क्लाइमेट चेंज से भूकंप पर कोई असर नहीं:NCS के वैज्ञानिक बोले-162 स्टेशन से हो रही निगरानी, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित

क्लाइमेट चेंज से भूकंप पर कोई असर नहीं:NCS के वैज्ञानिक बोले-162 स्टेशन से हो रही निगरानी, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजय प्रताप सिंह वाराणसी पहुंचे। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा- हम लोग 24 घंटे, दिन-रात सिर्फ भूकंप की मॉनिटरिंग करते हैं। उन्होंने कहा कि पूरे इंडिया में हम लोगों ने 162 स्टेशन लगाए हैं। जिससे देश में कहीं भी कोई एक्टिविटी होती है, तो हमें स्टेशनों की मदद से तुरंत पता चल जाता है। भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र
डॉ. अजय प्रताप सिंह ने बताया- भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र में सर्वाधिक तीव्रता के भूकंप आते हैं। उन्होंने बताया कि हिमालय बेल्ट में भूकंप की हलचल सबसे ज्यादा होती है‌। उससे ज्यादा अंडमान-निकोबार में केंद्र होता है। इसके अलावा सुनामी दो तरह से आती है, एक अंडमान निकोबार दीप समूह, दूसरा मकरान सब एस्क जोन बेस्ट बंगाल के एरिया को टच करता है। रेनफॉल की वजह से गुजरात और पालघर में हुई भूकंप की एक्टिविटी
डॉ. अजय ने बताया- देखने को मिल रहा है जो गुजरात के कच्छ रीजन जो जोन-5 पड़ता है, वहां उस रीजन में सबसे ज्यादा एक्टिविटी होती है। कुछ एक्टिविटी पालघर रीजन में भी शुरू हुए हैं। पालघर स्वराज और कर्नाटक रीजन में भी एक्टिविटी देखी जा रही है। लेकिन यह एक्टिविटी मानसून से रिलेटेड हो गया है। जब रेनफॉल ज्यादा हो रहा है, तो उस छोटे-छोटे अर्थ क्विक निकल रहे हैं। यह भी कुछ दिन से देखा जा रहा है कि जब रेनफाल ज्यादा हो रहा है तो छोटे-छोटे अर्थ क्विक आ रहे हैं। अर्थ क्विक मशीन कहा और कैसे लगाया जाता है? डॉ. अजय ने बताया अर्थ क्विक यंत्र के को नापने के लिए हम जो मशीन लगाते हैं। वह काफी शांत इलाके में लगाते हैं, जहां किसी का आवागमन भी काफी कम हो। इसके लिए हम रोड से दूर स्थान को चुनते हैं। उन्होंने कहा कि फिर हम एक पिलर बनाते हैं और उसके ऊपर उस यंत्र को रखा जाता है। अगर हम एक मशीन लगा दिए तो वह सिर्फ वहां के 1000 किलोमीटर का ही नहीं, बल्कि यहां तक कि अगर अर्थ क्विक जापान और अमेरिका में भी आया तब भी वह यंत्र बता देगा। उन्होंने कहा कि गुजरात में 110 स्टेशन लगाया गया है। उन्होंने कहा कि वाराणसी के बीएचयू में हमने एक मशीन लगाई है। भूकंप तीन प्रकार के होते हैं… जानिए कौन-कौन से
भूकंपों के तीन प्रकार होते हैं। पहला इंड्यूस्ड अर्थ क्विक यानी ऐसे भूकंप जो इंसानी गतिविधियों की वजह से पैदा होते हैं। जैसे सुरंगों को खोदना, किसी जलस्रोत को भरना या फिर किसी तरह के बड़े भौगोलिक या जियोथर्मल प्रोजेक्ट्स को बनाना। बांधों के निर्माण की वजह से भी भूकंप आते हैं। दूसरा होता है वॉल्कैनिक अर्थक्वेक यानी वो भूकंप जो किसी ज्वालामुखी के फटने से पहले, फटते समय या फटने के बाद आते हैं। ये भूकंप गर्म लावा के निकलने और सतह के नीचे उनके बहने की वजह से आते हैं। तीसरा होता है कोलैप्स अर्थ क्विक यानी छोटे भूकंप के झटके जो जमीन के अंदर मौजूद गुफाओं और सुरंगों के टूटने से बनते हैं। जमीन के अंदर होने वाले छोटे विस्फोटों की वजह से भी ये आते हैं। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अजय प्रताप सिंह वाराणसी पहुंचे। दैनिक भास्कर से बातचीत में उन्होंने कहा- हम लोग 24 घंटे, दिन-रात सिर्फ भूकंप की मॉनिटरिंग करते हैं। उन्होंने कहा कि पूरे इंडिया में हम लोगों ने 162 स्टेशन लगाए हैं। जिससे देश में कहीं भी कोई एक्टिविटी होती है, तो हमें स्टेशनों की मदद से तुरंत पता चल जाता है। भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र
डॉ. अजय प्रताप सिंह ने बताया- भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र में सर्वाधिक तीव्रता के भूकंप आते हैं। उन्होंने बताया कि हिमालय बेल्ट में भूकंप की हलचल सबसे ज्यादा होती है‌। उससे ज्यादा अंडमान-निकोबार में केंद्र होता है। इसके अलावा सुनामी दो तरह से आती है, एक अंडमान निकोबार दीप समूह, दूसरा मकरान सब एस्क जोन बेस्ट बंगाल के एरिया को टच करता है। रेनफॉल की वजह से गुजरात और पालघर में हुई भूकंप की एक्टिविटी
डॉ. अजय ने बताया- देखने को मिल रहा है जो गुजरात के कच्छ रीजन जो जोन-5 पड़ता है, वहां उस रीजन में सबसे ज्यादा एक्टिविटी होती है। कुछ एक्टिविटी पालघर रीजन में भी शुरू हुए हैं। पालघर स्वराज और कर्नाटक रीजन में भी एक्टिविटी देखी जा रही है। लेकिन यह एक्टिविटी मानसून से रिलेटेड हो गया है। जब रेनफॉल ज्यादा हो रहा है, तो उस छोटे-छोटे अर्थ क्विक निकल रहे हैं। यह भी कुछ दिन से देखा जा रहा है कि जब रेनफाल ज्यादा हो रहा है तो छोटे-छोटे अर्थ क्विक आ रहे हैं। अर्थ क्विक मशीन कहा और कैसे लगाया जाता है? डॉ. अजय ने बताया अर्थ क्विक यंत्र के को नापने के लिए हम जो मशीन लगाते हैं। वह काफी शांत इलाके में लगाते हैं, जहां किसी का आवागमन भी काफी कम हो। इसके लिए हम रोड से दूर स्थान को चुनते हैं। उन्होंने कहा कि फिर हम एक पिलर बनाते हैं और उसके ऊपर उस यंत्र को रखा जाता है। अगर हम एक मशीन लगा दिए तो वह सिर्फ वहां के 1000 किलोमीटर का ही नहीं, बल्कि यहां तक कि अगर अर्थ क्विक जापान और अमेरिका में भी आया तब भी वह यंत्र बता देगा। उन्होंने कहा कि गुजरात में 110 स्टेशन लगाया गया है। उन्होंने कहा कि वाराणसी के बीएचयू में हमने एक मशीन लगाई है। भूकंप तीन प्रकार के होते हैं… जानिए कौन-कौन से
भूकंपों के तीन प्रकार होते हैं। पहला इंड्यूस्ड अर्थ क्विक यानी ऐसे भूकंप जो इंसानी गतिविधियों की वजह से पैदा होते हैं। जैसे सुरंगों को खोदना, किसी जलस्रोत को भरना या फिर किसी तरह के बड़े भौगोलिक या जियोथर्मल प्रोजेक्ट्स को बनाना। बांधों के निर्माण की वजह से भी भूकंप आते हैं। दूसरा होता है वॉल्कैनिक अर्थक्वेक यानी वो भूकंप जो किसी ज्वालामुखी के फटने से पहले, फटते समय या फटने के बाद आते हैं। ये भूकंप गर्म लावा के निकलने और सतह के नीचे उनके बहने की वजह से आते हैं। तीसरा होता है कोलैप्स अर्थ क्विक यानी छोटे भूकंप के झटके जो जमीन के अंदर मौजूद गुफाओं और सुरंगों के टूटने से बनते हैं। जमीन के अंदर होने वाले छोटे विस्फोटों की वजह से भी ये आते हैं।   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर