काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) 108 साल का हो गया है। इतने साल में विश्वविद्यालय में कई नई सुविधाएं शुरू हुईं और विश्वविद्यालय में कई सफलताओं को भी हासिल किया। वहीं, कुछ मुद्दों पर छात्रों ने आंदोलन भी किया। इन सभी प्रश्नों के साथ दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने कुलपति सुधीर कुमार जैन से बात की। आगे सवाल-जवाब पढ़िए… सवाल: आपने विश्वविद्यालय के लिए तीन साल में कितना बदलाव किया?
जवाब: तीन साल में बहुत-सी उपलब्धियां रहीं। हमने काफी रिफॉर्म किया। प्रशासनिक व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया गया। लोगों की तकलीफों को देखते हुए ब्यूरोक्रेसी को आसान किया। यहां के प्रोफेसर्स को रिसर्च और ट्रैवल करने के लिए फंडिंग दी गई। हमने लीडरशिप डेवलपमेंट और स्पोर्ट के क्षेत्र में भी काफी कुछ डेवलपमेंट किया। हमने क्लासेस को रेगुलराइज किया। रिसर्च के क्षेत्र में भी काफी कुछ काम किया गया है। हमने अपने फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए हॉस्टल बनवाए। आने वाले समय में इसको और भी डेवलप किया जाएगा। सवाल: IIT से निकलकर यूनिवर्सिटी सिस्टम में आकर आप खुद को कितना सफल मान रहे हैं?
जवाब: विश्वविद्यालय की व्यवस्था मेरे लिए बिल्कुल नई थी। इसे लेकर आश्वस्त भी नहीं था, लेकिन तीन साल बाद उम्मीद से ज्यादा काम किया। अभी भी काफी कुछ करना बाकी है। सवाल: रैंकिंग में सुधार के लिए क्या प्रयास रहे?
जवाब: रैंकिंग एक रिजल्ट है। हमें खुद को और इंप्रूव करने के लिए आगे और भी काम करना है। अभी विश्वविद्यालय को काफी ज्यादा इंप्रूव करने की जरूरत है। इसके लिए पूरे विश्वविद्यालय को काम करना होगा। इससे रैंकिंग काफी अच्छी हो जाए, हमारा प्रयास इसी की तरफ है। सवाल: आपने पूर्व छात्रों और कर्मचारियों को अनुदान के लिए आमंत्रित किया, कितना फायदेमंद रहा?
जवाब: हमने 350 स्कॉलरशिप इस्टैबलिश्ड की है। हमारा लक्ष्य है कि आगामी दिनों में इसको 35 हजार स्कॉलरशिप में बदल जाए। तीन साल में आय 50-60% बढ़ी है। 2020 में 1414 करोड़ के मुकाबले 2024 में 2293 करोड़ की आय हुई। तीन तरह से पैसे जुटाए। सरकारी ग्रांट, रेंट, ट्यूशन फीस और डोनेशन की रकम बढ़ी है। सवाल: तीन साल में दान में कितना फंड मिला?
जवाब: डोनेशन से मिली आय को 80 लाख से 3.75 करोड़ रुपए तक पहुंचाया गया। हमने मुंह खोलकर पैसा मांगना शुरू किया। पहले तो कहते ही नहीं थे कि हमें पैसे चाहिए। अब दान देने में बार्गेनिंग और डिस्कसन का काम खत्म। पांच लाख की स्कॉलरशिप बना दी है। इसमें छात्र को 25 हजार रुपए देने ही होंगे। सवाल: आंदोलन करने वाले छात्रों को सस्पेंड किया जा रहा। अंकुश रखने की ऐसी व्यवस्था कब तक चलेगी?
जवाब: हमारा प्रयास है कि विश्वविद्यालय में पठन-पाठन का वातावरण किसी भी तरह से बाधित न हो। अनुशासन से जुड़े मामलों को देखने के लिए विश्वविद्यालय में एक स्थापित व्यवस्था है, जो प्रभावी रूप से अपना काम कर रही है। सवाल: ईसी गठन को लेकर सवाल उठ रहा है?
जवाब: ये कहना ठीक नहीं है। विश्वविद्यालय स्थापित नियमों और प्रावधानों के हिसाब से चलता है। इसमें न कोई ढील बरती जा रही है और न ही किसी तरह के समझौते की कोई गुंजाइश है। ——————- ये खबर भी पढ़िए- नेहा राठौर बोलीं- सरकार सिर्फ हिंदू-मुसलमान को लड़ा रही: बेटी बचाओ की बात करते हैं; बेटी BHU आई तो थी, पढ़ न पाई ‘का बा…’ फेम भोजपुरी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर वाराणसी पहुंचीं। उन्होंने महिला सुरक्षा, मंदिर-मस्जिद, राजनीति और बेरोजगारी के मुद्दे पर बेबाकी से दैनिक भास्कर के सवालों का जवाब दिए। नेहा ने कहा- IIT-BHU में छात्रा के साथ गैंगरेप हुआ था। उसके तीनों आरोपी जेल से बाहर घूम रहे हैं। ये लोग (सरकार) ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की बात करते हैं। बेटी बनारस पढ़ने आई तो थी…न बेटी बच पाई, न पढ़ पाई। ये लोग (सरकार) सिर्फ हिंदू-मुसलमान को लड़वा रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर… काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) 108 साल का हो गया है। इतने साल में विश्वविद्यालय में कई नई सुविधाएं शुरू हुईं और विश्वविद्यालय में कई सफलताओं को भी हासिल किया। वहीं, कुछ मुद्दों पर छात्रों ने आंदोलन भी किया। इन सभी प्रश्नों के साथ दैनिक भास्कर रिपोर्टर ने कुलपति सुधीर कुमार जैन से बात की। आगे सवाल-जवाब पढ़िए… सवाल: आपने विश्वविद्यालय के लिए तीन साल में कितना बदलाव किया?
जवाब: तीन साल में बहुत-सी उपलब्धियां रहीं। हमने काफी रिफॉर्म किया। प्रशासनिक व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया गया। लोगों की तकलीफों को देखते हुए ब्यूरोक्रेसी को आसान किया। यहां के प्रोफेसर्स को रिसर्च और ट्रैवल करने के लिए फंडिंग दी गई। हमने लीडरशिप डेवलपमेंट और स्पोर्ट के क्षेत्र में भी काफी कुछ डेवलपमेंट किया। हमने क्लासेस को रेगुलराइज किया। रिसर्च के क्षेत्र में भी काफी कुछ काम किया गया है। हमने अपने फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए हॉस्टल बनवाए। आने वाले समय में इसको और भी डेवलप किया जाएगा। सवाल: IIT से निकलकर यूनिवर्सिटी सिस्टम में आकर आप खुद को कितना सफल मान रहे हैं?
जवाब: विश्वविद्यालय की व्यवस्था मेरे लिए बिल्कुल नई थी। इसे लेकर आश्वस्त भी नहीं था, लेकिन तीन साल बाद उम्मीद से ज्यादा काम किया। अभी भी काफी कुछ करना बाकी है। सवाल: रैंकिंग में सुधार के लिए क्या प्रयास रहे?
जवाब: रैंकिंग एक रिजल्ट है। हमें खुद को और इंप्रूव करने के लिए आगे और भी काम करना है। अभी विश्वविद्यालय को काफी ज्यादा इंप्रूव करने की जरूरत है। इसके लिए पूरे विश्वविद्यालय को काम करना होगा। इससे रैंकिंग काफी अच्छी हो जाए, हमारा प्रयास इसी की तरफ है। सवाल: आपने पूर्व छात्रों और कर्मचारियों को अनुदान के लिए आमंत्रित किया, कितना फायदेमंद रहा?
जवाब: हमने 350 स्कॉलरशिप इस्टैबलिश्ड की है। हमारा लक्ष्य है कि आगामी दिनों में इसको 35 हजार स्कॉलरशिप में बदल जाए। तीन साल में आय 50-60% बढ़ी है। 2020 में 1414 करोड़ के मुकाबले 2024 में 2293 करोड़ की आय हुई। तीन तरह से पैसे जुटाए। सरकारी ग्रांट, रेंट, ट्यूशन फीस और डोनेशन की रकम बढ़ी है। सवाल: तीन साल में दान में कितना फंड मिला?
जवाब: डोनेशन से मिली आय को 80 लाख से 3.75 करोड़ रुपए तक पहुंचाया गया। हमने मुंह खोलकर पैसा मांगना शुरू किया। पहले तो कहते ही नहीं थे कि हमें पैसे चाहिए। अब दान देने में बार्गेनिंग और डिस्कसन का काम खत्म। पांच लाख की स्कॉलरशिप बना दी है। इसमें छात्र को 25 हजार रुपए देने ही होंगे। सवाल: आंदोलन करने वाले छात्रों को सस्पेंड किया जा रहा। अंकुश रखने की ऐसी व्यवस्था कब तक चलेगी?
जवाब: हमारा प्रयास है कि विश्वविद्यालय में पठन-पाठन का वातावरण किसी भी तरह से बाधित न हो। अनुशासन से जुड़े मामलों को देखने के लिए विश्वविद्यालय में एक स्थापित व्यवस्था है, जो प्रभावी रूप से अपना काम कर रही है। सवाल: ईसी गठन को लेकर सवाल उठ रहा है?
जवाब: ये कहना ठीक नहीं है। विश्वविद्यालय स्थापित नियमों और प्रावधानों के हिसाब से चलता है। इसमें न कोई ढील बरती जा रही है और न ही किसी तरह के समझौते की कोई गुंजाइश है। ——————- ये खबर भी पढ़िए- नेहा राठौर बोलीं- सरकार सिर्फ हिंदू-मुसलमान को लड़ा रही: बेटी बचाओ की बात करते हैं; बेटी BHU आई तो थी, पढ़ न पाई ‘का बा…’ फेम भोजपुरी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर वाराणसी पहुंचीं। उन्होंने महिला सुरक्षा, मंदिर-मस्जिद, राजनीति और बेरोजगारी के मुद्दे पर बेबाकी से दैनिक भास्कर के सवालों का जवाब दिए। नेहा ने कहा- IIT-BHU में छात्रा के साथ गैंगरेप हुआ था। उसके तीनों आरोपी जेल से बाहर घूम रहे हैं। ये लोग (सरकार) ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की बात करते हैं। बेटी बनारस पढ़ने आई तो थी…न बेटी बच पाई, न पढ़ पाई। ये लोग (सरकार) सिर्फ हिंदू-मुसलमान को लड़वा रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर