हरियाणा के पानीपत शहर के एमजेआर चौक पर हाइड्रा ड्राइवर ने एक बुजुर्ग को कुचल दिया। जिससे बुजुर्ग की मौत हो गई। हादसे के बाद आरोपी हाइड्रा ड्राइवर को मौके पर ही पकड़ लिया गया। बुजुर्ग के बेटे ने मामले की शिकायत पुलिस से की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। पोते ने पिता को बताई दुर्घटना की जानकारी चांदनीबाग थाने में दी शिकायत में जोगिंदर सिंह ने बताया कि वह गांव लालगढ़ी, जिला एटा, यूपी के मूल निवासी हैं। फिलहाल वह सेक्टर 24, पानीपत में किराए पर रहते हैं। उनके साथ उनके चाचा श्याम सिंह (80) भी रहते थे। 24 दिसंबर की दोपहर वह चाय पीकर घर से निकले थे। जोगिंदर घर के लिए राशन लेने नांगलखेड़ी गए थे। इसी दौरान उनके बेटे बीर सिंह ने उन्हें फोन करके बताया कि दादा श्याम सिंह का एमजेआर चौक पर एक्सीडेंट हो गया है। सूचना मिलने पर वह तुरंत मौके पर पहुंचे। वहां पहुंचकर देखा तो मौके पर एक हाइड्रा खड़ी थी। जिससे उनके चाचा का एक्सीडेंट हो गया था। मौके से गुजर रहे राहगीरों द्वारा उनके चाचा को उपचार के लिए सिविल अस्पताल पहुंचाया गया। जब वह मौके से सिविल अस्पताल पहुंचे तो वहां डॉक्टरों ने उनके चाचा को मृत घोषित कर दिया। हरियाणा के पानीपत शहर के एमजेआर चौक पर हाइड्रा ड्राइवर ने एक बुजुर्ग को कुचल दिया। जिससे बुजुर्ग की मौत हो गई। हादसे के बाद आरोपी हाइड्रा ड्राइवर को मौके पर ही पकड़ लिया गया। बुजुर्ग के बेटे ने मामले की शिकायत पुलिस से की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर आरोपी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। पोते ने पिता को बताई दुर्घटना की जानकारी चांदनीबाग थाने में दी शिकायत में जोगिंदर सिंह ने बताया कि वह गांव लालगढ़ी, जिला एटा, यूपी के मूल निवासी हैं। फिलहाल वह सेक्टर 24, पानीपत में किराए पर रहते हैं। उनके साथ उनके चाचा श्याम सिंह (80) भी रहते थे। 24 दिसंबर की दोपहर वह चाय पीकर घर से निकले थे। जोगिंदर घर के लिए राशन लेने नांगलखेड़ी गए थे। इसी दौरान उनके बेटे बीर सिंह ने उन्हें फोन करके बताया कि दादा श्याम सिंह का एमजेआर चौक पर एक्सीडेंट हो गया है। सूचना मिलने पर वह तुरंत मौके पर पहुंचे। वहां पहुंचकर देखा तो मौके पर एक हाइड्रा खड़ी थी। जिससे उनके चाचा का एक्सीडेंट हो गया था। मौके से गुजर रहे राहगीरों द्वारा उनके चाचा को उपचार के लिए सिविल अस्पताल पहुंचाया गया। जब वह मौके से सिविल अस्पताल पहुंचे तो वहां डॉक्टरों ने उनके चाचा को मृत घोषित कर दिया। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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पलवल में हादसे में युवक की मौत:बाइक से मथुरा जाते हुए अज्ञात वाहन ने ठोका; परिजनों को अस्पताल में मिला शव
पलवल में हादसे में युवक की मौत:बाइक से मथुरा जाते हुए अज्ञात वाहन ने ठोका; परिजनों को अस्पताल में मिला शव हरियाणा के पलवल में नेशनल हाईवे-19 पर होडल के निकट अज्ञात वाहन की टक्कर से बाइक सवार युवक की मौके पर ही मौत हो गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जिला नागरिक अस्पताल भिजवा दिया। जहां से शव का पोस्टमार्टम करा परिजनों को सौंप दिया। अज्ञात वाहन ने मारी बाइक को टक्कर होडल थाना प्रभारी दौलतराम ने बताया कि जिला गाजियाबाद (यूपी) तुलशी निकेतन भोपुरा साहिदाबाद निवासी मनोज कुमार ने शिकायत में बताया कि उसका बेटा हर्षित कुमार किसी काम से अपनी बाइक पर सवार होकर मथुरा जा रहा था। होडल के पास पहुंची तभी किसी अज्ञात वाहन ने बाइक में टक्कर मार दी। जिससे उसके बेटे की मौत हो गई। राहगीरों ने पहुंचाया अस्पताल राहगीरों ने उसके बेटे को सरकारी अस्पताल भिजवा दिया, सूचना पाकर वह जब सरकारी अस्पताल पहुंचा तो उसके बेटे की मौत हो चुकी थी। पुलिस ने मृतक के पिता की शिकायत पर अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।
हरियाणा के पूर्व मंत्री ने BJP छोड़ी:इस्तीफे में लिखा- पार्टी में अब गद्दारों को तवज्जो, कल पार्टी में आने वालों को टिकटें बांटी
हरियाणा के पूर्व मंत्री ने BJP छोड़ी:इस्तीफे में लिखा- पार्टी में अब गद्दारों को तवज्जो, कल पार्टी में आने वालों को टिकटें बांटी हरियाणा के पूर्व मंत्री कर्ण देव कांबोज ने बीजेपी छोड़ते हुए पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इंद्री विधानसभा से 2014 में विधायक और हरियाणा के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामले एवं वन विभाग के पूर्व राज्यमंत्री कर्णदेव कांबोज ने इंद्री से टिकट न मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वर्तमान में वह भाजपा ओबीसी मोर्चा हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष थे, लेकिन उन्होंने अपने पद के साथ-साथ भाजपा के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। भाजपा में गद्दारों को तवज्जो मिलने का आरोप
कर्ण देव कांबोज ने अपने इस्तीफे में पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी वाली भाजपा नहीं रही। उन्होंने कहा कि अब पार्टी में नुकसान पहुंचाने वाले गद्दारों को तवज्जो दी जा रही है, जबकि वफादार कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। कांबोज ने कहा कि उन्होंने और उनके परिवार ने वर्षों तक भाजपा की सेवा की, लेकिन पार्टी ने उनके योगदान को नजरअंदाज किया। संगठन में किए गए काम को नजरअंदाज किया गया
कांबोज ने इस्तीफे में उल्लेख किया कि पिछले पांच सालों में उन्होंने ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष के रूप में पूरे हरियाणा में काम किया और 150 सामाजिक टोलियों का गठन किया। इसके बावजूद पार्टी ने उनकी सेवाओं को नजरअंदाज किया और उन्हें टिकट नहीं दिया। कांबोज ने आरोप लगाया कि पार्टी ने वफादार कार्यकर्ताओं के बजाय उन लोगों को टिकट दिया है जो हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं। कृष्ण देव कांबोज के इस्तीफे की कॉपी… कांग्रेस और भाजपा में अब कोई फर्क नहीं
कांबोज ने भाजपा के फैसलों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी अब कांग्रेस की तरह हो गई है। उन्होंने कहा, “जब पार्टी में पुराने और वफादार कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर नए चेहरों को प्राथमिकता दी जा रही है, तो कांग्रेस और भाजपा में क्या फर्क रह गया है?” उनका यह बयान सीधे तौर पर भाजपा की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है और पार्टी के अंदर गहरे असंतोष को दर्शाता है। आगे का राजनीतिक सफर चुनाव लड़ने के संकेत
कर्ण देव कांबोज ने अपने इस्तीफे में यह भी कहा कि उनका आगामी फैसला उनके समर्थकों के निर्णय पर निर्भर करेगा। उन्होंने संकेत दिया कि वह अपने समर्थकों के निर्णय का सम्मान करते हुए अगला कदम उठाएंगे। कांबोज ने यह भी इशारा किया कि उनके समर्थक तय करेंगे कि वह आगामी चुनाव लड़ेंगे या नहीं। इससे यह स्पष्ट होता है कि वह चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार हैं और बीजेपी के खिलाफ एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में लड़ सकते हैं या किसी अन्य पार्टी से हाथ मिला सकते हैं। राजनीतिक परिदृश्य में असर
कर्ण देव कांबोज का इस्तीफा खासकर इंद्री विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। कांबोज ने 2014 में इंद्री से जीत हासिल की थी और खाद्य विभाग के मंत्री बने थे। हालांकि, 2019 में पार्टी ने उन्हें इंद्री की बजाय रादौर से चुनाव लड़ने भेजा, जहां वह हार गए। अब 2024 के चुनाव में कांबोज का अलग मैदान में उतरना भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
हरियाणा में राज्यसभा चुनाव से पहले कुलदीप बिश्नोई एक्टिव:गृहमंत्री शाह से मुलाकात की; बेटे की हार के बाद पार्टी से दूरी बनाई
हरियाणा में राज्यसभा चुनाव से पहले कुलदीप बिश्नोई एक्टिव:गृहमंत्री शाह से मुलाकात की; बेटे की हार के बाद पार्टी से दूरी बनाई हरियाणा में राज्यसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई दिल्ली दरबार में फिर एक्टिव हो गए हैं। बुधवार (27 नवंबर) को उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। अब इस मुलाकात की टाइमिंग पर सवाल उठ रहे हैं। इसका कारण है कि इससे पहले कुलदीप ने दिल्ली के चक्कर तब लगाए थे, जब इस साल विधानसभा चुनाव से पहले भी हरियाणा में राज्यसभा चुनाव हुए थे। हालांकि, तब कुलदीप को नजरअंदाज कर भाजपा ने पूर्व विधायक किरण चौधरी को राज्यसभा का टिकट दे दिया था। इसलिए हो रहा राज्यसभा चुनाव
हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के राज्यसभा सांसद कृष्ण लाल पंवार ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। इसके बदले में भाजपा ने उन्हें पानीपत की इसराना विधानसभा से चुनाव लड़वाया। अब वह जीत कर मंत्री बन गए हैं। उनकी राज्यसभा सीट अब खाली हो गई है। इसलिए, 20 दिसंबर को उसके लिए वोटिंग होनी और 10 दिसंबर तक नामांकन का अंतिम दिन है। इससे पहले भाजपा को अपना उम्मीदवार मैदान में उतारना होगा। विधानसभा के संख्याबल के हिसाब से भाजपा जिसे मैदान में उतारेगी, उसका राज्यसभा में जाना लगभग तय है। इसलिए, कुलदीप बिश्नोई फिर से कोशिश में लग गए हैं। कुलदीप बिश्नोई ने गृहमंत्री शाह से मिलकर यह पोस्ट किया… कुलदीप ने X पर पोस्ट कर लिखा- मुझे लंबा समय दिया
कुलदीप बिश्नोई ने केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात के बाद X पर लिखा, “अमित शाह से शिष्टाचार की भेंट हुई। महाराष्ट्र में प्रचंड जीत की बधाई दी, उनसे आशीर्वाद लिया और लंबी राजनीतिक चर्चा की। मुझे इतना लंबा समय देने, मेरी बातों को इतने ध्यान से सुनने और इतना स्नेह देने के लिए मेरे नेता अमित शाह का दिल की गहराइयों से आभार।” गैर जाट चेहरे के रूप में पेश कर रहे दावेदारी
कुलदीप बिश्नोई भाजपा में गैर जाट चेहरे के रूप में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। उनके पिता पूर्व CM भजनलाल की प्रदेश में गैर जाट CM के रूप में पहचान थी। गैर जाट वोटर ही भाजपा की प्रदेश में ताकत माने जाते हैं। ऐसे में कुलदीप इस वोट बैंक को जोड़े रखने में सहायक बनना चाहते हैं। हरियाणा के 3 बार मुख्यमंत्री रहे भजनलाल के समय प्रदेश का संपूर्ण नॉन जाट वोटर उनके साथ था, जो बाद में कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के साथ लामबंद रहा। 2011 से 2014 तक हजकां और भाजपा के गठबंधन के बाद ये वोटर 2014 विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ गए। इसलिए राज्यसभा जाना चाहते हैं कुलदीप बिश्नोई… 1. सरकार में 16 साल से पद से दूर बिश्नोई परिवार
विधानसभा चुनाव में आदमपुर में मिली हार से बिश्नोई परिवार एक बार फिर सत्ता सुख से दूर हो गया है। अगर उनके बेटे भव्य और भाई दुड़ाराम चुनाव जीतते तो भव्य को मंत्री पद मिल सकता था, लेकिन आदमपुर से हार ने उन्हें मंत्रिपद से दूर कर दिया। हरियाणा में बिश्नोई परिवार 16 साल से सरकार में पद से बाहर है। 2005 से 2008 तक भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई हरियाणा के डिप्टी CM पद पर रहे। इसके बाद निजी कारणों से उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद आज तक बिश्नोई परिवार को सरकार में कोई पद नहीं मिला है। 2. आदमपुर में 57 साल बाद मिली हार
हरियाणा विधानसभा चुनाव में आदमपुर सीट पर हार के बाद भजनलाल परिवार का 57 साल पुराना किला ढह गया है। इस चुनाव में भव्य बिश्नोई 1268 वोटों से हार गए। इस हार के बाद कुलदीप बिश्नोई काफी दुखी हैं। वह आदमपुर में लोगों के बीच भावुक हो गए थे। 3. मुकाम में संरक्षक पद छीना, बिश्नोई रत्न वापस लिया
आदमपुर में चुनाव हारने के बाद कुलदीप बिश्नोई को बड़ी चुनौती अपनों से ही मिली। अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के प्रधान के इस्तीफे को लेकर समाज का एक वर्ग उनके खिलाफ हो गया। महासभा के प्रधान ने मुकाम में बैठक कर कुलदीप बिश्नोई को महासभा के संरक्षक पद से हटा दिया और बिश्नोई रत्न वापस ले लिया। हालांकि, इस प्रकरण के बाद से ही कुलदीप बिश्नोई ने चुप्पी साधी हुई है। कुलदीप बिश्नोई और परिवार ने भाजपा से बनाई हुई है दूरी
कुलदीप बिश्नोई ने हरियाणा भाजपा से इन दिनों दूरी बनाई हुई है। वह न तो भाजपा की मीटिंगों में शामिल हो रहे हैं और न ही पार्टी के किसी कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं। 25 नवंबर को मुख्यमंत्री नायब सैनी हिसार में आए, मगर कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे कार्यक्रम में नहीं आए। इससे पहले प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली हिसार आए, लेकिन दोनों पिता-पुत्र नजर नहीं आए। इसके बाद चंडीगढ़ में समीक्षा बैठकों से भी बिश्नोई परिवार नदारद रहा। कुलदीप बिश्नोई की पार्टी से दूरी की वजह बेटे की हार के अलावा प्रमुखता से निमंत्रण न मिलना, राज्यसभा न भेजना और बिश्नोई महासभा से जुड़ा विवाद बताया जा रहा है।