मंत्री नंदी के 1.96 करोड़ लुट गए:2 बीटेक छात्रों के गैंग ने 3 घंटे में 300 अकाउंट में रुपए भेजे, UP पुलिस कुछ न कर सकी

मंत्री नंदी के 1.96 करोड़ लुट गए:2 बीटेक छात्रों के गैंग ने 3 घंटे में 300 अकाउंट में रुपए भेजे, UP पुलिस कुछ न कर सकी

यूपी सरकार के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी की फर्म के 2.08 करोड़ रुपए की साइबर ठगी हुई। ठगी करने वाले क्रिमिनल इतने शातिर निकले कि हाईटेक पुलिस को भी उन्होंने पीछे छोड़ दिया। अकाउंट के जरिए 2.08 की ठगी करने वाले 5 साइबर क्रिमिनल अरेस्ट तो हो गए, लेकिन मंत्री के रुपयों का बंदरबांट हो चुका था। साइबर ठगी के बाद जब तक प्रयागराज पुलिस के साथ यूपी की कई एजेंसियां एक्टिव हुईं, तब तक मंत्री नंदी के 2.08 करोड़ रुपए में 1.96 करोड़ रुपए लुट चुके थे। यानी 300 से अधिक अकाउंट में रुपए ट्रांसफर होकर निकलते रहे। इतनी जद्दोजहद के बाद क्राइम ब्रांच, साइबर सेल, स्पेशल टीमें महज 12.22 लाख रुपए अकाउंट में फ्रीज कर सकीं। यानी मंत्री के 1 करोड़ 96 लाख रुपए साइबर ठगी के नाम पर लुटे गए। 300 से अधिक अकाउंट के जरिए निकाले गए इन रुपए तक पहुंचना अब पुलिस के लिए टेढ़ी खीर है। वाहवाही के बजाए मायूस हुईं पुलिस टीमें
5 शातिरों को अरेस्ट कर पुलिस टीम वाहवाही भी नहीं लूट सकी। गैंग की गिरफ्तारी के बाद मशक्कत चली। होनी प्रेस कांफ्रेंस थी, लेकिन अफसर नजर बचाने लगे। उन्हें लगा कि दो करोड़ से अधिक की ठगी में 12 लाख की रिकवरी लेकर प्रेस के सामने जाना ठीक नहीं है। यही वजह है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस से अफसरों ने किनारा कर लिया। प्रयागराज से बरेली तक दौड़ लगाकर गैंग के मेंबर्स को पकड़ने वाली पुलिस टीम को मायूस होना पड़ा। असल में अफसरों को बताने के लिए कुछ था ही नहीं। मंत्री के साथ हुई ठगी की रिकवरी का यह हाल है तो आम आदमी के रुपए कहां से वापस लाने का दम भरा जाएगा। बीटेक के बाद साइबर ठगी, हाईटेक पुलिस फेल
मंत्री नंदी के 2.08 करोड़ रुपए की ठगी करने वाले गैंग को दिव्यांशु और पुलकित ऑपरेट करते हैं। दिव्यांशु पटना का है, जबकि पुलकित मऊ का रहने वाला है। दोनों ही बीटेक पास हैं। दोनों शातिरों ने तीन साल तक नेटवर्किंग कंपनी में नौकरी की। बीटेक पास दिव्यांशु और पुलकित हैकिंग के मास्टर हो गए। दोनों एक साथ रूट पार्टनर रहे और मोबाइल गेमिंग करते-करते साइबर ठगी में उतर आए। दोनों ने पहले तो ऑनलाइन खरीदारी करने वालों को चूना लगाया। किसी भी मोबाइल नंबर के आधार पर बुकिंग और रुपए ट्रांसफर में ठगी करने लगे। इसके बाद उनका मन बढ़ता गया। खुद न पकड़े जाएं, इसलिए रुपए ट्रांसफर के लिए ऐसे खाताधारकों को तय किया जो कमीशन पर काम करने लगे। टेलीग्राम के जरिए विदेशी गैंग से मिलकर ऑपरेट
इसके लिए उन्होंने ग्रामीण अंचलों के अकाउंट होल्डरों की चेन बनाई। दो साल तक ठगी करते रहने के बाद इनके तार विदेशों में बैठे ठगों से हो गए। इसके बाद इनसे वॉट्सऐप के जरिये दूसरे गैंग ने संपर्क किया। फिर टेलीग्राम के जरिए संपर्क में आकर यह गिरोह मिलकर ऑपरेट करने लगा। साइबर थाना प्रभारी निरीक्षक राजीव तिवारी का कहना है कि ऐसी ठगी के सरगना विदेश में बैठे हैं। एक गैंग कोलकाता से ऑपरेट करता है। इसी गैंग से दिव्यांशु से संपर्क साध मंत्री के अकाउंटेंट से ठगी का जाल बिछाया था। पुलिस के मुताबिक, पुलकित और दिव्यांशु ने पूछताछ में बताया कि साइबर ठगी करने वाले गिरोह के सरगना के संपर्क में टेलीग्राम के माध्यम से आए हैं। इसके बाद गिरोह के लिए काम करने लगे। दोनों कई बार विदेश भी गए हैं। थाइलैंड और नेपाल में गिरोह के सरगना से मिले। एक बार गिरोह का मुख्य सरगना भारत भी आया था। संजीव है MBA पास, 5% मिलता है कमीशन
पुलिस के मुताबिक, पकड़ा संजीव MBA पास है। वह नौकरी करता है। वह खाता धारकों की व्यवस्था करता है। पकड़े गए संजीव ने पूछताछ में बताया- उसे नहीं पता था कि उसके खाते का इस्तेमाल ठगी के लिए किया जा रहा है। उसे लगता था सट्टे या गेमिंग एप की रकम के लिए खाते का इस्तेमाल किया जा रहा है। उसे खाते की व्यवस्था करने के लिए 5% कमीशन मिलता था। वहीं, विजय और सुरजीत खाता धारक हैं। इनके खाते में ठगी की रकम आई थी। ये आरोपी हुए गिरफ्तार अगर आपके साथ साइबर ठगी हो गई तो सबसे पहले क्या करें? आगे जानिए… यूपी सरकार के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी की फर्म के 2.08 करोड़ रुपए की साइबर ठगी हुई। ठगी करने वाले क्रिमिनल इतने शातिर निकले कि हाईटेक पुलिस को भी उन्होंने पीछे छोड़ दिया। अकाउंट के जरिए 2.08 की ठगी करने वाले 5 साइबर क्रिमिनल अरेस्ट तो हो गए, लेकिन मंत्री के रुपयों का बंदरबांट हो चुका था। साइबर ठगी के बाद जब तक प्रयागराज पुलिस के साथ यूपी की कई एजेंसियां एक्टिव हुईं, तब तक मंत्री नंदी के 2.08 करोड़ रुपए में 1.96 करोड़ रुपए लुट चुके थे। यानी 300 से अधिक अकाउंट में रुपए ट्रांसफर होकर निकलते रहे। इतनी जद्दोजहद के बाद क्राइम ब्रांच, साइबर सेल, स्पेशल टीमें महज 12.22 लाख रुपए अकाउंट में फ्रीज कर सकीं। यानी मंत्री के 1 करोड़ 96 लाख रुपए साइबर ठगी के नाम पर लुटे गए। 300 से अधिक अकाउंट के जरिए निकाले गए इन रुपए तक पहुंचना अब पुलिस के लिए टेढ़ी खीर है। वाहवाही के बजाए मायूस हुईं पुलिस टीमें
5 शातिरों को अरेस्ट कर पुलिस टीम वाहवाही भी नहीं लूट सकी। गैंग की गिरफ्तारी के बाद मशक्कत चली। होनी प्रेस कांफ्रेंस थी, लेकिन अफसर नजर बचाने लगे। उन्हें लगा कि दो करोड़ से अधिक की ठगी में 12 लाख की रिकवरी लेकर प्रेस के सामने जाना ठीक नहीं है। यही वजह है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस से अफसरों ने किनारा कर लिया। प्रयागराज से बरेली तक दौड़ लगाकर गैंग के मेंबर्स को पकड़ने वाली पुलिस टीम को मायूस होना पड़ा। असल में अफसरों को बताने के लिए कुछ था ही नहीं। मंत्री के साथ हुई ठगी की रिकवरी का यह हाल है तो आम आदमी के रुपए कहां से वापस लाने का दम भरा जाएगा। बीटेक के बाद साइबर ठगी, हाईटेक पुलिस फेल
मंत्री नंदी के 2.08 करोड़ रुपए की ठगी करने वाले गैंग को दिव्यांशु और पुलकित ऑपरेट करते हैं। दिव्यांशु पटना का है, जबकि पुलकित मऊ का रहने वाला है। दोनों ही बीटेक पास हैं। दोनों शातिरों ने तीन साल तक नेटवर्किंग कंपनी में नौकरी की। बीटेक पास दिव्यांशु और पुलकित हैकिंग के मास्टर हो गए। दोनों एक साथ रूट पार्टनर रहे और मोबाइल गेमिंग करते-करते साइबर ठगी में उतर आए। दोनों ने पहले तो ऑनलाइन खरीदारी करने वालों को चूना लगाया। किसी भी मोबाइल नंबर के आधार पर बुकिंग और रुपए ट्रांसफर में ठगी करने लगे। इसके बाद उनका मन बढ़ता गया। खुद न पकड़े जाएं, इसलिए रुपए ट्रांसफर के लिए ऐसे खाताधारकों को तय किया जो कमीशन पर काम करने लगे। टेलीग्राम के जरिए विदेशी गैंग से मिलकर ऑपरेट
इसके लिए उन्होंने ग्रामीण अंचलों के अकाउंट होल्डरों की चेन बनाई। दो साल तक ठगी करते रहने के बाद इनके तार विदेशों में बैठे ठगों से हो गए। इसके बाद इनसे वॉट्सऐप के जरिये दूसरे गैंग ने संपर्क किया। फिर टेलीग्राम के जरिए संपर्क में आकर यह गिरोह मिलकर ऑपरेट करने लगा। साइबर थाना प्रभारी निरीक्षक राजीव तिवारी का कहना है कि ऐसी ठगी के सरगना विदेश में बैठे हैं। एक गैंग कोलकाता से ऑपरेट करता है। इसी गैंग से दिव्यांशु से संपर्क साध मंत्री के अकाउंटेंट से ठगी का जाल बिछाया था। पुलिस के मुताबिक, पुलकित और दिव्यांशु ने पूछताछ में बताया कि साइबर ठगी करने वाले गिरोह के सरगना के संपर्क में टेलीग्राम के माध्यम से आए हैं। इसके बाद गिरोह के लिए काम करने लगे। दोनों कई बार विदेश भी गए हैं। थाइलैंड और नेपाल में गिरोह के सरगना से मिले। एक बार गिरोह का मुख्य सरगना भारत भी आया था। संजीव है MBA पास, 5% मिलता है कमीशन
पुलिस के मुताबिक, पकड़ा संजीव MBA पास है। वह नौकरी करता है। वह खाता धारकों की व्यवस्था करता है। पकड़े गए संजीव ने पूछताछ में बताया- उसे नहीं पता था कि उसके खाते का इस्तेमाल ठगी के लिए किया जा रहा है। उसे लगता था सट्टे या गेमिंग एप की रकम के लिए खाते का इस्तेमाल किया जा रहा है। उसे खाते की व्यवस्था करने के लिए 5% कमीशन मिलता था। वहीं, विजय और सुरजीत खाता धारक हैं। इनके खाते में ठगी की रकम आई थी। ये आरोपी हुए गिरफ्तार अगर आपके साथ साइबर ठगी हो गई तो सबसे पहले क्या करें? आगे जानिए…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर