जालंधर | स्पेशल कोर्ट ने नवांशहर में 2009 में हेल्थ डिपार्टमेंट में हुए 2.36 करोड़ के जनरल प्रॉविडेंट फंड घोटाले में तीन डॉक्टरों समेत 6 को सजा सुनाई है। यह सजा ईडी की ओर से घोटाले को लेकर मनी लॉन्डरिंग में दायर किए गए केस में सुनाई गई है। डॉ. किशन लाल, जुगराज सिंह और हरदेव सिंह को तीन-तीन साल, फार्मासिस्ट कर्मपाल गोयल, स्टाफ सलिंदर सिंह और उसकी पत्नी निर्मला देवी को पांच-पांच साल की कैद सुनाई गई है। तीन डॉक्टर जेल जाने से बच गए थे क्योंकि कोर्ट से उन्हें बेल दे दी है। अब वे इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। जांच में यह बात आई थी कि विभाग में तैनात स्टाफ के खाते से पैसे निकाले गए थे। जबकि उन्हें पता नहीं था। उनके फर्जी साइन तक किए गए थे। मास्टरमाइंड कर्मपाल निकाला था। ईडी ने 2012 में घोटाले को लेकर मनी लॉन्डरिंग में जांच शुरू की थी। जांच के बाद चार्जशीट कोर्ट में फाइल कर दी थी। करीब 12 साल तक चले केस में वीरवार को सजा सुनाई गई है। जांच में घोटाले 2.36 करोड़ का निकला था। ईडी कोर्ट ने नवांशहर के मामले में 12 साल बाद सुनाया फैसला स्टाफ के खाते से फर्जी साइन कर निकाले थे पैसे नवांशहर के सिविल सर्जन चितरंजन सिंह ने 24 दिसंबर, 2008 को घोटाले को लेकर शिकायत दी थी। शिकायत में कहा था कि एक साजिश के तहत नर्स भूपिंदर कौर और दर्शन सिंह के जनरल प्रॉविडेंट फंड से फर्जी तरीके से पैसे निकाले की कोशिश की है। पुलिस ने 2009 में उक्त तीनों डॉक्टरों समेत 6 के खिलाफ केस दर्ज किया था। जालंधर | स्पेशल कोर्ट ने नवांशहर में 2009 में हेल्थ डिपार्टमेंट में हुए 2.36 करोड़ के जनरल प्रॉविडेंट फंड घोटाले में तीन डॉक्टरों समेत 6 को सजा सुनाई है। यह सजा ईडी की ओर से घोटाले को लेकर मनी लॉन्डरिंग में दायर किए गए केस में सुनाई गई है। डॉ. किशन लाल, जुगराज सिंह और हरदेव सिंह को तीन-तीन साल, फार्मासिस्ट कर्मपाल गोयल, स्टाफ सलिंदर सिंह और उसकी पत्नी निर्मला देवी को पांच-पांच साल की कैद सुनाई गई है। तीन डॉक्टर जेल जाने से बच गए थे क्योंकि कोर्ट से उन्हें बेल दे दी है। अब वे इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। जांच में यह बात आई थी कि विभाग में तैनात स्टाफ के खाते से पैसे निकाले गए थे। जबकि उन्हें पता नहीं था। उनके फर्जी साइन तक किए गए थे। मास्टरमाइंड कर्मपाल निकाला था। ईडी ने 2012 में घोटाले को लेकर मनी लॉन्डरिंग में जांच शुरू की थी। जांच के बाद चार्जशीट कोर्ट में फाइल कर दी थी। करीब 12 साल तक चले केस में वीरवार को सजा सुनाई गई है। जांच में घोटाले 2.36 करोड़ का निकला था। ईडी कोर्ट ने नवांशहर के मामले में 12 साल बाद सुनाया फैसला स्टाफ के खाते से फर्जी साइन कर निकाले थे पैसे नवांशहर के सिविल सर्जन चितरंजन सिंह ने 24 दिसंबर, 2008 को घोटाले को लेकर शिकायत दी थी। शिकायत में कहा था कि एक साजिश के तहत नर्स भूपिंदर कौर और दर्शन सिंह के जनरल प्रॉविडेंट फंड से फर्जी तरीके से पैसे निकाले की कोशिश की है। पुलिस ने 2009 में उक्त तीनों डॉक्टरों समेत 6 के खिलाफ केस दर्ज किया था। पंजाब | दैनिक भास्कर
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