4 दिन में 2 भाइयों की हार्ट अटैक से मौत:लखनऊ में बहन का रो-रोकर बुरा हाल; मां बेसुध, पिता बोले-क्या गलती हो गई भगवान

4 दिन में 2 भाइयों की हार्ट अटैक से मौत:लखनऊ में बहन का रो-रोकर बुरा हाल; मां बेसुध, पिता बोले-क्या गलती हो गई भगवान

भैया को बहुत समझाया। बार-बार कहा कि छोटे भाई के साथ जो हुआ वो ईश्वर की मर्जी थी, लेकिन वो नहीं माने। 9 जून के बाद से उन्होंने ठीक से नींद नहीं ली, खाना नहीं खाया। पवन के जाने के बाद भैया कहते थे। अब किसके लिए जिएं? मैं रोज उन्हें मनाती थी, खाना बनाकर सामने रखती थी, लेकिन वो थाली देखते थे, खाते नहीं थे। शुक्रवार सुबह अचानक तबीयत बिगड़ी। अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। ये कहते हुए प्रियंका फफककर रो पड़ीं। जुबान थम गई, चेहरा पसीने से भर गया। प्रियंका ने 4 दिन के भीतर अपने 2 भाइयों को खो दिया है। एक जैसी मौत से परिवार-रिश्तेदार और पड़ोसी हर कोई गमगीन है। दैनिक भास्कर की टीम लखनऊ के सरोजनी नगर थाना क्षेत्र के बंथरा गांव में उस घर पहुंची, जहां चार दिन पहले पवन सिंह (25) की मौत हुई, अब बड़े बेटे मोनू सिंह (45) भी चल बसे। गमगीन माहौल में परिजनों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने क्या कहा। पढ़िए… दोनों भाइयों में राम-लक्ष्मण जैसा प्रेम था शेर बहादुर सिंह यादव बताते हैं- पवन बहुत अच्छा लड़का था। 15 साल से मेरे बेटे के साथ कचहरी आता-जाता था। जब मुझे बुखार आता था, तो दवा लेकर भागा-भागा आता था। उसके जाने के बाद अब मोनू की भी मौत हो गई। मुझे लगता है ये सब भीषण गर्मी और हीट वेव की वजह से हुआ है। सरोजनी नगर बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष एडवोकेट मनोज यादव कहते हैं- पवन मेरा जूनियर था। घटना से पहले चैंबर में ही मिला था। काम निपटाने के बाद बाहर गया और अचानक गिर पड़ा। हम लोग उसे लेकर अस्पताल भागे, लेकिन जान नहीं बची। मोनू और पवन दोनों बिल्कुल राम-लक्ष्मण जैसे थे, एक-दूसरे से बहुत प्रेम करते थे।
बहन ने कहा- अब घर में कोई नहीं बचा बहन प्रियंका बताती हैं- हम तीन भाई-बहन थे। दो भाई चले गए। मेरी मां बेसुध हैं, पापा रो-रोकर थक गए हैं। मेरी बेटी मामा को पुकार रही है। लेकिन उसे कैसे समझाएं कि अब उसके मामा नहीं हैं। मोनू भैया को बच्चा नहीं था, वो हमें ही अपने बेटे-बेटी मानते थे। छोटे भाई पवन की फरवरी में शादी तय हुई थी, खूब तैयारियां हो रही थीं। मोनू भैया कहते थे। ‘इसकी शादी पूरे मोहल्ले की सबसे शानदार शादी होगी।’ लेकिन अब… सब खत्म हो गया। प्रियंका मोबाइल में शादी की एक तस्वीर दिखाते हुए कहती हैं- “देखो, दोनों भाई मेरी शादी में कैसे साथ खड़े थे। अब दोनों नहीं रहे। लगता है किसी की नजर लग गई थी हमारे परिवार को। अब पापा कुछ नहीं बोलते, बस चुपचाप रोते हैं… प्रियंका कहती हैं- मेरी मां को होश नहीं है। पापा किसी से नहीं बोल रहे। बस कोने में बैठे रोते हैं। कह रहे थे कौन सी गलती की सजा भगवान ने दी है। दोनों बेटों को मुझसे छीन लिया। मेरी बेटी दिनभर मामा-मामा करती है…अब उसे क्या बताऊं कि उसके दोनों मामा अब कभी नहीं लौटेंगे।
