शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने मंगलवार को पंजाब यूनिवर्सिटी में पहुंचे। इस दौरान वह सीनेट चुनाव करवाने को लेकर एक महीने में चल रहे संघर्ष में शामिल हुए थे। जहां उन्होंने केंद्र की भाजपा और पंजाब सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार को पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव और हरियाणा को विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में जगह देने के मामले में तुरंत विधानसभा सेशन बुलाना चाहिए। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो समझ लिया जाएगा कि पंजाब सरकार की केंद्र सरकार से सेटिंग हुई है। अधिकार छीनने हैं तो फिर संविधान का महत्व नहीं रह जाता इस मौके मजीठिया ने अपने हाथ में संविधान की कॉपी लेकर आए थे। उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने इसे फोटो अवसर बनाकर छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी पर पंजाब का हक है। अगर सच में बीजेपी संविधान को समर्पित है तो वह पंजाब के अधिकार नहीं छीन सकती हैं। अगर आप ने तानाशाही ही करनी है तो ऐसे में इंडिया और पाकिस्तान में कोई अंतर नहीं रह जाता है। ऐसे में संविधान और शहीदों की शहादत का कोई मतलब नहीं रह जाता है। उन्होंने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट चुनाव करवाए जाने चाहिए। लंबे समय से भाजपा पंजाब के हितों का हनन कर रही है। चाहे वह पंजाब का पानी का मुद्दा, बीबीएमबी का मुद्दा, चंडीगढ़ में 60: 40 के अनुपात से अवसरों की नियुक्ति हो या फिर कोई अन्य मौका। सब जगह केंद्र ने पंजाब के साथ धक्का किया है। स्टूडेंट्स पर दर्ज केस कैंसिल हो मजीठिया ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव को लेकर संघर्ष पर चल रहे स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी कैंपस में अपने सीएम कुछ दिन पहले मिलने जा रहे थे। लेकिन उन पर पर्चा दर्ज कर दिया गया। करीब 15 स्टूडेंट्स पर पर्चा दर्ज किया है, जो पूरी तरह से गलत है। बच्चे पंजाब के सीएम से बात नहीं करेंगे तो किससे बात करेंगे। उन्होंने कहा कि यह पर्चा वापस होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पर्चा वापस नहीं हुआ तो समझ जाएगा कि जैसे किसान आंदोलन के समय लोगों की आवाज दबाने की कोशिश की गई थी। वैसे ही अब यह कोशिश की जा रही है। शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया ने मंगलवार को पंजाब यूनिवर्सिटी में पहुंचे। इस दौरान वह सीनेट चुनाव करवाने को लेकर एक महीने में चल रहे संघर्ष में शामिल हुए थे। जहां उन्होंने केंद्र की भाजपा और पंजाब सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार को पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव और हरियाणा को विधानसभा के लिए चंडीगढ़ में जगह देने के मामले में तुरंत विधानसभा सेशन बुलाना चाहिए। अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो समझ लिया जाएगा कि पंजाब सरकार की केंद्र सरकार से सेटिंग हुई है। अधिकार छीनने हैं तो फिर संविधान का महत्व नहीं रह जाता इस मौके मजीठिया ने अपने हाथ में संविधान की कॉपी लेकर आए थे। उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने इसे फोटो अवसर बनाकर छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी पर पंजाब का हक है। अगर सच में बीजेपी संविधान को समर्पित है तो वह पंजाब के अधिकार नहीं छीन सकती हैं। अगर आप ने तानाशाही ही करनी है तो ऐसे में इंडिया और पाकिस्तान में कोई अंतर नहीं रह जाता है। ऐसे में संविधान और शहीदों की शहादत का कोई मतलब नहीं रह जाता है। उन्होंने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी में सीनेट चुनाव करवाए जाने चाहिए। लंबे समय से भाजपा पंजाब के हितों का हनन कर रही है। चाहे वह पंजाब का पानी का मुद्दा, बीबीएमबी का मुद्दा, चंडीगढ़ में 60: 40 के अनुपात से अवसरों की नियुक्ति हो या फिर कोई अन्य मौका। सब जगह केंद्र ने पंजाब के साथ धक्का किया है। स्टूडेंट्स पर दर्ज केस कैंसिल हो मजीठिया ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट चुनाव को लेकर संघर्ष पर चल रहे स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी कैंपस में अपने सीएम कुछ दिन पहले मिलने जा रहे थे। लेकिन उन पर पर्चा दर्ज कर दिया गया। करीब 15 स्टूडेंट्स पर पर्चा दर्ज किया है, जो पूरी तरह से गलत है। बच्चे पंजाब के सीएम से बात नहीं करेंगे तो किससे बात करेंगे। उन्होंने कहा कि यह पर्चा वापस होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह पर्चा वापस नहीं हुआ तो समझ जाएगा कि जैसे किसान आंदोलन के समय लोगों की आवाज दबाने की कोशिश की गई थी। वैसे ही अब यह कोशिश की जा रही है। पंजाब | दैनिक भास्कर
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SC ने पराली मामले में पंजाब सरकार को लगाई फटकार:शीर्ष अदालत में सुनवाई जारी, कहां- जमीनी स्तर पर नहीं हुआ काम
SC ने पराली मामले में पंजाब सरकार को लगाई फटकार:शीर्ष अदालत में सुनवाई जारी, कहां- जमीनी स्तर पर नहीं हुआ काम पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। आज (बुधवार) को इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में दोनों सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही कहा कि इस मामले में जमीनी स्तर पर काम नहीं हुआ है। कानून के मुताबिक दोनों सरकारें काम करने में फेल साबित हुई है। इस मामले को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत में गलत बयानबाजी की जा रही है। ऐसे में हम अवमानना नोटिस जारी करेंगे, अन्यथा हमें सही जानकारी दी जाए। वहीं, उत्तर भारत में पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए सख्त नियम बनाने में विफल रहने पर केंद्र की आलोचना भी अदालत ने की है। साथ कहा कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम ‘शक्तिहीन’ हो गया है। गत सुनवाई पर अदालत ने कहा था कि इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। अगर उनके आदेशों का पालन नहीं किया तो अवमानना का केस दर्ज किया जाएगा।अदालत दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण भी सख्त है। डीसी व एसएसपी ने फील्ड में संभाला मोर्चा सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद पंजाब सरकार खुद हरकत में आ गई है। सभी जिलों में प्रशासनिक अधिकारी फील्ड में उतार दिए गए हैं। वह लोगों को जागरूक करने के साथ आग बुझाने को लेकर गंभीरता दिखा रहे हैं। सभी जिलों के DC और SSP ने पूरे राज्य में 522 जॉइंट दौरे किए गए। SDM और DSP द्वारा 981 संयुक्त दौरे किए गए। इस दौरान उन्होंने 2504 जन जागरूकता बैठकें की हैं, जबकि किसान और किसान यूनियनों के साथ 2457 बैठकें आयोजित की गईं। 874 पर केस दर्ज व 394 के रिकॉर्ड में रेड एंट्री पराली जलाने के मामलों में पुलिस की तरफ से अब तक 874 केस दर्ज किए गए हैं, जबकि 10.55 लाख का जुर्माना लगाया गया है। 394 किसानों के रेवेन्यू रिकॉर्ड में रेड एंट्री भी की गई है। पंजाब पुलिस के विशेष पुलिस महानिदेशक (स्पेशल डीजीपी) कानून एवं व्यवस्था अर्पित शुक्ला की तरफ से यह जानकारी दी गई है। उन्होंने कहा कि उनकी तरफ से लोगों पर केवल कार्रवाई नहीं की जा रही है। बल्कि लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है, ताकि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकें। पराली के धुएं पर राजनीति जोरों पर एक तरफ यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ इस मामले में राजनीति गर्मा गई है। आम आदमी पार्टी यूथ विंग के सोशल मीडिया अकाउंट X पर दिल्ली में प्रदूषण को लेकर एक पोस्ट शेयर की गई है। जिसमें कहा गया है कि बीजेपी की केंद्र सरकार के डाटा ने बताया बीजेपी शासित राज्यों का सच। हरियाणा में पराली जलाने के 23 फीसदी केस बढ़े। यूपी में 71 फीसदी केस बढ़े, जबकि AAP शासित राज्य पंजाब में 27 फीसदी पराली जलाने के केस कम हुए हैं।
निहंगों ने शिवसेना नेता को तलवारों से काटा,लुधियाना बंद रद्द:पुलिस बोली- 2 गिरफ्तार, बुड्ढा दल से जुड़े हुए; थापर की हालत गंभीर
निहंगों ने शिवसेना नेता को तलवारों से काटा,लुधियाना बंद रद्द:पुलिस बोली- 2 गिरफ्तार, बुड्ढा दल से जुड़े हुए; थापर की हालत गंभीर पंजाब के लुधियाना में शुक्रवार को निहंगों ने शिवसेना नेता संदीप थापर उर्फ गोरा को सरेबाजार तलवारों से काट दिया। इस दौरान उनका गनमैन विरोध के बजाय एक किनारे खड़ा हो गया। इससे हिंदू संगठन भड़क उठे। वारदात का वीडियो सामने आने के बाद पुलिस हरकत में आई। हमलावर निहंगों ने भी हमले के बाद वीडियो जारी कर कहा कि अगर कोई उनके धर्म, मर्यादा और शहीदों के बारे में कुछ बोलेगा तो उसका यही हश्र किया जाएगा। पुलिस कमिश्नर कुलदीप चहल ने शुक्रवार शाम को बताया कि 2 हमलावरों को गिरफ्तार कर लिया गया है। वे बाबा बुड्ढा दल से जुड़े हुए हैं। गनमैन के खिलाफ डिपार्टमैंटल इन्क्वायरी की जाएगी। इसके विरोध में हिंदू नेताओं ने शनिवार को लुधियाना बंद का ऐलान किया था, लेकिन देर रात हिंदू नेताओं ने लुधियाना बंद का आह्वान स्थगित कर दिया है। इस बीच, सीपी कुलदीप चहल ने शिवसेना नेता थापर का हालचाल जाना है। हिंदू नेताओं का कहना है कि पहले अमृतसर में सुधीर सूरी और अब संदीप थापर के मामले में गनमैन ने कुछ नहीं किया। अगर उन्होंने कुछ करना ही नहीं तो फिर पुलिस उनकी जान खतरे में डाल रही है। पुलिस ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था हिंदू नेताओं के विरोध को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। बाजारों में किसी तरह के टकराव को रोकने के लिए पेट्रोलिंग बढ़ा दी है। वहीं शिवसेना नेता की हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें सीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वारदात से जुड़ी PHOTOS… स्कूटी से आ रहे थे शिवसेना नेता, रास्ते में घेर तलवारें मारी
शिवसेना नेता संदीप थापर किसी धार्मिक कार्यक्रम से स्कूटी पर लौट रहे थे। पीछे उनका गनमैन भी बैठा हुआ था। सिविल अस्पताल के बाहर निहंगों ने उन्हें घेर लिया। इसके बाद तलवारों से काटना शुरू कर दिया। इस दौरान एक निहंग गनमैन को धक्का देते हुए किनारे ले गया। तब गनमैन ने कोई विरोध नहीं किया और किनारे जाकर खड़ा हो गया। जब शिवसेना नेता लहूलुहान होकर जमीन पर गिर पड़े तो भी निहंग उन्हें तलवार से काटता रहा। इसके बाद वह शिवसेना नेता की स्कूटी लेकर वहां से फरार हो गए। निहंगों ने वीडियो जारी कर धमकाया
वारदात के बाद हमलावर निहंगों ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट की। जिसमें निहंगों ने कहा कि जो भी हमारे धर्म, मर्यादा और शहीदों के खिलाफ बोलेगा, हम उसके साथ वैसा ही करेंगे जैसा हमने आज लुधियाना में किया। उन्होंने कहा कि हम ऐसे किसी व्यक्ति को नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सिख धर्म किसी का विरोध नहीं करता है और न ही यह जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। उन्होंने कहा कि जीभ में हड्डी नहीं होती लेकिन हड्डी तुड़वा देती है। हमारे धर्म और शहीदों के खिलाफ बोलने वालों को जुबां पर कंट्रोल करना चाहिए। हमें कहते हैं कि निहंग कुछ करते नहीं। मौका मिला तो इसी तरह खालसा अपना रूप दिखाता रहेगा। हिंदू नेताओं ने सड़क की थी जाम
वारदात के बाद हिंदू नेताओं ने सड़क जाम कर दिया धरना दिया था। मौके पर पहुंचे शिवसेना नेता भानु प्रताप और अमित कौंडल ने कहा कि संदीप थापर को लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं और पुलिस सब कुछ जानते हुए भी हाथ पर हाथ धरे बैठी है। यहां तक कि पुलिस कमिश्नर ने भी उनकी शिकायत को नजर अंदाज किया, जिसे वह बर्दाश्त नहीं करेंगे। लुधियाना में गुंडागर्दी फैल चुकी है और पुलिस इसे रोकने में नाकाम साबित हो रही है। हालांकि पुलिस कमिश्नर ने कहा था कि उन पर या किसी पर भी इस तरह के आरोप लगाना पूरी तरह से गलत हैं। हमने पहले ही उन्हें गनमैन मुहैया करा दिया है।
पंजाब गवर्नर करेंगे सरहदी क्षेत्रों का दौरा:गुलाब चंद कटारिया का 25 से 29 सितंबर तक मिलेंगे लोगों से; फिरोजपुर से होगी शुरुआत
पंजाब गवर्नर करेंगे सरहदी क्षेत्रों का दौरा:गुलाब चंद कटारिया का 25 से 29 सितंबर तक मिलेंगे लोगों से; फिरोजपुर से होगी शुरुआत पंजाब के गवर्नर गुलाब चंद कटारिया सरहदी क्षेत्रों के दौरे पर आने वाले हैं। पंजाब के गवर्नर बनने के बाद उनका ये पहला सरहदी दौरा है। वहीं, पूर्व गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने अपने कार्यकाल में 6 सरहदी दौरे किए थे। इस दौरान उनकी कई बार मुख्यमंत्री भगवंत मान से अनबन भी हुई। लेकिन सरहदी दौरे के दौरान उन्होंने ऐसी रणनीतियां तैयार की थी, जिनसे क्रॉस बॉर्डर तस्करी को रोकने में सहायता मिली। पंजाब गवर्नर हाऊस से जारी जानकारी के अनुसार, गुलाब चंद कटारिया 25 सितंबर से लेकर 29 सितंबर तक बॉर्डर एरिया का दौरा करेंगे। इस बाद दौरे की शुरुआत फिरोजपुर से होगी और समापन पठानकोट में होगा। जिसके बाद सरहदी इलाकों तक पहुंचने के बाद सारी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। सरहदी क्षेत्रों के डिप्टी कमिश्नरों को आदेश जारी किया गया है कि दौरे को लेकर इंतजाम पूरे कर लिए जाएं। सरहद पर बनाई गई समितियों के साथ बातचीत कर मुलाकात के लिए तैयार किया जाए। गवर्नर कटारिया का ये पहला दौरा है और वे सरहदी गांवों की समस्याओं को सुनना व जानना चाहते हैं। पूर्व गवर्नर ने बनाई थी सुरक्षा समितियां पंजाब के सरहदी क्षेत्रों में नशे व हथियारों की क्रॉस बॉर्डर स्मगलिंग सबसे बड़ी दिक्कत हैं। पूर्व गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने सरहदी क्षेत्रों का दौरा करने के बाद गांव स्तर पर सुरक्षा समितियों का गठन किया था। ये समितियां गांवों में बिकने वाले नशे, सरहद पार से आने वाले नशे और नशा तस्करों की जानकारियां पुलिस को देते थे। वहीं, गवर्नर पुरोहित ने पंजाब पुलिस और बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के बीच तालमेल बैठाने में भी अहम योगदान निभाया था। पूर्व गवर्नर व सीएम मान के बीच बढ़ी थी दूरियां पंजाब के पूर्व गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित और सीएम भगवंत मान के बीच सरहदी दौरों के बाद तना-तनी बढ़ गई थी। दरअसल, पुरोहित ने अपने दूसरे दौरे में ही आरोप लगा दिए थे कि सरहदी गांवों में नशा धडल्ले से बिक रहा है। उनके बोल थे- नशा ऐसे बिकता है, जैसे टूथपेस्ट। इसके अलावा अवैध खन्ना का मुद्दा भी गवर्नर पुरोहित ने उठाया था। जिसके बाद राज्य सरकार व राज्यपाल के बीच खींचतान बढ़ गई थी। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच इन टिप्पणियों के चलते हालात ऐसे हो गए थे कि मुख्यमंत्री ने भी उनके दौरे को लेकर कहा था कि वे हमारा हेलीकाप्टर लेकर जाते हैं और फिर हमें ही निशाना बनाते हैं। इसके बाद राज्यपाल ने घोषणा की थी कि वे अब कभी प्रदेश सरकार का हेलीकाप्टर प्रयोग नहीं करेंगे।