हरियाणा में नारनौल के मोहल्ला खड़खड़ी में शुक्रवार रात को एक शादी में कौतूहल भरा नजारा देखने को मिला। शादी में दूल्हा हाथी पर सवार होकर दुल्हन के घर आया, उसकी बहनें बग्गी में सवार होकर पहुंची। शादी में सभी नेग 1 रुपए लेकर पूरे किए गए। शादी बिना दहेज के हुई और दहेज की बजाय रिश्तों को महत्व देने पर जोर दिया गया। नारनौल में शुक्रवार रात को झुंझुनूं निवासी हरीश खन्ना बारात लेकर पहुंचे। उनकी शादी निरंजन लाल चौहान और शकुंतला चौहान की बेटी नेहा से शादी हुई। बारात पूरे राजसी शानशौकत से हाथी -घोड़ों पर सवार होकर दुल्हन लेने पहुंची। हाथी पर निकली दुल्हे की सवारी आकर्षण का केंद्र रही। इस दौरान लोगों नें जमकर सेल्फियां ली। दुल्हे के पिता संजय कुमार खन्ना और मां शारदा खन्ना ने बताया कि इसके अतिरिक्त इस शादी की खास बात यह भी रही कि शादी के सभी नेग एक रुपए लेकर संपन्न किए गए। दहेज रहित विवाह करके उन्होंने समाज को संदेश देने का प्रयास किया है। हरीश खन्ना ने विदेश में नौकरी करते हैं और सैलरी पैकेज भी बहुत अच्छा है। उन्होंने बिना दहेज के केवल एक रुपए शगुन लेकर शादी की है। उन्होंने कहा कि अपनी खुशियों का भार लड़की के मां बाप पर डालना न तो नैतिक है और न हो व्यावहारिक। इस कारण वह केवल एक रुपए शगुन से विवाह कर रहे हैं l दुल्हन के ताऊ शिवचरण चौहान ने कहा कि समर्थ लोग समाज को दहेज रहित शादी और बेटी बेटा की समानता का संदेश दें तो यह और प्रभावी हो जाता है। दो दिन पूर्व दुल्हन नेहा के परिजनों ने भी बेटी बेटा की समानता का संदेश देते हुए बग्गी पर बनवारा निकालकर समाज को सकारत्मक संदेश दिया था। पूरे रंग चाव भव्यता के बावजूद बिना दहेज के शादी क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है l सामाजिक संस्था प्रगतिशील शिक्षक ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि ऐसी सकारात्मकता से भरपूर शादियां सामाजिक बदलाव के प्रतीक हैं। लोग अब दहेज की बजाय रिश्तों को महत्व देने लगे हैं। समाज के लिए ये शुभ संकेत है। बिना मोटी रकम दहेज लिए बिना शादी करके चौहान एवं खन्ना परिवार ने पूरे समाज को उत्कृष्ट संदेश दिया है l इस दौरान शिक्षक बंसी लाल जांगिड़, सामाजिक कार्यकर्ता नरोत्तम सोनी, प्रगतिशील शिक्षक ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय शर्मा, स्वर्णकार राज. भागीदारी मंच की जिला अध्यक्ष रवीना सोनी, मुक्ता शर्मा, दुल्हन के ताऊ शिव चरण, चाचा अजित चौहान, कृष्ण कुमार चौहान, नीतेश, निशांत एवं अन्य परिजन तथा दूल्हा पक्ष के भी अनेक गणमान्य ज़न उपस्थित रहे l हरियाणा में नारनौल के मोहल्ला खड़खड़ी में शुक्रवार रात को एक शादी में कौतूहल भरा नजारा देखने को मिला। शादी में दूल्हा हाथी पर सवार होकर दुल्हन के घर आया, उसकी बहनें बग्गी में सवार होकर पहुंची। शादी में सभी नेग 1 रुपए लेकर पूरे किए गए। शादी बिना दहेज के हुई और दहेज की बजाय रिश्तों को महत्व देने पर जोर दिया गया। नारनौल में शुक्रवार रात को झुंझुनूं निवासी हरीश खन्ना बारात लेकर पहुंचे। उनकी शादी निरंजन लाल चौहान और शकुंतला चौहान की बेटी नेहा से शादी हुई। बारात पूरे राजसी शानशौकत से हाथी -घोड़ों पर सवार होकर दुल्हन लेने पहुंची। हाथी पर निकली दुल्हे की सवारी आकर्षण का केंद्र रही। इस दौरान लोगों नें जमकर सेल्फियां ली। दुल्हे के पिता संजय कुमार खन्ना और मां शारदा खन्ना ने बताया कि इसके अतिरिक्त इस शादी की खास बात यह भी रही कि शादी के सभी नेग एक रुपए लेकर संपन्न किए गए। दहेज रहित विवाह करके उन्होंने समाज को संदेश देने का प्रयास किया है। हरीश खन्ना ने विदेश में नौकरी करते हैं और सैलरी पैकेज भी बहुत अच्छा है। उन्होंने बिना दहेज के केवल एक रुपए शगुन लेकर शादी की है। उन्होंने कहा कि अपनी खुशियों का भार लड़की के मां बाप पर डालना न तो नैतिक है और न हो व्यावहारिक। इस कारण वह केवल एक रुपए शगुन से विवाह कर रहे हैं l दुल्हन के ताऊ शिवचरण चौहान ने कहा कि समर्थ लोग समाज को दहेज रहित शादी और बेटी बेटा की समानता का संदेश दें तो यह और प्रभावी हो जाता है। दो दिन पूर्व दुल्हन नेहा के परिजनों ने भी बेटी बेटा की समानता का संदेश देते हुए बग्गी पर बनवारा निकालकर समाज को सकारत्मक संदेश दिया था। पूरे रंग चाव भव्यता के बावजूद बिना दहेज के शादी क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है l सामाजिक संस्था प्रगतिशील शिक्षक ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय शर्मा का कहना है कि ऐसी सकारात्मकता से भरपूर शादियां सामाजिक बदलाव के प्रतीक हैं। लोग अब दहेज की बजाय रिश्तों को महत्व देने लगे हैं। समाज के लिए ये शुभ संकेत है। बिना मोटी रकम दहेज लिए बिना शादी करके चौहान एवं खन्ना परिवार ने पूरे समाज को उत्कृष्ट संदेश दिया है l इस दौरान शिक्षक बंसी लाल जांगिड़, सामाजिक कार्यकर्ता नरोत्तम सोनी, प्रगतिशील शिक्षक ट्रस्ट के अध्यक्ष संजय शर्मा, स्वर्णकार राज. भागीदारी मंच की जिला अध्यक्ष रवीना सोनी, मुक्ता शर्मा, दुल्हन के ताऊ शिव चरण, चाचा अजित चौहान, कृष्ण कुमार चौहान, नीतेश, निशांत एवं अन्य परिजन तथा दूल्हा पक्ष के भी अनेक गणमान्य ज़न उपस्थित रहे l हरियाणा | दैनिक भास्कर
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बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की शराब संग फोटो वायरल:कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाते ही सामने आई; उनके समर्थक जवाब मांग रहे
बिश्नोई महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की शराब संग फोटो वायरल:कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाते ही सामने आई; उनके समर्थक जवाब मांग रहे अखिल भारतीय बिश्नोई सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष देवेंद्र बूड़िया की कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाते ही मुश्किलें बढ़ गई हैं। देवेंद्र बूड़िया की एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। फोटो में शराब से भरी एक बोतल और गिलास है और इस फोटो में देवेंद्र बुड़िया नजर आ रहे हैं। दैनिक भास्कर इस बात की पुष्टि नहीं करता कि यह फोटो नकली है या असली। यह फोटो तब से वायरल हो रही है जब से देवेंद्र बूड़िया ने कुलदीप बिश्नोई से बिश्नोई रत्न की उपाधि वापस ली और उन्हें संरक्षक पद से हटाया। इस फोटो के बाद बिश्नोई समाज के लोग देवेंद्र बूड़िया पर हमलावर हो रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे फर्जी और एडिटेड बता रहे हैं। हालांकि, जब हमने इस बारे में देवेंद्र बूड़िया से संपर्क करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया। बिश्नोई समाज के लोगों का भी कहना है कि देवेंद्र बूड़िया को इस वायरल फोटो पर आगे आकर बोलना चाहिए। एक कैलाश बिश्नोई नाम के X यूजर ने फोटो शेयर करते हुए लिखा कि ये बहुत निंदनीय है। बता दें कि बुधवार 13 नवंबर को बीकानेर जिले के नोखा स्थित मुकाम धाम में बिश्नोई समाज की एक बैठक हुई थी। जिसमें कुलदीप बिश्नोई के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए गए थे। बिश्नोई समाज की बैठक में लिए गए 5 बड़े फैसले
1. संरक्षक का पद खत्म
कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से पदमुक्त कर दिया गया है। साथ ही फैसला लिया गया है कि अब महासभा के अंदर कोई संरक्षक होगा ही नहीं। यानी कि इस पद को ही खत्म कर दिया गया है। 2. लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव किया जाएगा
महासभा में नए प्रधान का चुनाव अब लोकतांत्रिक तरीके से होगा। पहले संरक्षक प्रधान को चुनते थे। 3. चुनाव तक देवेंद्र रहेंगे प्रधान
कुलदीप बिश्नोई ने ही देवेंद्र को प्रधान बनाया था और फिर उन्होंने ही एक पत्र जारी कर परसराम बिश्नोई को नया प्रधान नियुक्त किया था, लेकिन कुलदीप के इस कदम के बाद विवाद और बढ़ गया। इस विवाद को खत्म करने के लिए समाज ने फैसला लिया है कि चुनाव तक देवेंद्र ही प्रधान बने रहेंगे। 4. बिश्नोई रत्न वापस लेने का फैसला
बिश्नोई रत्न का सम्मान काफी खास है। आज तक ये सम्मान केवल दो ही लोगों को मिला है। एक पूर्व सीएम भजन लाल और दूसरा कुलदीप बिश्नोई को। उन्हें ये सम्मान चार साल पहले ही मिला है, लेकिन बैठक में फैसला लिया गया कि कुलदीप से ये सम्मान भी वापस लिया जाएगा। 5. कुलदीप बिश्नोई या उनके परिवार का सदस्य नहीं करेगा दखलअंदाजी
कुलदीप बिश्नोई का समाज और महासभा पर अच्छा प्रभाव था, लेकिन बैठक में फैसला लिया गया है कि कुलदीप बिश्नोई या फिर उनके परिवार का कोई भी सदस्य महासभा में कोई भी दखलअंदाजी नहीं करेगा। दोनों ने एक-दूसरे को पदों से हटाया था
महासभा के प्रधान देवेंद्र बूड़िया ने कुलदीप बिश्नोई को संरक्षक पद से हटाने के लिए एक पत्र जारी किया था जिसमें, लिखा था कि आपके बेटे ने अंतरजातीय विवाह किया है। इससे पूरे बिश्नोई समाज में भारी रोष है। ऐसे में आप इस पद पर नहीं रह सकते। वहीं इससे पहले कुलदीप बिश्नोई ने भी प्रधान देवेंद्र बूड़िया को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया था। उनकी जगह पर परसराम बिश्नोई को नया प्रधान घोषित किया गया था। कुलदीप बिश्नोई ने उन्हें समाज को तोड़ने वाला व्यक्ति बताया था। कैसे शुरू हुआ विवाद, किसने क्या कहा.. देवेंद्र बूड़िया ने कहा- मेरे साथ बुरा बर्ताव किया
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर लाइव आकर देवेंद्र बूड़िया ने कहा था कि, “मुझे 2 दिन से रणधीर पनिहार दिल्ली बुला रहे हैं। मैं आया तो मेरे साथ ट्रैजेडी की और मेरे साथ बहुत ही बुरा बर्ताव किया। ये सारी चीजें मैं समाज को बताउंगा। यह बहुत बड़ी घटना है और बहुत बड़ी मेरे साथ ट्रैजेडी हुई है। यह सब चीजें कैमरे में हैं। यह रणधीर पनिहार पता नहीं मुझसे क्या मांगता है।” पनिहार ने कहा- बूड़िया मेरे दोस्त, ऐसा क्यों बोला, मुझे पता नहीं
वहीं देवेंद्र बूड़िया के आरोपों पर विधायक रणधीर पनिहार ने कहा था कि जिस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, ऐसी कोई बात नहीं है। मनगढंत आरोपों का मैं क्या जवाब दूं। हां, मेरी किसी से कोई बात नहीं हुई। बूड़िया साहब आज भी मेरे अच्छे दोस्त हैं और उनसे मेरी अकसर मुलाकात होती रहती है। सोशल मीडिया पर उन्होंने ऐसा क्यों बोला मुझे इसकी जानकारी नहीं है। बिश्नोई संत बोले-रणधीर पनिहार को छोड़ेंगे नहीं
देवेंद्र बूड़िया के आरोपों पर बिश्नोई समाज के संत लालदास योग गुरु ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। संत लालदास ने कहा था कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ बुरा व्यवहार करने वाले को छोड़ेंगे नहीं। संत ने कहा कि कुलदीप बिश्नोई के इशारे पर ही सब कुछ हुआ है। कुलदीप बिश्नोई अध्यक्ष से करोड़ों रुपए की डिमांड कर रहे थे। वे इतने पैसे नहीं दे पा रहे तो उसे पद से हटाया जा रहा था, जिसका उन्होंने विरोध किया था। संत लालदास ने कहा था कि हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ बहुत ही बड़ी घटना हुई है। रणधीर पनिहार के नाम वाले किसी व्यक्ति ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के साथ निंदनीय घटना की है। वह कुलदीप बिश्नोई ने कराई है। संत लालदास ने कहा- कुलदीप बिश्नोई के खिलाफ कठोर फैसला लें
बिश्नोई संत लालदास योग गुरु ने कुलदीप बिश्नोई पर आरोप लगाते हुए कहा था कि कुलदीप बिश्नोई राष्ट्रीय अध्यक्ष बूड़िया से करोड़ों रुपए मांगते हैं। कुलदीप कहते हैं कि करोड़ों रुपए दोगे तो अध्यक्ष रहोगे नहीं तो हटा देंगे। उनके पास करोड़ों रुपए नहीं थे, इसलिए उन्होंने लौटा दिया। कुलदीप बिश्नोई कहते हैं कि मुझे और पैसे दोगे तो ही मैं आपको प्रधान रखूंगा, इसलिए आप इस्तीफा दो। इन्होंने इस्तीफा नहीं दिया तो प्रधान से बहुत बड़ी डिमांड की गई। मैं बिश्नोई समाज से निवेदन करना चाहता हूं कि आज देवेंद्र बूड़िया अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के अध्यक्ष हैं, कल को कोई और अध्यक्ष बन सकता है। क्या कोई इस तरह की डिमांड करेगा। यह तो कुलदीप बिश्नोई का निजी व्यवसाय बन गया है। इसलिए अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा की कार्यकारिणी और बिश्नोई समाज को मिलकर कठोर फैसला लेना चाहिए, ताकि समाज की इज्जत रह सके। देवेंद्र ने पनिहार और उनके बीच हुई घटना के बार में बताया…
1. रणधीर पनिहार ने हरियाणा भवन बुलाया
देवेंद्र बूड़िया ने कहा था कि मेरे पास रणधीर पनिहार का फोन आया कि आप कब आओगे। मैंने कहा मुझे तकलीफ है। मैं पहले मेदांता में दिखाऊंगा, फिर आऊंगा। पनिहार ने कहा नहीं, आप पहले यहां आओ। हरियाणा भवन में 30 व 31 नंबर में आ जाना। मैं वहां गया। अंदर बैठे रणधीर पनिहार ने कहा आओ अंदर। मुझसे चाय पूछी और कहा आगे क्या करना है। मैंने कहा कि इस्तीफा देना है। पनिहार ने कहा कि आपने कमिटमेंट पूरी नहीं की। मैंने कहा कि मुझसे हो नहीं पाया। 2. पनिहार ने इस्तीफा लिखवाना चाहा, मैंने नहीं लिखा
पनिहार ने मुझे दो कागज दिए और कहा कि इस पर साइन कर दो। मैंने कहा मैं साइन तो बॉस (कुलदीप बिश्नोई) के आगे करूंगा। पनिहार ने कहा कि वो तो आपका मुंह नहीं देखना चाहते। मैंने कहा मैं ऐसे साइन नहीं करूंगा। मैं साइन बॉस के सामने करूंगा। इसके बाद तू तड़ाक हुई। मुझसे पनिहार ने कहा कि आपको साइन करने पड़ेंगे। मैंने कहा मर जाऊंगा, मगर साइन नहीं करूंगा। वह 5 लोग थे, मैं अकेला। मैंने कहा आप ऐसा करो आप गाड़ी में चलो। उसने कहा चलो। इसके बाद एक ने मेरा हाथ पकड़ लिया और दूसरा मेरा वीडियो बनाने लगा। वहां से चलने के बाद मैं फुटपाथ पर आकर बैठ गया। 3. कुलदीप बिश्नोई को फोन मिलाया, मगर फोन नहीं उठाया
बूड़िया ने आगे कहा- मैंने कुलदीप जी को फोन मिलाया, उन्होंने फोन नहीं उठाया। मैंने भव्य जी को फोन मिलाया। नहीं उठाया, मगर उनका बाद में बैक कॉल आया। उन्होंने कुछ नहीं कहा और फोन काट दिया। इसके बाद मैंने कुलदीप बिश्नोई को वॉयस मैसेज वॉट्सऐप पर भेजे और कहा कि मेरे साथ इस तरह की घटना हो रही है और यह लोग मेरे साथ गलत कर रहे हैं। इसके बाद रणधीर पनिहार ने कहा कि इसको गाड़ी में डालो। इसके बाद मैंने देखा वहां मंत्रियों की गाड़ियां थी और पुलिस वाले भी थे। मैंने शोर मचाया तो वह गाड़ी दौड़ाकर भाग गए। मेरे पास टैक्सी थी। मैं वहां से निकल आया। मैंने इसके बाद कुलदीप जी को फोन किया तो उनका नंबर स्विच ऑफ आया। 4. जिस इंसान को इतना माना, उसने 15 घंटे बाद भी फोन नहीं किया
देवेंद्र बूड़िया ने कहा कि इस घटना के बाद मुझे लगा कहीं रात को मुझे कोई मार ना दे, इसलिए लाइव के माध्यम से मैंने आप लोगों को सब कुछ बताया। 3 साल में हम कोई पत्र भी लिखते हैं तो उनका नाम लिखना जरूरी है। भाषण देते हैं तो हम दुविधा में पड़ जाते हैं। कुलदीप कहते हैं मेरा नाम लेना जरूरी है और आप कहते हो आप उसके चमचे हो। मगर मेरा उद्देश्य समाज सेवा था, मैं समाज सेवा करना चाहता था ताकि दूसरे समाज के आगे बिश्नोई समाज एक उदाहरण बने। मैंने उस इंसान (कुलदीप बिश्नोई) को काफी माना, मगर 15 घंटे बीतने के बाद भी उसका फोन नहीं आया कि क्या हुआ। …………………………………………………………. अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा में बवाल,बैठक में लिए 5 फैसले; संरक्षक पद खत्म, कुलदीप से बिश्नोई रत्न वापस लिया जाएगा अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के प्रधान देवेंद्र बूड़िया और पूर्व सीएम भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई के बीच चल रहे विवाद में अब नया मोड आ गया है। बिश्नोई समाज के धार्मिक स्थल मुकाम धाम पर बुधवार को बैठक हुई। पूरी खबर पढ़ें..
सोनीपत में दवा की दुकान पर CM फ्लाइंग की रेड:केमिस्ट कार में रख कर बेचता था प्रतिबंधित दवाएं; शॉप सील होगी
सोनीपत में दवा की दुकान पर CM फ्लाइंग की रेड:केमिस्ट कार में रख कर बेचता था प्रतिबंधित दवाएं; शॉप सील होगी हरियाणा के सोनीपत में सीएम फ्लाइंग टीम ने एक मेडिकल स्टोर पर छापा मारा है। जांच के दौरान मेडिकल स्टोर के बाहर खड़ी कार से प्रतिबंधित दवाएं बरामद हुई हैं। सीएम फ्लाइंग की टीम मौके पर छानबीन व कार्रवाई में लगी हुई है। ड्रग इंस्पेक्टर को भी मौके पर बुलाया गया है। जानकारी के अनुसार सीएम फ्लाइंग टीम को सूचना मिली थी कि कुछ मेडिकल स्टोर पर नशे में प्रयोग होने वाली प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री हो रही है। इसको देखते हुए गांव बैंयापुर स्थित एक मेडिकल स्टोर पर शुक्रवार को रेड की गई। छापेमारी से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। इस दौरान टीम ने दुकान में दवाओं का रिकॉर्ड चैक किया। इसके बाद दुकान में रखी दवाओं की जांच की। दुकान से इस दौरान कुछ गड़बड़ी नहीं मिली। बताया गया है कि सीएम फ्लाइंग के पास पुख्ता सूचना थी कि यहां पर प्रतिबंधित दवा बेची जा रही है। इस पर आसपास जांच की गई। इस दौरान पता चला कि दुकान के बाहर खड़ी कार केमिस्ट की है। इसके बाद कार की डिग्गी को खोल कर तलाशी ली गई। वहां एक लिफाफे में प्रतिबंधित दवाएं बरामद हुई। सीएम फ्लाइंग का कहना है कि केमिस्ट मेडिकल स्टोर के बाहर कार में प्रतिबंधित दवाइयां रख कर बेचता था। इसके बाद सीएम फ्लाइंग ने सिटी पुलिस को मौके पर बुलाया। कार में मिली प्रतिबंधित दवाइयां को जब्त कर लिया गया है। पुलिस अब इसमें आगे की कार्रवाई कर रही है। उन्होंने बताया कि केमिस्ट ने पूछताछ में बताया कि वो पत्थरी के दर्द या फिर किसी अन्य असहाय दर्द में मरीजों को ये दवा दे देता था।
हरियाणा की सीट, जहां मतगणना के बाद कोर्ट से फैसला:हारने के बाद भी कैंडिडेट विधायक बने रहे; एक ने तो कार्यकाल भी पूरा किया
हरियाणा की सीट, जहां मतगणना के बाद कोर्ट से फैसला:हारने के बाद भी कैंडिडेट विधायक बने रहे; एक ने तो कार्यकाल भी पूरा किया हरियाणा में करनाल की एक विधानसभा सीट ऐसी है, जिसकी चर्चा चुनावों के रिजल्ट पर हुए कोर्ट केस को लेकर की जाती है। इस सीट पर वोटों में हेराफेरी कर नेता 2 बार विधायक बने रहे। इसके बाद जब तक कोर्ट का फैसला आया, तब तक तो कार्यकाल भी पूरा हो चुका था। इन चुनावों में हार-जीत का अंतर इतना छोटा था कि रीकाउंटिंग के बाद अदालत भी जल्दी फैसला नहीं सुना सकी। इनमें से एक केस को टाइम निकलने की बात कहकर कोर्ट ने रफा-दफा कर दिया। वहीं, दूसरे चुनाव के रिजल्ट पर कोर्ट में स्टे लिया गया था, जिसके बाद विनिंग कैंडिडेट को केवल 6 महीने के लिए विधायक की कुर्सी मिल पाई। यह करनाल की घरौंडा सीट है। 1996 में आया पहला मामला
पहला विवादित चुनाव 1996 का था जब विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार रमेश कश्यप ने इनेलो कैंडिडेट रमेश राणा को मात्र 11 वोटों से हराया था। रिकॉर्ड के अनुसार, 1996 में हारने के बाद रमेश राणा वोटों की रीकाउंटिंग के लिए हाईकोर्ट पहुंच गए थे। इस मामले में 3 साल बाद हाईकोर्ट ने रमेश राणा के पक्ष में फैसला सुना दिया, लेकिन इस फैसले को रमेश कश्यप ने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज कर दिया। उन्होंने रीकाउंटिंग में कम वोटों की गिनती को आधार बनाते हुए रिजल्ट पर स्टे ले लिया और विधानसभा भंग होने तक विधायक बने रहे। पूर्व विधायक रमेश राणा की पत्नी पूर्व विधायक रेखा राणा का कहना है कि रमेश राणा हाईकोर्ट से केस जीत गए थे। फिर उन्होंने विधायक पद की शपथ भी ली थी। इसके प्रमाण विधानसभा में भी मिल जाएंगे। जबकि, रमेश कश्यप का दावा है कि वह विधानसभा भंग होने तक विधायक रहे और रमेश राणा ने कोई शपथ नहीं ली। 6 महीने तक हम विधानसभा में रहे
रेखा राणा ने बताया है कि 1996 में केंद्र में समता पार्टी व इनेलो का समझौता था। 1996 में बैलेट पेपर से चुनाव होते थे। भाजपा और इनेलो के उम्मीदवारों का नाम भी एक जैसा था। रेखा राणा का आरोप है कि एक प्रभावशाली नेता के बेटे ने वोटों की गिनती में गड़बड़ी करवाई और रमेश कश्यप के पक्ष में रिजल्ट करवा दिया। रेखा ने यह भी आरोप लगाया कि उस प्रभावशाली नेता ने 500 वोट भी कैंसिल करवा दिए थे। इसके बाद हम हाईकोर्ट में गए। वहां वोटों की गिनती दोबारा करवाई गई तो रमेश राणा 157 वोटों से जीते थे। उन्हें शपथ के लिए 20 दिन का समय मिला था। इस समय में शपथ लेनी थी, लेकिन उनकी फाइल को कहीं दबा दिया गया। इसकी वजह से वह शपथ नहीं ले पाए थे। इसी बीच रमेश कश्यप के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगवा दिया था। रेखा का कहना है कि उनके पति रमेश राणा ने सुप्रीम कोर्ट में जाकर स्टे हटवाया। इसी दौरान हरियाणा विकास पार्टी और भाजपा का समझौता टूट गया था और इनेलो की सरकार आ गई थी। तब रमेश राणा ने शपथ ली थी और 6 महीने तक विधानसभा में रहे थे। 14 दिसंबर 1999 तक विधायक रहा
वहीं, रमेश कश्यप बताते है कि 1996 के चुनाव में उन्होंने 11 वोटों से जीत हासिल की थी। उन्होंने बताया, “इसके बाद रमेश राणा ने तुरंत ही हाईकोर्ट में केस डाला। 3 साल बाद हाईकोर्ट ने मेरे खिलाफ फैसला सुनाया। इसके बाद मैं सुप्रीम कोर्ट चला गया और दलील दी कि चुनाव रिजल्ट के दौरान जितने वोटों की गिनती हुई थी, हाईकोर्ट में उतने वोटों की गिनती क्यों नहीं की गई? इस आधार पर हाईकोर्ट के फैसले पर मैंने सुप्रीम कोर्ट में स्टे ले लिया। इसके बाद जुलाई 1999 में ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री बने। चौटाला ने 14 दिसंबर 1999 को विधानसभा भंग करवाई और नए चुनाव का ऐलान करवा दिया। 14 दिसंबर 1999 तक मैं ही विधायक था, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में मेरा केस पेंडिंग था। रमेश राणा को शपथ दिलवाई नहीं गई थी। अगर उन्हें शपथ दिलवाई गई होती तो मैं विधायक ही नहीं रहता।” 2005 में जयपाल शर्मा गए थे कोर्ट
उधर, दूसरा केस 2005 के विधानसभा चुनाव का जब इनेलो की टिकट पर पूर्व विधायक रमेश राणा की पत्नी रेखा राणा 21 वोटों से इलेक्शन जीतीं। इसमें निर्दलीय उम्मीदवार जयपाल शर्मा चुनाव हारे तो उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जयपाल शर्मा का आरोप था कि विधानसभा चुनावों में मृत वोट और डबल वोट डाले गए हैं। यह केस करीब साढ़े 7 साल तक चला। इसी दौरान 76 वोट ऐसे निकाल दिए थे, जो मृत थे और डबल थे। लेकिन, बाद में कोर्ट ने यह कहकर पिटीशन खारिज कर दी थी कि अब इसका समय निकल चुका है। विधायक का कार्यकाल पूरा हो चुका है तो केस का कोई औचित्य ही नहीं। ऐसे में वोटों में हेराफेरी के दम पर रेखा राणा पूरे 5 साल तक विधायक बनी रहीं। क्या कहते हैं राजनीति के जानकार
राजनीति के जानकार नैनपाल राणा के मुताबिक, हरियाणा विकास पार्टी और बीजेपी का गठबंधन था। 1996 में रमेश कश्यप को जिता दिया गया, जिसमें धांधलेबाजी की बातें सामने आई थीं। रमेश राणा हाईकोर्ट चले गए, जहां रमेश राणा को जीता हुआ घोषित कर दिया गया था। उन्होंने शपथ ली थी। उन्हें सरकार में केवल 3-4 महीने ही मिले थे, क्योंकि 1999 में बंसी लाल की सरकार गिर गई। ऐसा ही 2005 में हुआ था जब 21 वोटों से रेखा राणा जीत गई थीं। जयपाल शर्मा ने कोर्ट केस कर दिया था, लेकिन यह केस साढ़े 7 साल चला था। विधायक का टर्म पूरा हो ही चुका था।