45 एनकाउंटर करने वाले IPS विद्या सागर मिश्र:रेप पीड़िता को 7 दिनों में दिलाया इंसाफ, जौनपुर डकैती कांड में 3 बदमाश मारे

45 एनकाउंटर करने वाले IPS विद्या सागर मिश्र:रेप पीड़िता को 7 दिनों में दिलाया इंसाफ, जौनपुर डकैती कांड में 3 बदमाश मारे

IPS विद्या सागर मिश्रा…यूपी पुलिस फोर्स का वो नाम, जिसने लॉ एंड ऑर्डर से कभी समझौता नहीं किया। विद्या सागर जहां तैनात रहे, वहां अपराधी थर-थर कांपते दिखाई दिए। विद्या सागर मिश्र के नाम 45 से ज्यादा एनकाउंटर दर्ज हैं। 2008 में जौनपुर डकैती कांड में विद्या सागर मिश्र ने मुठभेड़ में 3 बदमाशों को मार गिराया। यही नहीं, कई माफियाओं की रीढ़ तोड़ दी। 8 जिलों में सीओ और 5 जिलों में बतौर एडिशनल एसपी तैनात रहे विद्यासागर मिश्र नोएडा में DCP रह चुके हैं। 1993 बैच के PPS अफसर विद्या सागर 2015 में प्रमोट हुए और IPS बने। वह इस समय वेस्ट यूपी के संवेदनशील जिले रामपुर के एसपी हैं। विद्या सागर ने खाकी वर्दी के लिए 2 सरकारी नौकरियां ठुकरा दीं। उन्हें वर्दी के प्रति इतना लगाव क्यों रहा? 32 साल के अपने करियर में वो कौन से केस हैं, जो उन्हें आज तक याद हैं? दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज खाकी वर्दी में आज IPS विद्या सागर मिश्रा की कहानी 6 चैप्टर में जानते हैं… ​​​​​ यूपी के बलिया जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर शिवरामपुर गांव पड़ता हैं। यहां के रहने वाले मदन मोहन मिश्र कोलकाता पुलिस में कॉन्स्टेबल रहे। 10 जुलाई, 1966 को घर पर बेटे ने जन्म लिया। पत्नी शांति देवी ने बेटे का नाम रखा विद्या। पिता मदन मोहन मिश्रा ने जब बेटे का सरकारी स्कूल में दाखिला कराया तो नाम लिखाया- विद्या सागर मिश्र। विद्या सागर बताते हैं- 80 का दशक बहुत अच्छे से याद है। आज संसाधनों की भरमार है, लेकिन उस समय ऐसा नहीं था। सरकारी स्कूल की पढ़ाई आज के कान्वेंट स्कूल से भी बेहतर होती थी। अगर एक दिन पढ़ने न जाएं तो अगले दिन मास्टर घर से भी बच्चों को भेजकर बुलवा लेते थे। मेरी प्राइमरी एजुकेशन पूर्व माध्यमिक विद्यालय बांसटे से हुई। घर से स्कूल की दूरी 4 किमी के आसपास थी। हमारे गांव के सभी बच्चे एक साथ स्कूल जाते, उधर से छुट्‌टी होने के बाद भी एक साथ आते थे। सब बच्चों के साथ पैदल जाना, आज भी बचपन की यादें ताजा करता है। जब गर्मी तेज पड़ती तो आते हुए कपड़े के बस्ते सिर पर रख लेते थे। विद्या सागर मिश्र कहते हैं- 8वीं के बाद मैं पिता के साथ कोलकाता चला गया। जहां 1981 में वेस्ट बंगाल बोर्ड से प्रथम श्रेणी में 10 वीं पास की। इसके बाद 1983 में द्वितीय श्रेणी से 12 वीं की पढ़ाई की। हाईस्कूल की अपेक्षा इंटर में मार्क्स कम आए। उसके बाद कोलकाता यूनिवर्सिटी के सिटी कॉलेज से Bsc बॉयलोजी की, इस बार भी सेकेंड डिवीजन आया। विद्या सागर मिश्र बताते हैं- पिता कोलकाता पुलिस में कॉन्स्टेबल थे। उन्हें जब भी वर्दी में देखता, तो कहता- पापा मैं भी पुलिस में जाऊंगा। मेरी बात सुन पापा मुस्कुराते और बोलते- हां, लेकिन अफसर बनना…IPS अफसर। मेरे पिताजी यही चाहते थे कि मैं आईपीएस बनूं। कोलकाता में सिटी कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई शुरू कर दी, जहां साल 1991 में लॉ की डिग्री पूरी की। 1991 में ही सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। इसी साल प्रयागराज में रहने वाले राजेश कुमार भी तैयारी कर रहे थे, वहीं ज्ञानंजय सिंह भी तैयारी कर रहे थे। राजेश कुमार डीसीपी सिटी हैं, जबकि ज्ञानंजय सिंह एसपी हापुड़ हैं। 1991 में पहली बार रीजनल अफसर की नौकरी पाई, उसके बाद 1992 में अपर लेवर कमिश्नर की रैंक मिली। लेकिन सपना था कि वर्दी ही पहननी है। इसके बाद 1993 में सेल्स टैक्स आफिसर की नौकरी मिली, बाद में डीएसपी पद पर चयन हुआ। 1993 बैच में PPS में चयन हुआ। विद्या सागर बताते हैं- साल 2008 की बात है, मैं जौनपुर जिले में सीओ था। ग्रामीण बैंक में बदमाशों ने दिन दहाड़े डकैती की वारदात को अंजाम दिया। बदमाश बैंक से मोटी रकम लूटकर फरार हो गए। इसके बाद पूरे जिले में बदमाशों की घेराबंदी की गई। हमने कई जगह दबिश दी। 17 साल पहले बैंक में डकैती की यह घटना इतनी बड़ी थी कि पूरा जिला हिल गया था। पुलिस जांच में पता चला कि बैंक डकैती कांड को काका रमेश ने अपने गैंग के साथ अंजाम दिया है। हमने अपने मुखबिरों के नेटवर्क को टाइट किया। ऐलान करवाया कि बदमाशों की सटीक टिप देने वाले को अच्छा इनाम दिया जाएगा। मुखबिरों का जाल फैलने लगा। उन दिनों मोबाइल फोन और आज जैसा हाईटेक सर्विलांस सिस्टम नहीं था। हमारे पास इनपुट आया कि काका रमेश एंड गैंग फिर से एक वारदात को अंजाम देने की फिराक में है। लोकेशन पता चली- केराकत। विद्या सागर कहते हैं- इत्तफाक से मैं उस समय सीओ केराकत था। जैसे रमेश काका अपने गुर्गों के साथ यहां पहुंचा। हमने 2 टीमों के साथ उसे घेर लिया। इन लोगों ने खुद को घिरा देख फायरिंग शुरू कर दी। एक बदमाश पिस्टल से बार-बार फायरिंग कर रहा था। विद्यासागर बताते हैं- हम लोगों ने मोर्चा संभाला। जवाबी कार्रवाई में हमने भी गोलियां चलाईं। 40 मिनट तक दोनों तरफ से फायरिंग होती रही। हमारे साथ एक सिपाही तो बाल-बाल बच गया। जब शोर खत्म हुआ, हमें लगा कि बदमाश फरार हो निकले हैं। हम जब स्पॉट पर पहुंचे, तो देखा काका रमेश और उसके दो साथी ढेर हो चुके थे। इन लोगों ने बुलेट प्रूफ जैकेट भी पहन रखी थी। विद्या सागर मिश्रा हरदोई, अम्बेडकरनगर, वाराणसी, जौनपुर, मऊ, सीतापुर, औरैया, लखनऊ में सीओ के पद पर रहे। बागपत जिले में एडिशनल एसपी रहे हैं। आगरा में एसपी प्रोटोकॉल, सहारपपुर में एसपी देहात, मुरादाबाद में एसपी देहात, प्रतापगढ़ में एडिशनल एसपी रहे हैं। IPS बनने के बाद नोएडा में डीसीपी भी रह चुके हैं। विद्या सागर मिश्र कहते हैं- दिसंबर 2024 की बात है। सिविल लाइन इलाके में हाईवे किनारे दुकानों पर सो रहे 2 लोगों की हत्या कर दी गई। डबल मर्डर की सूचना पर मैं भी पहुंचा। पुलिस ने आसपास के लोगों से घटना के बारे में जानकारी जुटाई। सीसीटीवी खंगाले गए। मृतकों की शिनाख्त करते हुए, उनके परिजनों से पूछताछ की गई। क्राइम सीन देखकर ही अंदाजा लग गया था कि हत्या करने वाला आसपास का हो सकता है। ये हत्याएं लकड़ी की थपली से की गई थी। दोनों के सिर और शरीर पर कई गंभीर चोटें थीं। मर्डर की सूचना पर डीआईजी मुरादाबाद भी पहुंच गए। डबल मर्डर के मामले में पुलिस ने पूरे साक्ष्य के आधार पर विक्की नाम के एक युवक को अरेस्ट किया। यह यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ का रहने वाला था। विक्की साइको किलर रहा है, जो रात में चोरी व लूट करते समय पहले भी कई वारदात कर चुका था। इससे पहले भी डबल मर्डर करने वाला यह विक्की पूर्व में भी एक चौकीदार पर गोली बरसा चुका था। पुलिस ने ताहिर अली और फरजंद अली के मर्डर में कुख्यात विक्की को एनकाउंटर के बाद अरेस्ट कर इस केस का खुलासा किया। विद्या सागर मिश्रा कहते हैं- मैंने अपने करियर में कई केस सॉल्व किए। मर्डर, रेप-चोरी, डकैती। अनगिनत…। लेकिन, बच्चों के साथ होने वाली घटनाओं ने हमेशा मुझे झकझोरा। ऐसी ही एक वारदात पिछले साल दिसंबर 2024 में हुई। मैं ताजा उदाहरण इसलिए दे रहा हूं, क्योंकि इस घटना ने मुझे बहुत आहत किया। मैं रामपुर में एसपी हूं, घटना यहीं हुई। बरेली की एक महिला रामपुर में अपनी 5 साल की मासूम बच्ची के साथ किराए के कमरे पर रहती थी। एक दिन वो पड़ोसी के यहां गई हुई थी। तभी उसकी बच्ची के साथ 72 साल के बुजुर्ग ने हैवानियत की। आरोपी अब्दुल रहमान दुष्कर्म के बाद फरार हो निकला। वारदात चौंकाने वाली थी। हम सूचना पाते ही मौके पर गए, सबसे पहले बच्ची का इलाज करवाया। फिर आरोपी की गिरफ्तारी में जुट गए। पीड़िता ने होश में आते ही अब्दुल रहमान के बारे में सबकुछ बता दिया। इसके बाद हमने सभी एविडेंस कलेक्ट किए। आरोपी की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की। मैं केस की लगातार मॉनिटरिंग कर रहा था। मैंने विवेचक को पूरे साक्ष्य जुटाकर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। 7 दिन के भीतर कोर्ट में आरोपी पर चार्जशीट दाखिल कर दी। कोर्ट में पुलिस की तरफ से तमाम साक्ष्य और बयान की सीडी उपस्थित कराई गई। साथ ही मजबूत पैरवी की। मात्र 45 दिन के भीतर ही कोर्ट ने इसमें ऐतिहासिक फैसला सुनाया। पुलिस द्वारा की गई विवेचना को साक्ष्यों के आधार पर माना। उन्हीं के आधार पर रेपिस्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई। गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी ने कई साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया था। लेकिन थाना पुलिस और महिला पुलिस ने आसपास पहले सीसीटीवी कैमरे देखे। फिर जांच में आया कि मकान मालिक ने ही बच्ची से बलात्कार किया है। जिस घर में बच्ची थी, वहां बाहर का कोई भी व्यक्ति नहीं आया, न ही अंदर से बाहर गया। बच्ची की मां ने पुलिस से यही गुहार लगाई थी, कि मेरी बेटी के साथ जो भी हुआ, लेकिन आरोपी पर भी ऐसी कार्रवाई हो, जिससे वह फिर किसी बच्ची की तरफ आंख न उठा सके। विद्या सागर मिश्र बताते हैं- फरवरी 2023 की बात है, प्रतापगढ़ जिले में शहर कोतवाली के मेदनीगंज हाईवे पर पिंटू सरोज नाम के युवक की हत्या कर दी गई। हत्या के बाद युवक के शव को सरसों के खेत में फेंक दिया। इस हत्याकांड की सूचना मिलते ही मैं क्राइम स्पॉट पर पहुंचा। मैंने एक्सपीरियंस से यह जान लिया था कि यह लूट के बाद की गई हत्या नहीं है। सच बताऊं तो दिमाग पहले ही कह चुका था कि पिंटू की हत्या किसी अपने ने ही की है या करवाई है। घटनास्थल से कुछ दूरी पर एक महिला बार-बार पुलिस को देखकर कह रही थी कि पत्नी ने हत्या कर दी। पत्नी के अलावा किसी ने हत्या नहीं कराई है। यहीं से पुलिस ने आसपास के लोगों से जब बात की तो सभी पत्नी पर ही संदेह जताने लगे। पुलिस ने मरने वाले पिंटू सरोज की पत्नी राधिका को वॉच किया। इसके बाद पुलिस ने मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली। पता चला कि पिंटू की पत्नी राधिका के दूसरे समुदाय के तनवीर से अवैध रिश्ते थे। इस बात का पता पिंटू को चल चुका था, कि पत्नी राधिका दूसरे समुदाय के युवक से सम्बन्ध हैं। जिसके बाद युवक ने कई बार पत्नी को बंधक बनाकर पीटा था। पत्नी राधिका अपने प्रेमी तनवीर से शादी करने के लिए कहती थी। पिंटू इस अफेयर में दरार बन रहा था। इसके बाद राधिका ने अपने प्रेमी तनवीर के साथ मिलकर उसकी हत्या करा दी और लाश को ठिकाने लगा दिया। तनवीर को अरेस्ट किया तो उसने पूरी कहानी बयां करते हुए कहा- मैंने अपने साथी के साथ मिलकर प्रेमिका के पति की हत्या की। शव को जलाने का प्रयास किया था, लेकिन किसी के आने की आहट हुई और हम लोग शव खेत में फेंककर फरार हो गए। विद्या सागर मिश्र बताते हैं- आज रामपुर में महिलाएं सुरक्षित हैं। आज से 15 साल या 20 साल पहले रामपुर में शाम के बाद महिलाएं घर से निकलने में भी डरती थीं। अब महिलाओं की एक छोटी सी शिकायत पर हम तत्काल एक्शन लेते हैं। सीओ और दूसरे अधिकारी मौके पर अलर्ट मोड पर रहते हैं। पूरे जिले में स्कूल कॉलेजों के बाहर पुलिस ने सादा कपड़ों में भी अभियान चलाया, जिससे किसी को पता भी न चल सके। पूर्व में रामपुर दंगों के लिए बदनाम रहा है, लेकिन आज बेहतर कानून व्यवस्था के चलते लोग रात में भी निडर आते जाते हैं। शराब और जमीन माफियाओं की भी पुलिस ने रीढ़ तोड़ी है। अपनी शादी के बारे में बात करते हुए विद्या सागर मिश्र बताते हैं कि परिवार की मर्जी से शादी हुई। पत्नी पूनम गृहिणी हैं। पुलिस की 3 दशक की नौकरी में हमेशा परिवार ने पूरा साथ दिया। कई बार ऐसे भी मौके आए कि 24 घंटे या दो- दो दिन वर्दी चेंज करने का भी मौका नहीं मिला। अचीवमेंट्स ………………………….. 405 एनकाउंटर करने वाले IPS शैलेश पांडे: प्रयागराज में अतीक गैंग की रीढ़ तोड़ी, अयोध्या में दंगा होने से बचाया; पत्नी बुलंदशहर डीएम IPS शैलेश कुमार पांडे…यूपी पुलिस फोर्स का वो अफसर, जिसके नाम 405 एनकाउंटर करने का रिकॉर्ड दर्ज है। अब तक 10 जिलों में SSP और SP रहे शैलेश कुमार पांडे 2011 बैच के IPS अफसर हैं। 14 साल के करियर में 4 बड़े कुख्यातों को ढेर किया। पढ़ें पूरी स्टोरी… IPS विद्या सागर मिश्रा…यूपी पुलिस फोर्स का वो नाम, जिसने लॉ एंड ऑर्डर से कभी समझौता नहीं किया। विद्या सागर जहां तैनात रहे, वहां अपराधी थर-थर कांपते दिखाई दिए। विद्या सागर मिश्र के नाम 45 से ज्यादा एनकाउंटर दर्ज हैं। 2008 में जौनपुर डकैती कांड में विद्या सागर मिश्र ने मुठभेड़ में 3 बदमाशों को मार गिराया। यही नहीं, कई माफियाओं की रीढ़ तोड़ दी। 8 जिलों में सीओ और 5 जिलों में बतौर एडिशनल एसपी तैनात रहे विद्यासागर मिश्र नोएडा में DCP रह चुके हैं। 1993 बैच के PPS अफसर विद्या सागर 2015 में प्रमोट हुए और IPS बने। वह इस समय वेस्ट यूपी के संवेदनशील जिले रामपुर के एसपी हैं। विद्या सागर ने खाकी वर्दी के लिए 2 सरकारी नौकरियां ठुकरा दीं। उन्हें वर्दी के प्रति इतना लगाव क्यों रहा? 32 साल के अपने करियर में वो कौन से केस हैं, जो उन्हें आज तक याद हैं? दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज खाकी वर्दी में आज IPS विद्या सागर मिश्रा की कहानी 6 चैप्टर में जानते हैं… ​​​​​ यूपी के बलिया जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर शिवरामपुर गांव पड़ता हैं। यहां के रहने वाले मदन मोहन मिश्र कोलकाता पुलिस में कॉन्स्टेबल रहे। 10 जुलाई, 1966 को घर पर बेटे ने जन्म लिया। पत्नी शांति देवी ने बेटे का नाम रखा विद्या। पिता मदन मोहन मिश्रा ने जब बेटे का सरकारी स्कूल में दाखिला कराया तो नाम लिखाया- विद्या सागर मिश्र। विद्या सागर बताते हैं- 80 का दशक बहुत अच्छे से याद है। आज संसाधनों की भरमार है, लेकिन उस समय ऐसा नहीं था। सरकारी स्कूल की पढ़ाई आज के कान्वेंट स्कूल से भी बेहतर होती थी। अगर एक दिन पढ़ने न जाएं तो अगले दिन मास्टर घर से भी बच्चों को भेजकर बुलवा लेते थे। मेरी प्राइमरी एजुकेशन पूर्व माध्यमिक विद्यालय बांसटे से हुई। घर से स्कूल की दूरी 4 किमी के आसपास थी। हमारे गांव के सभी बच्चे एक साथ स्कूल जाते, उधर से छुट्‌टी होने के बाद भी एक साथ आते थे। सब बच्चों के साथ पैदल जाना, आज भी बचपन की यादें ताजा करता है। जब गर्मी तेज पड़ती तो आते हुए कपड़े के बस्ते सिर पर रख लेते थे। विद्या सागर मिश्र कहते हैं- 8वीं के बाद मैं पिता के साथ कोलकाता चला गया। जहां 1981 में वेस्ट बंगाल बोर्ड से प्रथम श्रेणी में 10 वीं पास की। इसके बाद 1983 में द्वितीय श्रेणी से 12 वीं की पढ़ाई की। हाईस्कूल की अपेक्षा इंटर में मार्क्स कम आए। उसके बाद कोलकाता यूनिवर्सिटी के सिटी कॉलेज से Bsc बॉयलोजी की, इस बार भी सेकेंड डिवीजन आया। विद्या सागर मिश्र बताते हैं- पिता कोलकाता पुलिस में कॉन्स्टेबल थे। उन्हें जब भी वर्दी में देखता, तो कहता- पापा मैं भी पुलिस में जाऊंगा। मेरी बात सुन पापा मुस्कुराते और बोलते- हां, लेकिन अफसर बनना…IPS अफसर। मेरे पिताजी यही चाहते थे कि मैं आईपीएस बनूं। कोलकाता में सिटी कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में लॉ की पढ़ाई शुरू कर दी, जहां साल 1991 में लॉ की डिग्री पूरी की। 1991 में ही सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। इसी साल प्रयागराज में रहने वाले राजेश कुमार भी तैयारी कर रहे थे, वहीं ज्ञानंजय सिंह भी तैयारी कर रहे थे। राजेश कुमार डीसीपी सिटी हैं, जबकि ज्ञानंजय सिंह एसपी हापुड़ हैं। 1991 में पहली बार रीजनल अफसर की नौकरी पाई, उसके बाद 1992 में अपर लेवर कमिश्नर की रैंक मिली। लेकिन सपना था कि वर्दी ही पहननी है। इसके बाद 1993 में सेल्स टैक्स आफिसर की नौकरी मिली, बाद में डीएसपी पद पर चयन हुआ। 1993 बैच में PPS में चयन हुआ। विद्या सागर बताते हैं- साल 2008 की बात है, मैं जौनपुर जिले में सीओ था। ग्रामीण बैंक में बदमाशों ने दिन दहाड़े डकैती की वारदात को अंजाम दिया। बदमाश बैंक से मोटी रकम लूटकर फरार हो गए। इसके बाद पूरे जिले में बदमाशों की घेराबंदी की गई। हमने कई जगह दबिश दी। 17 साल पहले बैंक में डकैती की यह घटना इतनी बड़ी थी कि पूरा जिला हिल गया था। पुलिस जांच में पता चला कि बैंक डकैती कांड को काका रमेश ने अपने गैंग के साथ अंजाम दिया है। हमने अपने मुखबिरों के नेटवर्क को टाइट किया। ऐलान करवाया कि बदमाशों की सटीक टिप देने वाले को अच्छा इनाम दिया जाएगा। मुखबिरों का जाल फैलने लगा। उन दिनों मोबाइल फोन और आज जैसा हाईटेक सर्विलांस सिस्टम नहीं था। हमारे पास इनपुट आया कि काका रमेश एंड गैंग फिर से एक वारदात को अंजाम देने की फिराक में है। लोकेशन पता चली- केराकत। विद्या सागर कहते हैं- इत्तफाक से मैं उस समय सीओ केराकत था। जैसे रमेश काका अपने गुर्गों के साथ यहां पहुंचा। हमने 2 टीमों के साथ उसे घेर लिया। इन लोगों ने खुद को घिरा देख फायरिंग शुरू कर दी। एक बदमाश पिस्टल से बार-बार फायरिंग कर रहा था। विद्यासागर बताते हैं- हम लोगों ने मोर्चा संभाला। जवाबी कार्रवाई में हमने भी गोलियां चलाईं। 40 मिनट तक दोनों तरफ से फायरिंग होती रही। हमारे साथ एक सिपाही तो बाल-बाल बच गया। जब शोर खत्म हुआ, हमें लगा कि बदमाश फरार हो निकले हैं। हम जब स्पॉट पर पहुंचे, तो देखा काका रमेश और उसके दो साथी ढेर हो चुके थे। इन लोगों ने बुलेट प्रूफ जैकेट भी पहन रखी थी। विद्या सागर मिश्रा हरदोई, अम्बेडकरनगर, वाराणसी, जौनपुर, मऊ, सीतापुर, औरैया, लखनऊ में सीओ के पद पर रहे। बागपत जिले में एडिशनल एसपी रहे हैं। आगरा में एसपी प्रोटोकॉल, सहारपपुर में एसपी देहात, मुरादाबाद में एसपी देहात, प्रतापगढ़ में एडिशनल एसपी रहे हैं। IPS बनने के बाद नोएडा में डीसीपी भी रह चुके हैं। विद्या सागर मिश्र कहते हैं- दिसंबर 2024 की बात है। सिविल लाइन इलाके में हाईवे किनारे दुकानों पर सो रहे 2 लोगों की हत्या कर दी गई। डबल मर्डर की सूचना पर मैं भी पहुंचा। पुलिस ने आसपास के लोगों से घटना के बारे में जानकारी जुटाई। सीसीटीवी खंगाले गए। मृतकों की शिनाख्त करते हुए, उनके परिजनों से पूछताछ की गई। क्राइम सीन देखकर ही अंदाजा लग गया था कि हत्या करने वाला आसपास का हो सकता है। ये हत्याएं लकड़ी की थपली से की गई थी। दोनों के सिर और शरीर पर कई गंभीर चोटें थीं। मर्डर की सूचना पर डीआईजी मुरादाबाद भी पहुंच गए। डबल मर्डर के मामले में पुलिस ने पूरे साक्ष्य के आधार पर विक्की नाम के एक युवक को अरेस्ट किया। यह यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ का रहने वाला था। विक्की साइको किलर रहा है, जो रात में चोरी व लूट करते समय पहले भी कई वारदात कर चुका था। इससे पहले भी डबल मर्डर करने वाला यह विक्की पूर्व में भी एक चौकीदार पर गोली बरसा चुका था। पुलिस ने ताहिर अली और फरजंद अली के मर्डर में कुख्यात विक्की को एनकाउंटर के बाद अरेस्ट कर इस केस का खुलासा किया। विद्या सागर मिश्रा कहते हैं- मैंने अपने करियर में कई केस सॉल्व किए। मर्डर, रेप-चोरी, डकैती। अनगिनत…। लेकिन, बच्चों के साथ होने वाली घटनाओं ने हमेशा मुझे झकझोरा। ऐसी ही एक वारदात पिछले साल दिसंबर 2024 में हुई। मैं ताजा उदाहरण इसलिए दे रहा हूं, क्योंकि इस घटना ने मुझे बहुत आहत किया। मैं रामपुर में एसपी हूं, घटना यहीं हुई। बरेली की एक महिला रामपुर में अपनी 5 साल की मासूम बच्ची के साथ किराए के कमरे पर रहती थी। एक दिन वो पड़ोसी के यहां गई हुई थी। तभी उसकी बच्ची के साथ 72 साल के बुजुर्ग ने हैवानियत की। आरोपी अब्दुल रहमान दुष्कर्म के बाद फरार हो निकला। वारदात चौंकाने वाली थी। हम सूचना पाते ही मौके पर गए, सबसे पहले बच्ची का इलाज करवाया। फिर आरोपी की गिरफ्तारी में जुट गए। पीड़िता ने होश में आते ही अब्दुल रहमान के बारे में सबकुछ बता दिया। इसके बाद हमने सभी एविडेंस कलेक्ट किए। आरोपी की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की। मैं केस की लगातार मॉनिटरिंग कर रहा था। मैंने विवेचक को पूरे साक्ष्य जुटाकर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए। 7 दिन के भीतर कोर्ट में आरोपी पर चार्जशीट दाखिल कर दी। कोर्ट में पुलिस की तरफ से तमाम साक्ष्य और बयान की सीडी उपस्थित कराई गई। साथ ही मजबूत पैरवी की। मात्र 45 दिन के भीतर ही कोर्ट ने इसमें ऐतिहासिक फैसला सुनाया। पुलिस द्वारा की गई विवेचना को साक्ष्यों के आधार पर माना। उन्हीं के आधार पर रेपिस्ट को उम्रकैद की सजा सुनाई। गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी ने कई साक्ष्य मिटाने का प्रयास किया था। लेकिन थाना पुलिस और महिला पुलिस ने आसपास पहले सीसीटीवी कैमरे देखे। फिर जांच में आया कि मकान मालिक ने ही बच्ची से बलात्कार किया है। जिस घर में बच्ची थी, वहां बाहर का कोई भी व्यक्ति नहीं आया, न ही अंदर से बाहर गया। बच्ची की मां ने पुलिस से यही गुहार लगाई थी, कि मेरी बेटी के साथ जो भी हुआ, लेकिन आरोपी पर भी ऐसी कार्रवाई हो, जिससे वह फिर किसी बच्ची की तरफ आंख न उठा सके। विद्या सागर मिश्र बताते हैं- फरवरी 2023 की बात है, प्रतापगढ़ जिले में शहर कोतवाली के मेदनीगंज हाईवे पर पिंटू सरोज नाम के युवक की हत्या कर दी गई। हत्या के बाद युवक के शव को सरसों के खेत में फेंक दिया। इस हत्याकांड की सूचना मिलते ही मैं क्राइम स्पॉट पर पहुंचा। मैंने एक्सपीरियंस से यह जान लिया था कि यह लूट के बाद की गई हत्या नहीं है। सच बताऊं तो दिमाग पहले ही कह चुका था कि पिंटू की हत्या किसी अपने ने ही की है या करवाई है। घटनास्थल से कुछ दूरी पर एक महिला बार-बार पुलिस को देखकर कह रही थी कि पत्नी ने हत्या कर दी। पत्नी के अलावा किसी ने हत्या नहीं कराई है। यहीं से पुलिस ने आसपास के लोगों से जब बात की तो सभी पत्नी पर ही संदेह जताने लगे। पुलिस ने मरने वाले पिंटू सरोज की पत्नी राधिका को वॉच किया। इसके बाद पुलिस ने मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली। पता चला कि पिंटू की पत्नी राधिका के दूसरे समुदाय के तनवीर से अवैध रिश्ते थे। इस बात का पता पिंटू को चल चुका था, कि पत्नी राधिका दूसरे समुदाय के युवक से सम्बन्ध हैं। जिसके बाद युवक ने कई बार पत्नी को बंधक बनाकर पीटा था। पत्नी राधिका अपने प्रेमी तनवीर से शादी करने के लिए कहती थी। पिंटू इस अफेयर में दरार बन रहा था। इसके बाद राधिका ने अपने प्रेमी तनवीर के साथ मिलकर उसकी हत्या करा दी और लाश को ठिकाने लगा दिया। तनवीर को अरेस्ट किया तो उसने पूरी कहानी बयां करते हुए कहा- मैंने अपने साथी के साथ मिलकर प्रेमिका के पति की हत्या की। शव को जलाने का प्रयास किया था, लेकिन किसी के आने की आहट हुई और हम लोग शव खेत में फेंककर फरार हो गए। विद्या सागर मिश्र बताते हैं- आज रामपुर में महिलाएं सुरक्षित हैं। आज से 15 साल या 20 साल पहले रामपुर में शाम के बाद महिलाएं घर से निकलने में भी डरती थीं। अब महिलाओं की एक छोटी सी शिकायत पर हम तत्काल एक्शन लेते हैं। सीओ और दूसरे अधिकारी मौके पर अलर्ट मोड पर रहते हैं। पूरे जिले में स्कूल कॉलेजों के बाहर पुलिस ने सादा कपड़ों में भी अभियान चलाया, जिससे किसी को पता भी न चल सके। पूर्व में रामपुर दंगों के लिए बदनाम रहा है, लेकिन आज बेहतर कानून व्यवस्था के चलते लोग रात में भी निडर आते जाते हैं। शराब और जमीन माफियाओं की भी पुलिस ने रीढ़ तोड़ी है। अपनी शादी के बारे में बात करते हुए विद्या सागर मिश्र बताते हैं कि परिवार की मर्जी से शादी हुई। पत्नी पूनम गृहिणी हैं। पुलिस की 3 दशक की नौकरी में हमेशा परिवार ने पूरा साथ दिया। कई बार ऐसे भी मौके आए कि 24 घंटे या दो- दो दिन वर्दी चेंज करने का भी मौका नहीं मिला। अचीवमेंट्स ………………………….. 405 एनकाउंटर करने वाले IPS शैलेश पांडे: प्रयागराज में अतीक गैंग की रीढ़ तोड़ी, अयोध्या में दंगा होने से बचाया; पत्नी बुलंदशहर डीएम IPS शैलेश कुमार पांडे…यूपी पुलिस फोर्स का वो अफसर, जिसके नाम 405 एनकाउंटर करने का रिकॉर्ड दर्ज है। अब तक 10 जिलों में SSP और SP रहे शैलेश कुमार पांडे 2011 बैच के IPS अफसर हैं। 14 साल के करियर में 4 बड़े कुख्यातों को ढेर किया। पढ़ें पूरी स्टोरी…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर