ठंड में पड़ने वाले कोहरे के चलते रेलवे ने 70 ट्रेनों को निरस्त कर दिया है। कम यात्री मिलने वाली करीब इन ट्रेनों को दिसंबर से मार्च तक चार महीने के लिए निरस्त करने और सिर्फ निर्धारित रूट पर चलाने का फैसला लिया गया है। इस दौरान कई ट्रेनों के फेरे घटाए गए हैं, जिससे कोहरे में ट्रेनों का सामान्य और सेफ संचालन किया जा सके। लखनऊ से चलने वाली 8 ट्रेनों को किया गया निरस्त बिहार और दिल्ली आवाजाही करने वाली सबसे अधिक ट्रेन प्रभावित इन ट्रेनों का इस दिन नहीं होगा संचालन ठंड में पड़ने वाले कोहरे के चलते रेलवे ने 70 ट्रेनों को निरस्त कर दिया है। कम यात्री मिलने वाली करीब इन ट्रेनों को दिसंबर से मार्च तक चार महीने के लिए निरस्त करने और सिर्फ निर्धारित रूट पर चलाने का फैसला लिया गया है। इस दौरान कई ट्रेनों के फेरे घटाए गए हैं, जिससे कोहरे में ट्रेनों का सामान्य और सेफ संचालन किया जा सके। लखनऊ से चलने वाली 8 ट्रेनों को किया गया निरस्त बिहार और दिल्ली आवाजाही करने वाली सबसे अधिक ट्रेन प्रभावित इन ट्रेनों का इस दिन नहीं होगा संचालन उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
मणिमहेश यात्रा को लेकर एडवाइजरी जारी:मैदानी क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं को विशेष सलाह, दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य
मणिमहेश यात्रा को लेकर एडवाइजरी जारी:मैदानी क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालुओं को विशेष सलाह, दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य श्री मणिमहेश यात्रा-2024 के तहत पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को लेकर चंबा जनपद के उप मंडलीय प्रशासन भरमौर ने स्पेशल एडवाइजरी जारी की है। एडीएम भरमौर कुलबीर सिंह राणा ने श्री मणिमहेश यात्रा में आने वाले श्रद्धालुओं से एडवाइजरी का पालन कर अपनी यात्रा को सुरक्षित तथा अविस्मरणीय बनाने का आग्रह किया है।विशेषकर मैदानी क्षेत्रों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान इत्यादि से आने वाले श्रद्धालुओं को विशेष सावधानी रखने का भी आह्वान किया है। उन्होंने बताया कि चूंकि श्री मणिमहेश यात्रा उत्तर भारत की अन्य धार्मिक यात्राओं से अधिक दुर्गम है। पवित्र डल झील 13 हजार फुट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित है। ऐसे में निचले गर्म क्षेत्रों से आकर भरमौर-हड़़सर से सीधे यात्रा शुरू कर देना श्रद्धालुओं के शारीरिक स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं है। स्थानीय वातावरण के अनुकूल अपने आप को ढालने के लिए चंबा, भरमौर इत्यादि स्थानों में ठहराव आवश्यक है। श्रद्धालुओं को सलाह देते हुए एसडीएम का कहना था कि पहाड़ी क्षेत्र में वाहन चलाते समय अत्यंत सावधानी रखें। वाहन की गति नियंत्रित रखते हुए बड़े गेयर का प्रयोग किया जाए। रात के समय ना करें यात्रा रात के समय बिल्कुल यात्रा न करें। प्रशासन द्वारा विभिन्न स्थानों पर स्थापित चेतावनी बोर्ड पर लिखित दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित बनाएं। नदी-नालों में जलस्तर अचानक बढ़ने की भी संभावना रहती है, इसलिए नदी-नालों में बिल्कुल न उतरे। गर्म कपड़े, टॉर्च, छाता-रेनकोट अपने साथ अवश्य रखें। स्वास्थ्य जांच आवश्यक करवाएं। मौसम के पूर्वानुमान को नजर अंदाज न करें। हड़सर गांव से ऊपर चढ़ाई चढ़ते समय सावधानीपूर्वक चले। ऐसे स्थानों पर बिल्कुल ना रुके जहां पर पत्थर गिरने की संभावना हो। प्रशासन द्वारा स्थापित चेतावनी बोर्ड पर लिखे दिशा-निर्देशों का पालन पूरी तरह सुनिश्चित बनाएं। यात्रा के लिए अपना पंजीकरण अवश्य करवाएं। संवेदनशील है यह घाटी कुलबीर सिंह राणा ने बताया कि शैव-शिवा को समर्पित यह संपूर्ण घाटी पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया है कि वे यहां गंदगी फैलाकर पाप के भागीदार न बने तथा प्रतिबंधित पोली पदार्थ का प्रयोग बिल्कुल न करें। अधिक जानकारी के लिए नियंत्रण कक्ष के दूरभाष नंबर 01895-225027 पर संपर्क किया जा सकता है। बता दें कि, स्थानीय परंपरा के अनुरूप कृष्ण जन्माष्टमी से राधा अष्टमी तक श्री मणिमहेश यात्रा का आयोजन होता है। इस वर्ष 26 अगस्त से 11 सितंबर तक यात्रा का आयोजित होगी।
कोलकाता रेप-मर्डर केस: राजस्थान में आज सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर, एक घंटे तक कल बंद रही OPD
कोलकाता रेप-मर्डर केस: राजस्थान में आज सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर, एक घंटे तक कल बंद रही OPD <p style=”text-align: justify;”><strong>Rajasthan News:</strong> कोलकाता में महिला रेजिडेंट डॉक्टर के साथ रेप व हत्या के खिलाफ देश में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. जिसका असर राजस्थान में भी देखने को मिल रहा है. प्रदेश के सभी सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर आज हड़ताल पर रहने वाले हैं. ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ गवर्नमेंट डॉक्टर के द्वारा आज पूरे देश में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है. अखिल भारतीय, अखिल राजस्थान सेवा संघ, चिकित्सक संघ और राजकीय चिकित्सकों ने भी प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है. </p>
<p style=”text-align: justify;”>संगठन के अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि इस घटना में शामिल वास्तविक अपराधियों को चिन्हित कर गिरफ्तार किया जाए. महिला चिकित्सक को न्याय और सभी चिकित्सकों के कार्य स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जाए. बता दें कि कल भी 8 से 9:00 बजे तक डॉक्टरों ने 1 घंटे तक ओपीडी बंद रखी थी और काली पट्टी बांधकर विरोध भी किया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पूरे प्रदेश में दिखा था हड़ताल का असर</strong><br />14 अगस्त को भी राजस्थान के समस्त राजकीय सेवारत चिकित्सकों ने कार्यस्थल पर काली पट्टी बांध कर विरोध प्रदर्शन किया था. राजधानी जयपुर सहित झालावाड़ से गंगानगर, धौलपुर से जैसलमेर तक प्रदेश के सभी 50 जिलों के सभी सेवारत चिकित्सकों ने अपने-अपने कार्य स्थल पर काली पट्टी बांधकर रोष जताया था. आमजन को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसलिए विरोध प्रदर्शन प्रतीकात्मक रूप से काली पट्टी तक ही रहा, समस्त ओपीडी, आईपीडी सेवाएं सुचारू रखी गई थी लेकिन अब उन्हें बंद करने का फैसला किया गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रदेश में कुल 3000 के करीब अस्पताल हैं. जिनमें रोज हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं. उनपर इसका सीधा असर पड़ेगा. डॉक्टर्स न्याय की मांग