यूपी में एसटीएफ व बदमाशों की मुठभेड़:सब इंस्पेक्टर का बेटा था आरोपी सतीश, पुलिस मुखबिर होने के दावे,SP ने दिखाई दरियादिली

यूपी में एसटीएफ व बदमाशों की मुठभेड़:सब इंस्पेक्टर का बेटा था आरोपी सतीश, पुलिस मुखबिर होने के दावे,SP ने दिखाई दरियादिली

उत्तर प्रदेश के शामली में मंगलवार सुबह यूपी पुलिस की STF टीम और बदमाशों में मुठभेड़ हुई। पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर रात 2 बजे कार सवार बदमाशों को घेरा था। तभी उन्होंने पुलिस को देखकर फायरिंग कर दी। पुलिस ने 4 बदमाशों को मार गिराया। इनमें से 2 बदमाश हरियाणा के रहने वाले हैं। एक इंस्पेक्टर को भी पेट में गोलियां लगी हैं, उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मृतक बदमाशों की पहचान सोनीपत निवासी मंजीत, करनाल निवासी सतीश, सहारनपुर निवासी अरशद के रूप में हुई है। एक बदमाश की पहचान की कोशिश जारी है। अब हरियाणा के दोनों बदमाशों के बारे में जानिए मंजीत पैरोल पर जेल से बाहर आया था मंजीत दहिया सोनीपत जिले के खरखौदा का रहने वाला है। 2021 में हत्या के केस में उस पर मामला दर्ज किया गया था। हत्या के केस में कोर्ट ने उसे 20 साल की सजा सुनाई थी। 5 महीने पहले वह 40 दिन की पैरोल पर जेल से आया था। इसके बाद वह वापस नहीं गया। तभी से पुलिस उसे तलाश रही थी। सतीश पुलिस का मुखबिर था, पिता SI थे बदमाश सतीश सोनीपत जिले के शेखपुरा गांव का रहने वाला था। 2015 से वह करनाल के मधुबन की अशोक विहार कॉलोनी में रह रहा था। उसके पिता राज सिंह हरियाणा पुलिस में सब-इंस्पेक्टर थे। उनकी 2017 में बीमारी के कारण मौत हो गई थी। 4 साल पहले उसकी मां पूनम की भी मौत हो गई थी। सतीश का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, वह पुलिस का मुखबिर था। एसपी गंगा राम पूनिया ने दिखाई इंसानियत, भेजी पाइलेट गाड़ी हालांकि मुठभेड़ शामली में हुई थी, लेकिन करनाल निकटतम स्थान होने के कारण घायल इंस्पेक्टर को वहीं लाया गया। सूचना मिलते ही करनाल एसपी गंगा राम पूनिया तुरंत अस्पताल पहुंचे। इंस्पेक्टर की हालत गंभीर देख एसपी ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए न केवल उन्हें दो डीएसपी राजीव कुमार और मनोज के साथ सुरक्षा के तहत गुरुग्राम भिजवाया, बल्कि एक पायलट गाड़ी भी साथ भेजी ताकि कोई देरी न हो और समय रहते उनकी जान बचाई जा सके। सोनीपत का रहने वाला सतीश कुमार मारा गया मुठभेड़ में मारे गए एक बदमाश की पहचान सोनीपत के शेखपुरा गांव के रहने वाले सतीश कुमार के रूप में हुई। सतीश 2015 से करनाल के मधुबन इलाके की अशोक विहार कॉलोनी में रह रहा था। उसके पिता राज सिंह हरियाणा पुलिस में सब-इंस्पेक्टर थे और एचएपी में ड्रिल इंस्ट्रक्टर के पद पर कार्यरत थे। 2017 में राज सिंह का निधन हो चुका है। सतीश की पत्नी पूनम का देहांत चार साल पहले हो गया था। सतीश का पुलिस से था पुराना कनेक्शन ​​​​​​​सतीश कुमार के नाम पर पहले कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं था, लेकिन सूत्रों के अनुसार वह पुलिस का मुखबिर था। उसने कई बार पुलिस को गौ-तस्करी और अन्य मामलों की महत्वपूर्ण जानकारियां दी थीं। हालांकि सतीश पर किसी भी अपराध का रिकॉर्ड नहीं था, लेकिन उसकी बदमाशों से निकटता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि वह किन हालातों में मुठभेड़ में फंसा, यह जांच का विषय है। परिवार में अब मां और दो बेटियां ​​​​​​​सतीश कुमार के परिवार में अब केवल उसकी मां रजवंती और दो बेटियां बची हैं, जो अपनी पढ़ाई कर रही हैं। उसके भाई नरवीर का परिवार भी करनाल में ही रहता है। नरवीर की पत्नी रीना बजाज फाइनेंस में काम करती हैं। अमृतधारा से मेदांता तक, हर कदम पर चली जिंदगी बचाने की जंग ​​​​​​​इंस्पेक्टर सुनील कुमार की हालत नाजुक थी, लेकिन करनाल पुलिस और एस.टी.एफ. की सतर्कता और समय पर लिए गए फैसलों ने एक बड़ी अनहोनी को टाल दिया। करनाल से गुरुग्राम तक की यात्रा में हर कदम पर एक-एक सेकंड कीमती था, और एसपी गंगा राम पूनिया के नेतृत्व में पुलिस टीम ने अपनी मानवीयता और फर्ज दोनों निभाए। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि मेदांता अस्पताल में इंस्पेक्टर की हालत में सुधार होता है या नहीं। उत्तर प्रदेश के शामली में मंगलवार सुबह यूपी पुलिस की STF टीम और बदमाशों में मुठभेड़ हुई। पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर रात 2 बजे कार सवार बदमाशों को घेरा था। तभी उन्होंने पुलिस को देखकर फायरिंग कर दी। पुलिस ने 4 बदमाशों को मार गिराया। इनमें से 2 बदमाश हरियाणा के रहने वाले हैं। एक इंस्पेक्टर को भी पेट में गोलियां लगी हैं, उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मृतक बदमाशों की पहचान सोनीपत निवासी मंजीत, करनाल निवासी सतीश, सहारनपुर निवासी अरशद के रूप में हुई है। एक बदमाश की पहचान की कोशिश जारी है। अब हरियाणा के दोनों बदमाशों के बारे में जानिए मंजीत पैरोल पर जेल से बाहर आया था मंजीत दहिया सोनीपत जिले के खरखौदा का रहने वाला है। 2021 में हत्या के केस में उस पर मामला दर्ज किया गया था। हत्या के केस में कोर्ट ने उसे 20 साल की सजा सुनाई थी। 5 महीने पहले वह 40 दिन की पैरोल पर जेल से आया था। इसके बाद वह वापस नहीं गया। तभी से पुलिस उसे तलाश रही थी। सतीश पुलिस का मुखबिर था, पिता SI थे बदमाश सतीश सोनीपत जिले के शेखपुरा गांव का रहने वाला था। 2015 से वह करनाल के मधुबन की अशोक विहार कॉलोनी में रह रहा था। उसके पिता राज सिंह हरियाणा पुलिस में सब-इंस्पेक्टर थे। उनकी 2017 में बीमारी के कारण मौत हो गई थी। 4 साल पहले उसकी मां पूनम की भी मौत हो गई थी। सतीश का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, वह पुलिस का मुखबिर था। एसपी गंगा राम पूनिया ने दिखाई इंसानियत, भेजी पाइलेट गाड़ी हालांकि मुठभेड़ शामली में हुई थी, लेकिन करनाल निकटतम स्थान होने के कारण घायल इंस्पेक्टर को वहीं लाया गया। सूचना मिलते ही करनाल एसपी गंगा राम पूनिया तुरंत अस्पताल पहुंचे। इंस्पेक्टर की हालत गंभीर देख एसपी ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए न केवल उन्हें दो डीएसपी राजीव कुमार और मनोज के साथ सुरक्षा के तहत गुरुग्राम भिजवाया, बल्कि एक पायलट गाड़ी भी साथ भेजी ताकि कोई देरी न हो और समय रहते उनकी जान बचाई जा सके। सोनीपत का रहने वाला सतीश कुमार मारा गया मुठभेड़ में मारे गए एक बदमाश की पहचान सोनीपत के शेखपुरा गांव के रहने वाले सतीश कुमार के रूप में हुई। सतीश 2015 से करनाल के मधुबन इलाके की अशोक विहार कॉलोनी में रह रहा था। उसके पिता राज सिंह हरियाणा पुलिस में सब-इंस्पेक्टर थे और एचएपी में ड्रिल इंस्ट्रक्टर के पद पर कार्यरत थे। 2017 में राज सिंह का निधन हो चुका है। सतीश की पत्नी पूनम का देहांत चार साल पहले हो गया था। सतीश का पुलिस से था पुराना कनेक्शन ​​​​​​​सतीश कुमार के नाम पर पहले कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं था, लेकिन सूत्रों के अनुसार वह पुलिस का मुखबिर था। उसने कई बार पुलिस को गौ-तस्करी और अन्य मामलों की महत्वपूर्ण जानकारियां दी थीं। हालांकि सतीश पर किसी भी अपराध का रिकॉर्ड नहीं था, लेकिन उसकी बदमाशों से निकटता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि वह किन हालातों में मुठभेड़ में फंसा, यह जांच का विषय है। परिवार में अब मां और दो बेटियां ​​​​​​​सतीश कुमार के परिवार में अब केवल उसकी मां रजवंती और दो बेटियां बची हैं, जो अपनी पढ़ाई कर रही हैं। उसके भाई नरवीर का परिवार भी करनाल में ही रहता है। नरवीर की पत्नी रीना बजाज फाइनेंस में काम करती हैं। अमृतधारा से मेदांता तक, हर कदम पर चली जिंदगी बचाने की जंग ​​​​​​​इंस्पेक्टर सुनील कुमार की हालत नाजुक थी, लेकिन करनाल पुलिस और एस.टी.एफ. की सतर्कता और समय पर लिए गए फैसलों ने एक बड़ी अनहोनी को टाल दिया। करनाल से गुरुग्राम तक की यात्रा में हर कदम पर एक-एक सेकंड कीमती था, और एसपी गंगा राम पूनिया के नेतृत्व में पुलिस टीम ने अपनी मानवीयता और फर्ज दोनों निभाए। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि मेदांता अस्पताल में इंस्पेक्टर की हालत में सुधार होता है या नहीं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर