UP में 2-3 लाख में बिक रहीं सरकारी नौकरियां…इस सीरीज में आज बात आउटसोर्सिंग भर्ती में एक और घोटाले की। क्या आप जानते हैं, सरकारी विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों को महज एक टेस्ट में फेल कर बाहर कर दिया जाता है। फिर उन पदों पर नए उम्मीदवारों की भर्ती के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है। यूपी में ऐसा ही चल रहा है। एक कर्मचारी ने दैनिक भास्कर के हिडन कैमरे पर बताया कि कैसे सरकारी अफसर और आउटसोर्स कंपनियां मिलकर पुराने कर्मचारियों को निकालकर उनके स्थान पर नए कैंडिडेट्स को भर्ती करने के बदले रिश्वत ले रहे हैं। इस बड़े खेल में लाखों रुपए का लेन-देन हो रहा है। दैनिक भास्कर के कैमरे पर यह कबूलनामा पढ़िए…. इसी साल डायरेक्टर सर आए हैं। उनका कहना है कि अगले साल मई में रिटायरमेंट है। इसीलिए उन्होंने इंटरव्यू दोबारा से रखवाया था। मैंने 28 लोग इंटरव्यू में फेल किए हैं। 20-22 लोग टाइपिंग टेस्ट में फेल किए हैं। अब हमारे पास 55 प्लस सीट बन गई हैं। अब उनको निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उद्यान विभाग में काम करने वाली आउटसोर्स कर्मचारी प्रीति साहू आउटसोर्स कंपनियों और सरकारी विभागों के बीच एक बड़ी कड़ी है। वह सरकारी विभागों में आउटसोर्स पर अभ्यर्थियों को भर्ती कराने के लिए ही सिर्फ घूस नहीं ले रही, अपने विभाग में अफसर के इशारे पर आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरियों से निकालकर उनकी जगह दूसरे कैंडिडेट्स की भर्ती कर रही है। जब हमारी कैंडिडेट्स को भर्ती कराने की बात हुई तो उसने उद्यान विभाग में सीधे भर्ती कराने का ऑफर दिया। उसने बताया- विभाग में जो पुराने कैंडिडेट्स लगे हैं, उनको मैंने ही इंटरव्यू लेकर हटाया है। कोई गारंटी नहीं कि कब तक रहेगी नौकरी
आउटसोर्स से नौकरी भले ही घूस लेकर मिली हो, लेकिन उसमें टिकना बहुत मुश्किल है। प्रीति साहू से हमने सवाल किया कि भर्ती हो रहे कैंडिडेट्स को 6 महीने में हटा दिया जाएगा तो क्या होगा? इस पर वह कहती है कि रिस्क है, रिस्क तो लेना ही पड़ेगा। देखो कंपनी का एक ही उसूल है- बच्चे से पैसा ले लिया। बच्चा इन हो गया, काम खत्म। कल को तुम्हारा लड़का नौकरी कर पा रहा है या नहीं, उससे इनको कोई लेना-देना नहीं है। विश्वास दिलाने के लिए दफ्तर में बुलाया
हमने कहा कि जिस विभाग में नौकरी करती हैं, वहां हमें आकर बात करनी है। जानना है कि क्या आप सच में पोस्टेड हैं वहां। प्रीति साहू ने हमें उद्यान विभाग बुलाया। हम लखनऊ के सप्रू मार्ग स्थित उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के गेट पर पहुंचे। फोन करने पर वह दफ्तर के अंदर बुलाती है। अपना केबिन दिखाती है, लेकिन वहां बात करने से मना कर देती है। कहती है- मैं बाहर जा रही हूं, 15 मिनट बाद वहीं मिलिएगा। प्रीति साहू ने हमें बताया कि उनकी कंपनी JDVL नाम से कठौता झील पर है। वहां आइए, एक घंटा बैठिए। आराम से बात करते हैं। हमने कहा कि क्या आपको ऑनलाइन पैसे नहीं दिए जा सकते? वह कहती है- कैश में ही देना होगा। हम यहां काम कर रहे हैं, रिस्क ले रहे हैं। आपको सब कुछ दिखा दिया है। प्रीति साहू दो कंपनियों में पति के साथ डायरेक्टर
हमने JDVL कंपनी को सर्च किया तो पता चला कि प्रीति साहू अपने पति अजय कुमार के साथ इस कंपनी में डायरेक्टर है। यह कंपनी मैनपावर सप्लाई और प्लेसमेंट का काम करती है। कंपनी की कैपिटल 2 लाख रुपए बताई गई है और पता दिल्ली का दिया गया है। जबकि, प्रीति साहू को झांसी का मूल निवासी बताया गया है। इसके अलावा प्रीति साहू ने एक कंपनी और बनाई थी JDVS इंडिया प्राइवेट लिमिटेड। इसका पता गोमतीनगर, लखनऊ दिया गया है। अब यह कंपनी बंद है। इसमें भी उसके पति डायरेक्टर हैं। डायरेक्टर बोले- प्रीति के पति बड़े आदमी
अब हम जानना चाहते थे कि प्रीति साहू ने जिस डायरेक्टर विजय द्विवेदी की बात कह रही है। जिन कर्मचारियों को निकलवाने की बात कह रही है, क्या वह सच है? हमने हिडन कैमरे पर उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के डायरेक्टर विजय बहादुर द्विवेदी से बात की। उन्होंने बताया कि वह प्रीति को जानते हैं। वह आउटसोर्सिंग में है। उसके पति बड़े आदमी हैं। उन्होंने कर्मचारियों को टेस्ट लेकर हटाने और पद रिक्त होने की बात कही। सेवायोजन वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन के 2 हजार अलग से लगेंगे
सेवायोजन वेबसाइट में भी बड़ा खेल है। यहां रजिस्टर करने के लिए अभ्यर्थियों को परेशान होना पड़ता है। बीते 20 दिन से रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो रहा है। इसके बिना किसी भी आउटसोर्स नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर सकते हैं। जब यह समस्या हमने प्रीति साहू से बताई, तो उसने कहा कि कोई दिक्कत नहीं है। आप अपने डाक्यूमेंट्स हमें दे दीजिए। 2000 रुपए चार्ज लगेगा। आपका आईडी-पासवर्ड बन जाएगा। आउटसोर्स पर नौकरी रखने की पूरी प्रोसेस समझिए
हमने सरकारी विभागों में मैनपॉवर सप्लाई करने वाली 3 आउटसोर्स कंपनियों के डायरेक्टर्स से बातचीत की। उन्होंने अपना नाम न देने की शर्त पर बताया कि पहली प्रक्रिया हमारी विभागाध्यक्ष से बात करने से शुरू होती है। GeM (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस ) पोर्टल पर भी कंपनी को सेटिंग से मानक के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया जाता है। टेंडर की प्रक्रिया के सभी मानक में सारी टेक्निकल चीजों को ध्यान में रखते हुए सेटिंग से कंपनी को टेंडर मिल जाता है। इसके बाद हमने सेवायोजन विभाग के अफसरों से भी बात की। पता चला कि कंपनी को ठेका मिलने के बाद असली खेल शुरू होता है। विभाग रिक्त पदों की संख्या कंपनी को भेजता है। कंपनी के एग्रीमेंट लेटर के साथ सेवायोजन पोर्टल पर ऐड देता है। एक विभाग में कितनी पदों पर भर्तियां हैं। साथ ही क्या योग्यता है, यह भर्ती विज्ञापन में होता है। अप्लाई करने वाले अभ्यर्थी कंपनी के संपर्क में आते हैं। कुछ प्लेसमेंट कंपनी के जरिए पहुंचते हैं। उनसे मोटी रकम की डिमांड की जाती है। जिसका एडवांस पैसा आ गया, उसे रैंडम लिस्ट में सिलेक्ट करके आगे इंटरव्यू की तारीख दे दी जाती है। ज्यादातर अभ्यर्थी वही सिलेक्ट किए जाते हैं, जिन्होंने पैसे दिए होते हैं। आउटसोर्स कर्मचारी और कंपनी का एग्रीमेंट क्या होता है, कैसे हटाया जाता है?
आउटसोर्स पर रखे कर्मचारी और कंपनी के बीच 11 महीने का एग्रीमेंट होता है। पहले कंपनियां अपनी मनमानी करती थीं। खुद ही कर्मचारी हटा देती थीं। 27 नवंबर, 2024 को शासनादेश आया है। इसमें कहा गया है कि अब कंपनी अपनी मर्जी से कर्मचारियों को नहीं हटा सकती। सरकारी विभाग ही कर्मचारी को हटाने के लिए कहेंगे, तभी उन्हें 11 महीने से पहले हटाया जाएगा। अब उस कर्मचारी की सुनिए, जिसे 4 महीने में निकाल दिया गया
सुमित कुमार बताते हैं कि उन्हें जीवीके प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) के पद पर भर्ती कराया गया था। 45 हजार रुपए लिए गए। 45 दिन की ट्रेनिंग हुई, लेकिन कोई सैलरी नहीं दी गई। फिर 4 महीने की नौकरी में निकाल दिया गया। सैलरी 17 हजार बताई गई थी, लेकिन मिले सिर्फ 13 हजार रुपए। आउटसोर्स का बजट बढ़ता गया
यूपी में भाजपा सरकार में आउटसोर्स का बजट लगातार बढ़ता ही गया है। 6 साल में बजट बढ़कर दो गुना हो गया है। सबसे ज्यादा आउटसोर्स वाले 3 विभाग
यूपी में सबसे ज्यादा बिजली विभाग में 85 हजार आउटसोर्स कर्मचारी हैं। इसके बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में 65 हजार से अधिक कर्मचारी आउटसोर्स के रखे हैं। नगर विकास विभाग में यह संख्या 50 हजार से ज्यादा है। प्रदेश में कुल साढ़े चार लाख से ज्यादा आउटसोर्स के कर्मचारी हैं। ———————– पार्ट-1 पढ़िए… UP में 2-3 लाख में बिक रहीं सरकारी नौकरियां, आउटसोर्सिंग कंपनियों के कर्मचारी बोले- मंत्री लेते हैं पैसा; VIDEO में पूरा खुलासा दैनिक भास्कर की टीम ने सरकारी विभागों में मैनपावर आउटसोर्स कर रही कंपनियों का इन्वेस्टिगेशन किया। आउटसोर्स कंपनियों के कर्मचारियों, उनके लिए काम कर रहे दलालों और अभ्यर्थियों से हिडन कैमरे पर बात की। कर्मचारी-दलालों ने रुपए देने के बाद नौकरी की पूरी गारंटी दी। कहा- नौकरी के बदले ली जा रही घूस का एक हिस्सा विभाग के मंत्री और अफसरों तक जा रहा है। UP में सरकारी विभागों में बेची जा रही आउटसोर्स नौकरियों की पूरी सच्चाई… UP में 2-3 लाख में बिक रहीं सरकारी नौकरियां…इस सीरीज में आज बात आउटसोर्सिंग भर्ती में एक और घोटाले की। क्या आप जानते हैं, सरकारी विभागों में आउटसोर्स कर्मचारियों को महज एक टेस्ट में फेल कर बाहर कर दिया जाता है। फिर उन पदों पर नए उम्मीदवारों की भर्ती के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है। यूपी में ऐसा ही चल रहा है। एक कर्मचारी ने दैनिक भास्कर के हिडन कैमरे पर बताया कि कैसे सरकारी अफसर और आउटसोर्स कंपनियां मिलकर पुराने कर्मचारियों को निकालकर उनके स्थान पर नए कैंडिडेट्स को भर्ती करने के बदले रिश्वत ले रहे हैं। इस बड़े खेल में लाखों रुपए का लेन-देन हो रहा है। दैनिक भास्कर के कैमरे पर यह कबूलनामा पढ़िए…. इसी साल डायरेक्टर सर आए हैं। उनका कहना है कि अगले साल मई में रिटायरमेंट है। इसीलिए उन्होंने इंटरव्यू दोबारा से रखवाया था। मैंने 28 लोग इंटरव्यू में फेल किए हैं। 20-22 लोग टाइपिंग टेस्ट में फेल किए हैं। अब हमारे पास 55 प्लस सीट बन गई हैं। अब उनको निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उद्यान विभाग में काम करने वाली आउटसोर्स कर्मचारी प्रीति साहू आउटसोर्स कंपनियों और सरकारी विभागों के बीच एक बड़ी कड़ी है। वह सरकारी विभागों में आउटसोर्स पर अभ्यर्थियों को भर्ती कराने के लिए ही सिर्फ घूस नहीं ले रही, अपने विभाग में अफसर के इशारे पर आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरियों से निकालकर उनकी जगह दूसरे कैंडिडेट्स की भर्ती कर रही है। जब हमारी कैंडिडेट्स को भर्ती कराने की बात हुई तो उसने उद्यान विभाग में सीधे भर्ती कराने का ऑफर दिया। उसने बताया- विभाग में जो पुराने कैंडिडेट्स लगे हैं, उनको मैंने ही इंटरव्यू लेकर हटाया है। कोई गारंटी नहीं कि कब तक रहेगी नौकरी
आउटसोर्स से नौकरी भले ही घूस लेकर मिली हो, लेकिन उसमें टिकना बहुत मुश्किल है। प्रीति साहू से हमने सवाल किया कि भर्ती हो रहे कैंडिडेट्स को 6 महीने में हटा दिया जाएगा तो क्या होगा? इस पर वह कहती है कि रिस्क है, रिस्क तो लेना ही पड़ेगा। देखो कंपनी का एक ही उसूल है- बच्चे से पैसा ले लिया। बच्चा इन हो गया, काम खत्म। कल को तुम्हारा लड़का नौकरी कर पा रहा है या नहीं, उससे इनको कोई लेना-देना नहीं है। विश्वास दिलाने के लिए दफ्तर में बुलाया
हमने कहा कि जिस विभाग में नौकरी करती हैं, वहां हमें आकर बात करनी है। जानना है कि क्या आप सच में पोस्टेड हैं वहां। प्रीति साहू ने हमें उद्यान विभाग बुलाया। हम लखनऊ के सप्रू मार्ग स्थित उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के गेट पर पहुंचे। फोन करने पर वह दफ्तर के अंदर बुलाती है। अपना केबिन दिखाती है, लेकिन वहां बात करने से मना कर देती है। कहती है- मैं बाहर जा रही हूं, 15 मिनट बाद वहीं मिलिएगा। प्रीति साहू ने हमें बताया कि उनकी कंपनी JDVL नाम से कठौता झील पर है। वहां आइए, एक घंटा बैठिए। आराम से बात करते हैं। हमने कहा कि क्या आपको ऑनलाइन पैसे नहीं दिए जा सकते? वह कहती है- कैश में ही देना होगा। हम यहां काम कर रहे हैं, रिस्क ले रहे हैं। आपको सब कुछ दिखा दिया है। प्रीति साहू दो कंपनियों में पति के साथ डायरेक्टर
हमने JDVL कंपनी को सर्च किया तो पता चला कि प्रीति साहू अपने पति अजय कुमार के साथ इस कंपनी में डायरेक्टर है। यह कंपनी मैनपावर सप्लाई और प्लेसमेंट का काम करती है। कंपनी की कैपिटल 2 लाख रुपए बताई गई है और पता दिल्ली का दिया गया है। जबकि, प्रीति साहू को झांसी का मूल निवासी बताया गया है। इसके अलावा प्रीति साहू ने एक कंपनी और बनाई थी JDVS इंडिया प्राइवेट लिमिटेड। इसका पता गोमतीनगर, लखनऊ दिया गया है। अब यह कंपनी बंद है। इसमें भी उसके पति डायरेक्टर हैं। डायरेक्टर बोले- प्रीति के पति बड़े आदमी
अब हम जानना चाहते थे कि प्रीति साहू ने जिस डायरेक्टर विजय द्विवेदी की बात कह रही है। जिन कर्मचारियों को निकलवाने की बात कह रही है, क्या वह सच है? हमने हिडन कैमरे पर उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के डायरेक्टर विजय बहादुर द्विवेदी से बात की। उन्होंने बताया कि वह प्रीति को जानते हैं। वह आउटसोर्सिंग में है। उसके पति बड़े आदमी हैं। उन्होंने कर्मचारियों को टेस्ट लेकर हटाने और पद रिक्त होने की बात कही। सेवायोजन वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन के 2 हजार अलग से लगेंगे
सेवायोजन वेबसाइट में भी बड़ा खेल है। यहां रजिस्टर करने के लिए अभ्यर्थियों को परेशान होना पड़ता है। बीते 20 दिन से रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो रहा है। इसके बिना किसी भी आउटसोर्स नौकरी के लिए अप्लाई नहीं कर सकते हैं। जब यह समस्या हमने प्रीति साहू से बताई, तो उसने कहा कि कोई दिक्कत नहीं है। आप अपने डाक्यूमेंट्स हमें दे दीजिए। 2000 रुपए चार्ज लगेगा। आपका आईडी-पासवर्ड बन जाएगा। आउटसोर्स पर नौकरी रखने की पूरी प्रोसेस समझिए
हमने सरकारी विभागों में मैनपॉवर सप्लाई करने वाली 3 आउटसोर्स कंपनियों के डायरेक्टर्स से बातचीत की। उन्होंने अपना नाम न देने की शर्त पर बताया कि पहली प्रक्रिया हमारी विभागाध्यक्ष से बात करने से शुरू होती है। GeM (गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस ) पोर्टल पर भी कंपनी को सेटिंग से मानक के आधार पर शॉर्टलिस्ट किया जाता है। टेंडर की प्रक्रिया के सभी मानक में सारी टेक्निकल चीजों को ध्यान में रखते हुए सेटिंग से कंपनी को टेंडर मिल जाता है। इसके बाद हमने सेवायोजन विभाग के अफसरों से भी बात की। पता चला कि कंपनी को ठेका मिलने के बाद असली खेल शुरू होता है। विभाग रिक्त पदों की संख्या कंपनी को भेजता है। कंपनी के एग्रीमेंट लेटर के साथ सेवायोजन पोर्टल पर ऐड देता है। एक विभाग में कितनी पदों पर भर्तियां हैं। साथ ही क्या योग्यता है, यह भर्ती विज्ञापन में होता है। अप्लाई करने वाले अभ्यर्थी कंपनी के संपर्क में आते हैं। कुछ प्लेसमेंट कंपनी के जरिए पहुंचते हैं। उनसे मोटी रकम की डिमांड की जाती है। जिसका एडवांस पैसा आ गया, उसे रैंडम लिस्ट में सिलेक्ट करके आगे इंटरव्यू की तारीख दे दी जाती है। ज्यादातर अभ्यर्थी वही सिलेक्ट किए जाते हैं, जिन्होंने पैसे दिए होते हैं। आउटसोर्स कर्मचारी और कंपनी का एग्रीमेंट क्या होता है, कैसे हटाया जाता है?
आउटसोर्स पर रखे कर्मचारी और कंपनी के बीच 11 महीने का एग्रीमेंट होता है। पहले कंपनियां अपनी मनमानी करती थीं। खुद ही कर्मचारी हटा देती थीं। 27 नवंबर, 2024 को शासनादेश आया है। इसमें कहा गया है कि अब कंपनी अपनी मर्जी से कर्मचारियों को नहीं हटा सकती। सरकारी विभाग ही कर्मचारी को हटाने के लिए कहेंगे, तभी उन्हें 11 महीने से पहले हटाया जाएगा। अब उस कर्मचारी की सुनिए, जिसे 4 महीने में निकाल दिया गया
सुमित कुमार बताते हैं कि उन्हें जीवीके प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) के पद पर भर्ती कराया गया था। 45 हजार रुपए लिए गए। 45 दिन की ट्रेनिंग हुई, लेकिन कोई सैलरी नहीं दी गई। फिर 4 महीने की नौकरी में निकाल दिया गया। सैलरी 17 हजार बताई गई थी, लेकिन मिले सिर्फ 13 हजार रुपए। आउटसोर्स का बजट बढ़ता गया
यूपी में भाजपा सरकार में आउटसोर्स का बजट लगातार बढ़ता ही गया है। 6 साल में बजट बढ़कर दो गुना हो गया है। सबसे ज्यादा आउटसोर्स वाले 3 विभाग
यूपी में सबसे ज्यादा बिजली विभाग में 85 हजार आउटसोर्स कर्मचारी हैं। इसके बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में 65 हजार से अधिक कर्मचारी आउटसोर्स के रखे हैं। नगर विकास विभाग में यह संख्या 50 हजार से ज्यादा है। प्रदेश में कुल साढ़े चार लाख से ज्यादा आउटसोर्स के कर्मचारी हैं। ———————– पार्ट-1 पढ़िए… UP में 2-3 लाख में बिक रहीं सरकारी नौकरियां, आउटसोर्सिंग कंपनियों के कर्मचारी बोले- मंत्री लेते हैं पैसा; VIDEO में पूरा खुलासा दैनिक भास्कर की टीम ने सरकारी विभागों में मैनपावर आउटसोर्स कर रही कंपनियों का इन्वेस्टिगेशन किया। आउटसोर्स कंपनियों के कर्मचारियों, उनके लिए काम कर रहे दलालों और अभ्यर्थियों से हिडन कैमरे पर बात की। कर्मचारी-दलालों ने रुपए देने के बाद नौकरी की पूरी गारंटी दी। कहा- नौकरी के बदले ली जा रही घूस का एक हिस्सा विभाग के मंत्री और अफसरों तक जा रहा है। UP में सरकारी विभागों में बेची जा रही आउटसोर्स नौकरियों की पूरी सच्चाई… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर