होशियारपुर में चौहाल के पास जीना बाली के पास घने जंगल से एक लड़का और लड़की के शव बरामद हुए हैं। घटना की सूचना के बाद थाना सदर के पुलिस अधिकारी और एसपी सरबजीत सिंह बाहिया, डीएसपी सिटी दीप अमन सिंह पुलिस पार्टी के साथ मौके पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू की। मृतकों की पहचान संदीप तिवारी पुत्र हरीश चंद्र तिवारी निवासी जालंधर और पूजा के रूप में हुई है। दोनों मृतक जालंधर के रहने वाले हैं, जिस जगह दोनों के शव बरामद हुए वहां घना जंगल है। वे दोनों यहां कैसे पहुंचे, पुलिस इसकी जांच कर रही है। जांच में जुटी पुलिस एसपी सर्बजीत सिंह ने बताया कि पुलिस की तरफ से मामले की जांच की है। दोनों ने ये कदम क्यों उठाया, इसकी जांच की जा रही है। जांच के बाद ही घटना के बारे में जानकारी सांझा की जा सकती है। फिलहाल शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया गया है। दोनों के परिवारों से बातचीत और बयानों के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। होशियारपुर में चौहाल के पास जीना बाली के पास घने जंगल से एक लड़का और लड़की के शव बरामद हुए हैं। घटना की सूचना के बाद थाना सदर के पुलिस अधिकारी और एसपी सरबजीत सिंह बाहिया, डीएसपी सिटी दीप अमन सिंह पुलिस पार्टी के साथ मौके पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू की। मृतकों की पहचान संदीप तिवारी पुत्र हरीश चंद्र तिवारी निवासी जालंधर और पूजा के रूप में हुई है। दोनों मृतक जालंधर के रहने वाले हैं, जिस जगह दोनों के शव बरामद हुए वहां घना जंगल है। वे दोनों यहां कैसे पहुंचे, पुलिस इसकी जांच कर रही है। जांच में जुटी पुलिस एसपी सर्बजीत सिंह ने बताया कि पुलिस की तरफ से मामले की जांच की है। दोनों ने ये कदम क्यों उठाया, इसकी जांच की जा रही है। जांच के बाद ही घटना के बारे में जानकारी सांझा की जा सकती है। फिलहाल शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया गया है। दोनों के परिवारों से बातचीत और बयानों के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। पंजाब | दैनिक भास्कर
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चंडीगढ़ के सांसद बोले-माफी मांगे अमित शाह:विवादित बयान की वीडियो दिखाई, मनीष तिवारी बोले- संविधान को ठेस पहुंचाई चंडीगढ़ में पिछले एक सप्ताह से डॉ. बीआर अंबेडकर के मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन जारी है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष लकी ने इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के विवादित बयान पर नाराजगी जताई और उनकी वीडियो पेश किया, जिसमें अमित शाह ने डॉ. बीआर अंबेडकर के बारे में टिप्पणी की थी। इस पर चंडीगढ़ के कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि जब भारत को आजादी मिलने वाली थी, तब हमारे नेताओं ने यह फैसला नहीं लिया कि पुरानी इमारतें गिराकर नई बनाई जाएंगी। उन्होंने कहा कि उस समय के नेताओं ने यह निर्णय लिया कि देश के लोगों को मौलिक अधिकार दिए जाएं, जो उस समय के हिसाब से बहुत रचनात्मक थे। इनमें छुआछूत का खात्मा, बंधुआ मजदूरी की समाप्ति, जाति और धर्म से ऊपर उठकर मतदान का अधिकार, और महिलाओं को बराबरी का मतदान अधिकार जैसे निर्णय शामिल थे। यह सब कुछ डॉ. बीआर अंबेडकर के द्वारा रचित संविधान में समाहित था, जिसे पूरी दुनिया ने सराहा है। मनीष तिवारी ने कहा कि अगर कोई भी व्यक्ति डॉ. बीआर अंबेडकर के नाम को गलत तरीके से संबोधित करता है, तो वह सीधे संविधान को ठेस पहुंचाता है। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से अपील की कि जो शब्द उन्होंने कहे, उन्हें तुरंत वापस लिया जाए और माफी मांगी जाए।
केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी को सीएम मान का खत:5 पाइंट्स में रखी बात; कहा- झगड़ों में ठेकेदारों की गलती, भूमी अधिग्रहण का कार्य जारी
केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी को सीएम मान का खत:5 पाइंट्स में रखी बात; कहा- झगड़ों में ठेकेदारों की गलती, भूमी अधिग्रहण का कार्य जारी पंजाब में चल रहे नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट्स को लेकर केंद्र व राज्य के बीच चल रहा विवाद बढ़ता जा रहा है। आज मंगवार सीएम भगवंत मान ने भी एक खत केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी की नाराजगी के जवाब में लिख दिया। जिसमें उन्होंने ने केंद्र को सहयोग का विश्वास दिलाते हुए स्पष्ट किया कि दो दर्ज FIR में ठेकेदारों की गलतियां सामने आई हैं। सीएम भगवंत मान ने दो पन्नों के इस खत को 5 पॉइंट्स में अपनी बात रखी। जिसमें उन्होंने केंद्रीय मंत्री गड़करी की तरफ से लगाए गए आरोपों का जवाब भी दिया और प्रोजेक्ट्स में हो रही देरी के बारे में भी बता दिया। गौरतलब है कि तीन दिन पहले ही नितिन गड़करी ने मुख्यमंत्री को खत लिख कर NHAI के प्रोजेक्ट्स को लेकर नाराजगी जताई थी। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड़करी की ओर से लिखे गए इस पत्र में NHAI अफसरों और ठेकेदारों की सुरक्षा के लिए AAP सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर सवाल उठाए गए थे। गड़करी ने यह भी लिखा कि अगर पंजाब में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति नहीं सुधरती और अफसरों-ठेकेदारों के साथ मारपीट की घटनाएं होती रहीं तो केंद्र सरकार पंजाब में NHAI से जुड़े प्रोजेक्ट्स बंद करने को मजबूर हो जाएगा। पंजाब में इस समय NHAI के 293KM लंबे प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं जिनकी लागत 14,288 करोड़ रुपए है। पढ़ें, सीएम मान ने केंद्रीय मंत्री को लिखे खत में क्या कहा- 1. सबसे पहले, मैं यह कहना चाहूंगा कि हम देश और राज्य दोनों के लिए एनएचएआई परियोजनाओं के महत्व को पूरी तरह से समझते हैं और हम इन परियोजनाओं के त्वरित निष्पादन के लिए प्रतिबद्ध हैं। राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण और अन्य संबंधित मामलों में एनएचएआई को सक्रिय रूप से समर्थन दे रही है। यही कारण है कि कुछ अपवादों को छोड़कर अधिकांश एन.एच.ए.आई राज्य में परियोजनाएं पटरी पर हैं। 2. आपके द्वारा संदर्भित दोनों मामलों में, स्थानीय पुलिस ने तुरंत कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की। इसके अलावा इन दोनों मामलों में गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। हालांकि, जांच में यह पाया गया कि एक घटना एनएचएआई ठेकेदार द्वारा भूमि की अत्यधिक खुदाई का परिणाम थी। दूसरी घटना ठेकेदार द्वारा अपने उप-ठेकेदार को वित्तीय बकाया का भुगतान न करने का परिणाम थी। इस प्रकार, दोनों मामले ठेकेदार के कारण जिम्मेदार कारणों से उत्पन्न हुए। विशेष DGP (कानून एवं व्यवस्था) की विस्तृत रिपोर्ट इसके साथ संलग्न है। इन सबके बावजूद, पंजाब पुलिस बेहतरीन बलों में से एक होने के नाते एनएचएआई की सुरक्षा चिंताओं का ध्यान रखने के लिए प्रतिबद्ध है। स्थानीय पुलिस को कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए क्षेत्र में गश्ती दल तैनात करने का निर्देश दिया गया है। 3. जहां तक भूमि अधिग्रहण से संबंधित मुद्दों का सवाल है, तो आपको ऐसा करना ही होगा। इस बात की सराहना करें कि राज्य के किसान अपनी भूमि से गहराई से जुड़े हुए हैं, क्योंकि यह उनकी बेशकीमती संपत्ति है और उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है। इसके अलावा, पंजाब में जमीन की कीमतें ऊंचे स्तर पर हैं। यदि हमारे किसानों को लगता है कि मुआवजा पर्याप्त नहीं है तो वे अपनी जमीनें छोड़ने को तैयार नहीं हैं। ऐसे कई मामले हैं जिनमें किसान मध्यस्थों द्वारा दिए गए पैसों से संतुष्ट थे और निर्धारित दरों पर अपनी जमीन का कब्जा एनएचएआई को सौंपने को तैयार थे। हालाँकि, एनएचएआई मध्यस्थ के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया या फैसले को स्वीकार करने में अत्यधिक लंबा समय लिया। इससे अधिग्रहण प्रक्रिया में देरी हुई। इसी तरह, ऐसे कई मामले हैं जिनमें जमीन का कब्जा एनएचएआई को दे दिया गया, लेकिन एनएचएआई के ठेकेदारों ने अपनी मशीनरी जुटाने और काम शुरू करने में काफी समय लगा दिया। बीच में किसान फिर से जमीन पर खेती करने लगे। एक बार जब राज्य के अधिकारियों ने भूमि का कब्ज़ा एनएचएआई को दे दिया है, तो कब्ज़ा बनाए रखना एनएचएआई या उसके ठेकेदारों का कर्तव्य है। 4. मेरे निर्देश पर, मुख्य सचिव पहले से ही एनएचएआई के सामने आने वाली बाधाओं को हल करने के लिए उपायुक्तों और आरओ एनएचएआई के साथ नियमित समीक्षा बैठकें कर रहे हैं। इसके अलावा, मैं व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे पर किसानों के साथ जुड़ने की योजना बना रहा हूं। 5. अंत में, मैं फिर से यह उल्लेख करना चाहूंगा कि हमारी सरकार एनएचएआई को उसके प्रयासों में समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है और हम देश और राज्य की प्रगति के लिए मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं। मुख्यमंत्री मान की तरफ से भेजा गया लैटर- बीते दिन ही गवर्नर ने NHAI अधिकारियों से की थी बात ये मामला तब बढ़ा जब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारियों के साथ पंजाब के नए राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने मुलाकात की। उन्होंने फिलहाल पंजाब सरकार को तो इन मामलों में कुछ नहीं कहा, लेकिन स्पष्ट किया कि हर तीन महीने में वे इस तरह की बैठकें करेंगे। जिसमें वे पंजाब में चल रहे केंद्र के प्रोजेक्ट्स की विस्तृत जानकारियां हासिल करेंगे। जानें क्या कहा था केंद्रीय मंत्री ने नितिन गडकरी ने गडकरी ने मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र में लिख कर राज्य में चल रहे प्रोजेक्ट्स पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था- मुझे दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट पर हाल में हुई दो अलग-अलग घटनाओं के बारे में पता चला। इस प्रोजेक्ट का जो हिस्सा जालंधर जिले में आता है, वहां काम कर रहे एक ठेकेदार के इंजीनियर को बेरहमी से पीटा गया। मैं इससे जुड़ी तस्वीर भी भेज रहा हूं। इस घटना के संबंध में FIR दर्ज की गई लेकिन अपराधियों पर सख्त एक्शन नहीं लिया गया। गडकरी ने अपने पत्र में जिस दूसरी घटना का जिक्र किया है, वह लुधियाना जिले में हुई थी। यहां दिल्ली-कटरा एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट के ठेकेदार के कैंप पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। हमलावरों ने कैंप में मौजूद इंजीनियरों-कर्मचारियों को जिंदा जलाने की धमकी दी। इस मामले में NHAI के अधिकारियों ने लिखित शिकायत दी मगर पुलिस ने न तो FIR दर्ज नहीं की और न हमला करने वाले बदमाशों को पकड़ा। जिसके बाद केंद्रीय मंत्री ने इन मामलों में तुरंत कार्रवाई का अनुरोध किया था। प्रोजेक्ट बंद करने का अल्टीमेटम गडकरी ने अपने लेटर में लिखा- मेरी जानकारी में आया है कि पंजाब में स्थिति और खराब हो रही है। सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई इसलिए कई ठेकेदार काम करने से इनकार कर रहे हैं। इसी तरह की घटनाओं के चलते केंद्र को पंजाब में पहले भी 104 किलोमीटर के प्रोजेक्ट बंद करने पड़े थे। उन प्रोजेक्ट की कुल लागत 3263 करोड़ थी। अगर अभी भी पंजाब सरकार की ओर से NHAI के काम में अड़चने खड़ी कर रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो राज्य में 293KM लंबे प्रोजेक्ट्स बन करने पड़ेंगे। दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट 14288 करोड़ का है। अगर इसे बंद करना पड़ा तो यह कॉरिडोर किसी काम का नहीं रहेगा।
किसान नेता डल्लेवाल 35 दिन से अनशन पर,अस्पताल नहीं गए:सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अफसर मनाने गए थे, विरोध के कारण लौटे
किसान नेता डल्लेवाल 35 दिन से अनशन पर,अस्पताल नहीं गए:सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अफसर मनाने गए थे, विरोध के कारण लौटे खनौरी बॉर्डर पर 35 दिन से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत डल्लेवाल को पुलिस अस्पताल में भर्ती नहीं करा सकी। पूर्व ADGP जसकरन सिंह की अगुआई में पटियाला के DIG और SSP के साथ पहुंचे पुलिस फोर्स ने किसान नेताओं और डल्लेवाल से बातचीत की। किसान नेताओं ने कहा- यह आंदोलन खत्म करने की साजिश है, हम यहां से नहीं हटेंगे। डल्लेवाल ने भी अस्पताल जाने से इनकार कर दिया। किसान नेताओं के विरोध के कारण फोर्स को वापस लौटना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिया था कि 31 दिसंबर से पहले डल्लेवाल को अस्थायी अस्पताल में शिफ्ट करें। ऐसा नहीं हुआ तो चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी पर कोर्ट की अवमानना का केस चल सकता है। कल ही यानी 31 दिसंबर को इस केस की फिर सुनवाई है। डल्लेवाल ने रविवार रात अरोप लगाया था कि पंजाब सरकार मोर्चे पर हमला कराने की तैयारी में है। यह मोर्चे को कुचलने की कोशिश है। डल्लेवाल फसलों की न्यूनतम खरीद मूल्य (MSP) की गारंटी के कानून की मांग कर रहे हैं। कल के 2.36 मिनट के वीडियो में डल्लेवाल की 3 अहम बातें… 1. अंग्रेज सरकार भी सत्याग्रह को मानती थी
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के मुताबिक पंजाब सरकार भी मोर्चे पर हमला करने की तैयारी में है। दुख की बात है कि जब हमने अनशन शुरू किया है तो हमारा यह मानना था कि गांधीवादी तरीके से पीसफुली तरीके से सत्याग्रह करेंगे। अंग्रेज सरकार भी सत्याग्रह को मानती रही है। मगर, यह सरकार हमारी बात सुनने की बजाए हमारे मोर्चे को कुचलने की कोशिश कर रही है। 2. केंद्र के इशारे पर चल रही पंजाब सरकार
हमें आज सूचना मिल रही है कि भारी संख्या में फोर्स लेकर पंजाब सरकार केंद्र सरकार के इशारे पर सब मिलकर आंदोलन पर हमला करने की तैयारी कर आ रहे हैं। यह लड़ाई आपकी है। हमारा काम लड़ाई लड़ना है। इसको जीतना आपका काम है। जहां तक हमारी ऑडियो वीडियो जाती है। मैं सभी से निवेदन करता हूं कि सभी मोर्चे पर पहुंचे, ताकि मोर्चे को बचाया जा सके। डल्लेवाल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 4 अहम सुनवाई में क्या–क्या हुआ… 1. पंजाब सरकार ढिलाई नहीं बरत सकती
इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में पंजाब सरकार ने कहा कि डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनसे भावनाएं जुड़ी हुई हैं। राज्य को कुछ करना चाहिए। ढिलाई नहीं बरती जा सकती है। आपको हालात संभालने होंगे। 2. बिना टेस्ट कौन 70 साल के आदमी को ठीक बता रहा
इस सुनवाई में पंजाब सरकार ने दावा किया कि डल्लेवाल की तबीयत ठीक है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि 70 साल का आदमी 24 दिन से भूख हड़ताल पर है। कौन डॉक्टर है, जो बिना किसी टेस्ट के डल्लेवाल को सही बता रहा है?। आप कैसे कह सकते हैं डल्लेवाल ठीक हैं? जब उनकी कोई जांच नहीं हुई, ब्लड टेस्ट नहीं हुआ, ECG नहीं हुई। 3. उनकी सेहत पंजाब सरकार की जिम्मेदारी, अधिकारी निर्णय लें
इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डल्लेवाल की हालत रोज बिगड़ रही है। पंजाब सरकार उन्हें अस्पताल में शिफ्ट क्यों नहीं कराती है। यह उन्हीं की जिम्मेदारी है। डल्लेवाल के स्वास्थ्य की स्थिर स्थिति सुनिश्चित करना पंजाब सरकार की जिम्मेदारी है। यदि उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होती है तो अधिकारी निर्णय लेंगे। 4. पंजाब सरकार ने समस्या खड़ी की, डल्लेवाल पर दबाव
सुप्रीम कोर्ट में 28 दिसंबर को डल्लेवाल को अस्पताल भर्ती न कर पाने पर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें पंजाब सरकार के एडवोकेट जनरल ने कहा कि किसान डल्लेवाल को वहां से हटाने का विरोध कर रहे हैं। इस पर कोर्ट ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा पहले आप समस्या पैदा करते हैं और फिर कहते हैं कि आप कुछ नहीं कर सकते?। केंद्र की मदद से उन्हें अस्पताल में शिफ्ट करें। कोर्ट ने डल्लेवाल के अस्पताल शिफ्ट करने पर किसानों के विरोध को लेकर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने कहा कि किसी को अस्पताल ले जाने से रोकने का आंदोलन कभी नहीं सुना। यह आत्महत्या के लिए उकसाने जैसा है। किस तरह के किसान नेता हैं जो चाहते हैं कि डल्लेवाल मर जाएं? डल्लेवाल पर दबाव दिखता है। जो लोग उनका अस्पताल में भर्ती होने का विरोध कर रहे हैं, वे उनके शुभचिंतक नहीं हैं। वे अस्पताल में रहकर अनशन जारी रख सकते हैं। डल्लेवाल अन्न के बाद पानी भी छोड़ चुके, इम्यूनिटी कमजोर हुई
डल्लेवाल की उम्र 70 साल है। वह कैंसर रोगी भी हैं। उनके आमरण अनशन का आज 30 दिसंबर को 35वां दिन है। उन्होंने पहले अन्न खाना छोड़ रखा था। अब पानी भी नहीं पी रहे, क्योंकि उन्हें उल्टियां हो रही हैं। डॉक्टरों के मुताबिक उनका ब्लड प्रेशर भी काफी लो हो चुका है। उनकी इम्यूनिटी भी काफी कमजोर हो चुकी है। उन्हें इन्फेक्शन का खतरा है। वह खुद चल भी नहीं पा रहे। कई बार वह आंदोलन के स्टेज पर नहीं आए। वहां इन्फेक्शन से बचाने के लिए उनके लिए कमरा भी बनाया गया है।