हिरासत में यातना और फर्जी मेडिकल रिपोर्ट! अब पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

हिरासत में यातना और फर्जी मेडिकल रिपोर्ट! अब पटियाला हाउस कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने न केवल पुलिस तंत्र की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि मेडिकल सिस्टम की साख को भी झकझोर कर रख दिया है. कोर्ट ने हिरासत में लिए गए एक आरोपी के साथ हुई कथित बर्बरता और उस पर पर्दा डालने वाली फर्जी मेडिकल रिपोर्ट के मामले में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर सुमित कुमार और इंदिरा गांधी अस्पताल के डॉक्टर अमन गहलोत पर एफआईआर दर्ज करने के सख्त आदेश दिए हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रणव जोशी ने एसएचओ इंदिरा गांधी एयरपोर्ट को निर्देश दिया कि वे 24 घंटे के भीतर दोनों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की गंभीर धाराओं 117, 119, 126, 62 और डॉक्टर पर 256 BNS के तहत मामला दर्ज करें और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कोर्ट में आरोपी ने बताया सच&nbsp;</strong><br />जब आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया और पुलिस ने 10 दिन की रिमांड की मांग की, तभी आरोपी ने मामले की सुनवाई करने वाले जज को बताया कि उसे पुलिस हिरासत में पीटा गया. कोर्ट ने उसे चेंबर में अलग से बुलाया और देखा कि उसकी दोनों बाहों, पैरों और कंधे पर चोटों के गहरे निशान थे. ये वो सबूत थे जिन्हें अस्पताल की रिपोर्ट ने पूरी तरह नकार दिया था. आरोपी को 5 अप्रैल को गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेश किया गया था, जहां पुलिस ने 10 दिनों की कस्टडी रिमांड की मांग की थी. कोर्ट ने आरोपी को पुलिस रिमांड में भेजने से भी इनकार कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हकीकत को छुपाने की साजिश?</strong><br />इंदिरा गांधी अस्पताल द्वारा जारी एमएलसी में बताया गया कि आरोपी को कोई चोट नहीं लगी है, लेकिन जब जेल में आरोपी की दोबारा मेडिकल जांच हुई, तो उसकी रिपोर्ट में गंभीर चोटों की पुष्टि हुई. कोर्ट ने इसे पुलिस और डॉक्टर के बीच आपराधिक साजिश बताते हुए कहा कि डॉक्टर ने जानबूझकर सच्चाई दबाई और फर्जी रिपोर्ट तैयार की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हिरासत में हिंसा लोकतंत्र पर हमला है- कोर्ट&nbsp;</strong><br />कोर्ट ने कहा हिरासत में हिंसा भारत के संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है. यह किसी भी लोकतंत्र की नींव को कमजोर करती है, जहां व्यक्ति की स्वतंत्रता सर्वोपरि है. कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन मानते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं पर सख्त कानूनी कार्रवाई जरूरी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आरोपी पर आरोप क्या हैं?</strong><br />आरोपी नेपाल के काठमांडू अपने मतदाता पहचान पत्र का उपयोग कर यात्रा करने की योजना बना रहा था. लेकिन दस्तावेजों की जांच के दौरान पता चला कि उसने पहले भारत के पासपोर्ट पर यूनाइटेड किंगडम की यात्रा की थी और बाद में एक अन्य भारतीय नागरिक की पहचान का गलत उपयोग करके पुर्तगाली पासपोर्ट हासिल किया लेकिन इन आरोपों के बावजूद कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत किसी को नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली मेडिकल काउंसिल को भी निर्देश</strong><br />कोर्ट ने डॉक्टर के खिलाफ मेडिकल एथिक्स के उल्लंघन को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली मेडिकल काउंसिल को भी इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने न केवल पुलिस तंत्र की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि मेडिकल सिस्टम की साख को भी झकझोर कर रख दिया है. कोर्ट ने हिरासत में लिए गए एक आरोपी के साथ हुई कथित बर्बरता और उस पर पर्दा डालने वाली फर्जी मेडिकल रिपोर्ट के मामले में दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर सुमित कुमार और इंदिरा गांधी अस्पताल के डॉक्टर अमन गहलोत पर एफआईआर दर्ज करने के सख्त आदेश दिए हैं.&nbsp;</p>
<p style=”text-align: justify;”>एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट प्रणव जोशी ने एसएचओ इंदिरा गांधी एयरपोर्ट को निर्देश दिया कि वे 24 घंटे के भीतर दोनों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की गंभीर धाराओं 117, 119, 126, 62 और डॉक्टर पर 256 BNS के तहत मामला दर्ज करें और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करें.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कोर्ट में आरोपी ने बताया सच&nbsp;</strong><br />जब आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया और पुलिस ने 10 दिन की रिमांड की मांग की, तभी आरोपी ने मामले की सुनवाई करने वाले जज को बताया कि उसे पुलिस हिरासत में पीटा गया. कोर्ट ने उसे चेंबर में अलग से बुलाया और देखा कि उसकी दोनों बाहों, पैरों और कंधे पर चोटों के गहरे निशान थे. ये वो सबूत थे जिन्हें अस्पताल की रिपोर्ट ने पूरी तरह नकार दिया था. आरोपी को 5 अप्रैल को गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेश किया गया था, जहां पुलिस ने 10 दिनों की कस्टडी रिमांड की मांग की थी. कोर्ट ने आरोपी को पुलिस रिमांड में भेजने से भी इनकार कर दिया.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हकीकत को छुपाने की साजिश?</strong><br />इंदिरा गांधी अस्पताल द्वारा जारी एमएलसी में बताया गया कि आरोपी को कोई चोट नहीं लगी है, लेकिन जब जेल में आरोपी की दोबारा मेडिकल जांच हुई, तो उसकी रिपोर्ट में गंभीर चोटों की पुष्टि हुई. कोर्ट ने इसे पुलिस और डॉक्टर के बीच आपराधिक साजिश बताते हुए कहा कि डॉक्टर ने जानबूझकर सच्चाई दबाई और फर्जी रिपोर्ट तैयार की.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हिरासत में हिंसा लोकतंत्र पर हमला है- कोर्ट&nbsp;</strong><br />कोर्ट ने कहा हिरासत में हिंसा भारत के संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है. यह किसी भी लोकतंत्र की नींव को कमजोर करती है, जहां व्यक्ति की स्वतंत्रता सर्वोपरि है. कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन मानते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं पर सख्त कानूनी कार्रवाई जरूरी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>आरोपी पर आरोप क्या हैं?</strong><br />आरोपी नेपाल के काठमांडू अपने मतदाता पहचान पत्र का उपयोग कर यात्रा करने की योजना बना रहा था. लेकिन दस्तावेजों की जांच के दौरान पता चला कि उसने पहले भारत के पासपोर्ट पर यूनाइटेड किंगडम की यात्रा की थी और बाद में एक अन्य भारतीय नागरिक की पहचान का गलत उपयोग करके पुर्तगाली पासपोर्ट हासिल किया लेकिन इन आरोपों के बावजूद कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कानून अपने हाथ में लेने की इजाजत किसी को नहीं है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दिल्ली मेडिकल काउंसिल को भी निर्देश</strong><br />कोर्ट ने डॉक्टर के खिलाफ मेडिकल एथिक्स के उल्लंघन को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली मेडिकल काउंसिल को भी इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं.</p>  दिल्ली NCR प्रशांत किशोर के ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण लेने आया युवक गंगा में डूबा, दोस्तों ने क्या कहा?