श्रीनाथ खंडेलवाल जी को अमृत अग्रवाल ने मुझसे वृद्ध आश्रम में रखवाने की विनती की थी। जिस पर मैंने उन्हें 17 मार्च 2024 को यहां भेजवाया था। जुलाई में जब मैं आश्रम में आकर उनसे मिला तो उन्होंने अपना दर्द बताया। श्रीनाथ जी बड़े साहित्यकार और 400 किताबों को लिखने वाले थे। पर 80 करोड़ की संपत्ति के मालिक को अंतिम समय में भी अपनों का साथ नहीं मिला। यह सबसे दुःखद है। यह बताते हुए काशी के अमन यादव उर्फ अमन कबीर का गला रुंध गया। अमन ने बताया- उनके बेटे-बेटी को सूचना दी गई। लेकिन वो अंतिम संस्कार करने नहीं आए। मैंने अपने पिता का अंतिम संस्कार नहीं किया। मेरे भाई ने किया लेकिन, कल खंडेलवाल जी का अंतिम संस्कार करते समय मुझे लगा जैसे मैं अपने पिता को मुखाग्नि दे रहा हूं। श्रीनाथ खंडेलवाल की मौत भी अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई। इस साहित्यकार के जाने पर बनारस जो साहित्यकारों का गढ़ है वो मौन रहा, किसी ने श्रद्धांजलि तक नहीं दी। ऐसे में दैनिक भास्कर एक बार फिर काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धा आश्रम, सारनाथ पहुंचा। वहां के केयर टेकर और काशी के कबीर अमन से सब कुछ जाना, जिसे लोग नहीं जानते, पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले पढ़िए खंडेलवाल जी के मरने के बाद क्या हुआ? सुबह साढ़े 8 बजे आश्रम से आई सूचना
अमन कबीर ने बताया- मुझे यह तो पता था कि श्रीनाथ खंडेलवाल एडमिट हैं। लेकिन इतना बीमार हैं ये नहीं पता था। 28 दिसंबर की सुबह अचानक काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धा आश्रम, सारनाथ के केयर टेकर रमेश बाबा का फोन आया की खंडेलवाल जी नहीं रहे। यह सुनकर स्तब्ध रह गया है और फौरन शहर के दीर्घायु अस्पताल पहुंचा। कमिश्नर कौशल राज शर्मा को दी सूचना
अमन कबीर ने बताया- जिंदादिली से जीने वाले खंडेलवाल जी जब वृद्ध आश्रम आए और मैंने उनका वीडियो वायरल किया, तो कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने मुझसे जानकारी ली थी। उसके बाद एक जांच कमेटी भी नियुक्त की थी। कल जब उनका देहांत हो गया तो मैंने अस्पताल से सबसे पहले उन्हें ही फोन किया। जिस पर उन्होंने कहा- उनके परिजनों को आप फोन कीजिए और लड़के का नंबर न हो तो मुझसे ले लीजिए। इस पर मैंने कहा कि लड़के का नंबर है। तो सबसे पहले मैंने उन्हें ही सूचना दी थी। बेटी को काल और मैसेज किया पर कोई जवाब नहीं आया
अमन ने बताया- इसके बाद मैंने उनकी बेटी को 9 काल की, लेकिन उन्होंने काल नहीं उठाई तो मैंने एक मैसेज किया और लिखा कि आप के पिता जी का देहांत हो गया है। आप आ जाइये लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया। जिसके बाद हमने उनका मोहनसराय घाट पर अंतिम संस्कार किया। अब तीन दिन बाद मुंडन करवाऊंगा। मेरे मन की कसक पूरी हुई
अमन ने बताया- मेरे जब पिता जी की मृत्यु हुई तो मैं उन्हें मुखाग्नि नहीं दे पाया था। मेरे छोटे भाई ने उन्हें मुखाग्नि दी थी। तब से ही मेरे मन में एक कसक थी। जो कल खंडेलवाल जी को मुखाग्नि देने के बाद खत्म हुई। ऐसा लगा मानों मैंने अपने पिता को मुखाग्नि दी है। काशी के उस साहित्यकार ने 400 किताबें लिखीं पर अंतिम समय में कोई नहीं आया। अब वृद्धा आश्रम के केयर टेकर रमेशचंद्र श्रीवास्तव से बातचीत, जिन्होंने खंडेलवाल जी का रूटीन और उनके बेटे की बात बताई… CCTV कैमरे से कर रहे थे निगरानी
श्रीनाथ खंडेलवाल का पहले दिन से सेवा कर रहे काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धा आश्रम, सारनाथ के केयर टेकर रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें अक्टूबर में हमने एडमिट कराया था। तब उन्हें हार्ट की दिक्कत दी। उसके बाद जब वो स्वस्थ हो कर आश्रम आए तो हमने उनकी निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरा लगा दिया। उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी जाती थी, क्योंकि वो कमजोर हो गए थे। 28 दिसंबर को ली अंतिम सांस, बेटे ने किया आने से इनकार
रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने बताया- 25 दिसंबर को अचानक उनकी तबीयत खराब हुई तो हमने उन्हें दीर्घायु अस्पताल में एडमिट कराया। यहां 28 दिसंबर की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। मैंने उनको यहां लाकर पहुंचाने वाले अमित अग्रवाल को फोन किया। उन्हें बुलवाया। उन्होंने कहा कि उनके बेटे को सूचना दीजिए और फिर उनसे नंबर लेकर मैंने बेटे को फोन किया तो उसने कहा मै वाराणसी में नहीं हूं। आ नहीं सकता। जिसके बाद मैंने अमन को फोन किया। अमन ने दी मुखाग्नि, किया अंतिम संस्कार
रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने बताया- इसके बाद अमन ने अपने लोगों और आश्रम के लोगों के साथ मिलकर सराय मोहना में उनका अंतिम संस्कार किया। अमन ने उन्हें मुखाग्नि दी है। उनके बेटे के होते हुए किसी गैर ने उन्हें मुखाग्नि दी, यह बहुत ही दुःख की बात है। सुबह और शाम दो वक्त नहाते थे खंडेलवाल
रमेशचंद्र ने बताया- जब से खंडेलवाल यहां रहने आये थे, वो किडनी की समस्या से पीड़ित थे। लेकिन उनके बावजूद वो सुबह और शाम दो वक्त स्नान करते थे। उन्हें एकांत पसंद था, इसलिए उन्हें अलग से एक रूम दिया गया था। जिसमें बाथरुम भी था। वहीं स्नान करते थे। वहीं उनका खाना भेजा जाता था। उन्होंने बताया वो कुछ ऊंचा सुनते थे। अब जानिए कौन हैं अमृत अग्रवाल, जो खंडेलवाल जी की स्टेशनरी लाते और उन्हें पैसे दे जाते थे… अमृत अग्रवाल हर सप्ताह यहां आते थे
केयर टेकर रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने बताया- कबीरचौरा के रहने वाले अमित अग्रवाल यहां लगभग हर सप्ताह आते थे। अमित अग्रवाल के ही फोन पर अमन ने उन्हें यहां रखवाया था। अमित ही उन्हें लिखने की सामग्री और पैसे देकर जाते थे। हमने अमित अग्रवाल से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन उठाकर काट दिया। वृद्ध आश्रम के केयर टेकर ने बताया- अमित अग्रवाल ने ही दो बार जब खंडेलवाल जी एडमिट हुए तो अस्पताल का खर्च उठाया था। जो लाखों में था। लेकिन आज तक यह बात पता नहीं चली की अमित ने ऐसा क्यों किया। बस जानकारी इतनी मिली कि अमित के पिता खंडेलवाल जी के वकील थे। आश्रम में लिखी 5 किताबें
रमेश बाबा ने बताया- खंडेलवाल जी ने 9 महीने आश्रम में बिताए और यहां अंतिम सांस ली। इन 9 महीनों में उन्होंने 5 किताबें लिखीं जो छपने को जा चुकी हैं। लेकिन उनकी बड़ी किताब नरसिंह पुराण शुरू नहीं हो सकी। शुरू होने के पहले वो बीमार हो गए और 28 तारीख को उन्होंने अंतिम सांस ली। ——————————– इससे जुड़ी ये खबर भी पढ़ें:- काशी के करोड़पति साहित्यकार का वृद्धाश्रम में निधन:9 महीने पहले बेटा-बेटी ने घर से निकाला करोड़ की प्रॉपर्टी के मालिक थे। उन्होंने 400 किताबें लिखीं थीं। आखिरी बार उन्होंने दैनिक भास्कर को इंटरव्यू दिया था, जिसमें कहा था- पुराना कुछ नहीं पूछिएगा। वो सब अतीत था, जिसे मैंने खत्म कर दिया। अब नया खंडेलवाल है, जो सिर्फ किताबें लिख रहा है। जब तक सांस है, कलम चलती रहेगी। खंडेलवाल काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम में 17 मार्च, 2024 से रह रहे थे। श्रीनाथ खंडेलवाल ने शनिवार सुबह 9 बजे वाराणसी के ‘दीर्घायु अस्पताल’ में अंतिम सांस ली। इसके बाद भी उनके घर से कोई नहीं आया। पढ़ें पूरी खबर श्रीनाथ खंडेलवाल जी को अमृत अग्रवाल ने मुझसे वृद्ध आश्रम में रखवाने की विनती की थी। जिस पर मैंने उन्हें 17 मार्च 2024 को यहां भेजवाया था। जुलाई में जब मैं आश्रम में आकर उनसे मिला तो उन्होंने अपना दर्द बताया। श्रीनाथ जी बड़े साहित्यकार और 400 किताबों को लिखने वाले थे। पर 80 करोड़ की संपत्ति के मालिक को अंतिम समय में भी अपनों का साथ नहीं मिला। यह सबसे दुःखद है। यह बताते हुए काशी के अमन यादव उर्फ अमन कबीर का गला रुंध गया। अमन ने बताया- उनके बेटे-बेटी को सूचना दी गई। लेकिन वो अंतिम संस्कार करने नहीं आए। मैंने अपने पिता का अंतिम संस्कार नहीं किया। मेरे भाई ने किया लेकिन, कल खंडेलवाल जी का अंतिम संस्कार करते समय मुझे लगा जैसे मैं अपने पिता को मुखाग्नि दे रहा हूं। श्रीनाथ खंडेलवाल की मौत भी अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई। इस साहित्यकार के जाने पर बनारस जो साहित्यकारों का गढ़ है वो मौन रहा, किसी ने श्रद्धांजलि तक नहीं दी। ऐसे में दैनिक भास्कर एक बार फिर काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धा आश्रम, सारनाथ पहुंचा। वहां के केयर टेकर और काशी के कबीर अमन से सब कुछ जाना, जिसे लोग नहीं जानते, पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले पढ़िए खंडेलवाल जी के मरने के बाद क्या हुआ? सुबह साढ़े 8 बजे आश्रम से आई सूचना
अमन कबीर ने बताया- मुझे यह तो पता था कि श्रीनाथ खंडेलवाल एडमिट हैं। लेकिन इतना बीमार हैं ये नहीं पता था। 28 दिसंबर की सुबह अचानक काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धा आश्रम, सारनाथ के केयर टेकर रमेश बाबा का फोन आया की खंडेलवाल जी नहीं रहे। यह सुनकर स्तब्ध रह गया है और फौरन शहर के दीर्घायु अस्पताल पहुंचा। कमिश्नर कौशल राज शर्मा को दी सूचना
अमन कबीर ने बताया- जिंदादिली से जीने वाले खंडेलवाल जी जब वृद्ध आश्रम आए और मैंने उनका वीडियो वायरल किया, तो कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने मुझसे जानकारी ली थी। उसके बाद एक जांच कमेटी भी नियुक्त की थी। कल जब उनका देहांत हो गया तो मैंने अस्पताल से सबसे पहले उन्हें ही फोन किया। जिस पर उन्होंने कहा- उनके परिजनों को आप फोन कीजिए और लड़के का नंबर न हो तो मुझसे ले लीजिए। इस पर मैंने कहा कि लड़के का नंबर है। तो सबसे पहले मैंने उन्हें ही सूचना दी थी। बेटी को काल और मैसेज किया पर कोई जवाब नहीं आया
अमन ने बताया- इसके बाद मैंने उनकी बेटी को 9 काल की, लेकिन उन्होंने काल नहीं उठाई तो मैंने एक मैसेज किया और लिखा कि आप के पिता जी का देहांत हो गया है। आप आ जाइये लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया। जिसके बाद हमने उनका मोहनसराय घाट पर अंतिम संस्कार किया। अब तीन दिन बाद मुंडन करवाऊंगा। मेरे मन की कसक पूरी हुई
अमन ने बताया- मेरे जब पिता जी की मृत्यु हुई तो मैं उन्हें मुखाग्नि नहीं दे पाया था। मेरे छोटे भाई ने उन्हें मुखाग्नि दी थी। तब से ही मेरे मन में एक कसक थी। जो कल खंडेलवाल जी को मुखाग्नि देने के बाद खत्म हुई। ऐसा लगा मानों मैंने अपने पिता को मुखाग्नि दी है। काशी के उस साहित्यकार ने 400 किताबें लिखीं पर अंतिम समय में कोई नहीं आया। अब वृद्धा आश्रम के केयर टेकर रमेशचंद्र श्रीवास्तव से बातचीत, जिन्होंने खंडेलवाल जी का रूटीन और उनके बेटे की बात बताई… CCTV कैमरे से कर रहे थे निगरानी
श्रीनाथ खंडेलवाल का पहले दिन से सेवा कर रहे काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धा आश्रम, सारनाथ के केयर टेकर रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें अक्टूबर में हमने एडमिट कराया था। तब उन्हें हार्ट की दिक्कत दी। उसके बाद जब वो स्वस्थ हो कर आश्रम आए तो हमने उनकी निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरा लगा दिया। उनकी हर गतिविधि पर नजर रखी जाती थी, क्योंकि वो कमजोर हो गए थे। 28 दिसंबर को ली अंतिम सांस, बेटे ने किया आने से इनकार
रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने बताया- 25 दिसंबर को अचानक उनकी तबीयत खराब हुई तो हमने उन्हें दीर्घायु अस्पताल में एडमिट कराया। यहां 28 दिसंबर की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। मैंने उनको यहां लाकर पहुंचाने वाले अमित अग्रवाल को फोन किया। उन्हें बुलवाया। उन्होंने कहा कि उनके बेटे को सूचना दीजिए और फिर उनसे नंबर लेकर मैंने बेटे को फोन किया तो उसने कहा मै वाराणसी में नहीं हूं। आ नहीं सकता। जिसके बाद मैंने अमन को फोन किया। अमन ने दी मुखाग्नि, किया अंतिम संस्कार
रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने बताया- इसके बाद अमन ने अपने लोगों और आश्रम के लोगों के साथ मिलकर सराय मोहना में उनका अंतिम संस्कार किया। अमन ने उन्हें मुखाग्नि दी है। उनके बेटे के होते हुए किसी गैर ने उन्हें मुखाग्नि दी, यह बहुत ही दुःख की बात है। सुबह और शाम दो वक्त नहाते थे खंडेलवाल
रमेशचंद्र ने बताया- जब से खंडेलवाल यहां रहने आये थे, वो किडनी की समस्या से पीड़ित थे। लेकिन उनके बावजूद वो सुबह और शाम दो वक्त स्नान करते थे। उन्हें एकांत पसंद था, इसलिए उन्हें अलग से एक रूम दिया गया था। जिसमें बाथरुम भी था। वहीं स्नान करते थे। वहीं उनका खाना भेजा जाता था। उन्होंने बताया वो कुछ ऊंचा सुनते थे। अब जानिए कौन हैं अमृत अग्रवाल, जो खंडेलवाल जी की स्टेशनरी लाते और उन्हें पैसे दे जाते थे… अमृत अग्रवाल हर सप्ताह यहां आते थे
केयर टेकर रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने बताया- कबीरचौरा के रहने वाले अमित अग्रवाल यहां लगभग हर सप्ताह आते थे। अमित अग्रवाल के ही फोन पर अमन ने उन्हें यहां रखवाया था। अमित ही उन्हें लिखने की सामग्री और पैसे देकर जाते थे। हमने अमित अग्रवाल से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन उठाकर काट दिया। वृद्ध आश्रम के केयर टेकर ने बताया- अमित अग्रवाल ने ही दो बार जब खंडेलवाल जी एडमिट हुए तो अस्पताल का खर्च उठाया था। जो लाखों में था। लेकिन आज तक यह बात पता नहीं चली की अमित ने ऐसा क्यों किया। बस जानकारी इतनी मिली कि अमित के पिता खंडेलवाल जी के वकील थे। आश्रम में लिखी 5 किताबें
रमेश बाबा ने बताया- खंडेलवाल जी ने 9 महीने आश्रम में बिताए और यहां अंतिम सांस ली। इन 9 महीनों में उन्होंने 5 किताबें लिखीं जो छपने को जा चुकी हैं। लेकिन उनकी बड़ी किताब नरसिंह पुराण शुरू नहीं हो सकी। शुरू होने के पहले वो बीमार हो गए और 28 तारीख को उन्होंने अंतिम सांस ली। ——————————– इससे जुड़ी ये खबर भी पढ़ें:- काशी के करोड़पति साहित्यकार का वृद्धाश्रम में निधन:9 महीने पहले बेटा-बेटी ने घर से निकाला करोड़ की प्रॉपर्टी के मालिक थे। उन्होंने 400 किताबें लिखीं थीं। आखिरी बार उन्होंने दैनिक भास्कर को इंटरव्यू दिया था, जिसमें कहा था- पुराना कुछ नहीं पूछिएगा। वो सब अतीत था, जिसे मैंने खत्म कर दिया। अब नया खंडेलवाल है, जो सिर्फ किताबें लिख रहा है। जब तक सांस है, कलम चलती रहेगी। खंडेलवाल काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम में 17 मार्च, 2024 से रह रहे थे। श्रीनाथ खंडेलवाल ने शनिवार सुबह 9 बजे वाराणसी के ‘दीर्घायु अस्पताल’ में अंतिम सांस ली। इसके बाद भी उनके घर से कोई नहीं आया। पढ़ें पूरी खबर उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर