22 साल बाद मां से मिले बेटे की कहानी:7 साल की उम्र में किडनैप हुआ, पेट के लिए भीख मांगी और कूड़ा बीना

22 साल बाद मां से मिले बेटे की कहानी:7 साल की उम्र में किडनैप हुआ, पेट के लिए भीख मांगी और कूड़ा बीना

“2003 में मेरी उम्र सात साल की थी। मेरी दूसरी मां ने मुझे दुकान से सामान लेने भेजा था। तभी किसी ने मुझे किडनैप कर लिया। मुझे ट्रेन में छोड़ दिया। आंख खुली तो मुंबई में था। मैंने वहां लोगों से पूछा मैं कहा हूं। तब किसी ने बताया मुंबई। मैं नहीं जानता था कि मुंबई क्या है। वहां किसी को लगा कि मैं भटक गया हूं। तब उन्होंने मुझे दिल्ली की ट्रेन में बैठा दिया। मेरे पास पैसे भी नहीं थे। भूख और प्यास से मेरा दम निकला जा रहा था। तब मैंने भीख मांगी और फिर कूड़ा बीना। मैं मां-बाप से दूर तो पहले ही हो चुका था। लेकिन, अब कैसे जीवन बताऊंगा? पता नहीं था।” ये कहना है, 22 साल बाद अपनी मां से मिले अमित का। पढ़िए…अमित की कहानी, जिसने अपनी मां से दूर रहकर अपने जीवन के 22 साल बिताए… अमित का कहना है कि वो जीवन के 22 साल। जो बड़े संघर्ष के बिताए। ना मां-बाप का पता था कि वो कहां रहते हैं। बस गांव का नाम बला ही याद था। सहारनपुर से मुंबई पहुंच गया और मुंबई से दिल्ली। पता नहीं था क्या करना है, कहां जाना है? बस अपने घर की याद आ रही थी। तभी दिल्ली में पुलिस ने चिल्ड्रेन होम अलीपुर आश्रम में छोड़ दिया। वहां पर 5 साल रहा। शहर का नाम पता नहीं था, बस गांव का नाम याद था
फिर दिल्ली के पहाड़गंज में बाल संयोग चिल्ड्रेन होम में भेज दिया। उसके बाद डीएमआरसी चिल्ड्रेन होम में भेज दिया। इस प्रकार मेरे आश्रम बदलते रहे और मेरा पता भी। बस अपने असली पते की तलाश में था। डीएमआरसी चिल्ड्रेन होम में 18 साल तक रहा। वहीं 10वीं पास की। चिल्ड्रेन होम वालों ने मुझे वहीं नौकरी दे दी। 20 हजार रुपए मिलते थे। उन 18 सालों में मैं अपने घर की तलाश की। रेलवे स्टेशन और शहर-शहर जाकर अपनी धुंधली याद को ताजा करने की कोशिश की। मुझे अपने घर का पता नहीं था। ना ही शहर का नाम पता था। बस गांव का नाम बला ही पता था। ये पता था कि उसके गांव के पास कोल्हू चलते हैं। इसी पते को ढूंढने के लिए भटकता रहा। आश्रम से कभी छुट्‌टी लेता या छुट्टी वाले दिन भटकता। लेकिन घर का पता नहीं चला। हरियाणा पुलिस के इंस्पेक्टर से मदद मांगी
डीएमआरसी चिल्ड्रेन होम से मेरी बदली गाजियाबाद के उदय केयर चिल्ड्रेन होम में हो गई थी। एक दिन किसी केस के लिए मेरे चिल्ड्रेन होम में एक हरियाणा पुलिस के इंस्पेक्टर राजेश कुमार आए। पता चला कि वो बिछड़े हुए परिवार और लोगों को मिला देते हैं। फिर मैं उनके पास गया। उनसे बोला, मैं भी बचपन से अपने परिवार से बिछड़ गया था। मेरे माता-पिता का भी पता ढूंढने में मदद कर दीजिए। मेरे माता-पिता से मिलवा दीजिए। फिर इंस्पेक्टर ने गांव, मां-बाप के बारे में पूछा। कहां रहते थे ये पूछा। कुछ निशानी। लेकिन मुझे कुछ नहीं पता था। बस यहीं याद था कि गांव बला करके है। सोशल मीडिया से गांव के एक व्यक्ति का मोबाइल नंबर मिला
हरियाणा के पंचकूला में स्टेट क्राइम ब्रांच के सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने अमित की बातों को नोट किया। फिर उसके घर का पता ढूंढने के लिए निकले। सोशल मीडिया से लेकर गूगल तक की मदद ली। फिर किसी तरह उन्हें एक युवक का पता मिला। उसने बला नाम गलत बताया और गांव का नाम बताया बलाचौर। फिर वहां के किसी ग्रामीण का नंबर दिया। सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने फोन पर किसी बच्चे के गुम होने की कहानी पता की। उधर, से जवाब मिला कि हां एक बच्चा 20-22 साल पहले गायब हो गया था। वो सुनीता का था। जो आज तक नहीं मिला। लेकिन सुनीता की शादी मुजफ्फरनगर के घुमावती में हो गई थी। फिर क्या था। राजेश कुमार ने अमित को उसके बारे में बताया कि वो कहां का रहने वाला है। चिल्ड्रेन होम में भी हर किसी के चेहरे पर खुशी थी कि अमित अपने घर वापस जा रहा है। लेकिन एक जुड़ाव अमित का चिल्ड्रेन होम में रहने वाले लोगों से हो गया था। जिसे छोड़कर जाने का मन नहीं था। लेकिन उन मां-बाप से मिलने की खुशी भी थी। अमित ये कहकर आया कि वो नौकरी नहीं छोड़कर जा रहा है, वो वापस आएगा। गांव पहुंचे तो पता चला कि पिता की मौत हो चुकी है
19 मई 2024 को सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार उस 29 साल के अमित को लेकर पहले नागल के बलाचौर में पहुंचे। लेकिन वहां पर पता चला कि उसके पिता जग्गू की मौत हो चुकी थी। अमित की मां सुनीता की दूसरी शादी मुजफ्फरनगर के घुमावती गांव में पप्पू से हो गई थी। फोन पर बात की। तो उसकी मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जब अमित पहुंचा। तब उसके परिवार के लोग उसका इंतजार कर रहे थे। गांव के लोगों की भीड़ लगी हुई थी। मां-बेटा गले मिले और फूट-फूटकर रोए। मां ने पूछा बेटा कहां था इतने दिन। अमित के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। पति की मौत के बाद सुनीता ने दूसरी शादी की
अमित की मां सुनीता के दूसरे पति पप्पू ने भी बड़ा दिल करते हुए उसे अपनाने की बात की। पप्पू ने कहा, मेरा एक बेटा नहीं है। अब दो बेटे हो गए है। ये मेरा ही बेटा है। ये यहीं रहेगा और मैं उसको पिता का प्यार दूंगा। अमित ने कहा, मैं इसी घर का हिस्सा रहूंगा। लेकिन मुझे काम के लिए वहीं चिल्ड्रेन होम में जाना पड़ेगा। क्योंकि जिंदगी जीने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही है। “2003 में मेरी उम्र सात साल की थी। मेरी दूसरी मां ने मुझे दुकान से सामान लेने भेजा था। तभी किसी ने मुझे किडनैप कर लिया। मुझे ट्रेन में छोड़ दिया। आंख खुली तो मुंबई में था। मैंने वहां लोगों से पूछा मैं कहा हूं। तब किसी ने बताया मुंबई। मैं नहीं जानता था कि मुंबई क्या है। वहां किसी को लगा कि मैं भटक गया हूं। तब उन्होंने मुझे दिल्ली की ट्रेन में बैठा दिया। मेरे पास पैसे भी नहीं थे। भूख और प्यास से मेरा दम निकला जा रहा था। तब मैंने भीख मांगी और फिर कूड़ा बीना। मैं मां-बाप से दूर तो पहले ही हो चुका था। लेकिन, अब कैसे जीवन बताऊंगा? पता नहीं था।” ये कहना है, 22 साल बाद अपनी मां से मिले अमित का। पढ़िए…अमित की कहानी, जिसने अपनी मां से दूर रहकर अपने जीवन के 22 साल बिताए… अमित का कहना है कि वो जीवन के 22 साल। जो बड़े संघर्ष के बिताए। ना मां-बाप का पता था कि वो कहां रहते हैं। बस गांव का नाम बला ही याद था। सहारनपुर से मुंबई पहुंच गया और मुंबई से दिल्ली। पता नहीं था क्या करना है, कहां जाना है? बस अपने घर की याद आ रही थी। तभी दिल्ली में पुलिस ने चिल्ड्रेन होम अलीपुर आश्रम में छोड़ दिया। वहां पर 5 साल रहा। शहर का नाम पता नहीं था, बस गांव का नाम याद था
फिर दिल्ली के पहाड़गंज में बाल संयोग चिल्ड्रेन होम में भेज दिया। उसके बाद डीएमआरसी चिल्ड्रेन होम में भेज दिया। इस प्रकार मेरे आश्रम बदलते रहे और मेरा पता भी। बस अपने असली पते की तलाश में था। डीएमआरसी चिल्ड्रेन होम में 18 साल तक रहा। वहीं 10वीं पास की। चिल्ड्रेन होम वालों ने मुझे वहीं नौकरी दे दी। 20 हजार रुपए मिलते थे। उन 18 सालों में मैं अपने घर की तलाश की। रेलवे स्टेशन और शहर-शहर जाकर अपनी धुंधली याद को ताजा करने की कोशिश की। मुझे अपने घर का पता नहीं था। ना ही शहर का नाम पता था। बस गांव का नाम बला ही पता था। ये पता था कि उसके गांव के पास कोल्हू चलते हैं। इसी पते को ढूंढने के लिए भटकता रहा। आश्रम से कभी छुट्‌टी लेता या छुट्टी वाले दिन भटकता। लेकिन घर का पता नहीं चला। हरियाणा पुलिस के इंस्पेक्टर से मदद मांगी
डीएमआरसी चिल्ड्रेन होम से मेरी बदली गाजियाबाद के उदय केयर चिल्ड्रेन होम में हो गई थी। एक दिन किसी केस के लिए मेरे चिल्ड्रेन होम में एक हरियाणा पुलिस के इंस्पेक्टर राजेश कुमार आए। पता चला कि वो बिछड़े हुए परिवार और लोगों को मिला देते हैं। फिर मैं उनके पास गया। उनसे बोला, मैं भी बचपन से अपने परिवार से बिछड़ गया था। मेरे माता-पिता का भी पता ढूंढने में मदद कर दीजिए। मेरे माता-पिता से मिलवा दीजिए। फिर इंस्पेक्टर ने गांव, मां-बाप के बारे में पूछा। कहां रहते थे ये पूछा। कुछ निशानी। लेकिन मुझे कुछ नहीं पता था। बस यहीं याद था कि गांव बला करके है। सोशल मीडिया से गांव के एक व्यक्ति का मोबाइल नंबर मिला
हरियाणा के पंचकूला में स्टेट क्राइम ब्रांच के सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने अमित की बातों को नोट किया। फिर उसके घर का पता ढूंढने के लिए निकले। सोशल मीडिया से लेकर गूगल तक की मदद ली। फिर किसी तरह उन्हें एक युवक का पता मिला। उसने बला नाम गलत बताया और गांव का नाम बताया बलाचौर। फिर वहां के किसी ग्रामीण का नंबर दिया। सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार ने फोन पर किसी बच्चे के गुम होने की कहानी पता की। उधर, से जवाब मिला कि हां एक बच्चा 20-22 साल पहले गायब हो गया था। वो सुनीता का था। जो आज तक नहीं मिला। लेकिन सुनीता की शादी मुजफ्फरनगर के घुमावती में हो गई थी। फिर क्या था। राजेश कुमार ने अमित को उसके बारे में बताया कि वो कहां का रहने वाला है। चिल्ड्रेन होम में भी हर किसी के चेहरे पर खुशी थी कि अमित अपने घर वापस जा रहा है। लेकिन एक जुड़ाव अमित का चिल्ड्रेन होम में रहने वाले लोगों से हो गया था। जिसे छोड़कर जाने का मन नहीं था। लेकिन उन मां-बाप से मिलने की खुशी भी थी। अमित ये कहकर आया कि वो नौकरी नहीं छोड़कर जा रहा है, वो वापस आएगा। गांव पहुंचे तो पता चला कि पिता की मौत हो चुकी है
19 मई 2024 को सब इंस्पेक्टर राजेश कुमार उस 29 साल के अमित को लेकर पहले नागल के बलाचौर में पहुंचे। लेकिन वहां पर पता चला कि उसके पिता जग्गू की मौत हो चुकी थी। अमित की मां सुनीता की दूसरी शादी मुजफ्फरनगर के घुमावती गांव में पप्पू से हो गई थी। फोन पर बात की। तो उसकी मां की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। जब अमित पहुंचा। तब उसके परिवार के लोग उसका इंतजार कर रहे थे। गांव के लोगों की भीड़ लगी हुई थी। मां-बेटा गले मिले और फूट-फूटकर रोए। मां ने पूछा बेटा कहां था इतने दिन। अमित के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। पति की मौत के बाद सुनीता ने दूसरी शादी की
अमित की मां सुनीता के दूसरे पति पप्पू ने भी बड़ा दिल करते हुए उसे अपनाने की बात की। पप्पू ने कहा, मेरा एक बेटा नहीं है। अब दो बेटे हो गए है। ये मेरा ही बेटा है। ये यहीं रहेगा और मैं उसको पिता का प्यार दूंगा। अमित ने कहा, मैं इसी घर का हिस्सा रहूंगा। लेकिन मुझे काम के लिए वहीं चिल्ड्रेन होम में जाना पड़ेगा। क्योंकि जिंदगी जीने के लिए कुछ ना कुछ तो करना ही है।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर