संभल में वॉट्सऐप मैसेज भेजकर मस्जिद के पास बुलाई भीड़:कश्मीर स्टाइल में हिंसा; मारे गए 3 लड़के 3-6 km दूर के रहने वाले

संभल में वॉट्सऐप मैसेज भेजकर मस्जिद के पास बुलाई भीड़:कश्मीर स्टाइल में हिंसा; मारे गए 3 लड़के 3-6 km दूर के रहने वाले

संभल में जामा मस्जिद सर्वे के दौरान 24 अक्टूबर को हुई हिंसा में पथराव करने वाले शहर के अलग-अलग हिस्सों से आए। अभी तक जिन 25 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है, उसमें 13 हिंसा प्रभावित इलाकों के रहने वाले ही नहीं हैं। उनके घर 6 किलोमीटर दूर तक हैं। कुछ आरोपी सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के इलाके से हैं। जिन चार युवकों की मौत हुई, उनमें से तीन जामा मस्जिद इलाके में नहीं रहते थे। सर्वे वाली सुबह जब पुलिस फोर्स का मूवमेंट शुरू हुआ तो मुस्लिम कम्युनिटी में हलचल बढ़नी शुरू हुई। पुलिस मान रही है कि ये सभी उपद्रवी वॉट्सऐप पर बल्क मैसेज भेजकर जामा मस्जिद के पास इकट्ठा किए गए थे। इन आरोपियों ने कश्मीर स्टाइल में पत्थर-बाजी की। मुंह पर कपड़े बांधे थे और उनके हाथों में पत्थर थे। हिंसा के 48 घंटे बाद संभल के हालात पूरी तरह शांतिपूर्ण हैं। स्कूल खोल दिए गए हैं, लेकिन इंटरनेट आज भी बंद है। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर रहकर जाना कि पत्थरबाज कैसे इकट्ठा हुए? पुलिस तफ्तीश में क्या निकला? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… महिलाएं बोलीं- हम निकाह की तैयारी में लगे थे, दंगाई गेट तोड़कर अंदर घुस आए
हमें संभल कोतवाली पर कुछ महिलाएं मिलीं। ये अपने एक फैमिली मेंबर को हिरासत में लिए जाने के विरोध में आई थीं। ये सभी संभल के मोहल्ला कोटगर्वी से थीं। महिलाओं ने कहा, ‘हमारे घर में 24-25 नवंबर को दो शादियां हैं। इसमें तसलीम और उसकी बहन गुलिस्ता परवीन हैं। घर में निकाह की तैयारियां चल रही थीं। 24 नवंबर की सुबह कुछ दंगाई गेट तोड़कर अंदर घुस आए और छत पर पहुंचकर पुलिस पर पत्थरबाजी करने लगे। पता नहीं वो कौन लोग थे, कहां से आए थे। हम सब निकाह की तैयारियों में अंदर घर में व्यस्त थे। दंगाइयों के भाग जाने के बाद पुलिस हमारे घर में घुस आई और दिल्ली से बहन की शादी में आए भाई को उठाकर ले गई। पुलिस ने जिस युवक को उठाया है, वो दिल्ली के वेलकम इलाके में फल बेचता है।’ कोटगर्वी मोहल्ले में हमने कई और लोगों से बातचीत की। उनका भी यही कहना था कि वो 24 नवंबर की सुबह शोर-शराबे की आवाज से नींद से उठे। जब देखा, तब तक माहौल खराब हो चुका था। लोगों का यही कहना था कि दंगाई यहां के रहने वाले नहीं थे। वे संभवत: दूसरे मोहल्लों के थे। इस हिंसा में जिन युवकों की मौत हुई, उसमें 32 साल का नईम मोहल्ला कोटगर्वी का रहने वाला था। कोटवर्गी जामा मस्जिद के पास ही है, जबकि अन्य तीन मृतक जामा मस्जिद से करीब 3-6 किलोमीटर दूर के रहने वाले थे। बिलाल सरायकरीम का रहने वाला था, जिसका घर घटनास्थल से 5 किलोमीटर दूर है। रोमान का घर हयात नगर 6 किलोमीटर दूर है। वहीं, कैफ तुर्तीपुर इलहा का रहने वाला था, जो 3 किलोमीटर दूर है। यह सभी इलाके शहर के ही हैं, लेकिन दूसरे छोर पर हैं। वो तीनों हिंसा स्थल पर कैसे आए? क्या उन्हें कोई मैसेज देकर बुलाया गया? ये सब पुलिस जांच का विषय है। नईम के परिवारवालों ने आरोप लगाया कि मौत पुलिस की गोली लगने से हुई है। मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आञ्जनेय कुमार सिंह ने भी पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘मृतकों के परिवार वाले पुलिस पर गोली मारने का आरोप लगा रहे हैं, वो पहले खुद से ये पूछें कि उनके बच्चे घटनास्थल पर क्या करने आए?’ पुलिस देख जुटते गए लोग, फिर फैलती गई मस्जिद में खुदाई होने की अफवाहें
संभल के SP कृष्ण कुमार बिश्नोई ने दैनिक भास्कर को बताया- 24 नवंबर को जामा मस्जिद का दूसरी बार सर्वे होना था। ये बात एडवोकेट कमिश्नर के जरिए 23 नवंबर की शाम को पता चली। हमने रात में ही जामा मस्जिद के सदर जफर अली को उनके घर जाकर सूचित किया। उन्हें जानकारी दी कि कल (24 नवंबर) को मस्जिद का सर्वे होना है, आप एग्री करते हैं या नहीं? सदर ने अपनी सहमति दे दी। फिर 24 नवंबर की सुबह 5 बजे से जामा मस्जिद के आसपास पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई थी। सुबह से ही इलाके में भारी फोर्स को देखते हुए मुस्लिम कम्युनिटी में हलचल शुरू हो गई। पूरे शहर में ये अफवाह फैलने लगी कि आज मस्जिद पर कुछ होने वाला है। वॉट्सऐप ग्रुपों में मैसेज वायरल होने लगे। धीरे-धीरे शहर के दूसरे हिस्सों में रहने वाले लोग भी जामा मस्जिद के आसपास जुटने लगे। सूत्रों के अनुसार, सुबह 8 बजे तक दो हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ जामा मस्जिद एरिया में पहुंच चुकी थी। इसमें 20 से 30 साल उम्र वालों की संख्या काफी ज्यादा थी। उपद्रवियों में बड़ी तादाद उन युवाओं की थी, जो जामा मस्जिद के आसपास के रहने वाले नहीं थे। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) और इंटेलिजेंस ने भी पुलिस अफसरों को यही जानकारी दी है कि सर्वे के बारे में पब्लिक को पहले कोई जानकारी नहीं थी। एकाएक वॉट्सऐप ग्रुपों के जरिए ये बात फैली और भीड़ इकट्ठा होती चली गई। शाही जामा मस्जिद के सदर जफर अली ने कहा, ‘मुझे 23 नवंबर की रात 9 बजे पुलिस ने सूचना दी थी कि कल (24 नवंबर) को मस्जिद का सर्वे होगा। सर्वे के दौरान SDM ने मस्जिद में वजूखाने की हौज (टैंक) खाली करवाई। इसका पानी जब मस्जिद से बाहर निकला तो लोगों को लगा कि मस्जिद में खुदाई हो रही है। ये अफवाह फैलती चली गई और हिंसा हुई। पुलिस के ड्रोन कैमरे पर भी बरसाए पत्थर
संभल के SP कृष्ण कुमार बिश्नोई ने हिंसा से जुड़ी करीब 10 वीडियो मुहैया कराई। ये वीडियो 24 नवंबर की सुबह हिंसा के वक्त ड्रोन कैमरे से बनाई गई थीं। इन वीडियो में दिख रहा है कि उपद्रवियों के चेहरे कपड़े से ढंके हुए थे। किसी ने रूमाल तो किसी ने अंगोछा बांधकर मुंह ढंका हुआ था, ताकि पहचान न होने पाए। ये एकदम कश्मीर स्टाइल में पत्थरबाजी कर रहे थे। एक वीडियो में उपद्रवी ने कार का फ्यूल ढक्कन तोड़ने का प्रयास किया, ताकि उसमें आग लगाई जा सके। एक अन्य वीडियो में उपद्रवियों ने जामा मस्जिद के ऊपर उड़ रहे ड्रोन कैमरे को भी पत्थर फेंककर नष्ट करने का प्रयास किया। हालांकि ऊंचाई अधिक होने से पत्थर ड्रोन कैमरे तक नहीं पहुंच सका। ड्रोन कैमरे के वीडियो में जामा मस्जिद के तीन तरफ दंगाई इकट्ठा होकर पथराव करते दिखे हैं। ———————————— संभल हिंसा से जुड़ी ये 2 खबरें भी पढ़िए… संभल हिंसा में सांसद बर्क पर FIR की हूबहू कॉपी:सर्वे रोकने के लिए भड़काऊ भाषण दिया; विधायक के बेटे ने सीओ पर गोली चलवाई संभल हिंसा में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर नामजद FIR दर्ज की गई है। पुलिस ने 7 FIR दर्ज की है। इनमें से एक एफआईआर दरोगा दीपक राठी की ओर से दर्ज कराई गई है। इसमें सांसद पर शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद भीड़ को सर्वे रोकने के लिए उकसाने का आरोप है। पढ़ें पूरी खबर… संभल में हिंसा के 5 घंटे…रिपोर्टर की आंखों देखी:भीड़ हिंदू एरिया में जाने वाली थी, पुलिस ने खदेड़ा; मस्जिद पर भी लगे पत्थर ‘संभल में हिंसा के बाद सड़कों पर सिर्फ चप्पल और पत्थर दिखाई दिए। हिंसक भीड़ पुलिस पर पथराव कर रही थी। गाड़ियां फूंकी जा रही थी। छतों से पत्थर फेंके जा रहे थे। पुलिस कर्मी बचते नजर आए। जिस शाही जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में भीड़ ने हिंसा की, उसकी दीवारों पर भी पत्थर लगे। उपद्रवी हिंदू आबादी की तरफ पहुंचने वाले थे, पुलिस ने खदेड़ा। करीब 5 घंटे तक ये सब चलता रहा। मैं भी हेलमेट पहनकर रिपोर्टिंग कर रहा था। ऐसे हालात मैंने अपने करियर के 14 सालों में कभी नहीं देखा। हालात कश्मीर जैसे दिख रहे थे।’ पढ़ें पूरी खबर… संभल में जामा मस्जिद सर्वे के दौरान 24 अक्टूबर को हुई हिंसा में पथराव करने वाले शहर के अलग-अलग हिस्सों से आए। अभी तक जिन 25 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है, उसमें 13 हिंसा प्रभावित इलाकों के रहने वाले ही नहीं हैं। उनके घर 6 किलोमीटर दूर तक हैं। कुछ आरोपी सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के इलाके से हैं। जिन चार युवकों की मौत हुई, उनमें से तीन जामा मस्जिद इलाके में नहीं रहते थे। सर्वे वाली सुबह जब पुलिस फोर्स का मूवमेंट शुरू हुआ तो मुस्लिम कम्युनिटी में हलचल बढ़नी शुरू हुई। पुलिस मान रही है कि ये सभी उपद्रवी वॉट्सऐप पर बल्क मैसेज भेजकर जामा मस्जिद के पास इकट्ठा किए गए थे। इन आरोपियों ने कश्मीर स्टाइल में पत्थर-बाजी की। मुंह पर कपड़े बांधे थे और उनके हाथों में पत्थर थे। हिंसा के 48 घंटे बाद संभल के हालात पूरी तरह शांतिपूर्ण हैं। स्कूल खोल दिए गए हैं, लेकिन इंटरनेट आज भी बंद है। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर रहकर जाना कि पत्थरबाज कैसे इकट्ठा हुए? पुलिस तफ्तीश में क्या निकला? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… महिलाएं बोलीं- हम निकाह की तैयारी में लगे थे, दंगाई गेट तोड़कर अंदर घुस आए
हमें संभल कोतवाली पर कुछ महिलाएं मिलीं। ये अपने एक फैमिली मेंबर को हिरासत में लिए जाने के विरोध में आई थीं। ये सभी संभल के मोहल्ला कोटगर्वी से थीं। महिलाओं ने कहा, ‘हमारे घर में 24-25 नवंबर को दो शादियां हैं। इसमें तसलीम और उसकी बहन गुलिस्ता परवीन हैं। घर में निकाह की तैयारियां चल रही थीं। 24 नवंबर की सुबह कुछ दंगाई गेट तोड़कर अंदर घुस आए और छत पर पहुंचकर पुलिस पर पत्थरबाजी करने लगे। पता नहीं वो कौन लोग थे, कहां से आए थे। हम सब निकाह की तैयारियों में अंदर घर में व्यस्त थे। दंगाइयों के भाग जाने के बाद पुलिस हमारे घर में घुस आई और दिल्ली से बहन की शादी में आए भाई को उठाकर ले गई। पुलिस ने जिस युवक को उठाया है, वो दिल्ली के वेलकम इलाके में फल बेचता है।’ कोटगर्वी मोहल्ले में हमने कई और लोगों से बातचीत की। उनका भी यही कहना था कि वो 24 नवंबर की सुबह शोर-शराबे की आवाज से नींद से उठे। जब देखा, तब तक माहौल खराब हो चुका था। लोगों का यही कहना था कि दंगाई यहां के रहने वाले नहीं थे। वे संभवत: दूसरे मोहल्लों के थे। इस हिंसा में जिन युवकों की मौत हुई, उसमें 32 साल का नईम मोहल्ला कोटगर्वी का रहने वाला था। कोटवर्गी जामा मस्जिद के पास ही है, जबकि अन्य तीन मृतक जामा मस्जिद से करीब 3-6 किलोमीटर दूर के रहने वाले थे। बिलाल सरायकरीम का रहने वाला था, जिसका घर घटनास्थल से 5 किलोमीटर दूर है। रोमान का घर हयात नगर 6 किलोमीटर दूर है। वहीं, कैफ तुर्तीपुर इलहा का रहने वाला था, जो 3 किलोमीटर दूर है। यह सभी इलाके शहर के ही हैं, लेकिन दूसरे छोर पर हैं। वो तीनों हिंसा स्थल पर कैसे आए? क्या उन्हें कोई मैसेज देकर बुलाया गया? ये सब पुलिस जांच का विषय है। नईम के परिवारवालों ने आरोप लगाया कि मौत पुलिस की गोली लगने से हुई है। मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आञ्जनेय कुमार सिंह ने भी पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘मृतकों के परिवार वाले पुलिस पर गोली मारने का आरोप लगा रहे हैं, वो पहले खुद से ये पूछें कि उनके बच्चे घटनास्थल पर क्या करने आए?’ पुलिस देख जुटते गए लोग, फिर फैलती गई मस्जिद में खुदाई होने की अफवाहें
संभल के SP कृष्ण कुमार बिश्नोई ने दैनिक भास्कर को बताया- 24 नवंबर को जामा मस्जिद का दूसरी बार सर्वे होना था। ये बात एडवोकेट कमिश्नर के जरिए 23 नवंबर की शाम को पता चली। हमने रात में ही जामा मस्जिद के सदर जफर अली को उनके घर जाकर सूचित किया। उन्हें जानकारी दी कि कल (24 नवंबर) को मस्जिद का सर्वे होना है, आप एग्री करते हैं या नहीं? सदर ने अपनी सहमति दे दी। फिर 24 नवंबर की सुबह 5 बजे से जामा मस्जिद के आसपास पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई थी। सुबह से ही इलाके में भारी फोर्स को देखते हुए मुस्लिम कम्युनिटी में हलचल शुरू हो गई। पूरे शहर में ये अफवाह फैलने लगी कि आज मस्जिद पर कुछ होने वाला है। वॉट्सऐप ग्रुपों में मैसेज वायरल होने लगे। धीरे-धीरे शहर के दूसरे हिस्सों में रहने वाले लोग भी जामा मस्जिद के आसपास जुटने लगे। सूत्रों के अनुसार, सुबह 8 बजे तक दो हजार से ज्यादा लोगों की भीड़ जामा मस्जिद एरिया में पहुंच चुकी थी। इसमें 20 से 30 साल उम्र वालों की संख्या काफी ज्यादा थी। उपद्रवियों में बड़ी तादाद उन युवाओं की थी, जो जामा मस्जिद के आसपास के रहने वाले नहीं थे। लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) और इंटेलिजेंस ने भी पुलिस अफसरों को यही जानकारी दी है कि सर्वे के बारे में पब्लिक को पहले कोई जानकारी नहीं थी। एकाएक वॉट्सऐप ग्रुपों के जरिए ये बात फैली और भीड़ इकट्ठा होती चली गई। शाही जामा मस्जिद के सदर जफर अली ने कहा, ‘मुझे 23 नवंबर की रात 9 बजे पुलिस ने सूचना दी थी कि कल (24 नवंबर) को मस्जिद का सर्वे होगा। सर्वे के दौरान SDM ने मस्जिद में वजूखाने की हौज (टैंक) खाली करवाई। इसका पानी जब मस्जिद से बाहर निकला तो लोगों को लगा कि मस्जिद में खुदाई हो रही है। ये अफवाह फैलती चली गई और हिंसा हुई। पुलिस के ड्रोन कैमरे पर भी बरसाए पत्थर
संभल के SP कृष्ण कुमार बिश्नोई ने हिंसा से जुड़ी करीब 10 वीडियो मुहैया कराई। ये वीडियो 24 नवंबर की सुबह हिंसा के वक्त ड्रोन कैमरे से बनाई गई थीं। इन वीडियो में दिख रहा है कि उपद्रवियों के चेहरे कपड़े से ढंके हुए थे। किसी ने रूमाल तो किसी ने अंगोछा बांधकर मुंह ढंका हुआ था, ताकि पहचान न होने पाए। ये एकदम कश्मीर स्टाइल में पत्थरबाजी कर रहे थे। एक वीडियो में उपद्रवी ने कार का फ्यूल ढक्कन तोड़ने का प्रयास किया, ताकि उसमें आग लगाई जा सके। एक अन्य वीडियो में उपद्रवियों ने जामा मस्जिद के ऊपर उड़ रहे ड्रोन कैमरे को भी पत्थर फेंककर नष्ट करने का प्रयास किया। हालांकि ऊंचाई अधिक होने से पत्थर ड्रोन कैमरे तक नहीं पहुंच सका। ड्रोन कैमरे के वीडियो में जामा मस्जिद के तीन तरफ दंगाई इकट्ठा होकर पथराव करते दिखे हैं। ———————————— संभल हिंसा से जुड़ी ये 2 खबरें भी पढ़िए… संभल हिंसा में सांसद बर्क पर FIR की हूबहू कॉपी:सर्वे रोकने के लिए भड़काऊ भाषण दिया; विधायक के बेटे ने सीओ पर गोली चलवाई संभल हिंसा में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर नामजद FIR दर्ज की गई है। पुलिस ने 7 FIR दर्ज की है। इनमें से एक एफआईआर दरोगा दीपक राठी की ओर से दर्ज कराई गई है। इसमें सांसद पर शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद भीड़ को सर्वे रोकने के लिए उकसाने का आरोप है। पढ़ें पूरी खबर… संभल में हिंसा के 5 घंटे…रिपोर्टर की आंखों देखी:भीड़ हिंदू एरिया में जाने वाली थी, पुलिस ने खदेड़ा; मस्जिद पर भी लगे पत्थर ‘संभल में हिंसा के बाद सड़कों पर सिर्फ चप्पल और पत्थर दिखाई दिए। हिंसक भीड़ पुलिस पर पथराव कर रही थी। गाड़ियां फूंकी जा रही थी। छतों से पत्थर फेंके जा रहे थे। पुलिस कर्मी बचते नजर आए। जिस शाही जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में भीड़ ने हिंसा की, उसकी दीवारों पर भी पत्थर लगे। उपद्रवी हिंदू आबादी की तरफ पहुंचने वाले थे, पुलिस ने खदेड़ा। करीब 5 घंटे तक ये सब चलता रहा। मैं भी हेलमेट पहनकर रिपोर्टिंग कर रहा था। ऐसे हालात मैंने अपने करियर के 14 सालों में कभी नहीं देखा। हालात कश्मीर जैसे दिख रहे थे।’ पढ़ें पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर