कांग्रेस यूपी में 35 साल से सत्ता से बाहर है। दो दिन पहले पार्टी ने एक लेटर जारी किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को छोड़कर राज्य, मंडल, जिला, शहर, ब्लॉक और 46 विभागों के 15 हजार से ज्यादा पदाधिकारी भूतपूर्व की श्रेणी में आ गए। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश सिंह का कहना है कि काफी लंबे समय के बाद ऐसा हुआ कि पूरी कमेटी भंग की गई हो। कांग्रेस में यह पहेली बन गया है कि पार्टी क्या चाहती है? अचानक ऐसा एक्शन क्यों हो गया? क्या राहुल-प्रियंका के संभल दौरे में पार्टी पदाधिकारियों की कम रुचि इसकी वजह बनी? पढ़िए इसको लेकर क्या चर्चा चल रही है, कांग्रेस नेता और एक्सपर्ट्स क्या मानते हैं… पहले जानिए कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में क्या चर्चा है… पहली चर्चा- यूपी कांग्रेस में मौजूदा समय की ज्यादातर कमेटी प्रियंका गांधी ने बनाई थी। उनके यूपी प्रभारी बनने के बाद भी वह कमेटी सक्रिय रही। चर्चा है कि उस कमेटी के साथ मौजूदा कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय सामंजस्य बैठाकर काम नहीं कर पा रहे थे। यहां तक कि उपचुनाव में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बजाय ये लोग प्रियंका के लिए प्रचार करने वायनाड चले गए। इसका असर यह रहा कि सपा के लिए किसी भी सीट पर ठीक से प्रचार-प्रसार कांग्रेस की तरफ से नहीं हुआ। गठबंधन की हार हुई। जबकि, लोकसभा चुनाव के दौरान अविनाश पांडेय ने सभी 80 सीटों पर प्रचार किया था। वहां जाकर कांग्रेस और सपा कार्यकर्ताओं के बीच मीटिंग भी कराई थी। दूसरी चर्चा- संभल में राहुल गांधी और प्रियंका के कार्यक्रम के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों से कहा गया था, वहां बड़ी संख्या में पहुंचे। लेकिन संख्या बल कम होने की वजह से राहुल का कार्यक्रम ज्यादा असर नहीं डाल पाया। राहुल को वापस आना पड़ा। उसके बाद से ही राष्ट्रीय नेतृत्व खासा नाराज था। अजय राय और अविनाश पांडेय ने पार्टी की पूरी जानकारी हाईकमान को दी, जिसके बाद यह कार्रवाई हुई। दैनिक भास्कर ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने ऐसे ही चार सवालों पर बात की.. सवाल- अचानक इतने बड़े फैसले की वजह क्या है ?
जवाब- कांग्रेस के प्रति लोग मजबूती के साथ जुड़े रहे हैं। ऐसे में तय किया गया कि बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक पार्टी को मजबूती से खड़ा किया जाए। कहीं कोई कमियां है तो उसे दूर किया जाएगा। केंद्रीय नेतृत्व को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसे मंजूरी मिल गई है, जिसके लिए केंद्रीय नेतृत्व का धन्यवाद बनता है। सवाल- नई कमेटी बनाने में कितना समय लेंगे। ब्लॉक स्तर पर पदाधिकारी तय करना छोटी बात नहीं ?
जवाब- दो से ढाई महीने में हम नई कमेटी बना लेंगे। निर्णय लेकर उस पर काम करने वाले लोग हैं। नई ऊर्जा के साथ पार्टी का विकास होगा। जनता के बीच में काम करेंगे। उसका कोई विकल्प नहीं हो सकता है। सवाल- सहयोगी दल सपा पीडीए की बात करता है। आपकी कमेटी में कुछ ऐसा दिखेगा।
जवाब- हमारे साथ सबका सहयोग है। हम गांधीवादी पार्टी हैं। उनके बताए मार्ग पर सबको लेकर चलते हैं। हमारे साथ अमीर-गरीब सभी लोग रहेंगे। हमारी कमेटी में हर जाति और वर्ग के लोग होंगे। मुस्लिम, दलित, पिछड़ा और सामान्य सभी वर्ग को लेकर साथ चलेंगे, किसी को छोड़ेंगे नहीं। सवाल- संभल में राहुल गांधी पहुंचे तो वहां काफी कम भीड़ थी। कार्यकर्ता कम पहुंचे थे। कमेटी भंग होने की एक वजह यह भी तो नहीं?
जवाब- ऐसा नहीं है। संभल में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पहुंचे थे। ऐसा कोई कारण नहीं है। मुख्य वजह पार्टी को संगठन को नए सिरे से खड़ा कर मजबूत करना है। हम तीन महीने में बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक तक कई ऊर्जावान कमेटी बनाएंगे। इसमें लोगों का नाम मोबाइल नंबर सभी हर व्यक्ति के पास मौजूद होगा। जिससे जब चाहे संपर्क किया जा सकता है। एक्सपर्ट बोले- कांग्रेस डायलिसिस प्रक्रिया में है, बिना इसके कुछ संभव नहीं पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि यूपी के अलावा बाकी राज्यों में भी कांग्रेस इस तरह की कार्रवाई कर रही है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में कांग्रेस डायलिसिस प्रक्रिया में है। लोकसभा 2024 के चुनाव में कांग्रेस ने यूपी में काफी लंबे समय बाद अच्छा प्रदर्शन किया था। हालांकि, पार्टी ने विधानसभा उपचुनाव में एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ा। सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट आनंद राय कहते हैं- इसकी वजह से कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल था। ऐसे में उनको नई ऊर्जा देने के लिए भी कमेटी को भंग किया गया होगा, क्योंकि इससे उनको यह लगेगा कि जो काम नहीं कर रहे थे, पार्टी उनको बाहर का रास्ता दिखाना चाहती है। एक तरीके से नए सिरे से सेना को संजोने का काम हो रहा है। कांग्रेस 35 साल से यूपी की सत्ता से बाहर है। ऐसे में इतना बड़ा बदलाव ही उनके लिए जरूरी था। प्रियंका गांधी की टीम को कमजोर करने के सवाल पर आनंद राय ने कहा कि यह संभव हो सकता है। हालांकि, यह साबित करना मुश्किल है। लेकिन यह सच है कि उनकी बनाई हुई कमेटी से सदस्य अगर बड़ी संख्या में बाहर होते हैं तो सवाल उठेगा। कांग्रेस के लिए यूपी पहेली बना पॉलिटिकल एक्सपर्ट ये भी मानते हैं कि कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश पहेली बना हुआ है। ऐसे में पार्टी इस पहेली को हल करने पर प्रयोग कर रही है। अब इसी प्रयोग के लिए यह पहल की गई है। हालांकि, यह काफी लंबे समय बाद हुआ है। प्रदेश कार्यकारिणी तो भंग हुई है, लेकिन ब्लॉक स्तर की कमेटी को लंबे समय बाद भंग किया गया है। पिछले दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का बयान भी आया था कि नीचे से ऊपर तक बदलाव की जरूरत है। वरिष्ठ पत्रकार रामदत त्रिपाठी कहते हैं- मौजूदा समय समाज में कांग्रेस की पकड़ मजबूत नहीं है। जाति और धर्म की राजनीति में वह कमजोर हुई है। मौजूदा समय किसी विशेष समुदाय या जाति के लोगों की बात करने वाला दल पकड़ बना रहा है। कांग्रेस सबकी बात करती है, ऐसे में उसके लिए माहौल थोड़ा मुश्किल हो रहा है। कैसे बनेगी कांग्रेस की नई कमेटी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश सिंह का कहना है कि आज की तारीख में प्रदेश अध्यक्ष को छोड़ सभी पदाधिकारी निवर्तमान हैं। प्रदेश अध्यक्ष, यूपी के प्रदेश प्रभारी और सह प्रभारी एक लिस्ट फाइनल करेंगे। इस लिस्ट को राष्ट्रीय महासचिव के माध्यम से राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजा जाएगा। उसके बाद वहां से लिस्ट फाइनल होगी और प्रदेश कार्यसमिति चुनी जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष उसके बाद मंडल कमेटी का चयन करेगा। मंडल से जिला कमेटी का सुझाव आएगा और उसे भी प्रदेश अध्यक्ष चुनता है। जिला कमेटी ब्लॉक कमेटी चुनने में मदद करती है। उन्होंने बताया कि बहुत पहले ऐसा हुआ था कि ब्लॉक स्तर तक कमेटी भंग की गई थी। हालांकि, यह ठीक से मुझे भी याद नहीं आ रहा। —————————– यह खबर भी पढ़िए… यूपी 2027 में क्या बंट जाएगा:25 करोड़ पार होगी आबादी, परिसीमन के बाद विधानसभा की 100 सीटें बढ़ जाएंगी देश में जनगणना और परिसीमन के बाद क्या उत्तर प्रदेश का बंटवारा कर दो से तीन अलग राज्य बना दिए जाएंगे। परिसीमन के बाद बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग फिर जोर पकड़ेगी। अगले साल प्रस्तावित जनगणना के बाद यूपी की जनसंख्या 25 करोड़ को पार कर जाएगी। पढ़ें पूरी खबर… कांग्रेस यूपी में 35 साल से सत्ता से बाहर है। दो दिन पहले पार्टी ने एक लेटर जारी किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को छोड़कर राज्य, मंडल, जिला, शहर, ब्लॉक और 46 विभागों के 15 हजार से ज्यादा पदाधिकारी भूतपूर्व की श्रेणी में आ गए। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश सिंह का कहना है कि काफी लंबे समय के बाद ऐसा हुआ कि पूरी कमेटी भंग की गई हो। कांग्रेस में यह पहेली बन गया है कि पार्टी क्या चाहती है? अचानक ऐसा एक्शन क्यों हो गया? क्या राहुल-प्रियंका के संभल दौरे में पार्टी पदाधिकारियों की कम रुचि इसकी वजह बनी? पढ़िए इसको लेकर क्या चर्चा चल रही है, कांग्रेस नेता और एक्सपर्ट्स क्या मानते हैं… पहले जानिए कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में क्या चर्चा है… पहली चर्चा- यूपी कांग्रेस में मौजूदा समय की ज्यादातर कमेटी प्रियंका गांधी ने बनाई थी। उनके यूपी प्रभारी बनने के बाद भी वह कमेटी सक्रिय रही। चर्चा है कि उस कमेटी के साथ मौजूदा कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय सामंजस्य बैठाकर काम नहीं कर पा रहे थे। यहां तक कि उपचुनाव में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की बजाय ये लोग प्रियंका के लिए प्रचार करने वायनाड चले गए। इसका असर यह रहा कि सपा के लिए किसी भी सीट पर ठीक से प्रचार-प्रसार कांग्रेस की तरफ से नहीं हुआ। गठबंधन की हार हुई। जबकि, लोकसभा चुनाव के दौरान अविनाश पांडेय ने सभी 80 सीटों पर प्रचार किया था। वहां जाकर कांग्रेस और सपा कार्यकर्ताओं के बीच मीटिंग भी कराई थी। दूसरी चर्चा- संभल में राहुल गांधी और प्रियंका के कार्यक्रम के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पदाधिकारियों से कहा गया था, वहां बड़ी संख्या में पहुंचे। लेकिन संख्या बल कम होने की वजह से राहुल का कार्यक्रम ज्यादा असर नहीं डाल पाया। राहुल को वापस आना पड़ा। उसके बाद से ही राष्ट्रीय नेतृत्व खासा नाराज था। अजय राय और अविनाश पांडेय ने पार्टी की पूरी जानकारी हाईकमान को दी, जिसके बाद यह कार्रवाई हुई। दैनिक भास्कर ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने ऐसे ही चार सवालों पर बात की.. सवाल- अचानक इतने बड़े फैसले की वजह क्या है ?
जवाब- कांग्रेस के प्रति लोग मजबूती के साथ जुड़े रहे हैं। ऐसे में तय किया गया कि बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक पार्टी को मजबूती से खड़ा किया जाए। कहीं कोई कमियां है तो उसे दूर किया जाएगा। केंद्रीय नेतृत्व को प्रस्ताव भेजा जाएगा। इसे मंजूरी मिल गई है, जिसके लिए केंद्रीय नेतृत्व का धन्यवाद बनता है। सवाल- नई कमेटी बनाने में कितना समय लेंगे। ब्लॉक स्तर पर पदाधिकारी तय करना छोटी बात नहीं ?
जवाब- दो से ढाई महीने में हम नई कमेटी बना लेंगे। निर्णय लेकर उस पर काम करने वाले लोग हैं। नई ऊर्जा के साथ पार्टी का विकास होगा। जनता के बीच में काम करेंगे। उसका कोई विकल्प नहीं हो सकता है। सवाल- सहयोगी दल सपा पीडीए की बात करता है। आपकी कमेटी में कुछ ऐसा दिखेगा।
जवाब- हमारे साथ सबका सहयोग है। हम गांधीवादी पार्टी हैं। उनके बताए मार्ग पर सबको लेकर चलते हैं। हमारे साथ अमीर-गरीब सभी लोग रहेंगे। हमारी कमेटी में हर जाति और वर्ग के लोग होंगे। मुस्लिम, दलित, पिछड़ा और सामान्य सभी वर्ग को लेकर साथ चलेंगे, किसी को छोड़ेंगे नहीं। सवाल- संभल में राहुल गांधी पहुंचे तो वहां काफी कम भीड़ थी। कार्यकर्ता कम पहुंचे थे। कमेटी भंग होने की एक वजह यह भी तो नहीं?
जवाब- ऐसा नहीं है। संभल में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पहुंचे थे। ऐसा कोई कारण नहीं है। मुख्य वजह पार्टी को संगठन को नए सिरे से खड़ा कर मजबूत करना है। हम तीन महीने में बूथ से लेकर प्रदेश स्तर तक तक कई ऊर्जावान कमेटी बनाएंगे। इसमें लोगों का नाम मोबाइल नंबर सभी हर व्यक्ति के पास मौजूद होगा। जिससे जब चाहे संपर्क किया जा सकता है। एक्सपर्ट बोले- कांग्रेस डायलिसिस प्रक्रिया में है, बिना इसके कुछ संभव नहीं पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि यूपी के अलावा बाकी राज्यों में भी कांग्रेस इस तरह की कार्रवाई कर रही है। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में कांग्रेस डायलिसिस प्रक्रिया में है। लोकसभा 2024 के चुनाव में कांग्रेस ने यूपी में काफी लंबे समय बाद अच्छा प्रदर्शन किया था। हालांकि, पार्टी ने विधानसभा उपचुनाव में एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ा। सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट आनंद राय कहते हैं- इसकी वजह से कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल था। ऐसे में उनको नई ऊर्जा देने के लिए भी कमेटी को भंग किया गया होगा, क्योंकि इससे उनको यह लगेगा कि जो काम नहीं कर रहे थे, पार्टी उनको बाहर का रास्ता दिखाना चाहती है। एक तरीके से नए सिरे से सेना को संजोने का काम हो रहा है। कांग्रेस 35 साल से यूपी की सत्ता से बाहर है। ऐसे में इतना बड़ा बदलाव ही उनके लिए जरूरी था। प्रियंका गांधी की टीम को कमजोर करने के सवाल पर आनंद राय ने कहा कि यह संभव हो सकता है। हालांकि, यह साबित करना मुश्किल है। लेकिन यह सच है कि उनकी बनाई हुई कमेटी से सदस्य अगर बड़ी संख्या में बाहर होते हैं तो सवाल उठेगा। कांग्रेस के लिए यूपी पहेली बना पॉलिटिकल एक्सपर्ट ये भी मानते हैं कि कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश पहेली बना हुआ है। ऐसे में पार्टी इस पहेली को हल करने पर प्रयोग कर रही है। अब इसी प्रयोग के लिए यह पहल की गई है। हालांकि, यह काफी लंबे समय बाद हुआ है। प्रदेश कार्यकारिणी तो भंग हुई है, लेकिन ब्लॉक स्तर की कमेटी को लंबे समय बाद भंग किया गया है। पिछले दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का बयान भी आया था कि नीचे से ऊपर तक बदलाव की जरूरत है। वरिष्ठ पत्रकार रामदत त्रिपाठी कहते हैं- मौजूदा समय समाज में कांग्रेस की पकड़ मजबूत नहीं है। जाति और धर्म की राजनीति में वह कमजोर हुई है। मौजूदा समय किसी विशेष समुदाय या जाति के लोगों की बात करने वाला दल पकड़ बना रहा है। कांग्रेस सबकी बात करती है, ऐसे में उसके लिए माहौल थोड़ा मुश्किल हो रहा है। कैसे बनेगी कांग्रेस की नई कमेटी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अखिलेश सिंह का कहना है कि आज की तारीख में प्रदेश अध्यक्ष को छोड़ सभी पदाधिकारी निवर्तमान हैं। प्रदेश अध्यक्ष, यूपी के प्रदेश प्रभारी और सह प्रभारी एक लिस्ट फाइनल करेंगे। इस लिस्ट को राष्ट्रीय महासचिव के माध्यम से राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजा जाएगा। उसके बाद वहां से लिस्ट फाइनल होगी और प्रदेश कार्यसमिति चुनी जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष उसके बाद मंडल कमेटी का चयन करेगा। मंडल से जिला कमेटी का सुझाव आएगा और उसे भी प्रदेश अध्यक्ष चुनता है। जिला कमेटी ब्लॉक कमेटी चुनने में मदद करती है। उन्होंने बताया कि बहुत पहले ऐसा हुआ था कि ब्लॉक स्तर तक कमेटी भंग की गई थी। हालांकि, यह ठीक से मुझे भी याद नहीं आ रहा। —————————– यह खबर भी पढ़िए… यूपी 2027 में क्या बंट जाएगा:25 करोड़ पार होगी आबादी, परिसीमन के बाद विधानसभा की 100 सीटें बढ़ जाएंगी देश में जनगणना और परिसीमन के बाद क्या उत्तर प्रदेश का बंटवारा कर दो से तीन अलग राज्य बना दिए जाएंगे। परिसीमन के बाद बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग फिर जोर पकड़ेगी। अगले साल प्रस्तावित जनगणना के बाद यूपी की जनसंख्या 25 करोड़ को पार कर जाएगी। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर