Jharkhand: हेमंत सोरेन ने कैबिनेट गठन में साधे सामाजिक, धार्मिक और क्षेत्रीय समीकरण, पढ़ें पूरी डिटेल्स

Jharkhand: हेमंत सोरेन ने कैबिनेट गठन में साधे सामाजिक, धार्मिक और क्षेत्रीय समीकरण, पढ़ें पूरी डिटेल्स

<p style=”text-align: justify;”><strong>Jharkhand Cabinet Expansion News: </strong>झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने नए कैबिनेट के गठन में जातीय, सामाजिक, धार्मिक और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है. हालांकि, अनारक्षित सामान्य वर्ग को सबसे कम तवज्जो मिलने पर कई लोग सवाल उठा रहे हैं. विधानसभा चुनाव में राज्य के पांच प्रमंडलों में संथाल परगना में सत्तारूढ़ गठबंधन का परिणाम सबसे बेहतरीन रहा. इस प्रमंडल की 18 में से 17 सीटों पर इस गठबंधन को जीत मिली.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कैबिनेट में सबसे अधिक चार मंत्री इसी प्रमंडल से बनाए गए हैं. इनमें महागामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह, गोड्डा के विधायक संजय प्रसाद यादव, मधुपुर के विधायक हफीजुल हसन और जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी शामिल हैं. इस प्रमंडल से अनुसूचित जनजाति के किसी विधायक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. हालांकि, खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसी प्रमंडल की बरहेट सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्हें जोड़कर देखें तो 12 में से कुल पांच मंत्री इसी प्रमंडल से हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दीपक बिरुआ और रामदास सोरेन बने मंत्री</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कोल्हान प्रमंडल से दो मंत्री बनाए गए हैं. इनमें चाईबासा के विधायक दीपक बिरुआ और घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन शामिल हैं. दोनों पहले भी हेमंत सोरेन के कैबिनेट का हिस्सा थे. उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल से भी दो विधायकों गिरिडीह के सुदिव्य कुमार सोनू और गोमिया के योगेंद्र प्रसाद को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. इस प्रमंडल में सबसे अधिक 25 विधानसभा सीटें हैं. सामान्य सीटों की सबसे अधिक संख्या इसी प्रमंडल में है, जहां ओबीसी जातियां सियासी तौर पर खासा दखल रखती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसका ध्यान रखते हुए इस प्रमंडल से जिन दोनों विधायकों को मंत्री बनाया गया है, वे ओबीसी समाज से आते हैं. सुदिव्य सोनू जहां वैश्य समाज से ताल्लुक रखते हैं, वहीं योगेंद्र प्रसाद कुड़मी (कुर्मी) जाति से आते हैं. दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल से भी दो विधायकों चमरा लिंडा और शिल्पी नेहा तिर्की को मंत्री बनाया गया है. चमरा लिंडा सरना आदिवासी हैं, जबकि शिल्पी नेहा तिर्की ईसाई आदिवासी हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस प्रमंडल में दोनों तरह के आदिवासियों की मिली-जुली आबादी है. दोनों समुदाय से एक-एक विधायक को मंत्री बनाकर संतुलन साधने का प्रयास किया गया है. पलामू प्रमंडल की नौ सीटों में सत्तारूढ़ गठबंधन ने इस बार पांच सीटों पर जीत दर्ज की है. यहां से मात्र एक विधायक राधाकृष्ण किशोर को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ओबीसी समुदाय से बने कुल तीन मंत्री</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वह मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति के भी एकमात्र प्रतिनिधि हैं. चुनाव में 28 में से 27 आदिवासी आरक्षित सीटों पर सत्तारूढ़ गठबंधन को जीत मिली और इस आधार पर देखें तो सबसे अधिक अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) का प्रतिनिधित्व है. सीएम को मिलाकर इन जनजाति के मंत्रियों की कुल संख्या पांच है. ओबीसी समुदाय से कुल तीन मंत्री हैं- संजय प्रसाद यादव, योगेंद्र प्रसाद और सुदिव्य सोनू. दीपिका पांडेय सिंह को मंत्रिमंडल में ओबीसी और सामान्य दोनों वर्गों का प्रतिनिधि माना जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दीपिका खुद ब्राह्मण समाज से आती हैं, लेकिन उनके पति कुड़मी समाज से हैं. दो मंत्री इरफान अंसारी और हफीजुल हसन अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं. दोनों संथाल परगना प्रमंडल से हैं, जहां आदिवासियों के बाद सर्वाधिक आबादी मुस्लिमों की है.</p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Jharkhand Cabinet Expansion News: </strong>झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने नए कैबिनेट के गठन में जातीय, सामाजिक, धार्मिक और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है. हालांकि, अनारक्षित सामान्य वर्ग को सबसे कम तवज्जो मिलने पर कई लोग सवाल उठा रहे हैं. विधानसभा चुनाव में राज्य के पांच प्रमंडलों में संथाल परगना में सत्तारूढ़ गठबंधन का परिणाम सबसे बेहतरीन रहा. इस प्रमंडल की 18 में से 17 सीटों पर इस गठबंधन को जीत मिली.</p>
<p style=”text-align: justify;”>कैबिनेट में सबसे अधिक चार मंत्री इसी प्रमंडल से बनाए गए हैं. इनमें महागामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह, गोड्डा के विधायक संजय प्रसाद यादव, मधुपुर के विधायक हफीजुल हसन और जामताड़ा के विधायक इरफान अंसारी शामिल हैं. इस प्रमंडल से अनुसूचित जनजाति के किसी विधायक को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है. हालांकि, खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसी प्रमंडल की बरहेट सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्हें जोड़कर देखें तो 12 में से कुल पांच मंत्री इसी प्रमंडल से हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>दीपक बिरुआ और रामदास सोरेन बने मंत्री</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>कोल्हान प्रमंडल से दो मंत्री बनाए गए हैं. इनमें चाईबासा के विधायक दीपक बिरुआ और घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन शामिल हैं. दोनों पहले भी हेमंत सोरेन के कैबिनेट का हिस्सा थे. उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल से भी दो विधायकों गिरिडीह के सुदिव्य कुमार सोनू और गोमिया के योगेंद्र प्रसाद को मंत्रिमंडल में जगह मिली है. इस प्रमंडल में सबसे अधिक 25 विधानसभा सीटें हैं. सामान्य सीटों की सबसे अधिक संख्या इसी प्रमंडल में है, जहां ओबीसी जातियां सियासी तौर पर खासा दखल रखती हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इसका ध्यान रखते हुए इस प्रमंडल से जिन दोनों विधायकों को मंत्री बनाया गया है, वे ओबीसी समाज से आते हैं. सुदिव्य सोनू जहां वैश्य समाज से ताल्लुक रखते हैं, वहीं योगेंद्र प्रसाद कुड़मी (कुर्मी) जाति से आते हैं. दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल से भी दो विधायकों चमरा लिंडा और शिल्पी नेहा तिर्की को मंत्री बनाया गया है. चमरा लिंडा सरना आदिवासी हैं, जबकि शिल्पी नेहा तिर्की ईसाई आदिवासी हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस प्रमंडल में दोनों तरह के आदिवासियों की मिली-जुली आबादी है. दोनों समुदाय से एक-एक विधायक को मंत्री बनाकर संतुलन साधने का प्रयास किया गया है. पलामू प्रमंडल की नौ सीटों में सत्तारूढ़ गठबंधन ने इस बार पांच सीटों पर जीत दर्ज की है. यहां से मात्र एक विधायक राधाकृष्ण किशोर को मंत्रिमंडल में जगह दी गई है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ओबीसी समुदाय से बने कुल तीन मंत्री</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>वह मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति के भी एकमात्र प्रतिनिधि हैं. चुनाव में 28 में से 27 आदिवासी आरक्षित सीटों पर सत्तारूढ़ गठबंधन को जीत मिली और इस आधार पर देखें तो सबसे अधिक अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) का प्रतिनिधित्व है. सीएम को मिलाकर इन जनजाति के मंत्रियों की कुल संख्या पांच है. ओबीसी समुदाय से कुल तीन मंत्री हैं- संजय प्रसाद यादव, योगेंद्र प्रसाद और सुदिव्य सोनू. दीपिका पांडेय सिंह को मंत्रिमंडल में ओबीसी और सामान्य दोनों वर्गों का प्रतिनिधि माना जा रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>दीपिका खुद ब्राह्मण समाज से आती हैं, लेकिन उनके पति कुड़मी समाज से हैं. दो मंत्री इरफान अंसारी और हफीजुल हसन अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं. दोनों संथाल परगना प्रमंडल से हैं, जहां आदिवासियों के बाद सर्वाधिक आबादी मुस्लिमों की है.</p>  झारखंड ‘टेस्ट कराने के लिए तैयार हूं’, DNA वाले बयान पर अखिलेश यादव ने सीएम योगी को दी चुनौती