हिमाचल हाईकोर्ट (HC)ने लोक निर्माण विभाग और नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि बरसात में एक भी व्यक्ति की जान गई तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। HC ने समय रहते जंगलों, नदी व नालों का उचित रखाव करने के आदेश दिए। अब इस मामले में अगली सुनवाई एक अगस्त को होगी। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वेद्य की बैंच ने अब तक ब्यास नदी से चट्टानें नहीं हटाने पर नाराजगी जाहिर की, क्योंकि इन चट्टानों से टकराने के बाद पानी नदी के तट पर आ जाता है। इससे रिवर बेड फेल जाता है और नुकसान की बड़ी वजह बन जाता है। कोर्ट की डबल बैंच ने कहा, बीते 12 जून को आदेश पारित करने के बावजूद ब्यास से चट्टानें नहीं हटाई गई। इसी तरह जंगलों में डंप मलबे से भूमि कटाव होता है। यह बात सब जानते है। मगर NHAI ने दलील दी कि स्टेटस रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद हटाएंगे। कोर्ट ने कहा, यह दलील स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा, पत्थरों को हटाने के लिए पूरा जून महीना था। इस दौरान कुछ नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा, यदि NHAI की निष्क्रियता से कोई अप्रिय घटना होती है तो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बीते साल ब्यास ने मचाई थी तबाही बता दें कि बीते साल ब्यास नदी ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी। खासकर कुल्लू और मंडी जिला में भारी नुकसान हुआ था। ब्यास के तेज बहाव से नदी के दोनों ओर भारी नुकसान हुआ था और कई जगह मनाली को कीरतपुर से जोड़ने वाले फोरलेन का नामो निशां तक मिट गया था। कुल्लू और मंडी में नदी किनारे 40 से ज्यादा मकान क्षतिग्रस्त हुए थे। इसे देखते हुए हाईकोर्ट ने बीते 12 जून को ही राज्य सरकार और NHAI को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए थे। हिमाचल हाईकोर्ट (HC)ने लोक निर्माण विभाग और नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि बरसात में एक भी व्यक्ति की जान गई तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। HC ने समय रहते जंगलों, नदी व नालों का उचित रखाव करने के आदेश दिए। अब इस मामले में अगली सुनवाई एक अगस्त को होगी। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश सत्येन वेद्य की बैंच ने अब तक ब्यास नदी से चट्टानें नहीं हटाने पर नाराजगी जाहिर की, क्योंकि इन चट्टानों से टकराने के बाद पानी नदी के तट पर आ जाता है। इससे रिवर बेड फेल जाता है और नुकसान की बड़ी वजह बन जाता है। कोर्ट की डबल बैंच ने कहा, बीते 12 जून को आदेश पारित करने के बावजूद ब्यास से चट्टानें नहीं हटाई गई। इसी तरह जंगलों में डंप मलबे से भूमि कटाव होता है। यह बात सब जानते है। मगर NHAI ने दलील दी कि स्टेटस रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद हटाएंगे। कोर्ट ने कहा, यह दलील स्वीकार्य नहीं है। कोर्ट ने कहा, पत्थरों को हटाने के लिए पूरा जून महीना था। इस दौरान कुछ नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा, यदि NHAI की निष्क्रियता से कोई अप्रिय घटना होती है तो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। बीते साल ब्यास ने मचाई थी तबाही बता दें कि बीते साल ब्यास नदी ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी। खासकर कुल्लू और मंडी जिला में भारी नुकसान हुआ था। ब्यास के तेज बहाव से नदी के दोनों ओर भारी नुकसान हुआ था और कई जगह मनाली को कीरतपुर से जोड़ने वाले फोरलेन का नामो निशां तक मिट गया था। कुल्लू और मंडी में नदी किनारे 40 से ज्यादा मकान क्षतिग्रस्त हुए थे। इसे देखते हुए हाईकोर्ट ने बीते 12 जून को ही राज्य सरकार और NHAI को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए थे। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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