हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा छह मुख्य संसदीय सचिव (CPS) की नियुक्ति रद्द करने के बाद अब सबकी नजरें कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के अगले मूव पर है। कांग्रेस सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। मगर बीजेपी ने अभी पत्ते नहीं खोले। मगर कानूनी पहलुओं पर विचार करने में जरूर जुट गई है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी जल्द राज्यपाल से मिलकर CPS बनाए गए छह विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग कर सकती हैं। राज्यपाल के माध्यम से सदस्यता रद्द करने के लिए इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को लिखा जा सकता है। अब तक CPS बनाए गए इन विधायकों को हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 की प्रोटेक्शन मिली हुई थी। मगर बीते कल हाईकोर्ट ने इस एक्ट को ही गैर कानूनी व असंवैधानिक करार दिया है। ऐसे में भाजपा, CPS को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पद बताते हुए सदस्यता रद्द करने की मांग कर सकती है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सीपीएस के पद पर नियुक्त किए गए सभी विधानसभा सदस्यों की सदस्यता भी रद्द की जानी चाहिए। बीजेपी के एडवोकेट ने दिए संकेत हाईकोर्ट में बीजेपी विधायकों की ओर से इस केस की पैरवी करने वाले एडवोकेट वीर बहादुर ने इसके संकेत दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी की लीगल टीम सभी पहलुओं पर विचार कर रही है। इस स्टेज पर इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा ज सकता। कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएंगी वहीं कांग्रेस सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के दावे कर रही है। हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने कहा कि सरकार से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के आदेश मिल गए है। जल्द हाईकोर्ट के आदेशों को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल हाईकोर्ट ने बिमलोंशू राय बनाम आसाम के केस को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया है, जबकि हिमाचल और आसाम का CPS एक्ट अलग था। राज्य सरकार ने इसे लेकर अदालत में दलीलें दी। मगर जजमेंट के वक्त उन दलीलों का ज्यादा ध्यान में नहीं रखा गया। किसी भी लाभ के पद पर नहीं बैठ सकता कोई भी विधायक दरअसल, कोई भी विधायक लाभ के पद पर नहीं बैठ सकता है। मगर हाईकोर्ट के आदेशानुसार, सीपीएस बनाए गए छह विधायक मंत्री के समान सुख-सुविधाएं ले रहे थे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों को CPS बनाया था। जिसके बाद कल्पना नाम की एक महिला के अलावा BJP के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। लगभग डेढ़ साल तक यह मामला कोर्ट में चला। अब जाकर हाईकोर्ट का फैसला आया है। यह सुक्खू सरकार के झटका माना जा रहा है। सरकार ने इन्हें लगा रखा था CPS जिन 6 विधायकों को सरकार ने CPS बनाया था, उनमें रोहड़ू के MLA एमएल ब्राक्टा, कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की के संजय अवस्थी, पालमपुर के आशीष बुटेल, दून के राम कुमार चौधरी और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल शामिल हैं। मंत्रियों की लिमिट तय, इसलिए विधायकों का एडजस्टमेंट भारतीय संविधान के अनुच्छेद-164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी राज्य में उसके विधायकों की कुल संख्या के 15% से अधिक मंत्री नहीं हो सकते हैं। हिमाचल मे 68 MLA हैं, इसलिए यहां अधिकतम 12 मंत्री ही बन सकते हैं। भाजपा का आरोप है कि जो विधायक मंत्री नहीं बन पाए, उन्हें एडजस्ट करने के लिए CPS नियुक्त कर सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ डाला गया। 2. हर महीने 2.20 लाख रुपए वेतन-भत्ते याचिका में आरोप लगाया कि CPS बनाए गए सभी 6 कांग्रेसी विधायक लाभ के पदों पर तैनात हैं। इन्हें हर महीने 2 लाख 20 हजार रुपए वेतन और भत्ते के रूप में मिलते हैं। ये विधायक राज्य के मंत्रियों के बराबर वेतन और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा छह मुख्य संसदीय सचिव (CPS) की नियुक्ति रद्द करने के बाद अब सबकी नजरें कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के अगले मूव पर है। कांग्रेस सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। मगर बीजेपी ने अभी पत्ते नहीं खोले। मगर कानूनी पहलुओं पर विचार करने में जरूर जुट गई है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी जल्द राज्यपाल से मिलकर CPS बनाए गए छह विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग कर सकती हैं। राज्यपाल के माध्यम से सदस्यता रद्द करने के लिए इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को लिखा जा सकता है। अब तक CPS बनाए गए इन विधायकों को हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) एक्ट, 2006 की प्रोटेक्शन मिली हुई थी। मगर बीते कल हाईकोर्ट ने इस एक्ट को ही गैर कानूनी व असंवैधानिक करार दिया है। ऐसे में भाजपा, CPS को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का पद बताते हुए सदस्यता रद्द करने की मांग कर सकती है। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि सीपीएस के पद पर नियुक्त किए गए सभी विधानसभा सदस्यों की सदस्यता भी रद्द की जानी चाहिए। बीजेपी के एडवोकेट ने दिए संकेत हाईकोर्ट में बीजेपी विधायकों की ओर से इस केस की पैरवी करने वाले एडवोकेट वीर बहादुर ने इसके संकेत दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी की लीगल टीम सभी पहलुओं पर विचार कर रही है। इस स्टेज पर इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा ज सकता। कांग्रेस सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएंगी वहीं कांग्रेस सरकार हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के दावे कर रही है। हिमाचल के एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने कहा कि सरकार से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के आदेश मिल गए है। जल्द हाईकोर्ट के आदेशों को शीर्ष अदालत में चुनौती दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल हाईकोर्ट ने बिमलोंशू राय बनाम आसाम के केस को आधार बनाते हुए फैसला सुनाया है, जबकि हिमाचल और आसाम का CPS एक्ट अलग था। राज्य सरकार ने इसे लेकर अदालत में दलीलें दी। मगर जजमेंट के वक्त उन दलीलों का ज्यादा ध्यान में नहीं रखा गया। किसी भी लाभ के पद पर नहीं बैठ सकता कोई भी विधायक दरअसल, कोई भी विधायक लाभ के पद पर नहीं बैठ सकता है। मगर हाईकोर्ट के आदेशानुसार, सीपीएस बनाए गए छह विधायक मंत्री के समान सुख-सुविधाएं ले रहे थे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कांग्रेस के 6 विधायकों को CPS बनाया था। जिसके बाद कल्पना नाम की एक महिला के अलावा BJP के 11 विधायकों और पीपल फॉर रिस्पॉन्सिबल गवर्नेंस संस्था ने CPS की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। लगभग डेढ़ साल तक यह मामला कोर्ट में चला। अब जाकर हाईकोर्ट का फैसला आया है। यह सुक्खू सरकार के झटका माना जा रहा है। सरकार ने इन्हें लगा रखा था CPS जिन 6 विधायकों को सरकार ने CPS बनाया था, उनमें रोहड़ू के MLA एमएल ब्राक्टा, कुल्लू के सुंदर सिंह ठाकुर, अर्की के संजय अवस्थी, पालमपुर के आशीष बुटेल, दून के राम कुमार चौधरी और बैजनाथ के विधायक किशोरी लाल शामिल हैं। मंत्रियों की लिमिट तय, इसलिए विधायकों का एडजस्टमेंट भारतीय संविधान के अनुच्छेद-164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी राज्य में उसके विधायकों की कुल संख्या के 15% से अधिक मंत्री नहीं हो सकते हैं। हिमाचल मे 68 MLA हैं, इसलिए यहां अधिकतम 12 मंत्री ही बन सकते हैं। भाजपा का आरोप है कि जो विधायक मंत्री नहीं बन पाए, उन्हें एडजस्ट करने के लिए CPS नियुक्त कर सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ डाला गया। 2. हर महीने 2.20 लाख रुपए वेतन-भत्ते याचिका में आरोप लगाया कि CPS बनाए गए सभी 6 कांग्रेसी विधायक लाभ के पदों पर तैनात हैं। इन्हें हर महीने 2 लाख 20 हजार रुपए वेतन और भत्ते के रूप में मिलते हैं। ये विधायक राज्य के मंत्रियों के बराबर वेतन और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल पर्यटन निगम चेयरमैन पर गलत भर्ती के आरोप:बाली आज देंगे जवाब; घाटे के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए पद से हटाने की मांग
हिमाचल पर्यटन निगम चेयरमैन पर गलत भर्ती के आरोप:बाली आज देंगे जवाब; घाटे के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए पद से हटाने की मांग हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (HPTDC) के कर्मचारी-पेंशनर ने निगम के चेयरमैन आरएस बाली पर गंभीर आरोप जड़े थे। निगम कर्मियों ने बीते शनिवार को शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बाली को ही बदलने की मांग की थी और उन्हें निगम की कंगाली के लिए जिम्मेदार बताया था। आरएस बाली आज शिमला में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इन आरोपों का जवाब देंगे और हाईकोर्ट द्वारा निगम के घाटे में चल रहे होटलों को खुला रखने के आदेशों पर प्रतिक्रिया देंगे। बता दें कि भारतीय मजदूर संघ के प्रभारी एवं पर्यटन निगम से रिटायर दावेराम चौहान ने कहा, निगम कर्मचारी-पेंशनर ने कई बार चेयरमैन से मिलने की कोशिश की। मगर उन्होंने मिलने का टाइम ही नहीं दिया। उन्होंने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा, जिन होटलों को घाटे में दिखाया जा रहा है, वो घाटे में नहीं है। इन्हें लेकर गलत आंकड़े पेश किए गए है। इसके पीछे कर्मचारियों ने साजिश का अंदेशा जताया है, ताकि इन होटलों को प्राइवेट हाथों में दिया जा सके। बाली पर कांगड़ा के 70 लोग होटल में भर्ती करने का लगाया आरोप दावेदार राम चौहान ने आरोप लगाया कि निगम कर्मियों ने आरएस बाली से जब दक्ष स्टाफ मांगा। तो उन्होंने अपने ही चुनाव क्षेत्र के 70 लोग होटल में भर्ती कर दिए। इनमें बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें चाय तक सर्व करनी नहीं आती। उन्होंने HPTDC के मौजूदा आर्थिक हालात के लिए चेयरमैन को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्हें पद से हटाने की मांग की और मुख्यमंत्री से पर्यटन निगम अपने पास लेने का आग्रह किया और कहा कि पूर्व पर्यटन निगम हमेशा मुख्यमंत्री के पास रहा है। मगर सीएम सुक्खू ने नगरोटा बगवां से विधायक आरएस बाली को कैबिनेट रैंक के साथ पर्यटन निगम का चेयरमैन लगा रखा है। हाईकोर्ट की डबल बैंच ने पलटा एकल पीठ का फैसला वहीं बीते कल हाईकोर्ट ने एचपीटीडीसी के सभी होटल खुला रखने की इजाजत दे दी है। इससे सरकार और निगम ने राहत की सांस ली है। निगम प्रबंधन ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि एचपीटीडीसी के मृत कर्मचारियों के आश्रितों को उनके लाभ 10 दिन के भीतर दे दिए जाएंगे। इसी तरह पेंशनर की सभी देनदारी भी 6 महीने में क्लियर कर दी जाएगी। हाईकोर्ट की डबल बैंच ने बीते सोमवार को एकल पीठ के आदेशों को पलट कर सरकार को बड़ी राहत दी है। कोर्ट के इन आदेशों के बाद कर्मचारियों ने अपने ही चेयरमैन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
हरियाणा-पंजाब,हिमाचल के मंत्रियों के विभागों का एनालिसिस:खट्टर से शहरी वोट साधे, बिट्टू से 70% किसानों पर पकड़; नड्डा से BJP की गुटबाजी खत्म
हरियाणा-पंजाब,हिमाचल के मंत्रियों के विभागों का एनालिसिस:खट्टर से शहरी वोट साधे, बिट्टू से 70% किसानों पर पकड़; नड्डा से BJP की गुटबाजी खत्म प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार में मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो गया है। हरियाणा से 3 मंत्रियों मनोहर लाल खट्टर, राव इंद्रजीत सिंह और कृष्णपाल गुर्जर को कुल 6 विभाग मिले हैं। मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में बड़ा गैर जाट चेहरा हैं। आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के जरिए भाजपा ने जहां अपने कोर शहरी वोट बैंक को साधा है। वहीं हरियाणा में शहरी क्षेत्र की जीटी रोड बेल्ट को साधने की कोशिश की है। वहीं पंजाब से रवनीत सिंह बिट्टू को रेलवे और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज का राज्यमंत्री लगाया गया है। BJP इससे पंजाब की 70 प्रतिशत किसानों की आबादी और 60 प्रतिशत सिख आबादी पर फोकस कर रही है। रेलवे के प्रोजेक्ट्स के जरिए शहरों को भी पार्टी की कवर करने की कोशिश है। हिमाचल से जेपी नड्डा को स्वास्थ्य एवं परिवार भलाई विभाग और रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय सौंपा गया है। ऊना जिला के मलाहत में प्रस्तावित मिनी सेटेलाइट PGI सेंटर पिछले 5 साल से लटका हुआ है। उम्मीद है कि नड्डा इस प्रोजेक्ट को रफ्तार दिलाएंगे। अब जानिए विभागों के बंटवारे के पीछे क्या मायने… मनोहर के जरिए शहरी वोट पर नजर
हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल के साथ लगता राज्य है। हरियाणा में पावर की दृष्टि से काफी संभावनाएं हैं। इसका फायदा दिल्ली को भी होगा। हरियाणा के यमुनानगर में दीनबंधु छोटू राम थर्मल पावर प्लांट में अब 800 मेगावॉट की एक ओर इकाई स्थापित की जा रही है। 300 मेगावॉट की 2 इकाइयां पहले से स्थापित हैं। इसके अलावा, 600 मेगावॉट की 2 इकाइयां हिसार और 250 की 2 व 210 मेगावॉट की एक इकाई पानीपत में है। वहीं फतेहाबाद के गोरखपुर में भी परमाणु संयंत्र स्थापित है। इस कारण हरियाणा पावर की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसी तरह खट्टर को शहरी विकास मंत्रालय भी दिया गया है। शहरी आबादी के बड़े प्रोजेक्ट खट्टर ही देखेंगे। भाजपा का बड़ा वोट बैंक भी शहरी है। लोकसभा चुनाव में शहरी वोटरों ने भाजपा को बढ़चढ़ कर मतदान किया। इसलिए ईमानदार छवि के मनोहर लाल खट्टर को यह मंत्रालय दिया गया है। राव इंद्रजीत को संस्कृति मंत्रालय देकर दक्षिण के साथ दूसरे इलाके भी साधे
राव इंद्रजीत अहीरवाल में बड़ा चेहरा है। राव इंद्रजीत का कद वैसे भी हरियाणा में बड़ा है। कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की राव इंद्रजीत पर सबकी मेहरबानी रही है। राव अपनी राजनीति से दक्षिण हरियाणा को प्रभावित करते हैं। राव को संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय देकर पूरे हरियाणा को साधा गया है। कुरुक्षेत्र हरियाणा की सांस्कृतिक राजधानी है। इसके अलावा, हिसार के राखीगढ़ी, फतेहाबाद के कुनाल में प्राचीन साइटें हैं। एक तरह से हरियाणा प्राचीन सभ्यता का केंद्र रहा है। कृष्णपाल को किसानों से जुड़ा महकमा
कृष्ण पाल गुर्जर भी दक्षिण हरियाणा से आते हैं। मगर उनका असर हरियाणा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और राजस्थान तक है। कृष्णपाल को सहकारिता राज्यमंत्री बनाया गया है। यह किसानों से जुड़ा महकमा है। इसलिए हरियाणा, पंजाब, यूपी और राजस्थान इससे प्रभावित हैं। वहीं गुर्जर आबादी भी अधिकतर पशुपालन का काम करती है। कृष्णपाल सहकारिता मंत्री अमित शाह के साथ यह मंत्रालय देखेंगे। रवनीत बिट्टू के जरिए 2027 के विधानसभा चुनाव पर नजर
पंजाब से राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू को रेलवे और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज का राज्यमंत्री लगाया गया है। रेलवे में वे कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव और फूड प्रोसेसिंग में कैबिनेट मंत्री चिराग पासवान के साथ काम करेंगे। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बठिंडा से अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल के पास भी यही महकमा था। भाजपा बिट्टू के जरिए प्रदेश की 60 प्रतिशत सिख आबादी पर फोकस कर रही है। इसके अलावा, बिट्टू खालिस्तान के खिलाफ खुलकर बोलते हैं। ऐसे में पंजाब में अमन पसंद सिखों और हिंदुओं को भाजपा से जोड़ने की कोशिश की गई है। फूड प्रोसेसिंग डिपार्टमेंट सीधे किसानों से जुड़ा हुआ है। पंजाब गेहूं और चावल के उत्पादन में दूसरे स्थान पर आता है। जबकि प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता में नंबर वन पर है। इसी तरह किन्नू उत्पादन में दूसरे और शहद उत्पादन में तीसरे नंबर पर आता है। इस डिपार्टमेंट से पंजाब की 70 फीसदी आबादी को सीधा जोड़ा जा सकेगा। जिसका पार्टी को फायदा मिलेगा। इसी तरह रेलवे की बात करें तो उत्तरी भारत में रेलवे की बहुत बड़ी इंडस्ट्री है। पंजाब के कपूरथला में तो रेल कोच फैक्ट्री (RCF) भी है। इसमें काफी सामान रेलवे का तैयार होता है। जिससे लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। अमृतसर से दिल्ली के बीच हाई स्पीड रेल परियोजना प्रस्तावित है। यह करीब 465 किलोमीटर लंबी है। इसमें पंजाब ही नहीं बल्कि हरियाणा भी जुड़ना है। अभी तक यह प्राथमिक चरण में है। अगर यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाता है तो अमृतसर दिल्ली का सफर मात्र कुछ घंटों का रह जाएगा। इसी तरह, चंडीगढ़ राजपुरा रेलवे मार्ग है, जोकि 2016 में मंजूर हुआ था, लेकिन अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इसके लिए टोकन मनी हजार रुपए मंजूर हुई थी। अगर यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाता है तो ट्राइसिटी समेत हरियाणा और अन्य राज्यों के लोगों को रोजगार के अवसर पैदा होंगे। पूर्व कांग्रेसी नेता पवन बंसल के बाद यह विभाग पंजाब या चंडीगढ़ में आया है। बिट्टू को मंत्री बनाने के पीछे भाजपा 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर फोकस कर रही है। नड्डा के स्वास्थ्य मंत्री बनने से सैटेलाइट PGI सेंटर पूरा होगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट मंत्री जगत प्रकाश नड्डा को हैवीवेट स्वास्थ्य मंत्रालय दिया है। जेपी नड्डा NDA-1 सरकार में भी स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं। इससे पहले 1998 में हिमाचल सरकार में भी वह स्वास्थ्य महकमा संभाल चुके हैं। पीएम मोदी ने ज्यादातर मंत्रियों को उनके पुराने विभाग दिए हैं। इससे मंत्रियों को उनके विभागों के कामकाज को समझने व सिरे चढ़ाने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। पुराने मंत्री जानते हैं कि उनके विभाग में कौन-कौन से प्रोजेक्ट चल रहे हैं। NDA-2 सरकार में मनसुख मांडविया हेल्थ मिनिस्टर रहे हैं। मात्र 4 लोकसभा सीटों वाले हिमाचल से संबंध रखने वाले नड्डा के लिए हैवीवेट मंत्रालय कई मायनों में महत्वपूर्ण है। नड्डा की ताजपोशी के बाद हिमाचल के ऊना में लटके मिनी सैटेलाइट PGI और 4 ट्रामा सेंटर प्रोजेक्ट के जल्द सिरे चढ़ने की आस है। नड्डा ने बतौर केंद्रीय मंत्री मलाहत में 480 करोड़ की लागत से बनने प्रस्तावित मिनी सेटेलाइट PGI सेंटर की आधारशीला रखी थी। मगर आज तक यह नहीं बन पाया। इस सेंटर में 300 बेड की सुविधा के दावे किए गए थे। 5 साल पहले इसकी आधारशीला रखते वक्त नड्डा ने कहा था कि यह 40 महीने में बनकर तैयार होगा। NDA-1 सरकार में नड्डा हिमाचल को बिलासपुर में AIIMS दिला चुके हैं। इसके अलावा भाजपा ने नड्डा को बड़ा मंत्रालय देकर सभी 4 लोकसभा सीटें जिताने वाले हिमाचल प्रदेश को अहमियत का अहसास कराया है। नड्डा के जरिए अनुराग ठाकुर की वजह से पैदा हो रही कथित गुटबाजी को भी खत्म करने की कोशिश की गई है।
मंडी में बस व बाइक की टक्कर:वार्ड पंच की मौत; जाहू से घर लौट रहा था वापस
मंडी में बस व बाइक की टक्कर:वार्ड पंच की मौत; जाहू से घर लौट रहा था वापस मंडी जिले के बल्दवाड़ा में एचआरटीसी की बस ने बाइक सवार को टक्कर मार दी। हादसे में बाइक सवार व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई है। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। हादसा जाहू-कलखर सुपर हाईवे पर तमलेड के पास मोड़ पर हुआ है। मृतक की पहचान गुम्हू पंचायत के मझवान निवासी वार्ड पंच पवन कुमार (42) के नाम से हुई है। जो निजी काम से जाहू गया था और वहां से बाइक पर सवार हो कर घर वापस लौट रहा था। सरकाघाट जा रही थी बस इसी दौरान जब वह जाहू-कलखर सुपर हाईवे पर तमलेड के पास मोड़ पर पहुंचा, तो सरकाघाट जा रही एचआरटीसी की बस ने उसे टक्कर मार दी। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। वार्ड सदस्य पवन कुमार अपने पीछे तीन बेटे, पत्नी और माता-पिता छोड़ गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर हादसे की जांच शुरू कर दी है।