वेस्ट यूपी में AQI 400 पार पहुंच चुका है। GRAP-4 के नियम लागू किए गए हैं। बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण लोग अपने घरों में एयर प्यूरीफायर लगा रहे हैं। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अनुसार, अक्टूबर-नवंबर में ही वेस्ट यूपी के 15 जिलों में 700 करोड़ का कारोबार हो चुका है। अभी दिसंबर महीना बचा है। सबसे ज्यादा बिक्री अक्टूबर से जनवरी के बीच होती है। अभी एनसीआर रीजन में इलेक्ट्रॉनिक शॉप पर पहुंचने वाला हर तीसरा-चौथा व्यक्ति एअर प्यूरीफायर ही खरीद रहा है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि लोकल प्यूरीफायर खतरनाक होते हैं। वो हवा की क्वालिटी सुधारने की जगह और बिगाड़ देते हैं। पश्चिम यूपी में एअर प्यूरीफायर का कारोबार क्यों बढ़ रहा है? अब तक कितना कारोबार हो चुका है? यह एअर प्यूरीफायर प्रदूषण कंट्रोल करने में कितने कारगर हैं…? पढ़िए दैनिक भास्कर की रिपोर्ट नोएडा-गाजियाबाद में रोज एक करोड़ की बिक्री
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के संयोजक एस के जैन बताते हैं, नोएडा गाजियाबाद में ही 40-45 लाख के एअर प्यूरीफायर रोज बिक रहे हैं। प्रति प्यूरीफायर कीमत 10,000 रुपए से लेकर 50,000 रुपए तक है। करीब इतने ही ऑनलाइन खरीदे जा रहे हैं। यानी सिर्फ दो जिलों में एक करोड़ के एअर प्यूरीफायर की बिक्री हो रही है। जैन बताते हैं कि गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर को छोड़कर पश्चिम यूपी में मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, बागपत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मुरादाबाद, आगरा, अलीगढ़, हाथरस, बरेली, शाहजहांपुर और मथुरा में सबसे अधिक डिमांड है। मेरठ और आगरा में तो रोज की बिक्री गाजियाबाद और नोएडा के बराबर दिखाई पड़ रही है। EMR की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में वेस्ट यूपी के जिलों में एअर प्यूरीफायर का 700 करोड़ से ज्यादा का कारोबार चुका है। हर साल ये 15% बढ़ता जा रहा है। हर चौथा आदमी इसे खरीद रहा है। लोग सांस की बीमारी से परेशान हैं। मास्क लगाए रखने के बावजूद सांस लेने में दिक्कत आ रही है। अक्टूबर-नवंबर में 100% डिमांड
बजार में एयर प्यूरीफायर की डिमांड लगातार बढ़ रही है। 2 महीने अक्टूबर और नवंबर में ज्यादा डिमांड रहती है। सेक्टर-18 रिदम इलेक्ट्रॉनिक्स के ओनर नीरज महेश्वरी ने बताया-एयर प्यूरीफायर की डिमांड में 15% का ग्रोथ आ रही है। ये प्रदूषण के ऊपर डिपेंड हैं। रोजाना करीब 10 से 15 बिक जाते हैं। ऑनलाइन लोग खरीद रहे हैं। लेकिन, बाद में कोई दिक्कत आती है, तो उनको परेशानी होती है। ऑफ लाइन लेने से सर्विस आराम से मिल जाती है। नोएडा में करीब 250 इलेक्ट्रानिक शॉप हैं, जो ये बेचते हैं। सवाल : एयर पॉल्यूशन क्या है, ये कैसे बढ़ता जाता है?
जवाब : जब हवा में किसी भी चीज के पार्टिकुलेट मैटर आ जाते हैं। वो चाहे मिट्टी के हों या किसी अन्य प्रदूषण कारक के। 1 मीटर क्यूब के आयतन में इसके पार्टिकल को काउंट किया जाता है। इसका वेट कितना है। अगर पीएम 2.5 पार्टिकल देखेंगे उसको डिफाइन किया गया है। मतलब हम 400 AQI की बात करते हैं, तो 1 मीटर क्यूब में 400 माइक्रोग्राम पार्टिकल मौजूद होंगे। यानी पार्टिकल बढ़ता जाता है, तो प्रदूषण बढ़ता है। यानी ये काफी गंभीर और 50 AQI को नॉर्मल माना जाता है। सवाल : एयर प्यूरीफायर के क्या होते हैं मानक?
जवाब : एक एयर प्यूरीफायर 100 से 250 स्क्वायर फीट तक के कमरों से प्रदूषण कम करता है। क्योंकि, उसे सारे पार्टिकल को समाप्त करके AQI को 50 से नीचे लाना पड़ता है। सवाल : 400 AQI पर एयर प्यूरीफायर काम करता है या नहीं?
जवाब : 400 AQI में एयर प्यूरीफायर कम सक्षम है। क्योंकि, कमरे पूरी तरह से एयरटाइट नहीं होते हैं। कमरों में बाहर की हवा आती-जाती रहती है। इसकी इफेक्टिवनेस तभी है। जब कमरा बंद हो। सवाल : एयर प्यूरीफायर में क्या सावधानी रखनी है?
जवाब : अगर आप प्यूरीफायर प्रयोग करते हैं, तो साल में उसे एक बार बदलना चाहिए। अगर गंदा नहीं भी हुआ है। तो भी फिल्टर में फ्लूटेड पार्टिकल रहते हैं। जिसमें बायोलॉजिकल इंपेक्ट भी आता है। वहां बैक्टीरिया ग्रोथ कर सकते हैं। सवाल : डुप्लीकेसी बहुत ज्यादा हो रही है। इससे कैसे बचें?
जवाब : रिलाइबल जगह और ब्रांडेड चीज ही खरीदें। सवाल : एयर प्यूरीफायर की बिजनेस एनालिसिस क्या है?
जवाब : जब नवंबर के महीने में प्रदूषण बढ़ता है तो डिमांड बढ़ती है। 15% का ग्रोथ रेट है। यानी इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। सवाल : इसके रेट अचानक से ग्रोथ कर रहे हैं?
जवाब : ये डिमांड और सप्लाई है। डिमांड नहीं होने पर डिस्काउंट देते हैं। अब डिमांड है, तो नॉर्मल प्राइज में बेचते हैं। ये मार्केट फिनामिना है। दरवाजा खोलने पर असर कम होता है
मैक्स अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर ज्ञानेंद्र अग्रवाल ने बताया- बंद कमरे में ये काम करता है। खिड़की और दरवाजा खोलने पर असर कम होता है। लेकिन, सावधानी भी बरतनी है। फिल्टर चेंज करने है। लोकल प्यूरीफायर के नुकसान
उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल, नोएडा के अध्यक्ष नरेश कुच्छल ने बताया- जो लोग ब्रांड से अलग हटकर सस्ते एयरफ्यूरीफायर खरीदते हैं। उन्हें उससे नुकसान ही होता है। फिल्टर क्वालिटी कमजोर होने की वजह से पीएम-10 और पीएम-2.5 के कणों को 100 AQI के अंदर नहीं ला पाता। साथ ही संक्रमण की दर बढ़ सकती है। सबसे ज्यादा असर क्रोनिक डिसीज के मरीजों को होता है। ऐसे में हमेशा बेहतर क्वालिटी के ही एयर प्यूरीफायर ही लगाने चाहिए। ———————- ये भी पढ़ें: असली-नकली छोड़िए, मुझे तो गहने ही नहीं मिले:बस्ती में दुल्हन बोली- मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में साड़ी भी 5 मीटर की नहीं मिली हमें गिफ्ट में साड़ी, कुकर, बैग मिला। लेकिन, चांदी की पायल और बिछिया नहीं मिली। हमने वहां चेक नहीं किया। सोचा कि सब कुछ इसी बैग में रखा होगा। घर आए तो पता चला कि इसमें है ही नहीं। फिर हमने फोन किया तो कहा गया कि ब्लॉक पर ही मिलेगा। प्रधान से भी कहा। उन्होंने जवाब दिया- मिल जाएगा। 5 दिन बीत गए, लेकिन हमें नहीं मिला…(पढ़ें पूरी खबर) वेस्ट यूपी में AQI 400 पार पहुंच चुका है। GRAP-4 के नियम लागू किए गए हैं। बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण लोग अपने घरों में एयर प्यूरीफायर लगा रहे हैं। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अनुसार, अक्टूबर-नवंबर में ही वेस्ट यूपी के 15 जिलों में 700 करोड़ का कारोबार हो चुका है। अभी दिसंबर महीना बचा है। सबसे ज्यादा बिक्री अक्टूबर से जनवरी के बीच होती है। अभी एनसीआर रीजन में इलेक्ट्रॉनिक शॉप पर पहुंचने वाला हर तीसरा-चौथा व्यक्ति एअर प्यूरीफायर ही खरीद रहा है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि लोकल प्यूरीफायर खतरनाक होते हैं। वो हवा की क्वालिटी सुधारने की जगह और बिगाड़ देते हैं। पश्चिम यूपी में एअर प्यूरीफायर का कारोबार क्यों बढ़ रहा है? अब तक कितना कारोबार हो चुका है? यह एअर प्यूरीफायर प्रदूषण कंट्रोल करने में कितने कारगर हैं…? पढ़िए दैनिक भास्कर की रिपोर्ट नोएडा-गाजियाबाद में रोज एक करोड़ की बिक्री
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के संयोजक एस के जैन बताते हैं, नोएडा गाजियाबाद में ही 40-45 लाख के एअर प्यूरीफायर रोज बिक रहे हैं। प्रति प्यूरीफायर कीमत 10,000 रुपए से लेकर 50,000 रुपए तक है। करीब इतने ही ऑनलाइन खरीदे जा रहे हैं। यानी सिर्फ दो जिलों में एक करोड़ के एअर प्यूरीफायर की बिक्री हो रही है। जैन बताते हैं कि गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर को छोड़कर पश्चिम यूपी में मेरठ, बुलंदशहर, हापुड़, बागपत, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली, मुरादाबाद, आगरा, अलीगढ़, हाथरस, बरेली, शाहजहांपुर और मथुरा में सबसे अधिक डिमांड है। मेरठ और आगरा में तो रोज की बिक्री गाजियाबाद और नोएडा के बराबर दिखाई पड़ रही है। EMR की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में वेस्ट यूपी के जिलों में एअर प्यूरीफायर का 700 करोड़ से ज्यादा का कारोबार चुका है। हर साल ये 15% बढ़ता जा रहा है। हर चौथा आदमी इसे खरीद रहा है। लोग सांस की बीमारी से परेशान हैं। मास्क लगाए रखने के बावजूद सांस लेने में दिक्कत आ रही है। अक्टूबर-नवंबर में 100% डिमांड
बजार में एयर प्यूरीफायर की डिमांड लगातार बढ़ रही है। 2 महीने अक्टूबर और नवंबर में ज्यादा डिमांड रहती है। सेक्टर-18 रिदम इलेक्ट्रॉनिक्स के ओनर नीरज महेश्वरी ने बताया-एयर प्यूरीफायर की डिमांड में 15% का ग्रोथ आ रही है। ये प्रदूषण के ऊपर डिपेंड हैं। रोजाना करीब 10 से 15 बिक जाते हैं। ऑनलाइन लोग खरीद रहे हैं। लेकिन, बाद में कोई दिक्कत आती है, तो उनको परेशानी होती है। ऑफ लाइन लेने से सर्विस आराम से मिल जाती है। नोएडा में करीब 250 इलेक्ट्रानिक शॉप हैं, जो ये बेचते हैं। सवाल : एयर पॉल्यूशन क्या है, ये कैसे बढ़ता जाता है?
जवाब : जब हवा में किसी भी चीज के पार्टिकुलेट मैटर आ जाते हैं। वो चाहे मिट्टी के हों या किसी अन्य प्रदूषण कारक के। 1 मीटर क्यूब के आयतन में इसके पार्टिकल को काउंट किया जाता है। इसका वेट कितना है। अगर पीएम 2.5 पार्टिकल देखेंगे उसको डिफाइन किया गया है। मतलब हम 400 AQI की बात करते हैं, तो 1 मीटर क्यूब में 400 माइक्रोग्राम पार्टिकल मौजूद होंगे। यानी पार्टिकल बढ़ता जाता है, तो प्रदूषण बढ़ता है। यानी ये काफी गंभीर और 50 AQI को नॉर्मल माना जाता है। सवाल : एयर प्यूरीफायर के क्या होते हैं मानक?
जवाब : एक एयर प्यूरीफायर 100 से 250 स्क्वायर फीट तक के कमरों से प्रदूषण कम करता है। क्योंकि, उसे सारे पार्टिकल को समाप्त करके AQI को 50 से नीचे लाना पड़ता है। सवाल : 400 AQI पर एयर प्यूरीफायर काम करता है या नहीं?
जवाब : 400 AQI में एयर प्यूरीफायर कम सक्षम है। क्योंकि, कमरे पूरी तरह से एयरटाइट नहीं होते हैं। कमरों में बाहर की हवा आती-जाती रहती है। इसकी इफेक्टिवनेस तभी है। जब कमरा बंद हो। सवाल : एयर प्यूरीफायर में क्या सावधानी रखनी है?
जवाब : अगर आप प्यूरीफायर प्रयोग करते हैं, तो साल में उसे एक बार बदलना चाहिए। अगर गंदा नहीं भी हुआ है। तो भी फिल्टर में फ्लूटेड पार्टिकल रहते हैं। जिसमें बायोलॉजिकल इंपेक्ट भी आता है। वहां बैक्टीरिया ग्रोथ कर सकते हैं। सवाल : डुप्लीकेसी बहुत ज्यादा हो रही है। इससे कैसे बचें?
जवाब : रिलाइबल जगह और ब्रांडेड चीज ही खरीदें। सवाल : एयर प्यूरीफायर की बिजनेस एनालिसिस क्या है?
जवाब : जब नवंबर के महीने में प्रदूषण बढ़ता है तो डिमांड बढ़ती है। 15% का ग्रोथ रेट है। यानी इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है। सवाल : इसके रेट अचानक से ग्रोथ कर रहे हैं?
जवाब : ये डिमांड और सप्लाई है। डिमांड नहीं होने पर डिस्काउंट देते हैं। अब डिमांड है, तो नॉर्मल प्राइज में बेचते हैं। ये मार्केट फिनामिना है। दरवाजा खोलने पर असर कम होता है
मैक्स अस्पताल के डायरेक्टर डॉक्टर ज्ञानेंद्र अग्रवाल ने बताया- बंद कमरे में ये काम करता है। खिड़की और दरवाजा खोलने पर असर कम होता है। लेकिन, सावधानी भी बरतनी है। फिल्टर चेंज करने है। लोकल प्यूरीफायर के नुकसान
उप्र उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल, नोएडा के अध्यक्ष नरेश कुच्छल ने बताया- जो लोग ब्रांड से अलग हटकर सस्ते एयरफ्यूरीफायर खरीदते हैं। उन्हें उससे नुकसान ही होता है। फिल्टर क्वालिटी कमजोर होने की वजह से पीएम-10 और पीएम-2.5 के कणों को 100 AQI के अंदर नहीं ला पाता। साथ ही संक्रमण की दर बढ़ सकती है। सबसे ज्यादा असर क्रोनिक डिसीज के मरीजों को होता है। ऐसे में हमेशा बेहतर क्वालिटी के ही एयर प्यूरीफायर ही लगाने चाहिए। ———————- ये भी पढ़ें: असली-नकली छोड़िए, मुझे तो गहने ही नहीं मिले:बस्ती में दुल्हन बोली- मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में साड़ी भी 5 मीटर की नहीं मिली हमें गिफ्ट में साड़ी, कुकर, बैग मिला। लेकिन, चांदी की पायल और बिछिया नहीं मिली। हमने वहां चेक नहीं किया। सोचा कि सब कुछ इसी बैग में रखा होगा। घर आए तो पता चला कि इसमें है ही नहीं। फिर हमने फोन किया तो कहा गया कि ब्लॉक पर ही मिलेगा। प्रधान से भी कहा। उन्होंने जवाब दिया- मिल जाएगा। 5 दिन बीत गए, लेकिन हमें नहीं मिला…(पढ़ें पूरी खबर) उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर