रामपथ…यह वो सड़क है, जिसकी चर्चा देशभर में हो रही है। चर्चा इसलिए कि पहली ही बारिश में सड़क कई जगह धंस गई। चूंकि रामलला के दर्शन के लिए देशभर से आने वाले भक्तों को इसी सड़क से गुजरना होता है। जगह-जगह सड़क पर हुए गड्ढे बता रहे हैं कि इसका निर्माण घटिया हुआ है। यह सड़क इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अयोध्या के सभी बड़े धार्मिक स्थलों जैसे- राम मंदिर, हनुमान गढ़ी, बिरला धर्मशाला मंदिर और राम की पैड़ी को जोड़ती है। दैनिक भास्कर टीम ने यहां पहुंचकर जाना कि आखिरकार 844 करोड़ की लागत से बनने वाली यह सड़क पहली बारिश में ही कैसे खराब हो गई? क्या जल्दबाजी में ऐसा हुआ या फिर निर्माण की गुणवत्ता में कमी रह गई? सड़क निर्माण में क्या बड़ी खामियां रहीं? इसका जवाब जानने के लिए हम उन जिम्मेदारों से भी मिले, जिन्होंने सड़क बनवाई है। सबसे पहले देखिए ऐसी हो गई सड़क की दुर्दशा…. 8 फिट तक गहरे गड्ढे
12.94 किमी के रामपथ पर पहली ही बारिश में 19 जगह गड्ढे हो गए। कई गड्ढे तो 8 फिट से ज्यादा गहरे थे। लेकिन सबसे ज्यादा सड़क की खस्ता हालत पोस्ट ऑफिस तिराहे से रिकाबगंज चौराहे के बीच दिखी। जेसीबी के वजन से दरकने लगी सड़क
सड़क पर ज्यादातर गड्ढे हुए मेनहोल के आसपास हुए हैं। सड़क धंसने के चलते यहां से गुजरने वाले लोगों को खासी मशक्कत का सामना करना पड़ा। आवागमन बाधित हुआ। जेसीबी जब गड्डे को पाटने पहुंची तो उसके वजन से भी सड़क दरकने लगी। गड्ढे के चारों ओर बिछाई ईंट
बारिश के बाद गाड़ियों के आवागमन से सड़क पर जो दबाव पड़ा, उससे घटिया निर्माण की सच्चाई सामने आ गई। आसपास के लोगों ने सड़क पर धंसने वाली जगह के चारों ओर ईंट से घिराव किया, जिससे किसी प्रकार कोई घटना-दुर्घटना न हो। अब जानते हैं 3 वजह, जिसके कारण सड़क की ऐसी दुर्दशा हुई… सही तरीके से रोलिंग नहीं
सीवर लाइन के मेनहोल की जगह सड़क पर ठीक से रोलिंग नहीं की गई। सड़क के नीचे पाइपलाइनों का जाल बिछा है। एक दर्जन से ज्यादा यूटिलिटी डक्ट बनाए गए। एक्सपर्ट्स की मानें तो ऐसी कंडीशन में सड़क बनाते समय प्रॉपर रोलिंग का होना जरूरी है। सड़क पर जलजमाव
स्टॉर्म वाटर ड्रैनेज की सफाई प्रॉपर तरीके से नहीं की गई। सड़क पर बारिश का पानी निकलने के लिए एक पाइपलाइन डाली जाती है, इसे ही स्टॉर्म वाटर ड्रैनेज कहते हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं- अगर डामर रोड पर पानी इकट्ठा हो जाए, तब भी सड़क में गड्ढे हो सकते हैं। इसके लिए स्टॉर्म वाटर ड्रैनेज की सफाई जरूरी होती है। समय से पहले हैंडओवर का दबाव
सड़क बनाने के लिए कम समय मिला। रामपथ बनाते समय तय टाइमलाइन से 3 महीने पहले ही सड़क हैंडओवर करने के लिए कहा गया। इसके कारण सड़क की सभी लेयर प्रॉपर तरीके से सेट नहीं हो पाईं। ऐसे में बारिश का पानी जैसे ही सड़क के नीचे गया, सड़क धंसने लगी। अब जानते हैं सड़क का निर्माण कैसे हुआ और सबसे बड़ी खामी क्या रही
रामपथ बनाने का जिम्मा लोक निर्माण विभाग (PWD) को दिया गया। इसका ठेका RC इन्फ्राइंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दिया गया। 844 करोड़ की बजट वाली इस सड़क का काम काम 24 जनवरी, 2023 को शुरू हुआ। इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (EPC) के मानकों के अनुसार, इस पर 15 महीने का टाइम मिलना चाहिए था, जो कि कार्यदायी संस्था को सड़क बनाने के लिए पहले दिया भी गया। रामपथ निर्माण को तीन फेज में बांटा गया था। पहले फेज में अयोध्या धाम (नया घाट से राम मंदिर तक) 4.5 किमी, दूसरे में अयोध्या धाम से सर्किट हाउस तक (3 किमी) और आखिरी में सर्किट हाउस से सहादतगंज बाईपास (5.4 किमी) का काम होना था। दो फेज का काम तो निर्धारित टाइम लाइन के हिसाब से पूरा हुआ, लेकिन 11 नवंबर, 2023 को अयोध्या में भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम होना था। इसे देखते हुए सड़क निर्माण को तय समय सीमा से पहले पूरा करने का आदेश आ गया। इसलिए सर्किट हाउस से सहादतगंज का काम जल्दबाजी में पूरा करना पड़ा। कार्यदायी संस्था ने विभाग को 30 दिसंबर, 2023 यानी निर्धारित टाइमलाइन से 120 दिन पहले सड़क का काम पूरा कर हैंडओवर कर दिया। PWD के इन 3 अफसरों पर गिरी गाज प्रभात पांडेय (एग्जीक्यूटिव इंजीनियर): इनका काम कार्यदायी संस्था द्वारा किए जा रहे काम का रोजाना निरीक्षण कर उन्हें जरूरी निर्देश देना था। साथ ही काम पूरा होने पर संस्तुति रिपोर्ट लगाना था। अनुज देशवाल (असिस्टेंट इंजीनियर): इन्हें रामपथ निर्माण के संदर्भ में टेक्निकल निरीक्षण कर कार्यदायी संस्था को दिशा-निर्देश देना था। सड़क निर्माण में इस्तेमाल मैटेरियल की जांच भी इनके कार्यक्षेत्र में थी। ध्रुव अग्रवाल (जूनियर इंजीनियर): इन्हें विभाग की ओर से प्रोजेक्ट हेड बनाया गया। इनका काम कार्यदायी संस्था की कार्यप्रणाली पर नजर रखने और विभागीय टीम को इस प्रोजेक्ट पर आवश्यक दिशा-निर्देश देना था। कार्य का निरीक्षण कर बजट रिलीज करने की जिम्मेदारी भी इन पर ही थी। अब जानते हैं इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं… 1. लोक निर्माण विभाग
सड़क निर्माण की जिम्मेदारी PWD को दी गई थी। टेक्निकल टीम से इसकी समय-समय पर जांच होनी थी। लेकिन कम समय में ज्यादा काम होने से प्रॉपर तरीके से निगरानी नहीं की गई। इसके चलते पहली बारिश में सड़क खराब हो गई। 2. कार्यदायी संस्था (सड़क बनाने वाली कंपनी)
सड़क निर्माण का काम RC इन्फ्राइंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। यह कंपनी देश के कई शहरों में हाई-वे और दूसरे बड़े प्रोजेक्ट पर काम करती है। अयोध्या में भी इस कंपनी ने कई काम किए हैं। लेकिन रामपथ के जल्दी निर्माण के प्रेशर में कुछ खामियां रह गईं। 3. जल निगम
रामपथ के नीचे सीवर लाइन डालने का काम जल निगम के पास था। जल निगम ने इसकी जिम्मेदारी अहमदाबाद की भुगन इंफ्रा कंपनी को सौंपी, जोकि 2021 से अयोध्या में 145 किमी लंबी सीवर लाइन डालने का काम कर रही है। लेकिन रामपथ में सीवर के मेनहोल बनाते समय उसकी प्रॉपर फिलिंग में कुछ कमियां रह गईं। सड़क बनाने वाली कंपनी ने ली है 5 साल की गारंटी
PWD के जिम्मेदारों के मुताबिक, सड़क बनाने वाली कंपनी RC इन्फ्राइंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड ने 5 साल की गारंटी ली है। अगर सड़क कहीं खराब होती है तो कंपनी इसे ठीक करवाएगी। इसके लिए कंपनी को अलग से कोई बजट नहीं दिया जाएगा। सड़क निर्माण के समय इसका एग्रीमेंट करवाया गया था। निर्माण कंपनी में रामपथ के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रदीप शुक्ला ने बताया- सड़क वहीं ज्यादा धंसी है, जहां पर सीवर के मेनहोल हैं। 30 फिट गहरे गड्ढे बनाए गए थे। इसके बाद सीवर लाइन डाली गई। ऐसे में कुछ जगहों पर ये समस्या आई, इसे तुरंत सही कराया गया। बारिश में अक्सर ऐसी समस्या आ जाती है। 1050 घरों को तोड़ा गया, साज सज्जा में 30 करोड़ खर्च
रामपथ के निर्माण में करीब 1050 घरों को पूरा या आंशिक रूप से तोड़ा गया। तब जाकर सड़क का दो लेन चौड़ीकरण संभव हो पाया। इसमें 350 करोड़ रुपए जमीनों के अधिग्रहण के लिए लोगों को मुआवजा बांटने पर खर्च किए गए। करीब 13 किमी के इस रास्ते में 600 से ज्यादा पेड़ भी थे, जिन्हें काटना पड़ा। इसके अलावा रामपथ के दोनों ओर की दीवारों पर साज सज्जा, पेंटिंग, फसाड लाइटिंग के लिए भी 30 करोड़ खर्च किए गए। ये काम अयोध्या विकास प्राधिकरण यानी (ADA) ने करवाया था। रामपथ के ऊपर गाड़ियों का ट्रैफिक, नीचे पाइप लाइन का जाल
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, रामपथ के नीचे ऊपर जैसा ही ट्रैफिक है। 13 किमी की सड़क में एक दर्जन से ज्यादा यूटिलिटी डक्ट बनाए गए हैं। इसके करीब 10 फिट नीचे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की पाइप लाइन डाली गई है, जिसकी मोटाई करीब 700 डायग्राम है। इसके अलावा 1000 डायग्राम की सीवर पाइप लाइन डाली गई है। इस पाइप लाइन को सड़क से करीब 30 फिट नीचे डाला गया। इसके अलावा वाटर सप्लाई की दो लाइन, वाटर टैंक की दो पाइप लाइन, आरसीसी डक्ट (बिजली के केबल और इंटरनेट वायर के लिए), डिवाइडर के नीचे स्टार्म वाटर ड्रेन, फुटपाथ के नीचे सीवर कनेक्शन चेम्बर सहित 1 दर्जन से ज्यादा पाइप लाइन डाली गईं। रामपथ के नीचे कैसे पाइपलाइन का पूरा जाल फैला हुआ है। ग्राफिक्स से समझिए…. सड़क धंसते ही एक्टिव हुए सभी जिम्मेदार
पहली बारिश होते ही रामपथ पर अलग-अलग जगहों पर करीब 19 गड्ढे हो गए। रिकाबगंज से पोस्ट ऑफिस तिराहे तक रामपथ सड़क 10 से ज्यादा जगहों पर धंस गई। इससे न सिर्फ आवागमन बाधित हुआ बल्कि, लोगों में ये डर भी बना रहा कि सड़क कहां से धंस जाए और कोई दुर्घटना न हो जाए। हालांकि सड़क धंसते ही सारे जिम्मेदार विभाग जैसे पीडब्ल्यूडी, जलनिगम, नगर विकास तुरंत एक्टिव हुए और आनन-फानन में सड़कों पर हुए गड्ढों को भरने की कवायद शुरू हो गई। सड़क पर हुए गड्ढों में मिट्टी, बालू और गिट्टी डालकर भरी जा रही है। इसे फिर से आवागमन के लायक बनाया जा रहा है। सड़क अहमदाबाद की कंपनी ने बनाई
सड़क के नीचे कई पाइप लाइन जल निगम ने भी डाली हैं। इसमें वाटर सप्लाई, सीवर लाइन की पाइप हैं। पीडब्ल्यूडी के अफसरों के मुताबिक, सड़क पर सीवर लाइन के मेनहोल के पास ही गड्ढे हुए हैं। ऐसे में इसकी जानकारी के लिए हमने जल निगम के अधिशासी अधिकारी आनंद दुबे से बात की। उन्होंने कहा कि निर्माण का काम अहमदाबाद की कंपनी भुगन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड ने किया था। हमारी टीम ने तकनीकी रूप से इसका निरीक्षण किया था। हमने सीवर डालने वाली कंपनी के एमडी मनीष पटेल से बात की। उन्होंने बताया कि सीवर लाइन में एमएस पाइप का इस्तेमाल हुआ है। सभी ज्वाइंट्स को वेल्ड किया गया है, ऐसे में वहां से कोई फाल्ट नहीं हो सकता। अभी हमारी सीवर लाइन शुरू ही हुई है, क्योंकि नमामि गंगे द्वारा बनवाया जा रहा ट्रीटमेंट प्लांट अभी नहीं बन पाया है। 95% काम पूरा हो चुका है। अब इस मसले पर एक्सपर्ट क्या कहते हैं… रामपथ…यह वो सड़क है, जिसकी चर्चा देशभर में हो रही है। चर्चा इसलिए कि पहली ही बारिश में सड़क कई जगह धंस गई। चूंकि रामलला के दर्शन के लिए देशभर से आने वाले भक्तों को इसी सड़क से गुजरना होता है। जगह-जगह सड़क पर हुए गड्ढे बता रहे हैं कि इसका निर्माण घटिया हुआ है। यह सड़क इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अयोध्या के सभी बड़े धार्मिक स्थलों जैसे- राम मंदिर, हनुमान गढ़ी, बिरला धर्मशाला मंदिर और राम की पैड़ी को जोड़ती है। दैनिक भास्कर टीम ने यहां पहुंचकर जाना कि आखिरकार 844 करोड़ की लागत से बनने वाली यह सड़क पहली बारिश में ही कैसे खराब हो गई? क्या जल्दबाजी में ऐसा हुआ या फिर निर्माण की गुणवत्ता में कमी रह गई? सड़क निर्माण में क्या बड़ी खामियां रहीं? इसका जवाब जानने के लिए हम उन जिम्मेदारों से भी मिले, जिन्होंने सड़क बनवाई है। सबसे पहले देखिए ऐसी हो गई सड़क की दुर्दशा…. 8 फिट तक गहरे गड्ढे
12.94 किमी के रामपथ पर पहली ही बारिश में 19 जगह गड्ढे हो गए। कई गड्ढे तो 8 फिट से ज्यादा गहरे थे। लेकिन सबसे ज्यादा सड़क की खस्ता हालत पोस्ट ऑफिस तिराहे से रिकाबगंज चौराहे के बीच दिखी। जेसीबी के वजन से दरकने लगी सड़क
सड़क पर ज्यादातर गड्ढे हुए मेनहोल के आसपास हुए हैं। सड़क धंसने के चलते यहां से गुजरने वाले लोगों को खासी मशक्कत का सामना करना पड़ा। आवागमन बाधित हुआ। जेसीबी जब गड्डे को पाटने पहुंची तो उसके वजन से भी सड़क दरकने लगी। गड्ढे के चारों ओर बिछाई ईंट
बारिश के बाद गाड़ियों के आवागमन से सड़क पर जो दबाव पड़ा, उससे घटिया निर्माण की सच्चाई सामने आ गई। आसपास के लोगों ने सड़क पर धंसने वाली जगह के चारों ओर ईंट से घिराव किया, जिससे किसी प्रकार कोई घटना-दुर्घटना न हो। अब जानते हैं 3 वजह, जिसके कारण सड़क की ऐसी दुर्दशा हुई… सही तरीके से रोलिंग नहीं
सीवर लाइन के मेनहोल की जगह सड़क पर ठीक से रोलिंग नहीं की गई। सड़क के नीचे पाइपलाइनों का जाल बिछा है। एक दर्जन से ज्यादा यूटिलिटी डक्ट बनाए गए। एक्सपर्ट्स की मानें तो ऐसी कंडीशन में सड़क बनाते समय प्रॉपर रोलिंग का होना जरूरी है। सड़क पर जलजमाव
स्टॉर्म वाटर ड्रैनेज की सफाई प्रॉपर तरीके से नहीं की गई। सड़क पर बारिश का पानी निकलने के लिए एक पाइपलाइन डाली जाती है, इसे ही स्टॉर्म वाटर ड्रैनेज कहते हैं। एक्सपर्ट्स मानते हैं- अगर डामर रोड पर पानी इकट्ठा हो जाए, तब भी सड़क में गड्ढे हो सकते हैं। इसके लिए स्टॉर्म वाटर ड्रैनेज की सफाई जरूरी होती है। समय से पहले हैंडओवर का दबाव
सड़क बनाने के लिए कम समय मिला। रामपथ बनाते समय तय टाइमलाइन से 3 महीने पहले ही सड़क हैंडओवर करने के लिए कहा गया। इसके कारण सड़क की सभी लेयर प्रॉपर तरीके से सेट नहीं हो पाईं। ऐसे में बारिश का पानी जैसे ही सड़क के नीचे गया, सड़क धंसने लगी। अब जानते हैं सड़क का निर्माण कैसे हुआ और सबसे बड़ी खामी क्या रही
रामपथ बनाने का जिम्मा लोक निर्माण विभाग (PWD) को दिया गया। इसका ठेका RC इन्फ्राइंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दिया गया। 844 करोड़ की बजट वाली इस सड़क का काम काम 24 जनवरी, 2023 को शुरू हुआ। इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (EPC) के मानकों के अनुसार, इस पर 15 महीने का टाइम मिलना चाहिए था, जो कि कार्यदायी संस्था को सड़क बनाने के लिए पहले दिया भी गया। रामपथ निर्माण को तीन फेज में बांटा गया था। पहले फेज में अयोध्या धाम (नया घाट से राम मंदिर तक) 4.5 किमी, दूसरे में अयोध्या धाम से सर्किट हाउस तक (3 किमी) और आखिरी में सर्किट हाउस से सहादतगंज बाईपास (5.4 किमी) का काम होना था। दो फेज का काम तो निर्धारित टाइम लाइन के हिसाब से पूरा हुआ, लेकिन 11 नवंबर, 2023 को अयोध्या में भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम होना था। इसे देखते हुए सड़क निर्माण को तय समय सीमा से पहले पूरा करने का आदेश आ गया। इसलिए सर्किट हाउस से सहादतगंज का काम जल्दबाजी में पूरा करना पड़ा। कार्यदायी संस्था ने विभाग को 30 दिसंबर, 2023 यानी निर्धारित टाइमलाइन से 120 दिन पहले सड़क का काम पूरा कर हैंडओवर कर दिया। PWD के इन 3 अफसरों पर गिरी गाज प्रभात पांडेय (एग्जीक्यूटिव इंजीनियर): इनका काम कार्यदायी संस्था द्वारा किए जा रहे काम का रोजाना निरीक्षण कर उन्हें जरूरी निर्देश देना था। साथ ही काम पूरा होने पर संस्तुति रिपोर्ट लगाना था। अनुज देशवाल (असिस्टेंट इंजीनियर): इन्हें रामपथ निर्माण के संदर्भ में टेक्निकल निरीक्षण कर कार्यदायी संस्था को दिशा-निर्देश देना था। सड़क निर्माण में इस्तेमाल मैटेरियल की जांच भी इनके कार्यक्षेत्र में थी। ध्रुव अग्रवाल (जूनियर इंजीनियर): इन्हें विभाग की ओर से प्रोजेक्ट हेड बनाया गया। इनका काम कार्यदायी संस्था की कार्यप्रणाली पर नजर रखने और विभागीय टीम को इस प्रोजेक्ट पर आवश्यक दिशा-निर्देश देना था। कार्य का निरीक्षण कर बजट रिलीज करने की जिम्मेदारी भी इन पर ही थी। अब जानते हैं इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं… 1. लोक निर्माण विभाग
सड़क निर्माण की जिम्मेदारी PWD को दी गई थी। टेक्निकल टीम से इसकी समय-समय पर जांच होनी थी। लेकिन कम समय में ज्यादा काम होने से प्रॉपर तरीके से निगरानी नहीं की गई। इसके चलते पहली बारिश में सड़क खराब हो गई। 2. कार्यदायी संस्था (सड़क बनाने वाली कंपनी)
सड़क निर्माण का काम RC इन्फ्राइंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया था। यह कंपनी देश के कई शहरों में हाई-वे और दूसरे बड़े प्रोजेक्ट पर काम करती है। अयोध्या में भी इस कंपनी ने कई काम किए हैं। लेकिन रामपथ के जल्दी निर्माण के प्रेशर में कुछ खामियां रह गईं। 3. जल निगम
रामपथ के नीचे सीवर लाइन डालने का काम जल निगम के पास था। जल निगम ने इसकी जिम्मेदारी अहमदाबाद की भुगन इंफ्रा कंपनी को सौंपी, जोकि 2021 से अयोध्या में 145 किमी लंबी सीवर लाइन डालने का काम कर रही है। लेकिन रामपथ में सीवर के मेनहोल बनाते समय उसकी प्रॉपर फिलिंग में कुछ कमियां रह गईं। सड़क बनाने वाली कंपनी ने ली है 5 साल की गारंटी
PWD के जिम्मेदारों के मुताबिक, सड़क बनाने वाली कंपनी RC इन्फ्राइंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड ने 5 साल की गारंटी ली है। अगर सड़क कहीं खराब होती है तो कंपनी इसे ठीक करवाएगी। इसके लिए कंपनी को अलग से कोई बजट नहीं दिया जाएगा। सड़क निर्माण के समय इसका एग्रीमेंट करवाया गया था। निर्माण कंपनी में रामपथ के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रदीप शुक्ला ने बताया- सड़क वहीं ज्यादा धंसी है, जहां पर सीवर के मेनहोल हैं। 30 फिट गहरे गड्ढे बनाए गए थे। इसके बाद सीवर लाइन डाली गई। ऐसे में कुछ जगहों पर ये समस्या आई, इसे तुरंत सही कराया गया। बारिश में अक्सर ऐसी समस्या आ जाती है। 1050 घरों को तोड़ा गया, साज सज्जा में 30 करोड़ खर्च
रामपथ के निर्माण में करीब 1050 घरों को पूरा या आंशिक रूप से तोड़ा गया। तब जाकर सड़क का दो लेन चौड़ीकरण संभव हो पाया। इसमें 350 करोड़ रुपए जमीनों के अधिग्रहण के लिए लोगों को मुआवजा बांटने पर खर्च किए गए। करीब 13 किमी के इस रास्ते में 600 से ज्यादा पेड़ भी थे, जिन्हें काटना पड़ा। इसके अलावा रामपथ के दोनों ओर की दीवारों पर साज सज्जा, पेंटिंग, फसाड लाइटिंग के लिए भी 30 करोड़ खर्च किए गए। ये काम अयोध्या विकास प्राधिकरण यानी (ADA) ने करवाया था। रामपथ के ऊपर गाड़ियों का ट्रैफिक, नीचे पाइप लाइन का जाल
विभागीय सूत्रों के मुताबिक, रामपथ के नीचे ऊपर जैसा ही ट्रैफिक है। 13 किमी की सड़क में एक दर्जन से ज्यादा यूटिलिटी डक्ट बनाए गए हैं। इसके करीब 10 फिट नीचे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की पाइप लाइन डाली गई है, जिसकी मोटाई करीब 700 डायग्राम है। इसके अलावा 1000 डायग्राम की सीवर पाइप लाइन डाली गई है। इस पाइप लाइन को सड़क से करीब 30 फिट नीचे डाला गया। इसके अलावा वाटर सप्लाई की दो लाइन, वाटर टैंक की दो पाइप लाइन, आरसीसी डक्ट (बिजली के केबल और इंटरनेट वायर के लिए), डिवाइडर के नीचे स्टार्म वाटर ड्रेन, फुटपाथ के नीचे सीवर कनेक्शन चेम्बर सहित 1 दर्जन से ज्यादा पाइप लाइन डाली गईं। रामपथ के नीचे कैसे पाइपलाइन का पूरा जाल फैला हुआ है। ग्राफिक्स से समझिए…. सड़क धंसते ही एक्टिव हुए सभी जिम्मेदार
पहली बारिश होते ही रामपथ पर अलग-अलग जगहों पर करीब 19 गड्ढे हो गए। रिकाबगंज से पोस्ट ऑफिस तिराहे तक रामपथ सड़क 10 से ज्यादा जगहों पर धंस गई। इससे न सिर्फ आवागमन बाधित हुआ बल्कि, लोगों में ये डर भी बना रहा कि सड़क कहां से धंस जाए और कोई दुर्घटना न हो जाए। हालांकि सड़क धंसते ही सारे जिम्मेदार विभाग जैसे पीडब्ल्यूडी, जलनिगम, नगर विकास तुरंत एक्टिव हुए और आनन-फानन में सड़कों पर हुए गड्ढों को भरने की कवायद शुरू हो गई। सड़क पर हुए गड्ढों में मिट्टी, बालू और गिट्टी डालकर भरी जा रही है। इसे फिर से आवागमन के लायक बनाया जा रहा है। सड़क अहमदाबाद की कंपनी ने बनाई
सड़क के नीचे कई पाइप लाइन जल निगम ने भी डाली हैं। इसमें वाटर सप्लाई, सीवर लाइन की पाइप हैं। पीडब्ल्यूडी के अफसरों के मुताबिक, सड़क पर सीवर लाइन के मेनहोल के पास ही गड्ढे हुए हैं। ऐसे में इसकी जानकारी के लिए हमने जल निगम के अधिशासी अधिकारी आनंद दुबे से बात की। उन्होंने कहा कि निर्माण का काम अहमदाबाद की कंपनी भुगन इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड ने किया था। हमारी टीम ने तकनीकी रूप से इसका निरीक्षण किया था। हमने सीवर डालने वाली कंपनी के एमडी मनीष पटेल से बात की। उन्होंने बताया कि सीवर लाइन में एमएस पाइप का इस्तेमाल हुआ है। सभी ज्वाइंट्स को वेल्ड किया गया है, ऐसे में वहां से कोई फाल्ट नहीं हो सकता। अभी हमारी सीवर लाइन शुरू ही हुई है, क्योंकि नमामि गंगे द्वारा बनवाया जा रहा ट्रीटमेंट प्लांट अभी नहीं बन पाया है। 95% काम पूरा हो चुका है। अब इस मसले पर एक्सपर्ट क्या कहते हैं… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर