गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (GNDU), जो पंजाब का प्रमुख शैक्षणिक संस्थान है, अपने 55 साल के इतिहास में पहली बार वाइस चांसलर (वीसी) के पद के बिना चल रही है। इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेराना शुरू किया है। इस मामले ने न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं बल्कि राज्य सरकार की प्राथमिकताओं पर भी गंभीर बहस छेड़ दी है। सांसद गुरजीत सिंह औजला ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा- यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पंजाब की शिक्षा व्यवस्था में इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है। यह पहली बार है कि गुरु नानक देव विश्वविद्यालय बिना वाइस चांसलर के चल रहा है, और यह सिर्फ आम आदमी पार्टी की सरकार में ही संभव हो सकता है। वीसी का कार्यकाल समाप्ति और नियुक्ति में देरी गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर, डॉ. जसपाल सिंह संधू कार्यकाल 16 नवंबर 2024 को समाप्त हो गया। डॉ. संधू को तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के दौरान वाइस चांसलर के रूप में नियुक्त किया गया था। उनकी कार्यकाल अवधि को 2020 में तीन वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया था। छह महीने पहले तत्कालीन राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने उन्हें छह महीने का अतिरिक्त कार्यकाल दिया था। डॉ. संधू का कार्यकाल समाप्त हुए पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक किसी नए वाइस चांसलर की नियुक्ति नहीं की है। विश्वविद्यालय का यह प्रमुख पद खाली रहना प्रशासनिक और शैक्षणिक कार्यों में बाधा डाल सकता है। सांसद औजला का सरकार पर आरोप सांसद गुरजीत सिंह औजला ने राज्य सरकार की उदासीनता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार शिक्षा के स्तर को ऊंचा करने के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन असलियत इसके बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि सरकार ने ऐसे अहम फैसलों में देरी की है, जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर लिया जाना चाहिए था। AAP सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल सांसद ने कहा कि पंजाब सरकार उन मुद्दों को प्राथमिकता देती है जो वास्तविक समस्याओं से दूर हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वास्तव में पंजाब की भलाई के लिए काम करना चाहती है, तो ऐसे महत्वपूर्ण मसलों पर समय से पहले निर्णय लेना चाहिए। विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर की अनुपस्थिति शिक्षा के स्तर को गिराने का संकेत है। औजला ने सरकार से मांग की कि वह गैर-जरूरी मुद्दों को छोड़कर पंजाब के गंभीर मामलों पर ध्यान दे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार को जल्द से जल्द वाइस चांसलर की नियुक्ति करनी चाहिए ताकि विश्वविद्यालय का कामकाज बाधित न हो। गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (GNDU), जो पंजाब का प्रमुख शैक्षणिक संस्थान है, अपने 55 साल के इतिहास में पहली बार वाइस चांसलर (वीसी) के पद के बिना चल रही है। इस मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेराना शुरू किया है। इस मामले ने न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं बल्कि राज्य सरकार की प्राथमिकताओं पर भी गंभीर बहस छेड़ दी है। सांसद गुरजीत सिंह औजला ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा- यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पंजाब की शिक्षा व्यवस्था में इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है। यह पहली बार है कि गुरु नानक देव विश्वविद्यालय बिना वाइस चांसलर के चल रहा है, और यह सिर्फ आम आदमी पार्टी की सरकार में ही संभव हो सकता है। वीसी का कार्यकाल समाप्ति और नियुक्ति में देरी गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर, डॉ. जसपाल सिंह संधू कार्यकाल 16 नवंबर 2024 को समाप्त हो गया। डॉ. संधू को तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के दौरान वाइस चांसलर के रूप में नियुक्त किया गया था। उनकी कार्यकाल अवधि को 2020 में तीन वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया था। छह महीने पहले तत्कालीन राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने उन्हें छह महीने का अतिरिक्त कार्यकाल दिया था। डॉ. संधू का कार्यकाल समाप्त हुए पांच दिन बीत चुके हैं, लेकिन सरकार ने अभी तक किसी नए वाइस चांसलर की नियुक्ति नहीं की है। विश्वविद्यालय का यह प्रमुख पद खाली रहना प्रशासनिक और शैक्षणिक कार्यों में बाधा डाल सकता है। सांसद औजला का सरकार पर आरोप सांसद गुरजीत सिंह औजला ने राज्य सरकार की उदासीनता पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार शिक्षा के स्तर को ऊंचा करने के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन असलियत इसके बिल्कुल विपरीत है। उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि सरकार ने ऐसे अहम फैसलों में देरी की है, जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर लिया जाना चाहिए था। AAP सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल सांसद ने कहा कि पंजाब सरकार उन मुद्दों को प्राथमिकता देती है जो वास्तविक समस्याओं से दूर हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वास्तव में पंजाब की भलाई के लिए काम करना चाहती है, तो ऐसे महत्वपूर्ण मसलों पर समय से पहले निर्णय लेना चाहिए। विश्वविद्यालय में वाइस चांसलर की अनुपस्थिति शिक्षा के स्तर को गिराने का संकेत है। औजला ने सरकार से मांग की कि वह गैर-जरूरी मुद्दों को छोड़कर पंजाब के गंभीर मामलों पर ध्यान दे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार को जल्द से जल्द वाइस चांसलर की नियुक्ति करनी चाहिए ताकि विश्वविद्यालय का कामकाज बाधित न हो। पंजाब | दैनिक भास्कर
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