11 जून को भी दैनिक भास्कर मोनू-पवन के घर पहुंचा था। मोनू ने ही पवन की पूरी जानकारी दी थी, क्या पता था वे भी अपने परिवार को छोड़ जाएंगे। पढ़िए हूबहू … छोटे भाई पवन की मौत के बाद मोनू डिप्रेशन में आ गए थे। उन्होंने कहा था, ‘भाई पवन को कभी बुखार तक नहीं आया। एकदम स्वस्थ था। हमेशा खुशमिजाज रहता था। उसे किसी तरह की कोई टेंशन नहीं थी। हार्ट अटैक आया और अचानक ही हमारा सबकुछ खत्म हो गया। थोड़ा समय मिल गया होता तो हम किसी भी कीमत पर भाई को बचा लेते।’ उन्होंने कहा कि भाई रोजाना की तरह सुबह कोर्ट गया था। बिजनौर में रजिस्ट्री का काम कराना था। वहां काम निपटाकर अपने चैंबर के पास पहुंचा। चैंबर के पास अपने एक साथी से बातचीत की फिर अचानक से गिर गया। इसके बाद नहीं उठा। मिनटों में सब खत्म हो गया। यह बताते हुए अचानक मोनू गुमसुम हो गए। फरवरी में पवन की शादी होनी थी
मोनू ने बताया था कि वकालत शुरू करने के बाद पवन ठीक पैसा कमा लेता था। अब परिवार संभालने लायक भी हो गया था। इसलिए माता-पिता ने उसका रिश्ता भी पक्का कर दिया था। रायबरेली में शादी तय हो गई थी। फरवरी में शादी होनी थी। इसके पहले एक शुभ कार्यक्रम रखने की तैयारी चल रही थी। हालांकि, अभी डेट तय नहीं हुई थी। हादसे के बाद से सारी खुशियां मातम में बदल गईं। कानपुर के घाट पर हुआ अंतिम संस्कार
मोनू ने बताया कि घटना की सूचना दोपहर करीब 3:35 बजे मिली। मैं अपने साथियों के साथ पहुंचा। कई अस्पतालों में भाई को ले गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। डॉक्टर भी हार्ट अटैक ही बता रहे थे। तभी सीसीटीवी भी सामने आ गया जिसमें महज हादसा लगा। इसीलिए पोस्टमॉर्टम नहीं कराया। हमें किसी पर कोई संदेह नहीं है। उस दिन की घटना रिमाइंड करिए… बिजनौर में काम के बाद तहसील लौटा
9 जून को बिजनौर में एक रजिस्ट्री का काम था तो अभिषेक (पवन) अपने एक साथी के साथ वहां गया। काम खत्म करके करीब 3 बजे वापस सरोजनी नगर तहसील पहुंचा। कुछ साथियों के साथ तहसील परिसर में आपस में कुछ बात रहा था। तभी अभिषेक को चक्कर जैसा आया, जिससे वह गश खाकर गिर गया। उसका सिर दीवार में थोड़ा लड़ा फिर वह अचेत हो गया। मौके पर साथी वकीलों की भीड़ जमा हो गई। अभिषेक को आनन-फानन में अस्पताल पहुंचाया गया। पीजीआई पहुंचने में लगे 30 मिनट
अभिषेक के साथी वकीलों को पीजीआई तक पहुंचाने में 30 मिनट लगे। वहां 4 बजे पहुंचे और डॉक्टरों ने बताया कि इनकी डेथ हो चुकी है। SGPGI के इमरजेंसी विभाग के प्रभारी डॉ. तन्मय ने बताया, शाम 4 बजे के करीब अभिषेक नाम के युवक को ‘ब्रॉट डेड’ कंडीशन में लाया गया था। ECG करने पर हार्ट बीट फ्लैट लाइन के रूप में दिख रही थीं। डेड बॉडी के साथ करीब आधा दर्जन वकील भी थे। उन लोगों ने बताया कि ऑफिस में काम करने के दौरान वो अचानक गिर गए थे। उसके बाद हम जितना जल्दी हो सका अस्पताल लेकर पहुंचे। पढ़ें पूरी खबर भैया को बहुत समझाया। बार-बार कहा कि छोटे भाई के साथ जो हुआ वो ईश्वर की मर्जी थी, लेकिन वो नहीं माने। 9 जून के बाद से उन्होंने ठीक से नींद नहीं ली, खाना नहीं खाया। पवन के जाने के बाद भैया कहते थे। अब किसके लिए जिएं? मैं रोज उन्हें मनाती थी, खाना बनाकर सामने रखती थी, लेकिन वो थाली देखते थे, खाते नहीं थे। शुक्रवार सुबह अचानक तबीयत बिगड़ी। अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। ये कहते हुए प्रियंका फफककर रो पड़ीं। जुबान थम गई, चेहरा पसीने से भर गया। प्रियंका ने 4 दिन के भीतर अपने 2 भाइयों को खो दिया है। एक जैसी मौत से परिवार-रिश्तेदार और पड़ोसी हर कोई गमगीन है। दैनिक भास्कर की टीम लखनऊ के सरोजनी नगर थाना क्षेत्र के बंथरा गांव में उस घर पहुंची, जहां चार दिन पहले पवन सिंह (25) की मौत हुई, अब बड़े बेटे मोनू सिंह (45) भी चल बसे। गमगीन माहौल में परिजनों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने क्या कहा। पढ़िए… दोनों भाइयों में राम-लक्ष्मण जैसा प्रेम था शेर बहादुर सिंह यादव बताते हैं- पवन बहुत अच्छा लड़का था। 15 साल से मेरे बेटे के साथ कचहरी आता-जाता था। जब मुझे बुखार आता था, तो दवा लेकर भागा-भागा आता था। उसके जाने के बाद अब मोनू की भी मौत हो गई। मुझे लगता है ये सब भीषण गर्मी और हीट वेव की वजह से हुआ है। सरोजनी नगर बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष एडवोकेट मनोज यादव कहते हैं- पवन मेरा जूनियर था। घटना से पहले चैंबर में ही मिला था। काम निपटाने के बाद बाहर गया और अचानक गिर पड़ा। हम लोग उसे लेकर अस्पताल भागे, लेकिन जान नहीं बची। मोनू और पवन दोनों बिल्कुल राम-लक्ष्मण जैसे थे, एक-दूसरे से बहुत प्रेम करते थे।
बहन ने कहा- अब घर में कोई नहीं बचा बहन प्रियंका बताती हैं- हम तीन भाई-बहन थे। दो भाई चले गए। मेरी मां बेसुध हैं, पापा रो-रोकर थक गए हैं। मेरी बेटी मामा को पुकार रही है। लेकिन उसे कैसे समझाएं कि अब उसके मामा नहीं हैं। मोनू भैया को बच्चा नहीं था, वो हमें ही अपने बेटे-बेटी मानते थे। छोटे भाई पवन की फरवरी में शादी तय हुई थी, खूब तैयारियां हो रही थीं। मोनू भैया कहते थे। ‘इसकी शादी पूरे मोहल्ले की सबसे शानदार शादी होगी।’ लेकिन अब… सब खत्म हो गया। प्रियंका मोबाइल में शादी की एक तस्वीर दिखाते हुए कहती हैं- “देखो, दोनों भाई मेरी शादी में कैसे साथ खड़े थे। अब दोनों नहीं रहे। लगता है किसी की नजर लग गई थी हमारे परिवार को। अब पापा कुछ नहीं बोलते, बस चुपचाप रोते हैं… प्रियंका कहती हैं- मेरी मां को होश नहीं है। पापा किसी से नहीं बोल रहे। बस कोने में बैठे रोते हैं। कह रहे थे कौन सी गलती की सजा भगवान ने दी है। दोनों बेटों को मुझसे छीन लिया। मेरी बेटी दिनभर मामा-मामा करती है…अब उसे क्या बताऊं कि उसके दोनों मामा अब कभी नहीं लौटेंगे।
11 जून को भी दैनिक भास्कर मोनू-पवन के घर पहुंचा था। मोनू ने ही पवन की पूरी जानकारी दी थी, क्या पता था वे भी अपने परिवार को छोड़ जाएंगे। पढ़िए हूबहू … छोटे भाई पवन की मौत के बाद मोनू डिप्रेशन में आ गए थे। उन्होंने कहा था, ‘भाई पवन को कभी बुखार तक नहीं आया। एकदम स्वस्थ था। हमेशा खुशमिजाज रहता था। उसे किसी तरह की कोई टेंशन नहीं थी। हार्ट अटैक आया और अचानक ही हमारा सबकुछ खत्म हो गया। थोड़ा समय मिल गया होता तो हम किसी भी कीमत पर भाई को बचा लेते।’ उन्होंने कहा कि भाई रोजाना की तरह सुबह कोर्ट गया था। बिजनौर में रजिस्ट्री का काम कराना था। वहां काम निपटाकर अपने चैंबर के पास पहुंचा। चैंबर के पास अपने एक साथी से बातचीत की फिर अचानक से गिर गया। इसके बाद नहीं उठा। मिनटों में सब खत्म हो गया। यह बताते हुए अचानक मोनू गुमसुम हो गए। फरवरी में पवन की शादी होनी थी
मोनू ने बताया था कि वकालत शुरू करने के बाद पवन ठीक पैसा कमा लेता था। अब परिवार संभालने लायक भी हो गया था। इसलिए माता-पिता ने उसका रिश्ता भी पक्का कर दिया था। रायबरेली में शादी तय हो गई थी। फरवरी में शादी होनी थी। इसके पहले एक शुभ कार्यक्रम रखने की तैयारी चल रही थी। हालांकि, अभी डेट तय नहीं हुई थी। हादसे के बाद से सारी खुशियां मातम में बदल गईं। कानपुर के घाट पर हुआ अंतिम संस्कार
मोनू ने बताया कि घटना की सूचना दोपहर करीब 3:35 बजे मिली। मैं अपने साथियों के साथ पहुंचा। कई अस्पतालों में भाई को ले गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। डॉक्टर भी हार्ट अटैक ही बता रहे थे। तभी सीसीटीवी भी सामने आ गया जिसमें महज हादसा लगा। इसीलिए पोस्टमॉर्टम नहीं कराया। हमें किसी पर कोई संदेह नहीं है। उस दिन की घटना रिमाइंड करिए… बिजनौर में काम के बाद तहसील लौटा
9 जून को बिजनौर में एक रजिस्ट्री का काम था तो अभिषेक (पवन) अपने एक साथी के साथ वहां गया। काम खत्म करके करीब 3 बजे वापस सरोजनी नगर तहसील पहुंचा। कुछ साथियों के साथ तहसील परिसर में आपस में कुछ बात रहा था। तभी अभिषेक को चक्कर जैसा आया, जिससे वह गश खाकर गिर गया। उसका सिर दीवार में थोड़ा लड़ा फिर वह अचेत हो गया। मौके पर साथी वकीलों की भीड़ जमा हो गई। अभिषेक को आनन-फानन में अस्पताल पहुंचाया गया। पीजीआई पहुंचने में लगे 30 मिनट
अभिषेक के साथी वकीलों को पीजीआई तक पहुंचाने में 30 मिनट लगे। वहां 4 बजे पहुंचे और डॉक्टरों ने बताया कि इनकी डेथ हो चुकी है। SGPGI के इमरजेंसी विभाग के प्रभारी डॉ. तन्मय ने बताया, शाम 4 बजे के करीब अभिषेक नाम के युवक को ‘ब्रॉट डेड’ कंडीशन में लाया गया था। ECG करने पर हार्ट बीट फ्लैट लाइन के रूप में दिख रही थीं। डेड बॉडी के साथ करीब आधा दर्जन वकील भी थे। उन लोगों ने बताया कि ऑफिस में काम करने के दौरान वो अचानक गिर गए थे। उसके बाद हम जितना जल्दी हो सका अस्पताल लेकर पहुंचे। पढ़ें पूरी खबर   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर