होशियारपुर जिले के गढ़शंकर थाना पुलिस ने एक नशा तस्कर को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने पकड़े गए तस्कर के पास से हेरोइन और नशीली गोलियां बरामद की है। पुलिस ने आरोपी के पास से एक स्कूटी और नगदी भी बरामद की है। आरोपी के पास मिली नशीली गोलियां थाना प्रभारी बलजिंदर सिंह ने बताया कि वह अड्डा चौड़ा गांव की तरफ से आ रहे थे। उन्हें सड़क पर एक एक्टिवा सामने से आता दिखाई दिया। एक्टिवा सवार पर सवार युवक ने पुलिस को देखकर एक्टिवा को वापस मोड़ ली। शक होने पर पुलिस ने एक युवकों को पकड़ लिया। पकड़े गए युवक की पहचान परमजीत उर्फ पामा पुत्र अमरीक सिंह गांव डगम के रूप में हुई है। जिसकी तलाशी लेने पर उसकी जेब से 50 ग्राम हेरोइन और 9 पत्ते नशीले गोलियों के और 1 लाख की ड्रग मनी बरामद हुई। पुलिस नशा तस्कर को गिरफ्तार कर थाने ले गई। थाना प्रभारी ने बताया कि परमजीत सिंह उर्फ अम्मा के खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज है। होशियारपुर जिले के गढ़शंकर थाना पुलिस ने एक नशा तस्कर को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने पकड़े गए तस्कर के पास से हेरोइन और नशीली गोलियां बरामद की है। पुलिस ने आरोपी के पास से एक स्कूटी और नगदी भी बरामद की है। आरोपी के पास मिली नशीली गोलियां थाना प्रभारी बलजिंदर सिंह ने बताया कि वह अड्डा चौड़ा गांव की तरफ से आ रहे थे। उन्हें सड़क पर एक एक्टिवा सामने से आता दिखाई दिया। एक्टिवा सवार पर सवार युवक ने पुलिस को देखकर एक्टिवा को वापस मोड़ ली। शक होने पर पुलिस ने एक युवकों को पकड़ लिया। पकड़े गए युवक की पहचान परमजीत उर्फ पामा पुत्र अमरीक सिंह गांव डगम के रूप में हुई है। जिसकी तलाशी लेने पर उसकी जेब से 50 ग्राम हेरोइन और 9 पत्ते नशीले गोलियों के और 1 लाख की ड्रग मनी बरामद हुई। पुलिस नशा तस्कर को गिरफ्तार कर थाने ले गई। थाना प्रभारी ने बताया कि परमजीत सिंह उर्फ अम्मा के खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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सुखबीर बादल के धार्मिक-राजनीतिक भविष्य पर आज विचार होगा:श्री अकाल तख्त साहिब पर बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई; SAD प्रमुख तनखैया घोषित हो चुके
सुखबीर बादल के धार्मिक-राजनीतिक भविष्य पर आज विचार होगा:श्री अकाल तख्त साहिब पर बुद्धिजीवियों की बैठक बुलाई; SAD प्रमुख तनखैया घोषित हो चुके शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल के धार्मिक और राजनीतिक भविष्य के फैसले पर आज विचार होगा। श्री अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने श्री अकाल तख्त कार्यालय में महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर सुखबीर बादल के “तनखैया” मामले पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में उन्हें दिए जाने वाली संभावित धार्मिक सजा पर विचार किया जाएगा। इस चर्चा में कुल 18 सिख विद्वान और बुद्धिजीवी भाग लेंगे। इन सदस्यों में अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार मंजीत सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी के पूर्व VC जसपाल सिंह, इंद्रजीत सिंह गोगोआनी, अमरजीत सिंह, हरसिमरन सिंह, जसपाल सिंह सिद्धू और हमीर सिंह शामिल हैं। इनके अलावा कुछ वरिष्ठ पत्रकारों को भी आमंत्रित किया गया है। सुखबीर बादल पर लगे आरोप और “तनखैया” मामला
अकाली दल से जुड़े असंतुष्ट नेताओं ने अकाली सरकार के दौरान (2007-2017) हुए कुछ धार्मिक फैसलों पर सवाल उठाए थे, जिन्हें उन्होंने सिख धर्म के हितों के विरुद्ध बताया। इसके बाद अकाल तख्त ने 30 अगस्त 2024 को सुखबीर बादल को तनखैया घोषित किया था, लेकिन अब तक कोई सजा नहीं दी गई। तनखैया घोषित किए जाने के कारण सुखबीर सिंह बादल को विधानसभा उपचुनावों में प्रचार या भाग लेने की अनुमति नहीं मिली थी। इसके चलते अकाली दल ने उपचुनावों से दूरी बना ली थी। हालांकि, सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (SGPC) चुनाव में अकाली दल समर्थित उम्मीदवार अध्यक्ष बने हैं। किस प्रकार की सजा मिल सकती है?
अकाल तख्त के दिशा-निर्देशों के तहत, तनखैया घोषित व्यक्ति को अक्सर गुरुद्वारे में सेवा करने जैसे कार्य सौंपे जाते हैं। जैसे कि जूते या फर्श साफ करना। आज की बैठक में इस बात पर विचार किया जाएगा कि सुखबीर बादल को किस प्रकार की धार्मिक सजा दी जा सकती है। इस फैसले से पहले जत्थेदारों की एक बैठक होगी, जिसमें सुखबीर बादल भी उपस्थित हो सकते हैं। इस निर्णय के आधार पर सुखबीर बादल के धार्मिक और राजनीतिक सफर पर बड़ा असर पड़ सकता है। क्या होता है तनखैया
सिख पंथ के अनुसार कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसे तनखैया करार दिया जाता है। इसका फैसला सिखों के सर्वोच्च तख्त श्री अकाल तख्त साहिब करते हैं। तनखैया घोषित होने के बाद व्यक्ति सिख संगत के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग सकता है। तब सिख संगत की ओर से पवित्र श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हाजिरी में उसके गुनाह की समीक्षा की जाती है। फिर उसी के हिसाब से उसके लिए दंड तय किया जाता है। तनखैया की सजा मिलने पर ऐसे व्यक्ति से न तो कोई सिख संपर्क रखता है और न ही कोई संबंध। इनके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में भी कोई सिख आता-जाता नहीं है। अकाली दल के बागी गुट ने सौंपा था माफीनामा
अकाली दल का बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था। इस दौरान जत्थेदार को माफ़ीनामा सौंपा गया था, जिसमें सुखबीर बादल से हुई 4 गलतियों में सहयोग देने पर माफी मांगी गई। 1. डेरा सच्चा सौदा के खिलाफ शिकायत वापस ली गई थी
2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरुमीत राम रहीम ने 10वें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़ों को पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। उस वक्त इसके खिलाफ पुलिस केस भी दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में अकाली सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने दिलवाई थी माफी
श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए डेरा मुखी को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए डेरा मुखी को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिख पंथ के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने डेरा मुखी को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई
1 जून 2015 को कुछ तत्वों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए व बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए और कोटकपूरा और बहबल कलां में दुखद घटनाएं हुईं। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को नहीं दे पाए इंसाफ
अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने के लिए उन्हें जाना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया।
बरनाला में हादसे में 2 छात्रों की मौत:कॉलेज से लौट रहे थे अपने घर, ट्रैक्टर ने मारी बाइक को टक्कर
बरनाला में हादसे में 2 छात्रों की मौत:कॉलेज से लौट रहे थे अपने घर, ट्रैक्टर ने मारी बाइक को टक्कर पंजाब में बरनाला जिले के कस्बा भदौड़ के बाजाखाना रोड पर हुए एक हादसे में दो छात्रों की मौत हो गई। यह हादसा मीरी पीरी खालसा कॉलेज भदौड़ के पास ट्रैक्टर और मोटरसाइकिल की सीधी टक्कर दौरान हुआ। जानकारी के अनुसार गांव गुरुसर (बठिंडा) निवासी जसविंदर सिंह और भगता भाई (बठिंडा) निवासी तरनप्रीत सिंह दोनों अकाल अकादमी भदौड़ में बारहवीं कक्षा के छात्र थे। स्कूल में गुरुपर्व समारोह मनाया जा रहा था। दोनों छात्र अपने ड्यूटी कार्य में लगे हुए थे। डीएमसी लुधियाना में तोड़ा दम दोपहर बाद वह दोनों स्कूल से छुट्टी पाकर मोटरसाइकिल से अपने घर लौट रहे थे। जब वह मीरी पीरी खालसा कॉलेज के पास पहुंचे तो सामने से आ रहे ट्रैक्टर ने बाइक को टक्कर मार दी। जिससे दोनों छात्र गंभीर रूप से घायल हो गए। जिन्हें तुरंत सिवल अस्पताल बरनाला दाखिल कराया गया। जहां से डाक्टरों ने ने उन्हें डीएमसी लुधियाना रेफर कर दिया, जहां इलाज के दौरान उक्त दोनों छात्रों की मौत हो गई। अकाल अकादमी की प्रिंसिपल मेडल प्रीति ग्रोवर और जसवंत सिंह साइना समेत पूरे स्टाफ ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर गहरा दुख जताया और परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की। भदौड़ पुलिस थाने के एएसआई कमलजीत सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और ट्रैक्टर चालक भजन सिंह भदौड़ के खिलाफ मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।
लुधियाना में राजा वडिंग कांग्रेस और खुद का कद:सुखबीर बादल ने गंवा दिया पूरा पंजाब, मीत हेयर ने रखी सीएम मान की लाज
लुधियाना में राजा वडिंग कांग्रेस और खुद का कद:सुखबीर बादल ने गंवा दिया पूरा पंजाब, मीत हेयर ने रखी सीएम मान की लाज लोकसभा चुनाव में शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल जहां अपना बठिंडा किला बचाने में कामयाब रहे, वहीं उन्होंने पूरा पंजाब ही गंवा दिया। पंजाब के मुख्य सभी दलों आम आदमी पार्टी, भाजपा, कांग्रेस और अकाली दल के लिए इस बार एक-एक सीट जीतनी उनकी मूंछ का सवाल बनी पड़ी थी। अकाली दल के लिए बठिंडा सीट, आम आदमी पार्टी के लिए सीएम के गृह जिला की संगरूर सीट, भाजपा के लिए कैप्टन की पटियाला सीट और कांग्रेस के लिए लुधियाना व जालंधर सीट जीतना बेहद जरूरी था। 4 जून को आए चुनाव नतीजों के बाद पटियाला सीट छोडकर बाकी सभी दल अपनी साख बचाने में तो कामयाब रहे, लेकिन पूर्व सीएम कैप्टन अमरेंदर सिंह की पत्नी महारानी परनीत कौर ने पटियाला हारकर सियासी करियर ही दांव पर लगा लिया। पूर्व सीएम चन्नी के लिए जीतना था बेहद अहम जालंधर से पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के लिए चुनाव जीतना बेहद अहम था, क्योंकि चन्नी पिछले विधानसभा चुनाव में पंजाब की दो सीटों से खडे हुए थे और दोनों हार गए थे जिसके बाद उन्हीं पर उनकी पार्टी के कुछ विरोधियों ने सवाल उठाए थे। पार्टी ने उन पर दोबारा भरोसा कर जालंधर से लोकसभा टिकट दी थी और आखिरकार चन्नी चुनाव जीत गए। अगर अबकी बार चन्नी लोकसभा चुनाव हार जाते तो उनका सियासी करियर खतरे में पड़ सकता था और वह लगातार विरोधियों के निशाने पर होने थे। जिस कारण चन्नी यह सीट जीतने में कामयाब रहे। सुखबीर किला बचाने में रहे कामयाब अकाली दल के लिए बठिंडा सीट जीतना बेहद जरूरी हो गया था। अकाली दल बठिंडा सीट हार जाता तो अकाली दल का पूरा राजनीतिक करियर ही दांव पर लग सकता था, लेकिन सुखबीर सिंह बादल अपना बठिंडा किला बचाने में कामयाब रहे, लेकिन पुरा पंजाब उन्होंने हाथ से गंवा लिया। अहब हरसिमरत कौर बादल सांसद बन गई हैं, लेकिन अगर हार जाती तो पहली बार होता कि बादल परिवार में से उनका कोई भी सदस्य ना तो लोकसभा में होता और ना ही विधानसभा में। इसलिए अकाली दल द्वारा बठिंडा सीट जीतना सुखबीर की मूंछ का सवाल बनी हुई थी। कैप्टन परिवार अब ना लोकसभा में दिखेगा ना विधानसभा में चुनाव नतीजों में भाजपा के लिए पटियाला सीट जीतना जरूरी हो गया था। पटियाला से भाजपा ने बडे़ चेहरे पूर्व सीएम कैप्टन अमरेंदर सिंह की पत्नी महारानी परनीत कौर को चुनाव मैदान में उतारा था जोकि पहले भी सांसद रही है। भले ही लोकसभा चुनाव में कैप्टन अमरेंदर बीमार होने के कारण चुनाव से दूरी बनाए रखी और एक बार भी वह पत्नी के हक में कैंपेन करने नहीं पहुंचे, लेकिन फिर भी वह अपने हल्के पर पुरा फोकस रख रहे थे। बावजूद महारानी चुनाव हार गई। पटियाला से महारानी परनीत कौर पहले भी तीन बाद और कैप्टन अमरेंदर एक बार सांसद रह चुके हैं। कैप्टन की यह जद्दी सीट है, जिसे जीत पाना कैप्टन परिवार के लिए बेहद जरूरी था, लेकिन पटियाला सीट हारने के बाद अब पहली बार होगा की कैप्टन परिवार का एक भी सदस्य ना तो लोकसभा में होगा ना ही विधानसभा में। कैप्टन परिवार का सियासी करियर दांव पे लग गया है। AAP ने मीत ने रखी पार्टी और सीएम की लाज संगरूर पर गुरमीत सिंह मीत हेयर ने चुनाव में बेहतरीन परदर्शन कर अपनी आम आदमी पार्टी के साथ-साथ सीएम की भी लाज रख ली, क्योंकि संगरूर सीट सीएम मान के गृह जिला की मानी जाती है। अगर आप संगरूर सीट पर हार जाती तो सीएम मान विरोधियों के निशाने पर आ जाते। विरोधी लगातार उन पर यही वार करते कि सीएम अपना गृह जिला भी नहीं बचा सके। हालांकि आप का पंजाब में 13-0 का मिशन तो फेल हो गया और पार्टी केवल तीन सीटों पर ही सिमट कर रह गई। लेकिन संगरूर सीट जीतकर मीत हेयर ने सबका मान बढ़ा दिया। लुधियाना में राजा वडिंग ने बढ़ाया कांग्रेस का मान कांग्रेस ने चुनाव नतीजों में बेतहरीन प्रदर्शन कर जहां सात सीटों पर अपना परचम लहराया, वहीं पार्टी अध्यक्ष राजा वडिंग ने लुधियाना सीट जीतका अपना व पार्टी का कद बढाया है। क्योंकि लुधियाना सीट जीतना पार्टी के लिए टेढी खीर साबित हो रहा था। लुधियाना सीट से पिछले तीन बार से कांग्रेस का परचम लहरा रहा है। रवनीत बिट्टू के भाजपा में चले जाने के लिए बाद पार्टी ने खुद राज्य अध्यक्ष राजा वडिंग को लुधियाना के चुनावी मैदान में उतारा था, ताकि जहां पार्टी की साख बच सके तो वहीं बिट्टू का घमंड भी तोड़ जा सके। आखिरकार राजा वडिंग ने जीत हासिल की। बता दें कि लुधियाना कांग्रेस का गढ़ भी माना जाता है और साल 2009 से लगातार कांग्रेस लुधियाना से जीत हासिल कर रही है।