2025 की पहली मौनी अमावस्या आज:पांडु पिंडारा में उमड़ेंगे श्रद्धालु, जींद में पांडवों ने की थी 12 सालों तक तपस्या

2025 की पहली मौनी अमावस्या आज:पांडु पिंडारा में उमड़ेंगे श्रद्धालु, जींद में पांडवों ने की थी 12 सालों तक तपस्या

2025 की पहली अमावस्या (मौनी अमावस्या) बुधवार को यानी आज है। धार्मिक मान्यताओं में मौनी अमावस्या को विशेष महत्व दिया गया है। मौनी अमावस्या जहां पितरों को खुश करने के लिए विशेष महत्व रखती है वहीं पितृ दोष भी इसी दिन दूर किया जा सकता है। पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्या की तिथि का प्रारंभ 28 जनवरी को रात सात बजकर 35 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम को 6 बजकर 5 मिनट पर होगा। जींद के पिंडारा तीर्थ पर आज श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी और पितृ तर्पण कर पिंडदान करेगी। मौनी अमावस्या के दिन सरोवर स्नान करें और इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। पिंडदान सूर्योदय के दौरान करना शुभ माना जाता है। इसके बाद चौकी पर अपने पूर्वज की तस्वीर रखें। गाय के गोबर, आटा, तिल और जौ आदि से पिंड बनाएं। इसे पितरों को अर्पित करें। अब इसे पवित्र नदी में बहा दें। पिंडदान के दौरान पितरों का ध्यान करें। इसके अलावा पितरों की शांति के लिए मंत्रों का जप करें। वहीं दान और स्नान करने से पितृ दोष के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। वहीं इस दिन गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन अवश्य करवाना चाहिए। पिंडारा तीर्थ में आज लगेगी श्रद्धा की डुबकी
पांडू पिंडारा स्थित पिंड तारक तीर्थ पर बुधवार को मौनी अमावस्या पर श्रद्धालु सरोवर में स्नान, पिंडदान करके करके तर्पण करेंगे। पिंड तारक तीर्थ के संबंध में किंवदंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 सालों तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंड तारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। पुजारी बोले- पितरों को खुश करने के लिए विशेष फलदायी है मौनी अमावस्या
पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। अमावस्या के दिन पितरों को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद हमारे जीवन पर बना रहता है। इस दिन पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं मौनी अमावस्या के दिन चावल का दान करने का विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सुख व समृद्धि आती है। मौनी अमावस्या के दिन तिल या तिल के लड्डू का भी दान किया जा सकता है। मौनी अमावस्या के दिन वस्त्र और कंबल के दान कर सकते हैं। 2025 की पहली अमावस्या (मौनी अमावस्या) बुधवार को यानी आज है। धार्मिक मान्यताओं में मौनी अमावस्या को विशेष महत्व दिया गया है। मौनी अमावस्या जहां पितरों को खुश करने के लिए विशेष महत्व रखती है वहीं पितृ दोष भी इसी दिन दूर किया जा सकता है। पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्या की तिथि का प्रारंभ 28 जनवरी को रात सात बजकर 35 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम को 6 बजकर 5 मिनट पर होगा। जींद के पिंडारा तीर्थ पर आज श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी और पितृ तर्पण कर पिंडदान करेगी। मौनी अमावस्या के दिन सरोवर स्नान करें और इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। पिंडदान सूर्योदय के दौरान करना शुभ माना जाता है। इसके बाद चौकी पर अपने पूर्वज की तस्वीर रखें। गाय के गोबर, आटा, तिल और जौ आदि से पिंड बनाएं। इसे पितरों को अर्पित करें। अब इसे पवित्र नदी में बहा दें। पिंडदान के दौरान पितरों का ध्यान करें। इसके अलावा पितरों की शांति के लिए मंत्रों का जप करें। वहीं दान और स्नान करने से पितृ दोष के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। वहीं इस दिन गाय, कुत्ते और कौवे को भोजन अवश्य करवाना चाहिए। पिंडारा तीर्थ में आज लगेगी श्रद्धा की डुबकी
पांडू पिंडारा स्थित पिंड तारक तीर्थ पर बुधवार को मौनी अमावस्या पर श्रद्धालु सरोवर में स्नान, पिंडदान करके करके तर्पण करेंगे। पिंड तारक तीर्थ के संबंध में किंवदंती है कि महाभारत युद्ध के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने यहां 12 सालों तक सोमवती अमावस्या की प्रतीक्षा में तपस्या की। बाद में सोमवती अमावस के आने पर युद्ध में मारे गए परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। तभी से यह माना जाता है कि पांडु पिंडारा स्थित पिंड तारक तीर्थ पर पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है। महाभारत काल से ही पितृ विसर्जन की अमावस्या, विशेषकर सोमवती अमावस्या पर यहां पिंडदान करने का विशेष महत्व है। पुजारी बोले- पितरों को खुश करने के लिए विशेष फलदायी है मौनी अमावस्या
पुजारी नवीन शास्त्री ने बताया कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। अमावस्या के दिन पितरों को जल अवश्य अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद हमारे जीवन पर बना रहता है। इस दिन पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं मौनी अमावस्या के दिन चावल का दान करने का विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सुख व समृद्धि आती है। मौनी अमावस्या के दिन तिल या तिल के लड्डू का भी दान किया जा सकता है। मौनी अमावस्या के दिन वस्त्र और कंबल के दान कर सकते हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर