीं बन पाया। इस सेंटर में 300 बेड की सुविधा के दावे किए गए थे। पांच साल पहले इसकी आधारशीला रखते वक्त नड्डा ने कहा था कि यह 40 महीने में बनकर तैयार होगा। सेटेलाइट सेंटर में रिजनल रिसर्च सेंटर डिवेलप किया जाएगा जिसमें रिजन स्पेसेफिक डिजीज पर स्पेशल रिसर्च की जाएगी। इसमें बीमारी की रोकथाम के लिए पूरा फोकस किया जाएगा। इसके बनने के बाद मरीजों को इलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़ नहीं जाना पड़ेगा। नड्डा के दोबारा केंद्रीय मंत्री बनने से इस प्रोजेक्ट के एक साल के भीतर पूरा होने की आस बंध गई है। पुराने मंत्रियों को विभाग समझने में नहीं लगेगा वक्त प्रधानमंत्री मोदी ने ज्यादातर मंत्रियों को उनके पुराने विभाग दिए हैं। इससे मंत्रियों को उनके विभागों के कामकाज को समझने व प्रोजेक्ट को सीरे चढ़ाने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। पुराने मंत्री जानते हैं कि उनके विभाग में कौन-कौन से प्रोजेक्ट चल रहे हैं। NDA-2 सरकार में मनसुख मांडविया हैल्थ मिनिस्टर रहे हैं। NDA-3 में मोदी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को देश की हैल्थ को ठीक करने का जिम्मा सौंपा है। हैवीवेट मंत्रालय कई मायने में महत्वपूर्ण मात्र चार लोकसभा सीटों वाले हिमाचल से संबंध रखने वाले नड्डा के लिए हैवीवेट मंत्रालय कई मायनों में महत्वपूर्ण है। NDA-1 सरकार में नड्डा हिमाचल के बिलासपुर में AIIMS दिला चुके हैं, जिसका प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव से पहले उद्घाटन कर दिया है। अब नड्डा के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद चार ट्रामा सेंटर भी जल्द बनने की आस बंध गई है। नड्डा को स्वास्थ्य मंत्रालय मिलने से हिमाचल की हैल्थ को बूस्ट मिलेगा।
हिमाचल में स्नो-कवर एरिया 12.73% घटा:बर्फबारी का बदला ट्रेंड; सर्दियों के बजाय गर्मियों में स्नोफॉल, जनवरी में सतलुज बेसिन पर 67% बर्फ क्षेत्र घटा
हिमाचल में स्नो-कवर एरिया 12.73% घटा:बर्फबारी का बदला ट्रेंड; सर्दियों के बजाय गर्मियों में स्नोफॉल, जनवरी में सतलुज बेसिन पर 67% बर्फ क्षेत्र घटा हिमाचल में इस बार 2022-23 की तुलना में स्नो कवर एरिया 12.72% कम हुआ है। साल 2022-23 की तुलना में 2023-24 में चिनाब बेसिन में सबसे ज्यादा 15.39% की कमी आई है, जबकि ब्यास बेसिन पर 7.65%, रावी बेसिन पर 9.89% और सतलुज बेसिन पर 12.45% कम हुआ है। यह दावा हिमाचल पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (हिमकॉस्ट) के स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंजिज द्वारा किए गए ताजा सर्वेक्षण में हुआ है। इसी तरह हिमाचल के हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी का ट्रेंड भी बदल रहा है। विंटर सीजन जब पीक पर होता है तो उस दौरान पहाड़ों पर नाममात्र बर्फ गिरी है। इससे दिसंबर से फरवरी के बीच स्नो कवर एरिया में भारी गिरावट दर्ज की गई। हालांकि मार्च और अप्रैल में 2022-23 की तुलना में 2023-24 में ज्यादा बर्फबारी हुई है। सतलुज बेसिन पर जनवरी में स्नो कवर एरिया 67% कम हुआ हिमकॉस्ट के अनुसार, दिसंबर से फरवरी के बीच जब विंटर सीजन पीक पर होता है, उस दौरान 2023-24 में सतलुज को छोड़कर तीनों बेसिन के स्नो कवर एरिया में गिरावट दर्ज की गई। जनवरी महीने में स्नो-कवर एरिया में ज्यादा डरावनी गिरावट आई है। चिनाब बेसिन पर जनवरी 2024 में स्नो कवर एरिया में 42%, ब्यास बेसिन पर 43%, रावी बेसिन पर 64% और सतलुज बेसिन पर 67% की स्नो कवर एरिया में कमी आई। हिमकॉस्ट ने चारों रिवर बेसिन पर किया सर्वेक्षण हिमकॉस्ट के स्टेट सेंटर ऑन क्लाइमेट चेंजिज द्वारा चारों रिवर बेसिन चिनाब, रावी, सतलुज और ब्यास पर यह सर्वेक्षण किया है। यह सर्वेक्षण सेटेलाईट इमेज के जरिए किया है। स्नो कवर एरिया कम होना हिमाचल सहित पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान के लिए अच्छा संकेत नहीं है। मार्च-अप्रैल में स्नोफॉल से संजीवनी प्रदेश में एक दशक पहले तक दिसंबर से फरवरी के बीच में अच्छी बर्फबारी होती थी। मगर पिछले कुछ सालों से मार्च-अप्रैल में बर्फबारी हो रही है। दिसंबर से फरवरी के बीच होने वाली बर्फबारी लंबे समय तक टिकती है, जबकि मार्च अप्रैल की बर्फबारी जल्दी पिघल जाती है। इसलिए ग्लेशियर और पानी के स्तोत्र रिचार्ज करने के लिए पीक विंटर सीजन के दौरान बर्फबारी जरूरी होती है। रिन्यूएबल एनर्जी और ई-व्हीकल की तरफ जाने की सलाह रिपोर्ट में बताया गया कि पिछले कुछ सालों में हिमालय के तापमान में उछाल से स्नो कवर एरिया घटा है। इससे ग्लेशियर भी तेजी से पिघल रहे हैं। शिमला में ऐसा पहली बार हुआ, जब यहां बर्फ नहीं गिरी। इसलिए रिपोर्ट में ई-व्हीकल और रिन्यूएबल एनर्जी की तरफ जाने की सलाह दी गई है।