हरियाणा के महेंद्रगढ़ में अपने स्वतंत्रता सेनानी पति की पेंशन का इंतजार करते-करते बुजुर्ग महिला का निधन हो गया। महिला ने पेंशन पाने के लिए कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी केवल तारीख ही मिली। अब अगली तारीख 13 दिसंबर है, जब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है। हालांकि, इस सुनवाई को देखने और फैसला सुनने के लिए अब वह बुजुर्ग महिला दुनिया में नहीं है। दिवंगत बुजुर्ग महिला के परिजन बताते हैं कि नाम और उपनाम में गड़बड़ी होने के कारण उन्हें पति की पेंशन नहीं मिल पाई। इसके लिए उन्होंने करीब 12 साल तक इंतजार किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ लड़े थे सुल्तान राम
बुजुर्ग महिला का नाम बर्फी देवी था। वह महेंद्रगढ़ के नांगल चौधरी में सिलारपुर गांव की रहने वाली थीं। उनके पति का नाम सुल्तान राम था, जो एक स्वतंत्रता सेनानी थे। बर्फी देवी की बेटियां सुमित्रा देवी और ज्ञान देवी बताती हैं कि उनके पिता सुल्तान राम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ लड़े थे। उन्होंने बताया कि सन 1942 में पिता सुल्तान राम आजाद हिंद फौज का हिस्सा बने। इसके बाद 1944 में उन्हें फ्रांस में बंदी बना लिया गया। इस दौरान उन्होंने करीब साढ़े 3 साल फ्रांस की जेल में ही काटे। वहां देश की आजादी के लिए यातनाएं सहीं। इसके बाद देश आजाद होने के साथ ही 1947 में वह जेल से बाहर आ गए। 1972 में मिला स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा
सुमित्रा और ज्ञान देवी ने बताया कि सुल्तान राम को 1972 में स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा मिला। इसके बाद लगातार उन्हें राज्य सरकार से पेंशन मिलती रही। जब 2011 में उनकी मौत हुई तब भी राज्य सरकार की ओर से उन्हें पेंशन मिलती रही, लेकिन केंद्र से मिलने वाली पेंशन शुरू नहीं की गई। दरअसल, सुल्तान राम का जीवन प्रमाण पत्र अपडेट नहीं हुआ था। जब उनकी पत्नी बर्फी देवी ने केंद्र में पेंशन के लिए अप्लाई किया तो वहां नाम और उपनाम की दिक्कत सामने आई। वहां बताया गया कि अलग-अलग प्रमाण पत्रों में बर्फी देवी का नाम बर्फी देवी और बरफी देवी है। पेंशन के लिए अदालत पहुंची बर्फी देवी
वहीं, सुल्तान राम का नाम भी पैन कार्ड और बैंक पासबुक में सुल्तान सिंह और सुल्तान राम है। इस कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से हरियाणा सरकार से बर्फी देवी के नाम और पहचान से जुड़ी जानकारियां मांगी गईं। तब महेंद्रगढ़ के तत्कालीन उपायुक्त (DC) ने ये जानकारियां गृह मंत्रालय को उपलब्ध कराईं। हालांकि, इसके बाद भी बर्फी देवी को उनके स्वतंत्रता सेनानी पति सुल्तान राम की पेंशन नहीं दी। इसके लिए बर्फी देवी ने सालों इंतजार किया। अंत में बर्फी देवी अदालत की चौखट पर पहुंचीं। उन्होंने साल 2023 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की और पति की पेंशन बहाल करने की गुहार लगाई। कोर्ट ने केंद्र सरकार पर जुर्माना लगाया
कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को भी दरकिनार करते हुए मामले की रिपोर्ट नहीं सौंपी। इसके बाद हाईकोर्ट ने अप्रैल 2024 में केंद्र सरकार पर 15 हजार का जुर्माना लगाया। इसके बाद भी जब केंद्र से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला तो कोर्ट ने 24 जुलाई 2024 को अगली सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार पर 25 हजार का जुर्माना लगाया। जुर्माना लगने के बाद भी केंद्र सरकार ने बर्फी देवी की पेंशन शुरू नहीं की। अब 9 नवंबर 2024 को बर्फी देवी का निधन हो चुका है। बेटी बोली- मुद्दे से भावनात्मक रूप से जुड़ी थी मां
सुल्तान सिंह की पेंशन लेने के लिए न तो खुद सुल्तान राम रहे और न ही अब उनकी पत्नी बर्फी देवी रहीं। अब उनके 2 बेटे और 2 बेटियां हैं। सुल्तान राम के बड़े बेटे रंजीत सिंह हैं जो आर्मी में हैं। वहीं, छोटे बेटे रामचंद्र सिंह हैं, जो नारनौल में ही रजिस्ट्री क्लर्क थे। वहीं, दोनों बेटियों सुमित्रा देवी और ज्ञान देवी की भी शादी हो चुकी है और वे चंडीगढ़ में रहती हैं। अब इस पेंशन मामले में अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होनी है। सुमित्रा देवी और ज्ञान देवी का कहना है कि उनकी मां इस मुद्दे से भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई थीं, क्योंकि उन्हें अपने उस पति की पेंशन नहीं मिल पा रही थी, जिसने इस देश की आजादी में अपना योगदान दिया। जबकि, उनके पास पूरे दस्तावेज थे। केंद्र सरकार की ओर से उनकी अनदेखी की गई। उन्होंने कहा कि गांव में जब दस्तावेज बनाए जाते हैं, तब इस तरह की वर्तनी की गलतियां अक्सर हो जाती हैं। यहां लोग इतने शिक्षित नहीं होते। वे समझ नहीं पाते कि क्या सही है और क्या गलत। इस पर ध्यान देना चाहिए। गृह मंत्रालय को भेजे संदेशों का रिकॉर्ड सुरक्षित
वहीं, इस मामले में बर्फी देवी के वकील रहे रविंद्र ढुल ने बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट के सामने बर्फी देवी का मामला रखा। पिछले साल यह मामला दायर किया गया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवार ने पिछले कुछ वर्षों में गृह मंत्रालय को भेजे गए संदेशों का एक बड़ा रिकॉर्ड भी संभाल कर रखा हुआ है। हरियाणा के महेंद्रगढ़ में अपने स्वतंत्रता सेनानी पति की पेंशन का इंतजार करते-करते बुजुर्ग महिला का निधन हो गया। महिला ने पेंशन पाने के लिए कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां से भी केवल तारीख ही मिली। अब अगली तारीख 13 दिसंबर है, जब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है। हालांकि, इस सुनवाई को देखने और फैसला सुनने के लिए अब वह बुजुर्ग महिला दुनिया में नहीं है। दिवंगत बुजुर्ग महिला के परिजन बताते हैं कि नाम और उपनाम में गड़बड़ी होने के कारण उन्हें पति की पेंशन नहीं मिल पाई। इसके लिए उन्होंने करीब 12 साल तक इंतजार किया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ लड़े थे सुल्तान राम
बुजुर्ग महिला का नाम बर्फी देवी था। वह महेंद्रगढ़ के नांगल चौधरी में सिलारपुर गांव की रहने वाली थीं। उनके पति का नाम सुल्तान राम था, जो एक स्वतंत्रता सेनानी थे। बर्फी देवी की बेटियां सुमित्रा देवी और ज्ञान देवी बताती हैं कि उनके पिता सुल्तान राम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ लड़े थे। उन्होंने बताया कि सन 1942 में पिता सुल्तान राम आजाद हिंद फौज का हिस्सा बने। इसके बाद 1944 में उन्हें फ्रांस में बंदी बना लिया गया। इस दौरान उन्होंने करीब साढ़े 3 साल फ्रांस की जेल में ही काटे। वहां देश की आजादी के लिए यातनाएं सहीं। इसके बाद देश आजाद होने के साथ ही 1947 में वह जेल से बाहर आ गए। 1972 में मिला स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा
सुमित्रा और ज्ञान देवी ने बताया कि सुल्तान राम को 1972 में स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा मिला। इसके बाद लगातार उन्हें राज्य सरकार से पेंशन मिलती रही। जब 2011 में उनकी मौत हुई तब भी राज्य सरकार की ओर से उन्हें पेंशन मिलती रही, लेकिन केंद्र से मिलने वाली पेंशन शुरू नहीं की गई। दरअसल, सुल्तान राम का जीवन प्रमाण पत्र अपडेट नहीं हुआ था। जब उनकी पत्नी बर्फी देवी ने केंद्र में पेंशन के लिए अप्लाई किया तो वहां नाम और उपनाम की दिक्कत सामने आई। वहां बताया गया कि अलग-अलग प्रमाण पत्रों में बर्फी देवी का नाम बर्फी देवी और बरफी देवी है। पेंशन के लिए अदालत पहुंची बर्फी देवी
वहीं, सुल्तान राम का नाम भी पैन कार्ड और बैंक पासबुक में सुल्तान सिंह और सुल्तान राम है। इस कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से हरियाणा सरकार से बर्फी देवी के नाम और पहचान से जुड़ी जानकारियां मांगी गईं। तब महेंद्रगढ़ के तत्कालीन उपायुक्त (DC) ने ये जानकारियां गृह मंत्रालय को उपलब्ध कराईं। हालांकि, इसके बाद भी बर्फी देवी को उनके स्वतंत्रता सेनानी पति सुल्तान राम की पेंशन नहीं दी। इसके लिए बर्फी देवी ने सालों इंतजार किया। अंत में बर्फी देवी अदालत की चौखट पर पहुंचीं। उन्होंने साल 2023 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की और पति की पेंशन बहाल करने की गुहार लगाई। कोर्ट ने केंद्र सरकार पर जुर्माना लगाया
कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से मामले की पूरी रिपोर्ट मांगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश को भी दरकिनार करते हुए मामले की रिपोर्ट नहीं सौंपी। इसके बाद हाईकोर्ट ने अप्रैल 2024 में केंद्र सरकार पर 15 हजार का जुर्माना लगाया। इसके बाद भी जब केंद्र से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला तो कोर्ट ने 24 जुलाई 2024 को अगली सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार पर 25 हजार का जुर्माना लगाया। जुर्माना लगने के बाद भी केंद्र सरकार ने बर्फी देवी की पेंशन शुरू नहीं की। अब 9 नवंबर 2024 को बर्फी देवी का निधन हो चुका है। बेटी बोली- मुद्दे से भावनात्मक रूप से जुड़ी थी मां
सुल्तान सिंह की पेंशन लेने के लिए न तो खुद सुल्तान राम रहे और न ही अब उनकी पत्नी बर्फी देवी रहीं। अब उनके 2 बेटे और 2 बेटियां हैं। सुल्तान राम के बड़े बेटे रंजीत सिंह हैं जो आर्मी में हैं। वहीं, छोटे बेटे रामचंद्र सिंह हैं, जो नारनौल में ही रजिस्ट्री क्लर्क थे। वहीं, दोनों बेटियों सुमित्रा देवी और ज्ञान देवी की भी शादी हो चुकी है और वे चंडीगढ़ में रहती हैं। अब इस पेंशन मामले में अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होनी है। सुमित्रा देवी और ज्ञान देवी का कहना है कि उनकी मां इस मुद्दे से भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई थीं, क्योंकि उन्हें अपने उस पति की पेंशन नहीं मिल पा रही थी, जिसने इस देश की आजादी में अपना योगदान दिया। जबकि, उनके पास पूरे दस्तावेज थे। केंद्र सरकार की ओर से उनकी अनदेखी की गई। उन्होंने कहा कि गांव में जब दस्तावेज बनाए जाते हैं, तब इस तरह की वर्तनी की गलतियां अक्सर हो जाती हैं। यहां लोग इतने शिक्षित नहीं होते। वे समझ नहीं पाते कि क्या सही है और क्या गलत। इस पर ध्यान देना चाहिए। गृह मंत्रालय को भेजे संदेशों का रिकॉर्ड सुरक्षित
वहीं, इस मामले में बर्फी देवी के वकील रहे रविंद्र ढुल ने बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट के सामने बर्फी देवी का मामला रखा। पिछले साल यह मामला दायर किया गया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवार ने पिछले कुछ वर्षों में गृह मंत्रालय को भेजे गए संदेशों का एक बड़ा रिकॉर्ड भी संभाल कर रखा हुआ है। हरियाणा | दैनिक भास्कर