<p style=”text-align: justify;”><strong>Devendra Fadnavis Poster:</strong> महाराष्ट्र चुनाव में महायुति की जीत के बाद अब गठबंधन में नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कंफ्यूजन की स्थिति चल रही है. इस बीच बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के घर के बाहर एक ऐसा पोस्टर लगा, जो चर्चा का विषय बन गया है. देवेंद्र फडणवीस के सागर बंगले के बाहर एक बैनर लगा हुआ है, जिस पर ‘सदैव मुख्यमंत्री’ लिखा है. बताया जा रहा है कि यह बैनर नाशिक जिले के कैलाश ढाकने ने लगाया है. </p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Devendra Fadnavis Poster:</strong> महाराष्ट्र चुनाव में महायुति की जीत के बाद अब गठबंधन में नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कंफ्यूजन की स्थिति चल रही है. इस बीच बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस के घर के बाहर एक ऐसा पोस्टर लगा, जो चर्चा का विषय बन गया है. देवेंद्र फडणवीस के सागर बंगले के बाहर एक बैनर लगा हुआ है, जिस पर ‘सदैव मुख्यमंत्री’ लिखा है. बताया जा रहा है कि यह बैनर नाशिक जिले के कैलाश ढाकने ने लगाया है. </p> महाराष्ट्र संभल हिंसा का एक और आरोपी गिरफ्तार, अब तक 28 दंगाइयों की हुई गिरफ्तारी
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हार के बाद अजित पवार पर भड़के BJP नेता राम शिंदे, लगाया ये आरोप
हार के बाद अजित पवार पर भड़के BJP नेता राम शिंदे, लगाया ये आरोप <p style=”text-align: justify;”><strong>Maharashtra Assembly Election Results 2024:</strong> महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बंपर सीटें हासिल की. लेकिन कुछ सीट पर बीजेपी मामूली अंतर से हार गई. इनमें से एक है अहिल्यानगर की कर्जत जामखेड सीट. यहां से पूर्व सीएम और एनसीपी एसपी के प्रमुख शरद पवार के पोते रोहित पवार ने जीत दर्ज की. इसके बाद उनके चाचा अजित पवार ने रोहित पवार से कहा कि अगर मैं तुम्हारी सीट पर कैंपने करता तो तुम्हारी हार होती. वहीं अब इन सबके बीच कर्जत सीट से हारे बीजेपी उम्मीदवार ने अजित पवार के गठबंधन धर्म पर सवाल खड़े कर दिए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बीजेपी नेता राम शिंदे ने कहा, “कर्जत जामखेड सीट पर बहुत कम मार्जिन से हार हुई, लेकिन महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत दादा पवार ने कराड में यशवंतराव चव्हाण प्रीतिसंगम स्थल पर सार्वजनिक रूप से जो बात रखी है और अपने भतीजे विधायक रोहित पवार से कहा कि जब वह अगर मैंने तुम्हारे यहां प्रचार किया होता तो तुम हार जाते. चुनाव से पहले किए गए पारिवारिक समझौते को दोनों पक्षों ने बरकरार रखा. इसका मतलब है कि उन्होंने महायुति के प्रति अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई, न ही उन्होंने गठबंधन का समर्थन किया, क्योंकि दोनों पक्षों ने एक-दूसरे का सहयोग किया है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”> </p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”en”>Mumbai, Maharashtra: BJP leader Ram Shinde says, “The duty of MahaYuti, as stated by Maharashtra’s Deputy CM Ajit Dada Pawar, was expressed publicly at the Swargiya Yashwantrao Chavan Pritisangam Sthal in Karad. He mentioned that he told his nephew, MLA Rohit Pawar, that when he… <a href=”https://t.co/AXTT5OXBUN”>pic.twitter.com/AXTT5OXBUN</a></p>
— IANS (@ians_india) <a href=”https://twitter.com/ians_india/status/1860988138404925787?ref_src=twsrc%5Etfw”>November 25, 2024</a></blockquote>
