हिमाचल हाईकोर्ट में महाजन की अर्जी खारिज:राज्यसभा चुनाव को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई, की थी सिंधवी की पिटीशन खारिज की मांग

हिमाचल हाईकोर्ट में महाजन की अर्जी खारिज:राज्यसभा चुनाव को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई, की थी सिंधवी की पिटीशन खारिज की मांग

हिमाचल हाईकोर्ट में आज राज्यसभा चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने पिछली हियरिंग में राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन को जवाब देने के आदेश दिए थे। हर्ष महाजन ने तो जवाब नहीं दिया। मगर पिछले कल एक एप्लिकेशन जरूर फाइल की, जिसमें अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका को खारिज करने का आग्रह किया गया है। याचिकाकर्ता पक्ष ने अंडर ऑर्डर 7 रूल्स (11) में दी गई एप्लिकेशन का विरोध किया और जान-बूझकर केस में देरी करने की टेक्टिस बताया। इस पर कोर्ट ने भी कहा कि, आखिरी दिन में यह एप्लिकेशन क्यों दी गई, जो रिकॉर्ड पर भी नहीं आ पाई। एडवोकेट नीरज गुप्ता ने बताया, इसके बाद याचिकाकर्ता पक्ष ने इस केस में अपना जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा, ताकि इस केस में बहस शुरू की जा सके। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 23 जुलाई को निर्धारित की है। इस दिन कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर बहस शुरू होगी। सिंघवी ने दायर की थी याचिका आपको बता दें कि, अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव को हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर चुनौती दी है। इसमें उन्होंने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची से विजय घोषित करने के नियम को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि यदि दो प्रत्याशी को बराबर-बराबर वोट मिलते हैं, उस सूरत में लॉटरी निकालने का जो फॉर्मूला है, वह गलत है। हारा हुआ डिक्लेयर किया अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार, नियम की एक धारणा को उन्होंने याचिका में चुनौती दी है। जब मुकाबला टॉय होता है, उसके बाद पर्ची निकाली जाती है। जिसकी पर्ची निकलती है, उसे विनर डिक्लेयर होना चाहिए। मगर, अभी जिसकी पर्ची निकलती है, उसे हारा हुआ डिक्लेयर किया गया है। यह धारणा कानूनी रूप से गलत है। राज्यसभा चुनाव में सिंघवी व महाजन को मिले थे बराबर वोट बकौल सिंघवी पर्ची में जिसका नाम निकलता है, उसकी जीत होनी चाहिए। नियम में जिसने भी यह धारणा दी है, वो गलत है। कहा कि एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन नियम में यह धारणा है। उसे चुनौती दी गई है। यदि यह धारणा गलत है तो जो चुनाव हुए हैं, उसमे जो परिणाम घोषित हुआ है, वो भी गलत है। सिंघवी ने इलेक्शन को लीगल ग्राउंड पर चैलेंज किया है। सिंघवी और महाजन को मिले थे 34-34 वोट दरअसल, प्रदेश में बीते 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी और भाजपा के हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले थे। मुकाबला टॉय होने के बाद लॉटरी से हर्ष महाजन चुनाव जीत गए थे, क्योंकि पर्ची अभिषेक मनु सिंघवी की निकली थी। इस केस में पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद BJP सांसद एवं प्रतिवादी बनाए गए हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया था। तब कोर्ट ने 9 जुलाई की सुनवाई से पहले जवाब देने के निर्देश दिए थे। हिमाचल हाईकोर्ट में आज राज्यसभा चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने पिछली हियरिंग में राज्यसभा सांसद हर्ष महाजन को जवाब देने के आदेश दिए थे। हर्ष महाजन ने तो जवाब नहीं दिया। मगर पिछले कल एक एप्लिकेशन जरूर फाइल की, जिसमें अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका को खारिज करने का आग्रह किया गया है। याचिकाकर्ता पक्ष ने अंडर ऑर्डर 7 रूल्स (11) में दी गई एप्लिकेशन का विरोध किया और जान-बूझकर केस में देरी करने की टेक्टिस बताया। इस पर कोर्ट ने भी कहा कि, आखिरी दिन में यह एप्लिकेशन क्यों दी गई, जो रिकॉर्ड पर भी नहीं आ पाई। एडवोकेट नीरज गुप्ता ने बताया, इसके बाद याचिकाकर्ता पक्ष ने इस केस में अपना जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा, ताकि इस केस में बहस शुरू की जा सके। इस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 23 जुलाई को निर्धारित की है। इस दिन कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे अभिषेक मनु सिंघवी की याचिका पर बहस शुरू होगी। सिंघवी ने दायर की थी याचिका आपको बता दें कि, अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव को हिमाचल हाईकोर्ट में एक याचिका डालकर चुनौती दी है। इसमें उन्होंने मुकाबला बराबरी पर छूटने के बाद पर्ची से विजय घोषित करने के नियम को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि यदि दो प्रत्याशी को बराबर-बराबर वोट मिलते हैं, उस सूरत में लॉटरी निकालने का जो फॉर्मूला है, वह गलत है। हारा हुआ डिक्लेयर किया अभिषेक मनु सिंघवी के अनुसार, नियम की एक धारणा को उन्होंने याचिका में चुनौती दी है। जब मुकाबला टॉय होता है, उसके बाद पर्ची निकाली जाती है। जिसकी पर्ची निकलती है, उसे विनर डिक्लेयर होना चाहिए। मगर, अभी जिसकी पर्ची निकलती है, उसे हारा हुआ डिक्लेयर किया गया है। यह धारणा कानूनी रूप से गलत है। राज्यसभा चुनाव में सिंघवी व महाजन को मिले थे बराबर वोट बकौल सिंघवी पर्ची में जिसका नाम निकलता है, उसकी जीत होनी चाहिए। नियम में जिसने भी यह धारणा दी है, वो गलत है। कहा कि एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है, लेकिन नियम में यह धारणा है। उसे चुनौती दी गई है। यदि यह धारणा गलत है तो जो चुनाव हुए हैं, उसमे जो परिणाम घोषित हुआ है, वो भी गलत है। सिंघवी ने इलेक्शन को लीगल ग्राउंड पर चैलेंज किया है। सिंघवी और महाजन को मिले थे 34-34 वोट दरअसल, प्रदेश में बीते 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी और भाजपा के हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले थे। मुकाबला टॉय होने के बाद लॉटरी से हर्ष महाजन चुनाव जीत गए थे, क्योंकि पर्ची अभिषेक मनु सिंघवी की निकली थी। इस केस में पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता पक्ष की दलीलें सुनने के बाद BJP सांसद एवं प्रतिवादी बनाए गए हर्ष महाजन को नोटिस जारी किया था। तब कोर्ट ने 9 जुलाई की सुनवाई से पहले जवाब देने के निर्देश दिए थे।   हिमाचल | दैनिक भास्कर