सिरसा जिले के रोडी में नशा तस्कर को पकड़ने के लिए पुलिस ने अपना जाल बिछाया लेकिन कामयाब नहीं हो सकी। पुलिस ने नाकाबंदी करके तस्कर को पकड़ने की कोशिश की लेकिन आरोपी नाका के पास से ही दूसरे रास्ते की तरफ अपनी गाड़ी मोड़ कर फरार हो गया। जब तक पुलिस उस रास्ते पहुंची, तब तक आरोपी पुलिस की पहुंच से दूर निकल चुका था। दरअसल रोडी में एक 22 वर्षीय युवक की उपचार के दौरान मौत हो गई। पिछले 5 साल से वह नशे का आदी था। 4-5 दिन पहले उसे बेहोशी की हालत में बठिंडा के एम्स अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां पर उसकी मंगलवार रात को उपचार के दौरान मौत हो गई। बुधवार को युवक का नागरिक अस्पताल में पोस्टमॉर्टम करवाया जाएगा। वहीं, जहां गांव में मातम छाया हुआ था। इसी दौरान रोडी के सूरतिया रोड पर बसे आबादी क्षेत्र में एक घर से चिट्टा खरीदने के लिए एक गाड़ी चालक आया। इसकी सूचना ग्रामीणों को लग गई। ग्रामीणों ने उसका पीछा कर नाका पुलिस को सूचित किया। नाका पुलिस ने उसे रोकने के लिए अवरोधक लगा दिए। गाड़ी चालक ने तेज गति से नाके से पहले एक गली में गाड़ी मोड़ दी। पुलिस कर्मचारी भागकर दूसरी ओर चौक पर पहुंचे तो युवक तेजी से गाड़ी लेकर फरार हो गया। पुलिस मुस्तैदी भी काम नहीं आई। सिरसा जिले के रोडी में नशा तस्कर को पकड़ने के लिए पुलिस ने अपना जाल बिछाया लेकिन कामयाब नहीं हो सकी। पुलिस ने नाकाबंदी करके तस्कर को पकड़ने की कोशिश की लेकिन आरोपी नाका के पास से ही दूसरे रास्ते की तरफ अपनी गाड़ी मोड़ कर फरार हो गया। जब तक पुलिस उस रास्ते पहुंची, तब तक आरोपी पुलिस की पहुंच से दूर निकल चुका था। दरअसल रोडी में एक 22 वर्षीय युवक की उपचार के दौरान मौत हो गई। पिछले 5 साल से वह नशे का आदी था। 4-5 दिन पहले उसे बेहोशी की हालत में बठिंडा के एम्स अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां पर उसकी मंगलवार रात को उपचार के दौरान मौत हो गई। बुधवार को युवक का नागरिक अस्पताल में पोस्टमॉर्टम करवाया जाएगा। वहीं, जहां गांव में मातम छाया हुआ था। इसी दौरान रोडी के सूरतिया रोड पर बसे आबादी क्षेत्र में एक घर से चिट्टा खरीदने के लिए एक गाड़ी चालक आया। इसकी सूचना ग्रामीणों को लग गई। ग्रामीणों ने उसका पीछा कर नाका पुलिस को सूचित किया। नाका पुलिस ने उसे रोकने के लिए अवरोधक लगा दिए। गाड़ी चालक ने तेज गति से नाके से पहले एक गली में गाड़ी मोड़ दी। पुलिस कर्मचारी भागकर दूसरी ओर चौक पर पहुंचे तो युवक तेजी से गाड़ी लेकर फरार हो गया। पुलिस मुस्तैदी भी काम नहीं आई। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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राम रहीम की पैरोल पर अब 8 अगस्त को सुनवाई:डेरा प्रमुख ने लगाई है अर्जी; हाई कोर्ट के फैसले पर सरकार की नजर
राम रहीम की पैरोल पर अब 8 अगस्त को सुनवाई:डेरा प्रमुख ने लगाई है अर्जी; हाई कोर्ट के फैसले पर सरकार की नजर राम रहीम की पैरोल पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में आज सुनवाई नहीं हो सकी है। हाई कोर्ट ने आगामी 8 अगस्त की अगली तारीख लगा दी है। याचिका पर अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।
डेरा प्रमुख की याचिका पर हरियाणा सरकार की भी नजर है। क्योंकि हरियाणा में आगामी 2 महीने बाद ही विधानसभा चुनाव है। हरियाणा में BJP सरकार को सिरसा डेरा सच्चा सौदा का समर्थन मिलता रहा है। इस बार भी BJP हरियाणा में डेरा के समर्थन की उम्मीद लगाए बैठी है। राम रहीम के वकील जितेंद्र खुराना ने पुष्टि करते हुए बताया कि” पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट आज सुनवाई की जानी थी मगर किसी कारण वश सुनवाई नहीं हो सकी। हाई कोर्ट ने अगले सप्ताह की तारीख दी है। साध्वी यौन शोषण और मर्डर केस में काट रहा सजा
बता दें कि साध्वी यौन शोषण और मर्डर केस में सजा काट रहा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम जेल से बाहर आना चाहता है। राम रहीम ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के सामने किसी भी तरह की पैरोल या फरलो देने पर रोक के आदेश को हटाने की गुहार लगाई है। राम रहीम ने दावा किया है कि वह इस साल 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो सहित कुल 41 दिनों की अवधि के लिए रिहाई के लिए पात्र है। वह इसका लाभ उठाना चाहता है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने हाईकोर्ट में याचिका लगाकर राम रहीम को बार-बार जेल से बाहर लाने का विरोध जताया था। जिसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे कि कोर्ट की परमिशन के बिना डेरा प्रमुख की पैरोल के आवेदन पर विचार न किया जाए। राम रहीम ने यह दलील दी
राम रहीम ने हाईकोर्ट के आदेशों पर रोक हटाने मांग करते हुए दलील दी है कि पैरोल और फरलो देने का उद्देश्य सुधारात्मक प्रकृति का है और दोषी को परिवार और समाज के साथ अपने सामाजिक संबंधों को बनाए रखने में सक्षम बनाना है। हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (टेम्पररी रिलीज) एक्ट 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर कैलेंडर वर्ष में 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि नियम ऐसे किसी भी दोषी को पैरोल और फरलो देने पर रोक नहीं लगाते हैं, जिसे आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया हो और सजा सुनाई गई हो। पैरोल या फरलो देना पूरी तरह से कानून की उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद संबंधित वैधानिक प्राविधान के अनुसार है। उसे किसी भी स्तर पर कोई विशेष विशेषाधिकार नहीं दिया गया है। चुनाव के वक्त जेल में राम रहीम
यह पहली बार है कि हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में हो रहे आम चुनाव बिना राम रहीम के हो रहे हैं। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार की ओर से डेरा प्रमुख राम रहीम को इस बार चुनाव में पैरोल नहीं दी गई, जबकि अब तक वह 2022 से 6 बार फरलो और 3 पैरोल लेकर 192 दिन तक बाहर आ चुका है। लगभग 200 दिन डेरा प्रमुख 3 राज्यों के पंचायत चुनावों से लेकर विधानसभा चुनाव में एक्टिव रह चुका है। 2 साध्वियों से रेप, पत्रकार छत्रपति और डेरा मैनेजर रणजीत सिंह मर्डर केस में जेल में बंद गुरमीत राम रहीम की फरलो-पैरोल को राजनीति के जानकार लोग इसे सिर्फ संयोग मानने को तैयार नहीं हैं।
हरियाणा के कारोबारी विनोद मर्डर की एक्सक्लूसिव VIDEO:शूटर ने पत्नी को नमस्ते की, इशारा मिलते ही गोलियां मारी; निधि बचाने की बजाए बाहर भागी
हरियाणा के कारोबारी विनोद मर्डर की एक्सक्लूसिव VIDEO:शूटर ने पत्नी को नमस्ते की, इशारा मिलते ही गोलियां मारी; निधि बचाने की बजाए बाहर भागी हरियाणा के पानीपत में 30 माह पहले हुआ कारोबारी विनोद भराड़ा हत्याकांड इन दिनों सुर्खियों में है। इसमें पहले सिर्फ एक ही आरोपी पर वारदात का ठीकरा फोड़ा जा रहा था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में बैठे विनोद के भाई प्रमोद द्वारा पानीपत एसपी को वॉट्सऐप पर भेजे गए मैसेज से इस केस में कई बड़े खुलासे हुए। पुलिस ने इसमें विनोद की पत्नी निधि भराड़ा और उसके प्रेमी जिम ट्रेनर सुमित को गिरफ्तार किया। जिन्होंने खुलासा कि वे ही इस हत्याकांड के मास्टरमाइंड है। पुलिस ने दोनों के खिलाफ कई अहम सबूत भी जुटाए हैं। इसी बीच हत्याकांड की एक अहम सीसीटीवी फुटेज भी इसमें जुटाई गई है, जोकि इस केस में बड़ा सबूत का काम करेगी। दैनिक भास्कर भी इस फुटेज तक पहुंचा, जोकि वारदात के दिन से लेकर अभी तक किसी के हाथ नहीं लगी थी। CCTV में ये दिखाई दे रहा
सीसीटीवी कैमरे में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है विनोद के पिता सुरेंद्र के घर से जाने के ठीक एक मिनट बाद शूटर देव सुनार निवासी पंजाब तेज कदमों से चलता हुआ गली में आया। यहां सीधे वह घर में घुसा। घर में घुसते ही उसने कदमों की आहट को भी थाम लिया। इसके बाद वह घर के भीतर दाखिल हुआ और बहुत आराम से बिना आवाज किए दरवाजे को बंद कर दिया। इसके बाद वह बहुत-बहुत धीरे-धीरे चलता हुआ कुछ कदम आगे आया। जहां किचन में काम कर रही निधि को उसने हाथ जोड़ कर नमस्ते की। इसके बाद उसने हाथों से ही इशारा किया। जिससे प्रतीत हो रहा है कि वह निधि को कह रहा है कि मैं आ गया हूं, सब ठीक है न। विनोद के पास कोई बैठा तो नहीं है। इसके बाद वह निधि से 5 सेकेंड में विनोद के कमरे में ही बैठे होने का कन्फर्म करता है। विनोद भराड़ा हत्याकांड की एक्सक्लूसिव तस्वीरें… चिल्लाती हुई बाहर गई निधि, फिर भीतर ही नहीं आई
पुष्टि होने के बाद वह सीधा विनोद के कमरे में दाखिल हो जाता है। जैसे ही वह अंदर जाता है, निधि तुरंत किचन से देव के वारदात करने के बारे में पता होने के तरीके से बाहर आती है। पीछे-पीछे उसकी बेटी भी आती है। निधि सीधे कमरे की ओर झांकती है और चिल्लाती हुई दरवाजा खोलकर बाहर भाग जाती है। जबकि उस वक्त उसने गोली नहीं मारी थी। वह बाहर भागने की बजाय कमरे के भीतर जाकर संघर्ष कर सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। निधि के घर से बाहर जाने के बाद बाहर से तुरंत स्थानीय लोग घर के भीतर दाखिल हुए। जिन्होंने दरवाजे के बाहर खड़े होकर बदमाश को वॉर्निंग दी। इस वक्त तक देव गोलियां मार चुका था। लोगों ने संघर्ष कर बदमाश को काबू किया, लेकिन घर से निकलने के बाद निधि वापस भीतर ही नहीं आई। वह बाहर ही स्थानीय महिलाओं के बीच रोने का नाटक करने लगी। अब पढ़िए पूरा मामला घर के बाहर किया था एक्सीडेंट, भीतर मारी गोलियां
5 अक्टूबर 2021 की शाम पानीपत की परमहंस कुटिया के गेट पर बैठे विनोद भराड़ा को पंजाब नंबर की गाड़ी ने टक्कर मार दी। हादसे में विनोद की दोनों टांगे टूट गईं। चाचा ने थाने में आरोपी गाड़ी चालक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने बठिंडा निवासी देव सुनार उर्फ दीपक को गिरफ्तार कर लिया। घटना के 15 दिन बाद देव सुनार ने समझौता करने की कोशिश की। विनोद ने सुलह करने से इनकार कर दिया। देव सुनार अंजाम भुगतने की धमकी देकर चला गया। 15 दिसंबर 2021 को देव सुनार देसी पिस्तौल लेकर सुमित के घर में घुस गया। विनोद की पत्नी के शोर मचाने पर पड़ोसी घर पर पहुंचे। उन्होंने दरवाजे से झांककर देखा कि देव सुनार ने विनोद की दो गोलियां मारकर हत्या कर दी। पड़ोसियों ने आरोपी देव सुनार को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। ऑस्ट्रेलिया से आए मैसेज से फंसे निधि और सुमित
पानीपत के एसपी अजीत सिंह शेखावत ने बताया कि उनके वॉट्सऐप पर ऑस्ट्रेलिया के नंबर से विनोद भराड़ा हत्याकांड से जुड़े कुछ मैसेज आए। उन्होंने इसकी जांच करवाई तो ये नंबर विनोद के भाई प्रमोद का मिला। फिर प्रमोद से बात कर सभी तथ्य जुटाए गए। फाइल दोबारा खोली गई तो सामने आया कि आरोपी देव सुनार की सुमित नाम के युवक से जान पहचान थी। सुमित जिम ट्रेनर है सुमित की मृतक विनोद बराड़ा की पत्नी निधि से बातचीत के सबूत मिले। पुलिस ने 7 जून को आरोपी सुमित उर्फ बंटू निवासी गोहाना को सेक्टर 11/12 की मार्केट से हिरासत में लेकर पूछताछ की। सख्ती से की गई पूछताछ में सुमित ने हकीकत बता दी। पुलिस के मुताबिक सुमित के प्रेम में डूबी निधि ने पति की संपत्ति हड़पने के लिए हत्या की साजिश रची थी। इसी साजिश के तहत पहले उन्होंने देव को 10 लाख की सुपारी देकर उसका एक्सीडेंट करवाया था। जिसमें वह नहीं मरा, तो इसके बाद उसे गोलियां मरवाई गईं। पति की मौत के बाद निधि अपने प्रेमी सुमित के साथ मनाली घूमने गई थी।
हरियाणा चुनाव,वोटिंग से 2 हफ्ते पहले कांग्रेस बहुमत के करीब:जाट-दलित बंटे तो BJP 25 पार; इनेलो को 2-4 सीटें, JJP-AAP मुकाबले से बाहर
हरियाणा चुनाव,वोटिंग से 2 हफ्ते पहले कांग्रेस बहुमत के करीब:जाट-दलित बंटे तो BJP 25 पार; इनेलो को 2-4 सीटें, JJP-AAP मुकाबले से बाहर ‘हरियाणा में प्रॉपर्टी ID और पोर्टल-राज के कारण हुई परेशानी बड़ा इश्यू है। जिन लोगों के मकान 50-60 साल पहले बने थे, उन पर लाखों की रिकवरी निकाल दी गई। जमकर लूट-खसोट मचाई। 70 से 80% प्रॉपर्टी ID गलत थीं। घर-दुकान-शोरूम-प्लाट खरीदने वाले भी परेशान हैं और बेचने वाले भी।’ ये पीड़ा सिर्फ हरियाणा के यमुनानगर में रहने वाले प्रॉपर्टी डीलर अशोक गुप्ता की नहीं है। प्रदेश में जिसके नाम पर भी घर, मकान, दुकान या प्लाट है, वह इसी मुश्किल का सामना कर रहा है। अशोक गुप्ता तो तंग आकर प्रॉपर्टी डीलिंग का काम ही छोड़ गए। जिन लोगों ने 50-60 साल पुराने नक्शे वगैरह संभाल कर नहीं रखे, वह दफ्तरों के धक्के खा रहे हैं। कैथल में दुकान चला रहे विश्व कहते हैं कि 5 साल में काम नहीं हुए। नायब सैनी ने CM बनने के बाद कुछ अच्छे फैसले लिए लेकिन उससे पहले खट्टर साहब से लोग खुश नहीं रहे। किसान और जाट BJP से खुश नहीं हैं। हरियाणा में BJP अपनी सरकार के पोर्टल सिस्टम को करप्शन खत्म करने का सबसे बड़ा हथियार बताती रही है। दूसरी ओर कांग्रेस सत्ता में आते ही इसे खत्म करने का वादा कर रही है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मनोहर लाल खट्टर ने बतौर सीएम पहले टर्म (2014-19) में अच्छी सरकार दी लेकिन दूसरे कार्यकाल में गाड़ी बेपटरी हो गई। हरियाणा की 90 सीटों पर 5 अक्टूबर को एक साथ वोट डाले जाएंगे और नतीजे 8 अक्टूबर को आएंगे। प्रदेश में हवा का रुख समझने के लिए दैनिक भास्कर ने लोकल लोगों, पॉलिटिकल पार्टियों और एक्सपर्ट्स से बात की। सबसे पहले 6 प्वाइंट्स में समझिए रुझान और सियासी समीकरण… अब पढ़िए राज्य की 7 बेल्ट में कौन सी पार्टी की सीटवाइज क्या स्थिति… 1. जीटी रोड बेल्ट : BJP के लिए गढ़ बचाना मुश्किल भाजपा को सत्ता दिलाने में सबसे बड़ा योगदान इसी बेल्ट का रहा। 2014 में पार्टी की 47 में से 21 सीटें और 2019 में 40 में से 12 सीटें इसी इलाके से आईं। मनोहर लाल खट्टर, नायब सैनी के साथ-साथ सरकार में रहे अनिल विज, कंवरपाल गुर्जर, सुभाष सुधा, महिपाल ढांडा इसी एरिया से आते हैं। स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता भी यहीं से हैं। इस रीजन में ज्यादातर वोटर गैर जाट हैं और BJP की सियासत इन्हीं के इर्दगिर्द घूमती है। इस बार खट्टर मैदान से बाहर हैं और सैनी को सीट बदलते हुए करनाल की जगह लाडवा से उतारा गया है। जगाधरी में AAP के टिकट पर उतरे कांग्रेस के बागी आदर्श पाल गुर्जर बिरादरी से आते हैं और वह शिक्षा मंत्री रहे कंवरपाल गुर्जर को सीधे नुकसान पहुंचा रहे हैं। अंबाला कैंट में अनिल विज को पिछले 3-4 चुनाव के मुकाबले इस बार कई गुना ज्यादा पसीना बहाना पड़ रहा है। एंटी इनकम्बेंसी के कारण स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता और सुभाष सुधा की राह भी कठिन दिखती है। कांग्रेस 2019 के मुकाबले इस इलाके में बेहतर प्रदर्शन करेगी और BJP की सीटें सिंगल डिजिट तक समेट सकती है। 2. अहीरवाल बेल्ट: राव का विरोध बदल सकता है समीकरण हरियाणा का ये दूसरा ऐसा इलाका है जहां BJP स्ट्रॉन्ग रही है। उसने 2014 में यहां की सभी 11 और 2019 में 11 में से 8 सीटें जीती। अहीर बाहुल्य इस इलाके में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा या प्लस पाॅइंट कहें तो वह राव इंद्रजीत सिंह हैं। कांग्रेस के बड़े लीडरों में कैप्टन अजय सिंह यादव और राव दान सिंह इसी बेल्ट से आते हैं। भाजपा में अभय सिंह यादव और राव नरबीर जैसे इक्का-दुक्का चेहरों को छोड़ दें तो पूरी अहीर बेल्ट को राव इंद्रजीत अपने हिसाब से हांकते रहे हैं। उनका यही स्टाइल इस बार उनकी मुसीबतें बढ़ाता दिख रहा है। अटेली से अपना पॉलिटिकल डेब्यू करने जा रही उनकी बेटी आरती पहले ही चुनाव में फंसी हुई नजर आती हैं। यहां राव विरोधी उनकी मुश्किलें बढ़ाने में जुटे हैं। नारनौल में ओमप्रकाश यादव और नांगल चौधरी में अभय सिंह यादव की स्थिति कुछ ठीक है। कांग्रेस की बात करें तो महेंद्रगढ़ सीट पर राव दान सिंह और रेवाड़ी में कैप्टन अजय यादव के बेटे और लालू प्रसाद यादव के दामाद चिरंजीव राव कंफर्टेबल पोजिशन में हैं। राव इंद्रजीत के भाई राव यदुवेंद्र ने ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाया तो कोसली में कांग्रेस के जगदीश यादव जीत सकते हैं। गुरुग्राम, बादशाहपुर, सोहना, पटौदी और बावल में अगले 10-12 दिन में ऊंट किसी भी तरफ बैठ सकता है। 3. साउथ हरियाणा: BJP पर 2019 का प्रदर्शन दोहराने का दबाव यूपी और दिल्ली से लगते फरीदाबाद-पलवल की 9 सीटें दोनों प्रमुख पार्टियों के लिए महत्वपूर्ण हैं। मोदी लहर के बावजूद 2014 में BJP यहां ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई लेकिन 2019 में उसने यहां की 9 में से 7 सीटें जीत ली। ब्रजभूमि से लगते इस इलाके में गुर्जरों का प्रभाव है। फरीदाबाद से लगातार तीसरी बार लोकसभा सांसद बने BJP के कृष्णपाल गुर्जर इस बिरादरी का प्रमुख चेहरा हैं। इस बार वह फरीदाबाद NIT सीट से अपने बेटे देवेंद्र चौधरी के लिए टिकट चाहते थे। इसके चलते यहां कैंडिडेट का ऐलान नॉमिनेशन के आखिरी दिन तक रुका रहा। उसके बाद पार्टी ने गुर्जर के बेटे की जगह विपुल गोयल को टिकट थमा दिया। कांग्रेस में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान के अलावा नीरज शर्मा और करण दलाल इसी इलाके से हैं। दिल्ली से सटे होने के कारण यहां आम आदमी पार्टी का असर है। शहरी वोटरों ने साथ दिया तो फरीदाबाद सीट BJP के खाते में जा सकती है। फरीदाबाद NIT, बड़खल, पलवल और होडल में कांग्रेस की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर दिखती है। हथीन, तिगांव और पृथला में मुकाबला 50-50 है। 4. बांगर बेल्ट: दिग्गज नेताओं की भावी पीढ़ी का टेस्ट, दुष्यंत मुश्किल में हरियाणा का हार्ट कही जाने वाली इस बेल्ट पर बड़े चेहरों के आमने-सामने होने के कारण सबकी नजर रहती है। सर छोटूराम के नाती बीरेंद्र सिंह के साथ-साथ कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला और जयप्रकाश जेपी इसी इलाके से आते हैं। 2019 में इन तीनों परिवारों को हार झेलनी पड़ी थी। इस बार इन तीनों नेताओं के बेटे कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। कैथल में रणदीप के बेटे आदित्य सुरजेवाला को शुरुआती एज है लेकिन कलायत में जयप्रकाश जेपी ने विवादित बयानबाजी से अपने बेटे विकास सहारण की राह मुश्किल बना दी है। जींद की हाईप्रोफाइल सीट उचाना में बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह कड़े मुकाबले में फंसे हैं। जाट वोट बंटे तो 2019 में अपनी मां प्रेमलता को JJP नेता दुष्यंत चौटाला के हाथों मिली हार का बदला लेने की बृजेंद्र सिंह की राह मुश्किल हो जाएगी। चौटाला परिवार भी उचाना से ताल ठोकता रहा है। ओमप्रकाश चौटाला को सजा होने के बाद, उनके पोते दुष्यंत चौटाला ने अपनी अलग पार्टी बनाते हुए ये सीट खुद के लिए चुनी लेकिन इस बार के नतीजे उनके लिए शायद ही सुखद रहें। जींद की जुलाना सीट रेसलर विनेश फोगाट की वजह से चर्चा में है। विनेश का यह पहला चुनाव है और उन्हें जिताना कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। सफीदों और जींद शहर में कांग्रेस-भाजपा की सीधी टक्कर है। नरवाना में इनेलो कैंडिडेट विद्यारानी चौंका सकती हैं। कैथल की पूंडरी सीट पर 6 बार से निर्दलीय उम्मीदवार जीतता रहा है और इस बार भी कांग्रेस के बागी सतबीर भाणा यह रिकॉर्ड बरकरार रख सकते हैं। गौसेवा करते रहे भाणा 2 चुनाव हार चुके हैं इसलिए वोटरों में उनके प्रति कुछ सहानुभूति है। ओबीसी वर्ग से आने वाले सतबीर भाणा को रोड बिरादरी के वोट कांग्रेस-BJP में बंटने का फायदा मिल सकता है। भाणा कांग्रेस में रणदीप सुरजेवाला ग्रुप से जुड़े थे और पार्टी टिकट सुल्तान जडौला के हिस्से में जाने पर वह निर्दलीय उतर गए। 5. देशवाल बेल्ट: हुड्डा की अपने गढ़ में बादशाहत कायम रहेगी पुराना रोहतक और जाटलैंड कहलाने वाले इस इलाके में कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दबदबा है। रोहतक-झज्जर और सोनीपत के इस एरिया में मोदी वेव के बावजूद BJP न तो 2014 में बढ़त बना पाई और न 2019 में। इस बार हुड्डा अपने किले में ज्यादा मजबूत दिख रहे हैं। रोहतक-झज्जर की 8 में से 7 सीटें कांग्रेस को जाती दिख रही हैं। अगर कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई ने नुकसान नहीं किया तो महम सीट भी दांगी परिवार जीत सकता है। कांग्रेस के पुराने दिग्गज आनंद सिंह दांगी 2019 का चुनाव महम में निर्दलीय बलराज कुंडू से हार गए थे। इस बार आनंद सिंह दांगी ने अपने बेटे बलराम दांगी को टिकट दिलाया है। सोनीपत की 6 में से 4 सीटों- बरौदा, गोहाना, राई व खरखौदा में कांग्रेस बेहतर स्थिति में है। गन्नौर में कांग्रेस कैंडिडेट कुलदीप शर्मा और सोनीपत में सुरेंद्र पंवार को सबसे बड़ा सहारा हुड्डा का है। गन्नौर में जाट वोटरों का झुकाव BJP के बागी देवेंद्र कादियान की तरफ है। गन्नौर सीट पर अब तक 13 चुनाव हुए हैं और इनमें से 6 बार विनिंग मार्जिन 2 हजार से कम रहा है। सिर्फ 3 चुनाव ऐसे रहे जब जीत का अंतर 10 हजार से अधिक पहुंचा। इस बार भी यहां करीबी मुकाबला है। सोनीपत सीट से 2019 में विधानसभा चुनाव जीते सुरेंद्र पंवार पर पिछले दिनों ED की रेड पड़ी थी। वह 24 जुलाई से जेल में हैं। पंवार का प्रचार उनकी पुत्रवधु समीक्षा पंवार और दोस्तों ने संभाल रखा है। सोनीपत में कांग्रेस को भाजपा की गुटबाजी का फायदा मिल सकता है। यहां पूर्व कैबिनेट मंत्री कविता जैन और उनका परिवार कांग्रेस से आकर भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे निखिल मदान की मदद से इनकार कर चुका है। 6. बागड़ बेल्ट: पिछले दो चुनाव की तरह मिक्स रिजल्ट के आसार यह इलाका हरियाणा के तीनों लाल परिवारों- देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल की कर्मभूमि रहा है। विधानसभा सीटों के लिहाज से यह जीटी रोड बेल्ट के बाद राज्य का दूसरा सबसे बड़ा एरिया है। यहां के पांचों जिलों में जाट वोटरों का डॉमिनेंस है। 2014 हो या फिर 2019, कोई पार्टी इस इलाके में एकतरफा जीत दर्ज नहीं कर पाई। इस बार भी रिजल्ट मिक्स रहने के चांस हैं। सिरसा की पांच सीटों पर देवीलाल कुनबे का दबदबा रहा है लेकिन परिवार में हुई फूट के बाद 2019 के नतीजे चौटाला फैमिली के लिए सुखद नहीं रहे। ओपी चौटाला की राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे अभय चौटाला सिर्फ ऐलनाबाद सीट जीत पाए। यहां की 3 सीटों पर इस बार भी चौटाला परिवार आमने-सामने है। रानियां से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे रणजीत चौटाला के सामने अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला हैं। अभय के बड़े भाई अजय चौटाला की JJP यहां रणजीत का समर्थन कर रही है। डबवाली में इनेलो ने BJP छोड़कर आए आदित्य देवीलाल चौटाला को टिकट दिया है जिनके सामने उन्हीं के भतीजे और JJP महासचिव दिग्विजय चौटाला है। इस बार इनेलो सिरसा की दो से तीन सीटों पर मुख्य मुकाबले में है। हिसार की 7 सीटों में से 3 पर भाजपा, 3 पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय भारी दिख रही हैं। आदमपुर में लोकल बनाम बाहरी का जो नारा चल रहा है, वह कुलदीप बिश्नाई के बेटे भव्य के पक्ष में काम कर सकता है। हिसार शहर सीट पर निर्दलीय सावित्री जिंदल ने BJP के कमल गुप्ता की राह में कांटे बो दिए हैं। भिवानी की चारों और फतेहाबाद की तीनों सीटों पर मुकाबला किसी भी तरफ जा सकता है। तोशाम सीट जीतना किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति के लिए नाक का सवाल बन गया है। चरखी-दादरी की दोनों सीटों पर कांग्रेस को अपर हैंड कह सकते हैं। 7. मेवात: मुस्लिम कांग्रेस के साथ, नूंह में BJP को ध्रुवीकरण की आस मुस्लिम बाहुल्य इस जिले की तीनों सीटें 2019 में कांग्रेस ने जीती थी। 2014 में यहां 2 सीटों पर इनेलो के विधायक बने जबकि तीसरी सीट निर्दलीय के पक्ष में गई। पिछले साल हिंदू संगठनों की ब्रजमंडल यात्रा के दौरान हुए दंगों के कारण नूंह देश-दुनिया में सुर्खियां बना। उसके बाद हुई गिरफ्तारियों और बुलडोजर एक्शन से मुस्लिमों के मन में यह भावना और गहरे तक घर कर गई कि BJP उनके खिलाफ है। इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा। हिंसा का सबसे ज्यादा असर नूंह शहर और इससे लगते इलाकों में पड़ा था। भाजपा ने इस सीट से हिंदू कार्ड खेलते हुए अपने मुस्लिम नेता जाकिर हुसैन की जगह संजय सिंह को उतारा है। राजपूत बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले संजय सिंह 2019 में सोहना से विधायक बने थे। इस बार उन्हें नूंह शिफ्ट किया गया। 31 जुलाई 2023 को हिंसा के कारण अधूरी रह गई ब्रजमंडल यात्रा को दोबारा निकालने की आवाज बुलंद करने वालों में संजय सिंह सबसे आगे थे। BJP के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि नूंह विधानसभा हलके में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का फायदा उसे मिल सकता है। यहां संजय सिंह का मुकाबला कांग्रेस के आफताब अहमद से है। भाजपा ने इस जिले की फिरोजपुर झिरका सीट से नसीम अहमद और पुन्हाना से एजाज खान को टिकट दिया है। इनका मुकाबला कांग्रेस के मामन खान और मोहम्मद इलियास से है। एक्सपर्ट्स बोले- भाजपा के प्रति एंटी इनकम्बेंसी, कांग्रेस को गुटबाजी से नुकसान
वेटरन जर्नलिस्ट विजय सभरवाल के मुताबिक 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी का नाम चला। इस बार मोदी का असर कम है। किसानों के आंदोलन की वजह से ग्रामीण एरिया भाजपा के खिलाफ है। दूसरा कारण, मनोहर लाल ने जाटों के नेता निपटा दिए, अनिल विज को खुड्डेलाइन लगा दिया। ये चीजें मैटर करती हैं। पुराने नेताओं को खत्म करने का नुकसान भाजपा को होगा। चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और राजनीतिक विश्लेषक डॉ. भारत की राय कुछ अलग है। भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर की बात वह भी मानते हैं लेकिन उन्हें लगता है कि सब कुछ BJP के विरोध में आंकना ठीक नहीं होगा। डॉ. भारत के अनुसार, कांग्रेस 10 साल से सत्ता से बाहर है। पार्टी में नेताओं की अंतर्कलह साफ दिख रही है। सैलजा की नाराजगी और सीएम चेहरे को लेकर जो संशय है, वह पार्टी के खिलाफ जा सकता है। अब पढ़िए कांग्रेस-भाजपा के 7-7 बड़े चुनावी वादे… भाजपा-कांग्रेस के दावे… क्या कहते हैं वोटर…. वेदपाल बोले- भाजपा राज में भ्रष्टाचार ज्यादा
सोनीपत के हरसाना खुर्द गांव में रहने वाले वेदपाल कहते हैं कि BJP सरकार से लोग नाराज हैं क्योंकि भ्रष्टाचार बहुत है। बच्चों की नौकरी नहीं लग पा रही। अफसर-कर्मचारी सुनवाई नहीं करते। ये चुनाव मुद्दों का है। इस बार कैंडिडेट देखकर नहीं, भ्रष्टाचार देखकर वोट देंगे। कांग्रेस के टाइम पर इतना भ्रष्टाचार नहीं था। अग्निवीर लगने वाला बच्चा 4 साल में क्या करेगा। उसे रिटायर होने पर पेंशन तक नहीं मिलेगी जबकि विधायकों-पूर्व विधायकों को हर कार्यकाल की अलग पेंशन मिलती है। मदन गोयल बोले- भाजपा ने बहुत काम किया
हिसार के रहने वाले मदन गोयल का दावा है कि भाजपा ने पिछले 10 साल में बहुत काम किया है। सारी गलियों को पक्का करवाया। फ्लाईओवर-रेलवे स्टेशन और तिरंगा लाइट लगवाई। घरों में पीने का पानी सही आने लगा। भाजपा ने पूरे शहर को चमका दिया।