<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’मैं प्रचार करता तो तुम हार जाते'</strong><br />बता दें कि महाराष्ट्र के कराड के एक कार्यक्रम में भतीजे रोहित पवार से चाचा अजित पवार मिले. इसके बाद रोहित ने अजित पवार के पैर छुए. इस दौरान अजित ने मजाकिया अंदाज में कहा कि तुम्हारे यहां अगर मेरी सभा हो गई होती तो तुम हार जाते.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>रोहित पवार ने बीजेपी के राम शिंदे को हराया</strong><br />गौरतलब है कि <a title=”महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव” href=”https://www.abplive.com/topic/maharashtra-assembly-election-2024″ data-type=”interlinkingkeywords”>महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव</a> में एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार के पोते रोहित पवार ने बीजेपी के राम शिंदे को 1,243 मतों के मामूली अंतर से हराकर अहिल्यानगर जिले में कर्जत जामखेड सीट बरकरार रखी.</p>
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मोहाली में युवक और गर्लफ्रेंड ने दी जान:सुबह मिलने आई थी लड़की, किराये के कमरे में रहता था मृतक, फांसी पर लटके मिले
मोहाली में युवक और गर्लफ्रेंड ने दी जान:सुबह मिलने आई थी लड़की, किराये के कमरे में रहता था मृतक, फांसी पर लटके मिले पंजाब में मोहाली के फेज 1 स्थित एक किराये के कमरे में 30 वर्षीय युवक अनस और उसकी 23 वर्षीय दोस्त निधि ने फांसी पर लटक कर जान दे दी। मंगलवार की सुबह निधि, अनस से मिलने आई थी, लेकिन जब काफी देर तक दरवाजा नहीं खुला, तो आसपास के लोगों ने मकान मालिक को सूचना दी। मकान मालिक ने दरवाजा तोड़ा, जहां दोनों कपड़ा बांधकर पंखे से लटके हुए पाए गए। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस अब मामले की गहन जांच कर रही है। घटनास्थल से नमूने इकट्ठा किए जा रहे हैं और आसपास के सीसीटीवी कैमरे खंगाले जा रहे हैं, ताकि यह पता चल सके कि दोनों ने आत्महत्या क्यों की। पुलिस ने दोनों के मोबाइल कब्जे में लिए पुलिस ने मौके से मिले फोन को भी जांच के लिए जब्त किया है, जिससे यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या इस मामले में कोई बाहरी तत्व शामिल था। इसके अलावा, पुलिस आसपास के लोगों से पूछताछ कर रही है और हर संभावित एंगल से मामले की जांच कर रही है। पुलिस को शक है कि यह मामला केवल आत्महत्या का नहीं हो सकता, और वे जल्द ही इस मामले की असली वजह का पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं।
हरियाणा CM करनाल सीट छोड़ेंगे:पंजाबी वोट बैंक समेत 3 वजहें; तीन सीटों का विकल्प, जिसमें लाडवा फेवरेट, सीएम चेहरा इसलिए BJP रिस्क नहीं ले रही
हरियाणा CM करनाल सीट छोड़ेंगे:पंजाबी वोट बैंक समेत 3 वजहें; तीन सीटों का विकल्प, जिसमें लाडवा फेवरेट, सीएम चेहरा इसलिए BJP रिस्क नहीं ले रही हरियाणा के CM नायब सैनी इस विधानसभा चुनाव में करनाल सीट छोड़ सकते हैं। भाजपा के उच्च सूत्रों के मुताबिक पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व उनके लिए नई सीट की तलाश में है। जिसके लिए 3 सीटों का विकल्प तैयार किया गया है। जिसमें कुरूक्षेत्र की लाडवा सीट को फेवरेट माना जा रहा है। सैनी कुछ महीने पहले लोकसभा के साथ हुए उपचुनाव में करनाल विधानसभा सीट से उपचुनाव जीते थे। चूंकि भाजपा यह चुनाव सीएम नायब सैनी की अगुआई में ही लड़ रही है। ऐसे में उन्हें किसी कड़े मुकाबले में नहीं फंसाना चाहती। इसी वजह से जातीय समीकरण से लेकर भाजपा के आधार वाली सेफ सीट की तैयारी की जा रही है। खास बात यह है कि CM सैनी खुद भी इस बात की पुष्टि नहीं कर रहे कि वह करनाल से ही लड़ेंगे। 2 दिन पहले पंचकूला में हुई मीटिंग में उन्होंने इसका फैसला केंद्रीय नेतृत्व पर छोड़ दिया था। CM सैनी के लिए चुनी 3 सेफ सीट और उसकी वजह… 1. लाडवा: सैनी बिरदारी, OBC वर्ग और लोकसभा का कनेक्शन
लाडवा विधानसभा क्षेत्र कुरूक्षेत्र में है। इस विधानसभा में 1 लाख 95 हजार से ज्यादा वोट है। जिसमें 50 हजार वोट जाट सामाज की है। इसके अलावा सैनी समाज के 47 हजार से ज्यादा वोट है। अगर ओबीसी वोट की करें तो 90 हजार से ज्यादा वोट ओबीसी वर्ग की हैं। ओबीसी वर्ग और खास तौर पर सैनी समुदाय के वोट बैंक की वजह से यह सीएम के लिए फेवरेट सीट मानी जा रही है। हालांकि पिछली बार 2019 में भाजपा के सैनी समुदाय से जुड़े पवन सैनी यहां से कांग्रेस के मेवा सिंह से 12,637 वोटों से चुनाव हार गए थे। राजनीतिक विशेषज्ञ DAV कॉलेज के प्राचार्य RP सैनी के अनुसार लाडवा को लेकर एक और बात अहम है। सीएम नायब सैनी कुरूक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं, जिसमें लाडवा भी आता है। उनके सांसद के रूप में किए गए कामों का यहां पर सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है, जिससे यह सीट उनके लिए सुरक्षित मानी जा रही है। 2. गोहाना: समुदाय और बैकवर्ड क्लास का प्रभाव
गोहाना विधानसभा सीट सोनीपत जिले में है। गोहाना विधानसभा में 2 लाख से ज्यादा वोटर है। जिसमें करीब 50 हजार वोट जाट समाज से है। सैनी समाज से करीब 17 हजार के करीब वोट है। टोटल OBC वोट बैंक की बात करें तो 80 हजार वोट ओबीसी समाज की है। ओबीसी वोट बैंक के चलते ही 2019 राजकुमार सैनी ने इसी विधानसभा से चुनाव लड़ा था। उन्हें 35,379 वोट मिले थे। हालांकि जाट बाहुल्य सीट होने की वजह से वे कांग्रेस के जगबीर मलिक से करीबी मुकाबले में 4152 वोटों से हार गए। मलिक को 39,531 वोट मिले थे। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक एडवोकेट संजीव मंगलौरा मानते हैं कि सैनी के पास इस क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। सैनी खुद ओबीसी वर्ग से हैं। ऐसे में अन्य पिछड़ी जातियों में भी उनको अच्छा सपोर्ट मिल सकता है। सीएम चेहरा होने के नाते कुछ परसेंट जाट वोट भी उनके पक्ष में आ सकता है। नारायणगढ़: सैनी का गृह क्षेत्र लेकिन यहां रिस्क ज्यादा
अंबाला का नारायणगढ़ विधानसभा क्षेत्र सीएम नायब सैनी का गृह क्षेत्र है। राजनीतिक जानकार एडवोकेट संजीव मंगलौरा कहते हैं कि गृह क्षेत्र से चुनाव लड़ने का बड़ा लाभ यह होता है कि स्थानीय मतदाताओं के साथ व्यक्तिगत संबंध होते हैं। चूंकि सैनी सीएम और आगे भी सीएम बन सकते हैं, ऐसे में स्थानीय मतदाता ज्यादा तरजीह देता है। हालांकि जिला परिषद चुनाव में नायब सैनी यहां से पत्नी सुमन सैनी को जिला परिषद चुनाव नहीं जिता पाए थे। ऐसे में यह रिस्क भी साबित हो सकता है। करनाल सीट छोड़ने के 3 बड़े कारण 1. पंजाबी वोट बैंक की नाराजगी
करनाल सीट पर पंजाबी वोट बैंक का दबदबा है। इस सीट के कुल 2 लाख 66 हजार वोटरों में से पंजाबी समुदाय के सबसे ज्यादा 64 हजार वोट हैं। सैनी समुदाय के यहां सिर्फ 5800 वोट हैं। इसके अलावा अगर कुल OBC वोटरों की बात करें तो करीब 35 हजार वोट है। चूंकि पिछली बार करनाल से मनोहर लाल खट्टर लड़े, वह पंजाबी समुदाय से थे। इसलिए उन्हें पंजाबी वोटरों का समर्थन मिला। सैनी OBC वर्ग से आते हैं। उनके समुदाय और OBC वर्ग की भी बहुत कम वोट हैं। ऐसे में उनको इसका नुकसान हो सकता है। वहीं अब पंजाबी वर्ग भी मुखर रूप से लगातार प्रतिनिधित्व की मांग कर रहा है। इसे भांपते हुए कुछ दिन पहले कांग्रेस भी करनाल में पंजाबी महासम्मेलन कर चुकी है। हुड्डा ने यहां तक वादा किया कि कांग्रेस सरकार बनी तो वह पंजाबी विस्थापित कल्याण बोर्ड बनाएंगे। इससे भी भाजपा को पंजाबी वोट खिसकने का डर है। 2. एंटी इनकंबेंसी का खतरा
करनाल 10 साल से सीएम सिटी है। सीएम का गृह क्षेत्र होने से भाजपा को फायदे की उम्मीद जरूर हो लेकिन इसको लेकर यहां एंटी इनकंबेंसी का खतरा भी ज्यादा है। सीएम सिटी की वजह से धरने-प्रदर्शन के अलावा लोगों की आम विधायक के तौर पर सीएम के साथ सीधी कनेक्टिविटी नहीं हो पाती। चूंकि खट्टर ने पहले ही सबको साध लिया था लेकिन सैनी के लिए अंत के कुछ महीनों में यह संभव नहीं हो रहा। इसकी वजह 3 महीने पहले लोकसभा चुनाव और अब विधानसभा चुनाव की वजह से पर्याप्त समय न मिल पाना है। 3. भीतरघात का खतरा, लोकल दावेदारों की बगावत
करनाल सीट पर सैनी को भीतरघात का भी खतरा बना हुआ है। सीएम के करीबी सूत्र बताते हैं कि यहां मनोहर लाल खट्टर के करीबी रही उनकी टीम अभी सीएम सैनी के साथ खुले दिल से नहीं चल रही। इतना अवश्य है कि खट्टर उन्हें मना लेंगे लेकिन चुनाव में वह कितने मन से मदद करेंगे, इसको लेकर सैनी के लिए रिस्क रहेगा। वहीं खट्टर के जाने के बाद लोकल नेताओं को उम्मीद थी कि अब उन्हें मौका मिलेगा लेकिन इस चुनाव में सैनी यहां से जीत गए तो फिर अगले 5 साल के लिए उनका रास्ता बंद हो जाएगा। ऐसे में उनके बगावत करने का खतरा बना रहेगा।