को लेकर आंदोलित हो रहे हैं. अब काम रोककर प्रदर्शन कर रहे हैं लैब भी बंद कर दिए गए है जिसका मरीजों पर जांच पर भी असर बढ़ रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें: <a title=”उदयपुर में सांप्रदायिक तनाव के बाद सभी स्कूल बंद, इंटरनेट पर भी पांबदी, भीड़ ने की आगजनी” href=”https://www.abplive.com/states/rajasthan/udaipur-violence-school-closed-internet-shut-down-after-communal-tension-udaipur-news-rajasthan-2762811″ target=”_blank” rel=”noopener”>उदयपुर में सांप्रदायिक तनाव के बाद सभी स्कूल बंद, इंटरनेट पर भी पांबदी, भीड़ ने की आगजनी</a></strong></p>
<p style=”text-align: justify;”> </p>
काशी, मथुरा, अयोध्या में कैसी है प्रसाद की क्वालिटी?:तीनों मंदिरों में प्रभु को लगता है 20 क्विंटल का भोग, हर साल होता है चर्बी वाला टेस्ट…रिपोर्ट क्लीन
काशी, मथुरा, अयोध्या में कैसी है प्रसाद की क्वालिटी?:तीनों मंदिरों में प्रभु को लगता है 20 क्विंटल का भोग, हर साल होता है चर्बी वाला टेस्ट…रिपोर्ट क्लीन आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसादम् के लड्डू में चर्बी का इस्तेमाल मिला। इसके बाद यूपी में सियासतदार मथुरा-वृंदावन समेत बड़े धार्मिक स्थलों के प्रसाद पर सवाल उठाने लगे। दैनिक भास्कर ने UP के 3 बड़े मंदिरों में भोग के प्रसाद को तैयार करने के प्रोसेज को समझा। सामने आया कि बाबा विश्वनाथ, ब्रज के कान्हा और अयोध्या के रामलला को करीब 20 क्विंटल प्रसाद हर रोज चढ़ता है। ये प्रसाद कैसे बनाया जाता हैं? क्वालिटी की जिम्मेदारी किसकी होती है? लैब टेस्टिंग होती है या नहीं? अगर हुई तो क्या उसमें पशुओं की चर्बी के इस्तेमाल का जांच हुई या नहीं? पढ़िए 3 शहर से रिपोर्ट… सबसे पहले आपको काशी विश्वनाथ लेकर चलते हैं… यहां महाप्रसाद का जिम्मा 2 संस्थाओं पर
सबसे पहले द्वादश ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ मंदिर की बात। यहां मंदिर न्यास (प्रबंधन) ने महाप्रसाद यानी लड्डू-पेड़ा तैयार करने की जिम्मेदारी 2 संस्थाओं को दी है। इसमें पहली और प्रमुख संस्था महालक्ष्मी ट्रेडर्स है। दूसरी संस्था बेला पापड़ स्वयं सहायता समूह है। दोनों मिलकर हर दिन करीब 1 हजार किलो महाप्रसाद तैयार करते हैं। दैनिक भास्कर टीम मंदिर से करीब 1.5 किमी दूर महालक्ष्मी ट्रेडर्स के अशोक कुमार सेठ के घर पहुंची। इन्होंने घर को ही कारखाना बनाया हुआ है। यहां एक शिफ्ट में करीब 16-20 महिला पुरुष महाप्रसाद तैयार करते हैं। हमने अशोक कुमार सेठ से कुछ सवाल पूछे। यह प्रसाद कौन लोग तैयार करते हैं?
प्रोपराइटर अशोक हलवाई ने बताया- काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट ने लड्डुओं की आपूर्ति की जिम्मेदारी दी है। हर दिन 2 से 2.5 क्विंटल तक लड्डू सप्लाई किया जाता है। सोमवार, त्योहार, सावन और शिवरात्रि को यह 3 से 4 क्विंटल तक डिमांड पहुंच जाती है। लड्डू बनाने के काम में सिर्फ सनातनी लोग ही रखे जाते हैं। यहां के कारीगर लहसुन, प्याज या नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करते हैं। कारीगर मास्क पहनकर लड्डू बनाते हैं। साफ-सफाई का स्तर ऐसे समझिए कि लड्डू तैयार करने वाले कारीगर यहां लंच नहीं कर सकते। उन्हें बिल्डिंग से बाहर जाना पड़ता है। क्या कभी महाप्रसाद की सैंपल जांच होती है?
अशोक ने कहा – हम पूरा प्रसाद अपनी मौजूदगी में बनवाते हैं। CCTV भी लगाए हैं। इसकी समय-समय पर फूड विभाग की ओर से जांच और सैंपलिंग होती रहती है। हमेशा रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। मंदिर प्रशासन से जुड़े लोग भी देखने आते रहते हैं। घी कहां से मंगवाते हैं?
अशोक ने बताया- लड्डू में आटा, बेसन, काजू, इलायची, बादाम, घी, चीनी, मेवा इस्तेमाल करते हैं। इसमें हम पराग कंपनी का गोवर्धन घी डालते हैं, इसकी लैब रिपोर्ट भी ठीक आई है। इसकी सप्लाई के लिए हमने पराग के मुंबई हेड आफिस से संपर्क कर रखा है, सीधे सप्लाई लेते हैं। क्या ऐसी टेस्टिंग होती है, जिससे पशु की चर्बी या मछली के तेल का इस्तेमाल का पता चल सके?
हां, बिल्कुल होती है। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से प्रसाद में मिलावट की जांच समय-समय पर होती रहती है। मंदिर न्यास के लेटर पर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) खाद्य सुरक्षा तय करता है। खाद्य विभाग भी प्रयोग होने वाले तेल या घी में मिलावट की अलग से जांच करता है। विभाग ने अप्रैल में अशोक सेठ के महालक्ष्मी ट्रेडर्स की जांच की थी, इसमें सभी मानक पूरे मिले थे। SDM बोले – अब तक कोई गड़बड़ी नहीं मिली
काशी विश्वनाथ मंदिर के SDM शंभू शरण सिंह ने बताया- घी की लैब रिपोर्ट अप्रैल, 2024 में आ चुकी है, जिसमें कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई। मगर संतुष्टि के लिए एक बार फिर महाप्रसाद की सैंपलिंग करके भेजा गया है। इसकी रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। लड्डू बनाने में लगी कारीगर ममता ने बताया- मैं सुबह नहाकर घर से आती हूं। फिर पूरी साफ-सफाई का ख्याल रखते हुए लड्डू बनाती हूं। दोपहर का भोजन भी वेंडर अशोक सेठ ही देते हैं और खाने-पीने के लिए दूसरी जगह (बाहर) जाना पड़ता है। मगर ये सब हम मजबूरी नहीं, खुशी से करते हैं। बाबा का प्रसाद बन रहा है। अब भक्त की बात… अब आपको मथुरा-वृंदावन के मंदिर लेकर चलते हैं…
मंदिरों में बाहर का प्रसाद का सिर्फ ‘नजर भोग’
मथुरा-वृंदावन के मंदिरों में चढ़ने वाला प्रसाद कहां बनता है, ये समझने के लिए हम बांके बिहारी, श्रीकृष्ण जन्मस्थान, बरसाना के राधा-रानी और द्वारिकाधीश मंदिर पहुंचे। अलग-अलग पुजारियों से बात करने पर सामने आया कि भक्त जो बाहर से प्रसाद लेकर आते हैं, उसका सिर्फ ‘नजर भोग’ लगता है। सभी मंदिरों की खुद की रसोई है, वही पर भोग तैयार होता है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि में खुद की गौशाला, वहीं का घी होता है इस्तेमाल
पहले हम श्रीकृष्ण जन्मस्थान पहुंचे, यहां हमारी मुलाकात सचिव कपिल शर्मा से हुई। हर दिन कितना प्रसाद तैयार होता है? उन्होंने बताया- हर दिन 2 हजार किलो लड्डू बनते हैं। त्योहार होने पर डिमांड 3 गुना तक बढ़ जाती है। यह लड्डू गाय के घी से बनते हैं। यह घी मंदिर की गौशाला की गायों के दूध से बनता है। घी जिस रसोई में रखा जाता है, वह मंदिर परिसर में ही बनी हुई है। जो भक्त दर्शन के लिए आते हैं, उन्हें यह लड्डू दिया जाता है। इसके बाद हम दक्षिण भारत के प्रसिद्ध रंगनाथ मंदिर में पहुंचे। CEO अनघा श्रीवास्तव ने कहा- मंदिर में बाहर से लाया गया प्रसाद भगवान को अर्पित नहीं होता है। सिर्फ हमारी मंदिर रसोई में तैयार प्रसाद का ही भोग लगता है। यह भोग गाय के घी से बनता है। हर दिन परिसर में ही 1000 लड्डू तैयार होते हैं। जो घी इस्तेमाल किया जाता है, वह बाजार से मंगवाया जाता है, मगर शुद्धता की जांच करने के बाद ही इसको इस्तेमाल होता है। बांके बिहारी मंदिर में कच्चा-पक्का प्रसाद
बांके बिहारी मंदिर में भगवान को 4 समय भोग लगता है। बाल भोग, राज भोग, उत्थापन भोग और शयन भोग लगते हैं। राजभोग में कच्चा प्रसाद और शयन भोग में पक्का प्रसाद अर्पित किया जाता है। भगवान को अर्पित किए जाने वाला कच्चा प्रसाद मंदिर की परिक्रमा में बनी रसोई में बनाया जाता है, जबकि पक्का प्रसाद मंदिर का निर्माण करने वाले सेठ हरगुलाल की हवेली में बनता है। बांके बिहारी मंदिर की रसोई में प्रसाद बनाकर इसे वहां से भगवान के गर्भ गृह में ले जाने का अलग रास्ता है। भगवान का प्रसाद तैयार करने वाला रसोइया शुद्धता का विशेष ध्यान रखता है। प्रसाद बनाते समय वह भीगे कपड़े पहनता है और बनने के बाद प्रसाद को लेकर वह एक अलग रास्ते से गर्भ गृह में पहुंचता है। जिसके बाद भगवान को प्रसाद अर्पित किया जाता है। मंदिर के गोस्वामी मयंक ने कहा – भगवान बांके बिहारी जी को अर्पित होने वाले प्रसाद में गांव से गाय का घी का इस्तेमाल होता है। यह घी तयशुदा गांव और गौशाला के लोगों से लिया जाता है। इन मंदिरों में लगने वाले भोग की शुद्धता की जांच कैसे होती है?
खाद्य सुरक्षा विभाग के सहायक आयुक्त धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया – मंदिरों की रसोई में तैयार होने वाले प्रसाद की हर 6 महीने में जांच होती है। केंद्र सरकार की भोग योजना के तहत ब्रज के 10 मंदिरों को भोग प्रमाण पत्र भी दिया गया है। यह प्रमाण पत्र शुद्धता, प्रसाद बनाने में प्रयोग होने वाली सामग्री और साफ-सफाई के लिए दिया जाता है। हम मंदिर तक फूड सेफ्टी ऑन व्हील (लैब) भेज देते हैं। रसोई के तैयार प्रसाद का एक-एक सैंपल लेकर लैब में भेजा जाता है। इसकी रिपोर्ट कुछ दिन बाद आ जाती है। हैवी मेटल का संदेह पर लखनऊ और आगरा की FSSAI लैब भेजा जाता है। जिसमें घी में चर्बी के इस्तेमाल की भी जांच हो जाती है। अभी तक ऐसा मिलावटी सैंपल नहीं मिला है।
अब भक्तों की बात अब आपको अयोध्या लेकर चलते हैं… रामलला को भक्त प्रसाद नहीं चढ़ाते, भोग में आता है खुरचन पेड़ा
अयोध्या में हमें बताया गया कि राम मंदिर के विराजमान रामलला को बाहर से लाया गया प्रसाद नहीं चढ़ता है। दर्शन के बाद हर भक्त को एक पैकेट दिया जाता है। जिसमें सुगंधित इलायची दाने होते हैं। हमने मंदिर ट्रस्ट से जानने की कोशिश की कि रामलला को क्या भोग लगता है? बताया गया कि मंदिर के पास सीताराम यादव की दुकान से हर रोज सुबह 5 किलो खुरचन पेड़ा, दही और रबड़ी मंदिर लाई जाती है। दिन का पहला भोग इन्हीं से लगता है। यह प्रोसेज 100 साल से चला आ रहा है। यह दुकान मंदिर के लिए जाने वाले रास्ते पर पड़ती है। हम दुकान तक पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात सीताराम की बेटी श्यामा से हुई। वह कहती है- पेड़ा, दही और रबड़ी बनाने के लिए दही गांव की हमारी खुद की गौशाला से आता है। शुद्धता से समझौता करने का सवाल ही पैदा नहीं होता, क्योंकि यह रामलला के लिए भेजा जाता है। भक्तों के लिए दूसरा सबसे बड़ा केंद्र हनुमान गढ़ी है। यहां मंदिर के आस-पास करीब 100 ऐसी दुकानें हैं, जहां से बने बेसन के लड्ड् मंदिर में भोग के लिए पहुंचते हैं। यहां गुड्डू यादव की एक खास दुकान से हनुमान गढ़ी में भोग के लड्डू जाते हैं। गुड्डू बताते हैं कि हमारी दुकान के लड्डुओं का सैंपल कई बार लिया गया। मगर रिपोर्ट हमेशा पॉजिटिव आई है। महंत संजय दास ने हनुमानगढ़ी की कुछ दुकानों पर जाकर प्रसाद की क्वालिटी जांची, जोकि ठीक मिली है। अयोध्या के सहायक खाद्य आयुक्त मानिक चंद सिंह ने कहा – रामलला के भोग के लिए बनने वाला खुरचन पेड़ा, दही, रबड़ी की टेस्टिंग 6-6 महीने में होती है। FSSAI की जांच रिपोर्ट में मिलावट नहीं मिला है। हनुमानगढ़ी पर 3 महीने पहले लड्डुओं की सैंपलिंग की गई थी। इनकी प्राथमिक जांच में सब सही पाया गया था। FSSAI की रिपोर्ट का अभी इंतजार है। अब ये पढ़िए कि पूरा मामला शुरू कहां से हुआ… चंद्रबाबू का आरोप- तिरुपति के लड्डुओं में पशु चर्बी मिलाई:अब शुद्ध घी इस्तेमाल हो रहा, जगन सरकार ने मंदिर की शुद्धता खंडित की आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली जगन मोहन सरकार पर तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम में पशु चर्बी मिलाने का आरोप लगाया। चंद्रबाबू ने बुधवार (18 सितंबर) को कहा- पिछले 5 साल में YSR कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने तिरुमाला की पवित्रता को धूमिल किया। उन्होंने ‘अन्नदानम’ (मुफ्त भोजन) की गुणवत्ता से समझौता किया। यहां तक कि तिरुमाला के पवित्र लड्डू में घी की जगह जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया। हालांकि अब हम प्रसादम में शुद्ध घी का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) की पवित्रता की रक्षा के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। इसके बाद पूरे देश के मंदिरों में चढ़ने वाले प्रसाद को लेकर सवाल उठने लगे। पढ़िए पूरी खबर… इस रिपोर्ट में चर्बी की पुष्टि हुई…