यूपी के संभल में हिंसा का तीसरा दिन है। स्कूल खोल दिए गए हैं। हालांकि इंटरनेट आज भी बंद है। पूरे शहर में RAF पुलिस फोर्स के साथ मार्च कर रही है। जामा मस्जिद जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग है। इधर, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर को धमकी मिली है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि उन्हें बार-बार धमकी दी जा रही है। सोशल मीडिया पर उनकी माताजी को गाली दी जा रही है। जैन ने कहा, ‘एक बात साफ करना चाहता हूं कि मैं लड़ रहा हूं, लड़ता रहूंगा। जिसको जो धमकी देनी है देता रहे, मैं अपना काम करता रहूंगा।’ जामा मस्जिद कमेटी अध्यक्ष को साढ़े 4 घंटे बाद छोड़ा सोमवार दोपहर शाही जामा मस्जिद के सदर जफर अली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा, ‘हिंसा के लिए स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है। मस्जिद के वजूखाने से एसडीएम ने पानी निकलवाया। यह पानी बहकर जब मस्जिद के बाहर आया तो भीड़ इकट्ठा हुई। लोगों को लगा कि मस्जिद के भीतर खुदाई चल रही है। हमने मस्जिद से लोगों से शांति बरतने की अपील की। जब लोगों ने सीओ से पूछा कि अंदर क्या हो रहा है, तो उन्होंने गाली दी, लाठी चलाई। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी सवाल पूछ रहा है उसे ठोंक देंगे। एसडीएम और सीओ संभल ने दहशत फैलाई। भीड़ बेकाबू हो गई, क्योंकि उन्हें लगा कि खुदाई चल रही है। कुछ भी स्पष्ट करने वाला कोई नहीं था।’ इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद पुलिस ने करीब 3 बजे उन्हें हिरासत में ले लिया। करीब साढ़े 4 घंटे बाद साढ़े 7 बजे जफर को पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ा। हालांकि एसपी कृष्ण बिश्नोई ने कहा कि हमने जफर अली को हिरासत में नहीं लिया था। बातचीत के लिए कोतवाली बुलाया था। डीएम-एसपी ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस, बोले- भीड़ ने हमला किया तो भाग निकले जफर अली डीएम राजेंद्र पेंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जफर अली के आरोपों का खंडन किया। डीएम ने कहा- ‘जफर अली ने पहले बताया कि उन्होंने पुलिस को अपने हथियार इस्तेमाल करते देखा। फिर उन्होंने कहा कि पुलिस देसी हथियार इस्तेमाल कर रही थी। बाद में कहा कि उन्हें नहीं पता कि पुलिस ने कौन से हथियार इस्तेमाल किए। इस तरह उन्होंने तीन अलग-अलग बयान दिए। पुलिस की ओर से कोई फायरिंग नहीं हुई। गोली लगने से 4 लोगों की मौत हुई। उन्हें गोली किसने मारी यह पता नहीं। जफर का यह भी दावा गलत है कि भीड़ ने कोई पथराव नहीं किया। सुबह 10:30 बजे जब पथराव शुरू हुआ तो हमने जफर अली को हेलमेट पहनाया और जाकर भीड़ को शांत करने को कहा। लेकिन जब भीड़ ने उन पर हमला किया तो वह मौके से भाग निकले। भीड़ भड़काऊ नारे लगा रही थी।’ सर्वे की जानकारी न दिए जाने के आरोपों पर डीएम ने कहा, ’24 नवंबर को अदालत का आदेश दोपहर 2.38 बजे आया। एसडीएम और सीओ जफर अली को अदालत के आदेश की कॉपी सौंपने उसी दिन शाम 5 से 5.30 बजे के बीच खुद जामा मस्जिद गए थे। हमारे पास एडवोकेट कमिश्नर के आदेश की एक कॉपी है, जिस पर मस्जिद सदर के हस्ताक्षर हैं।’ सर्वे टीम के आसपास धार्मिक नारेबाजी के वायरल वीडियो पर डीएम ने कहा, ‘जब सर्वे टीम मस्जिद पहुंची तो वहां कोई नारेबाजी नहीं हुई। पथराव शुरू होने के बाद जब टीम सर्वे पूरा करके वापस लौट रही थी, तो घटनास्थल से काफी दूर पहुंचने पर कुछ लोगों ने नारेबाजी की। डीएम पेंसिया ने कहा कि जफर अली ने आरोप लगाया कि एसडीएम ने सर्वे के लिए वजू टैंक खाली कराया। लेकिन वजू टैंक को फोटोग्राफी के लिए खाली किया गया था और जल्द ही इसे दोबारा भर दिया गया। बार-बार सर्वे में बाधा डालने की कोशिश की गई। टैंक को हर शुक्रवार को खाली ही करा जाता है। संभल हिंसा में 7 एफआईआर सांसद बर्क और उनके बेटे पर हिंसा भड़काने का आरोप
पुलिस ने सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और सदर विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर हिंसा भड़काने की एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने हिंसा से जुड़े मामले में 7 एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें 6 नामजद और 2500 से ज्यादा अज्ञात हैं। अब तक 25 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। 19 नवंबर को पहली बार हिंदू पक्ष की याचिका पर हुआ था सर्वे
संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हिंदू पक्ष ने 19 नवंबर को याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट शामिल है। संभल की सिविल कोर्ट ने उसी दिन कमिश्नर सर्वे का आदेश दिया था। इस आदेश के कुछ ही घंटों बाद उसी दिन कमिश्नर टीम ने सर्वे किया था। सर्वे की रिपोर्ट एक सप्ताह में सौंपनी है। सिविल कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। रविवार सुबह फिर से टीम सर्वे के लिए पहुंची
रविवार, 24 नवंबर की सुबह 6.30 बजे डीएम-एसपी के साथ दोबारा से टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी। टीम देखकर मुस्लिम समुदाय के लोग भड़क गए। कुछ ही देर में करीब दो से तीन हजार से ज्यादा लोग जामा मस्जिद के बाहर पहुंच गए। पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो कुछ लोगों ने पथराव कर दिया। इसके बाद हिंसा भड़क गई। हिंसा में 4 युवकों की मौत हुई है। करीब 22 पुलिसकर्मी घायल हुए। संभल मस्जिद का विवाद क्या है?
हिंदू पक्ष काफी वक्त से संभल की जामा मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर होने का दावा कर रहा है। 19 नवंबर को 8 लोग मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे और एक याचिका दायर की। इनमें सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन प्रमुख हैं। ये दोनों ताजमहल, कुतुब मीनार, मथुरा, काशी और भोजशाला के मामला भी देख रहे हैं। इनके अलावा याचिकाकर्ताओं में वकील पार्थ यादव, केला मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, महंत दीनानाथ, सामाजिक कार्यकर्ता वेदपाल सिंह, मदनपाल, राकेश कुमार और जीतपाल यादव का नाम शामिल है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। संभल कोर्ट में हिंदू पक्ष ने याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 150 साल पुरानी एक रिपोर्ट शामिल है। यूपी के संभल में हिंसा का तीसरा दिन है। स्कूल खोल दिए गए हैं। हालांकि इंटरनेट आज भी बंद है। पूरे शहर में RAF पुलिस फोर्स के साथ मार्च कर रही है। जामा मस्जिद जाने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेडिंग है। इधर, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर को धमकी मिली है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि उन्हें बार-बार धमकी दी जा रही है। सोशल मीडिया पर उनकी माताजी को गाली दी जा रही है। जैन ने कहा, ‘एक बात साफ करना चाहता हूं कि मैं लड़ रहा हूं, लड़ता रहूंगा। जिसको जो धमकी देनी है देता रहे, मैं अपना काम करता रहूंगा।’ जामा मस्जिद कमेटी अध्यक्ष को साढ़े 4 घंटे बाद छोड़ा सोमवार दोपहर शाही जामा मस्जिद के सदर जफर अली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा, ‘हिंसा के लिए स्थानीय प्रशासन जिम्मेदार है। मस्जिद के वजूखाने से एसडीएम ने पानी निकलवाया। यह पानी बहकर जब मस्जिद के बाहर आया तो भीड़ इकट्ठा हुई। लोगों को लगा कि मस्जिद के भीतर खुदाई चल रही है। हमने मस्जिद से लोगों से शांति बरतने की अपील की। जब लोगों ने सीओ से पूछा कि अंदर क्या हो रहा है, तो उन्होंने गाली दी, लाठी चलाई। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी सवाल पूछ रहा है उसे ठोंक देंगे। एसडीएम और सीओ संभल ने दहशत फैलाई। भीड़ बेकाबू हो गई, क्योंकि उन्हें लगा कि खुदाई चल रही है। कुछ भी स्पष्ट करने वाला कोई नहीं था।’ इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद पुलिस ने करीब 3 बजे उन्हें हिरासत में ले लिया। करीब साढ़े 4 घंटे बाद साढ़े 7 बजे जफर को पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ा। हालांकि एसपी कृष्ण बिश्नोई ने कहा कि हमने जफर अली को हिरासत में नहीं लिया था। बातचीत के लिए कोतवाली बुलाया था। डीएम-एसपी ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस, बोले- भीड़ ने हमला किया तो भाग निकले जफर अली डीएम राजेंद्र पेंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जफर अली के आरोपों का खंडन किया। डीएम ने कहा- ‘जफर अली ने पहले बताया कि उन्होंने पुलिस को अपने हथियार इस्तेमाल करते देखा। फिर उन्होंने कहा कि पुलिस देसी हथियार इस्तेमाल कर रही थी। बाद में कहा कि उन्हें नहीं पता कि पुलिस ने कौन से हथियार इस्तेमाल किए। इस तरह उन्होंने तीन अलग-अलग बयान दिए। पुलिस की ओर से कोई फायरिंग नहीं हुई। गोली लगने से 4 लोगों की मौत हुई। उन्हें गोली किसने मारी यह पता नहीं। जफर का यह भी दावा गलत है कि भीड़ ने कोई पथराव नहीं किया। सुबह 10:30 बजे जब पथराव शुरू हुआ तो हमने जफर अली को हेलमेट पहनाया और जाकर भीड़ को शांत करने को कहा। लेकिन जब भीड़ ने उन पर हमला किया तो वह मौके से भाग निकले। भीड़ भड़काऊ नारे लगा रही थी।’ सर्वे की जानकारी न दिए जाने के आरोपों पर डीएम ने कहा, ’24 नवंबर को अदालत का आदेश दोपहर 2.38 बजे आया। एसडीएम और सीओ जफर अली को अदालत के आदेश की कॉपी सौंपने उसी दिन शाम 5 से 5.30 बजे के बीच खुद जामा मस्जिद गए थे। हमारे पास एडवोकेट कमिश्नर के आदेश की एक कॉपी है, जिस पर मस्जिद सदर के हस्ताक्षर हैं।’ सर्वे टीम के आसपास धार्मिक नारेबाजी के वायरल वीडियो पर डीएम ने कहा, ‘जब सर्वे टीम मस्जिद पहुंची तो वहां कोई नारेबाजी नहीं हुई। पथराव शुरू होने के बाद जब टीम सर्वे पूरा करके वापस लौट रही थी, तो घटनास्थल से काफी दूर पहुंचने पर कुछ लोगों ने नारेबाजी की। डीएम पेंसिया ने कहा कि जफर अली ने आरोप लगाया कि एसडीएम ने सर्वे के लिए वजू टैंक खाली कराया। लेकिन वजू टैंक को फोटोग्राफी के लिए खाली किया गया था और जल्द ही इसे दोबारा भर दिया गया। बार-बार सर्वे में बाधा डालने की कोशिश की गई। टैंक को हर शुक्रवार को खाली ही करा जाता है। संभल हिंसा में 7 एफआईआर सांसद बर्क और उनके बेटे पर हिंसा भड़काने का आरोप
पुलिस ने सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और सदर विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर हिंसा भड़काने की एफआईआर दर्ज की है। पुलिस ने हिंसा से जुड़े मामले में 7 एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें 6 नामजद और 2500 से ज्यादा अज्ञात हैं। अब तक 25 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। 19 नवंबर को पहली बार हिंदू पक्ष की याचिका पर हुआ था सर्वे
संभल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में हिंदू पक्ष ने 19 नवंबर को याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक 150 साल पुरानी रिपोर्ट शामिल है। संभल की सिविल कोर्ट ने उसी दिन कमिश्नर सर्वे का आदेश दिया था। इस आदेश के कुछ ही घंटों बाद उसी दिन कमिश्नर टीम ने सर्वे किया था। सर्वे की रिपोर्ट एक सप्ताह में सौंपनी है। सिविल कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद पक्ष ने अपील दाखिल की है। मामले पर अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी। रविवार सुबह फिर से टीम सर्वे के लिए पहुंची
रविवार, 24 नवंबर की सुबह 6.30 बजे डीएम-एसपी के साथ दोबारा से टीम जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची थी। टीम देखकर मुस्लिम समुदाय के लोग भड़क गए। कुछ ही देर में करीब दो से तीन हजार से ज्यादा लोग जामा मस्जिद के बाहर पहुंच गए। पुलिस ने रोकने की कोशिश की तो कुछ लोगों ने पथराव कर दिया। इसके बाद हिंसा भड़क गई। हिंसा में 4 युवकों की मौत हुई है। करीब 22 पुलिसकर्मी घायल हुए। संभल मस्जिद का विवाद क्या है?
हिंदू पक्ष काफी वक्त से संभल की जामा मस्जिद की जगह पर पहले मंदिर होने का दावा कर रहा है। 19 नवंबर को 8 लोग मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे और एक याचिका दायर की। इनमें सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन प्रमुख हैं। ये दोनों ताजमहल, कुतुब मीनार, मथुरा, काशी और भोजशाला के मामला भी देख रहे हैं। इनके अलावा याचिकाकर्ताओं में वकील पार्थ यादव, केला मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, महंत दीनानाथ, सामाजिक कार्यकर्ता वेदपाल सिंह, मदनपाल, राकेश कुमार और जीतपाल यादव का नाम शामिल है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। संभल कोर्ट में हिंदू पक्ष ने याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा, आइन-ए-अकबरी किताब और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 150 साल पुरानी एक रिपोर्ट शामिल है। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर