हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी में बीएड, बीए-एलएलबी, बी-फार्मेसी, बीसीए और बीटेक जैसी फर्जी डिग्रियां पैसे लेकर बेची जा रही थीं। UP-STF ने 17 मई को यहां छापा मारा। यूनिवर्सिटी के चांसलर विजेंद्र हुड्डा समेत 10 लोग अरेस्ट किए गए। 1300 से ज्यादा फर्जी मार्कशीट-डिग्रियां रिकवर हुईं। खुलासा हुआ कि हरियाणा के पलवल में ये मार्कशीट छप रही थीं। छापने वाला शख्स प्रति मार्कशीट-डिग्री के 5000 रुपए लेता था। यूनिवर्सिटी इसके बदले कथित तौर पर 50 हजार से 4 लाख रुपए तक छात्रों से वसूलती थी। दरअसल, हरियाणा के एक विश्वविद्यालय में नौकरी पाए शख्स ने PHD की फर्जी डिग्री लगा दी। यहीं से पूरा केस खुलता चला गया। पिछले 15 साल से चल रही इस यूनिवर्सिटी के अब तक कई हजार फर्जी मार्कशीट-डिग्रियां बेचने का अनुमान है। ये पूरा नैक्सेस कैसे चल रहा था? यूनिवर्सिटी का चांसलर विजेंद्र सिंह हुड्डा कौन है? उसका पॉलिटिकल क्या कनेक्शन है? इस रिपोर्ट में सिलसिलेवार पढ़िए… STF की छापेमारी में क्या-क्या पता चला? कौन है विजेंद्र हुड्डा? कई मीडिया हाउस में शेयर होल्डर, सांसद का चुनाव लड़ा, अब यूनिवर्सिटी चांसलर
एक हलफनामे के अनुसार- 46 साल का विजेंद्र सिंह हुड्डा मेरठ में शिवलोकपुरी का रहने वाला है। हालांकि, STF की FIR कॉपी में उसका एड्रेस मेरठ के सिल्वरपुरी को दिखाया गया है। जबकि वह रहता मेरठ के गंगानगर क्षेत्र स्थित डिफेंस कॉलोनी में है। इसी पॉश कॉलोनी में मेरठ के सांसद अरुण गोविल समेत तमाम VIP रहते हैं। साल- 2017 के आसपास तक विजेंद्र हुड्डा कई मीडिया हाउस में शेयर होल्डर की भूमिका में रहा। साल-2018 में विजेंद्र हुड्डा का बसपा नेता संजय भाटी से संपर्क हुआ और बाइक बोट कंपनी खोल ली। इसमें वह कई हजार करोड़ का घपला करके भाग निकला। सालभर से ज्यादा वक्त तक विजेंद्र हुड्डा ने लंदन में फरारी बिताई। इस दौरान उस पर इनाम भी घोषित हुआ। कोर्ट से राहत मिलने के बाद विजेंद्र हुड्डा ने पॉलिटिक्स में हाथ आजमाया। साल-2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुड्डा ने लोकदल (राष्ट्रीय लोकदल नहीं) जॉइन कर ली। लेकिन, ऐन वक्त पर उसने बसपा के टिकट पर बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। यहां उसे करारी हार मिली। फिलहाल विजेंद्र हुड्डा हापुड़ स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी का चांसलर है। हालांकि यूनिवर्सिटी की वेबसाइट में उसका कहीं कोई जिक्र नहीं है। हुड्डा के कई और भी कॉलेज हैं। अब वह मेरठ में एक नया कॉलेज खोलने की तैयारी कर रहा था। बाइक बोट घोटाले में 5 लाख का इनामी रहा, लंदन में काटी फरारी
मेरठ में कंकरखेड़ा क्षेत्र के सिल्वरपुरी में रहने वाला विजेंद्र सिंह हुड्डा यूपी पुलिस का 5 लाख का इनामी रह चुका है। बाइक बोट घोटाले में यूपी पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने उस पर करीब 4 साल पहले ये इनाम घोषित किया था। ED (प्रवर्तन निदेशालय) भी मामले की जांच कर रही है। उस वक्त वो लंदन भाग गया था और जांच एजेंसियों को लुकआउट नोटिस जारी करना पडा़ था। हालांकि, बाद में विजेंद्र हुड्डा खुद नोएडा की अदालत में पेश हुआ और अपनी जमानत कराई। दरअसल, ग्रेटर नोएडा के ग्राम चीती में रहने वाले संजय भाटी ने साल-2010 में गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई। 2018 में उसने बाइक बोट स्कीम लॉन्च करते हुए बाइक टैक्सी की शुरुआत की। इसके तहत एक निवेशक से एक बाइक की कीमत करीब 62 हजार रुपए ली गई। उन्हें हर महीने 9 हजार 765 रुपए लौटाने का वादा किया गया। एक साल बाद कंपनी ने रुपए लौटाने बंद कर दिए। कंपनी अपने निवेशकों के हजारों करोड़ रुपए लेकर भाग गई। इसके बाद धड़ाधड़ मुकदमे दर्ज होने शुरू हुए। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा सहित कई राज्यों में कई सौ मुकदमे दर्ज हुए। 118 मुकदमों की जांच यूपी पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मर्ज हुए 118 मुकदमों में EOW मेरठ चार्जशीट लगा चुकी है। नोएडा की अदालत में EOW ने जिन 31 लोगों को आरोपी बनाया गया है, उसमें विजेंद्र सिंह हुड्डा भी है। आगे क्या?: लखनऊ में होगी सर्वर की जांच, जॉब करने वाले भी जांच के दायरे में
यूपी एसटीएफ के एक अधिकारी ने बताया- 1300 से ज्यादा फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां हमें मिली हैं। इनमें कई मार्कशीट की विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जांच की गई, लेकिन कोई भी मैच नहीं हुई। काफी जांच के बाद पता चला कि फर्जी मार्कशीट और डिग्रियों का डेटा सर्वर रूम में रिकॉर्ड होता है। इसलिए हमने सर्वर रूम से कई मशीनें कब्जे में ली हैं। लखनऊ लाकर कोर्ट के आदेश पर इनकी जांच कराई जाएगी। पता लगाया जाएगा कि इन मशीनों में कितना रिकॉर्ड है? ये काम कब से चल रहा था? आशंका ये भी है कि यहां की फर्जी डिग्रियां पाकर तमाम लड़के जॉब न कर रहे हों। इसलिए बाद में वो भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। ———————– ये खबर भी पढ़ें… DNA विवाद में योगी की एंट्री, सपा प्रमुख को नसीहत, कहा- सभ्य समाज अभद्र भाषा को सहन नहीं कर सकता उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने शनिवार को हापुड़ स्थित मोनाड विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जी डिग्री रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए विश्वविद्यालय के चेयरमैन चौधरी विजेंद्र सिंह उर्फ विजेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे संदीप कुमार समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ ने जब परिसर में छापा मारा तो वहां से फर्जीवाड़े का जखीरा बरामद हुआ। पढ़ें पूरी खबर हापुड़ की मोनाड यूनिवर्सिटी में बीएड, बीए-एलएलबी, बी-फार्मेसी, बीसीए और बीटेक जैसी फर्जी डिग्रियां पैसे लेकर बेची जा रही थीं। UP-STF ने 17 मई को यहां छापा मारा। यूनिवर्सिटी के चांसलर विजेंद्र हुड्डा समेत 10 लोग अरेस्ट किए गए। 1300 से ज्यादा फर्जी मार्कशीट-डिग्रियां रिकवर हुईं। खुलासा हुआ कि हरियाणा के पलवल में ये मार्कशीट छप रही थीं। छापने वाला शख्स प्रति मार्कशीट-डिग्री के 5000 रुपए लेता था। यूनिवर्सिटी इसके बदले कथित तौर पर 50 हजार से 4 लाख रुपए तक छात्रों से वसूलती थी। दरअसल, हरियाणा के एक विश्वविद्यालय में नौकरी पाए शख्स ने PHD की फर्जी डिग्री लगा दी। यहीं से पूरा केस खुलता चला गया। पिछले 15 साल से चल रही इस यूनिवर्सिटी के अब तक कई हजार फर्जी मार्कशीट-डिग्रियां बेचने का अनुमान है। ये पूरा नैक्सेस कैसे चल रहा था? यूनिवर्सिटी का चांसलर विजेंद्र सिंह हुड्डा कौन है? उसका पॉलिटिकल क्या कनेक्शन है? इस रिपोर्ट में सिलसिलेवार पढ़िए… STF की छापेमारी में क्या-क्या पता चला? कौन है विजेंद्र हुड्डा? कई मीडिया हाउस में शेयर होल्डर, सांसद का चुनाव लड़ा, अब यूनिवर्सिटी चांसलर
एक हलफनामे के अनुसार- 46 साल का विजेंद्र सिंह हुड्डा मेरठ में शिवलोकपुरी का रहने वाला है। हालांकि, STF की FIR कॉपी में उसका एड्रेस मेरठ के सिल्वरपुरी को दिखाया गया है। जबकि वह रहता मेरठ के गंगानगर क्षेत्र स्थित डिफेंस कॉलोनी में है। इसी पॉश कॉलोनी में मेरठ के सांसद अरुण गोविल समेत तमाम VIP रहते हैं। साल- 2017 के आसपास तक विजेंद्र हुड्डा कई मीडिया हाउस में शेयर होल्डर की भूमिका में रहा। साल-2018 में विजेंद्र हुड्डा का बसपा नेता संजय भाटी से संपर्क हुआ और बाइक बोट कंपनी खोल ली। इसमें वह कई हजार करोड़ का घपला करके भाग निकला। सालभर से ज्यादा वक्त तक विजेंद्र हुड्डा ने लंदन में फरारी बिताई। इस दौरान उस पर इनाम भी घोषित हुआ। कोर्ट से राहत मिलने के बाद विजेंद्र हुड्डा ने पॉलिटिक्स में हाथ आजमाया। साल-2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हुड्डा ने लोकदल (राष्ट्रीय लोकदल नहीं) जॉइन कर ली। लेकिन, ऐन वक्त पर उसने बसपा के टिकट पर बिजनौर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। यहां उसे करारी हार मिली। फिलहाल विजेंद्र हुड्डा हापुड़ स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी का चांसलर है। हालांकि यूनिवर्सिटी की वेबसाइट में उसका कहीं कोई जिक्र नहीं है। हुड्डा के कई और भी कॉलेज हैं। अब वह मेरठ में एक नया कॉलेज खोलने की तैयारी कर रहा था। बाइक बोट घोटाले में 5 लाख का इनामी रहा, लंदन में काटी फरारी
मेरठ में कंकरखेड़ा क्षेत्र के सिल्वरपुरी में रहने वाला विजेंद्र सिंह हुड्डा यूपी पुलिस का 5 लाख का इनामी रह चुका है। बाइक बोट घोटाले में यूपी पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने उस पर करीब 4 साल पहले ये इनाम घोषित किया था। ED (प्रवर्तन निदेशालय) भी मामले की जांच कर रही है। उस वक्त वो लंदन भाग गया था और जांच एजेंसियों को लुकआउट नोटिस जारी करना पडा़ था। हालांकि, बाद में विजेंद्र हुड्डा खुद नोएडा की अदालत में पेश हुआ और अपनी जमानत कराई। दरअसल, ग्रेटर नोएडा के ग्राम चीती में रहने वाले संजय भाटी ने साल-2010 में गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई। 2018 में उसने बाइक बोट स्कीम लॉन्च करते हुए बाइक टैक्सी की शुरुआत की। इसके तहत एक निवेशक से एक बाइक की कीमत करीब 62 हजार रुपए ली गई। उन्हें हर महीने 9 हजार 765 रुपए लौटाने का वादा किया गया। एक साल बाद कंपनी ने रुपए लौटाने बंद कर दिए। कंपनी अपने निवेशकों के हजारों करोड़ रुपए लेकर भाग गई। इसके बाद धड़ाधड़ मुकदमे दर्ज होने शुरू हुए। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा सहित कई राज्यों में कई सौ मुकदमे दर्ज हुए। 118 मुकदमों की जांच यूपी पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मर्ज हुए 118 मुकदमों में EOW मेरठ चार्जशीट लगा चुकी है। नोएडा की अदालत में EOW ने जिन 31 लोगों को आरोपी बनाया गया है, उसमें विजेंद्र सिंह हुड्डा भी है। आगे क्या?: लखनऊ में होगी सर्वर की जांच, जॉब करने वाले भी जांच के दायरे में
यूपी एसटीएफ के एक अधिकारी ने बताया- 1300 से ज्यादा फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां हमें मिली हैं। इनमें कई मार्कशीट की विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जांच की गई, लेकिन कोई भी मैच नहीं हुई। काफी जांच के बाद पता चला कि फर्जी मार्कशीट और डिग्रियों का डेटा सर्वर रूम में रिकॉर्ड होता है। इसलिए हमने सर्वर रूम से कई मशीनें कब्जे में ली हैं। लखनऊ लाकर कोर्ट के आदेश पर इनकी जांच कराई जाएगी। पता लगाया जाएगा कि इन मशीनों में कितना रिकॉर्ड है? ये काम कब से चल रहा था? आशंका ये भी है कि यहां की फर्जी डिग्रियां पाकर तमाम लड़के जॉब न कर रहे हों। इसलिए बाद में वो भी जांच के दायरे में आ सकते हैं। ———————– ये खबर भी पढ़ें… DNA विवाद में योगी की एंट्री, सपा प्रमुख को नसीहत, कहा- सभ्य समाज अभद्र भाषा को सहन नहीं कर सकता उत्तर प्रदेश एसटीएफ ने शनिवार को हापुड़ स्थित मोनाड विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जी डिग्री रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए विश्वविद्यालय के चेयरमैन चौधरी विजेंद्र सिंह उर्फ विजेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे संदीप कुमार समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है। एसटीएफ ने जब परिसर में छापा मारा तो वहां से फर्जीवाड़े का जखीरा बरामद हुआ। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
5 हजार में छपवाकर 4-4 लाख में बेचीं फर्जी डिग्रियां:UP पुलिस का 5 लाख का इनामी बना यूनिवर्सिटी का चांसलर, लंदन में काटी फरारी
